रविवार, अगस्त 22, 2010

एक सफ़हा

कुछ जरुरत से ज्यादा व्यस्तताओं ने घेर रखा है. बस, दो दिन और फिर सब पूर्ववत!!

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कुछ उधड़े कुछ जुड़े रिश्ते
चन्द पोशीदा से ज़ज्बात
धुँधली पड़ती कुछ यादें
दिल के फ्रेम में जड़ी
धूल खाई दो चार तस्वीरें
पुश्त पर लदी
मेरे अरमानों को थामे
पैबंद लगी एक गठरी..
आँगन वाले नीम के नीचे पड़ा
तेरी पायल से टूटा घुंघरु...
खिड़की से दिखता
एक मुट्ठी भूरा आसमान
बस! इतना है मेरा
पूरा जहान!!

-एक सफ़हा काफी है
मेरी कहानी कहने को.

-समीर लाल ’समीर’

90 टिप्‍पणियां:

  1. Hi..

    Ek safhe main kah daala hai,
    jaise ho ek yug ki baat..
    Jeevan ki khatti meethi..
    Yaadon ko lekar ke saath..

    Behtareen abhivayakti..

    Deepak..

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  2. हमेशा की तरह अति सुन्दर रचना.

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  3. बात तो सही है समीर जी....सुंदर अभिव्यक्ति

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  4. sir aapki tarif karna suraj ko diya dikhane ke saman hai.......par tarif na ki to aap ko mujh jainse chote aadmi ke barien me kainse pata chalega.......

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  5. SAMEER JI
    कैसे लिख जाते हो ऐसा सब..........
    तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  6. कम शब्दों में बहुत कुछ कह गए आप

    आभार

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  7. इस पृष्ठ में तो पूरा जीवनदर्शन ही भरा पड़ा है!
    --
    बहुत-बहुत बधाई!

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  8. बहुत दिनों बाद एक लाजवाब कविता पढने को मिली.
    कविता क्या ...बस दिल निचोड़ के रख दिया
    अआह
    गजब
    बेहतरीन रचना
    -
    -
    आभार
    शुभ कामनाएं

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  9. इतना है मेरा जहां....

    वाह वाह वाह....क्या बात कही....लाजवाब !!!
    मन मोह लिया...

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  10. @ समीर लाल जी ,
    व्यस्ततायें भी ज़रुरी हिस्सा हैं जिंदगी का :)

    कविता अत्यंत अर्थपूर्ण बन पड़ी है ! सुन्दर !

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  11. सुन्दर स्वच्छ संक्षिप्त

    न रह 'इधर उधर की' में लिप्त

    कहते हैं अपनी बात

    सिवा 'सुन्दर' कछु और नहीं

    हमसे है लिखत न जात .....

    बधाई व आभार....

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  12. बेनामी8/23/2010 05:34:00 am

    bAHUT khub likha hai sirji...
    kya kahoon.. choota moonh badi baat hogi....

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  13. .....व्यस्तता के चलते बढ़िया रचना.... आभार

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  14. सच ..एक ही सफहा काफी है अपने जीवन के प्राप्य और अप्राप्य को कहने के लिए ...बहुत सुन्दर

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  15. हमने भी पढ़ ली आपकी कविता।

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  16. "खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस! इतना है मेरा
    पूरा जहान!!"
    इतना कहने के बाद कुछ बचता है क्या.. सुंदर रचना

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  17. खूबसूरत कविता है। बेहद अच्छी

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  18. पुश्त पर लदी
    मेरे अरमानों को थामे
    पैबंद लगी एक गठरी...
    वाह...ये आपका ही अलग अंदाज़ है समीरलाल जी.

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  19. आपके लिए एक सफ़हा.... अमृता प्रीतम के लिए एक डाक टिकट !!!

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  20. वामन अवतार ने तीन डग में समस्त ब्रह्मांण्ड लपेट लिया था, आपने ’एक सफ़हा’ में। बस इतना सा है मेरा जहाँ, वैसे और बचा क्या सर जी?

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  21. इस कविता में कई रंग, गंध और स्वाद हैं, जो जिजीविषा और प्रगति की चिरंतन मानवीय सच्चाई को प्रभावशाली ढंग से पेश करती है।

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  22. बस इतना ही नही है समीर भाई ... ये पूरी कहानी है अपने आप में ...
    बहुत खूब ...

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  23. पर कभी-कभी सागर रौशनाई बन जाए और धरा कागज फिर भी कम पड़ जाती है जगह इस अफसाने के लिए।

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  24. -एक सफ़हा काफी है
    मेरी कहानी कहने को.


    बहुत सही कहा आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  25. दार्शनिक अंदाज में ढ़ला हुआ है ।

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  26. बड़े ही गहरे उपमानों में आपने अपनी जीवनी की कथा कह डाली। बहुत ही सुन्दर।

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  27. आपका ब्लॉग फोलो करना के बाद यह पहली पोस्ट है. आपकी सक्रियता देखकर मैं भी दांग हूँ. आपसे कुछ टिप्स चाहूँगा, लेकिन फिर कभी.

    फिलहाल आपकी कविता.
    प्रभु बहुत कम वाक्यों में बहुत ही उम्दा सम्प्रेषण. आप एक मंझे हुए लेखक हैं और आपके लिए यह काम शायद मुश्किल नहीं होगा, पर मुझ जैसे नए पाठक के लिए ऐसी रचनाएं ज़रूर पथ प्रदर्शक होती हैं.

    आभार
    मनोज खत्री

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  28. समीर बाबू!
    ई जो आप कहानी लिखे हैं..माने कबिता..ऊ कबिता कम पेंटिंग जादा लगता है..एकदम आँख के सामने फोटो खींच गया. लेकिन जेतना सादगी से आप कहानी बयान किए हैं उसके लिए एक सफहा तो बहुत जादा है..अमृता प्रीतम के हिसाब से देखें त इसके वास्ते चाहिए बस एक रसीदी टिकट... जल्दी फ्री हो जाइए (फ्री माने मुफ्त नहीं मुक्त) ताकि आपको अपना पहिले वाला रंग में देख सकें!!

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  29. ...यादों की दुनिया दिल को कितना सुकून देती है!...सुंदर रचना!

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  30. 'समीर जी '
    कमाल करते हैं व्यस्तताओं में भी आप !
    खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस!
    इतना है मेरा
    पूरा जहान!!


    वाह …
    जब आवै संतोष धन जैसा फ़लसफ़ा …

    साधु … … …



    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  31. क्या अंदाज़ है समीर साहब!! खूब !! निसंदेह कविता लहजे और कंटेंट में बेमिसाल है!

    रक्षाबंधन की ह्र्दयंगत शुभ कामनाएं !

    समय हो तो अवश्य पढ़ें :
    यानी जब तक जिएंगे यहीं रहेंगे !http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.html

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  32. -एक सफ़हा काफी है
    मेरी कहानी कहने को
    वाह! बहुत सुन्दर. शुभकामनाएं.

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  33. अच्छी प्रस्तुति। आभार

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  34. ये कहानी नहीं अंतस में छिपी कोई तदबीर है.
    अच्छा हुआ जो हाले दिल खोल दिया.

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  35. zabardast... na jane mera kya durbhagya raha ki kaee baar koshish ke bawzood aapka blog nahee khol paya tha. aaj kismat ne saath diya, behatareen se bhee behatar likha hai aapne
    aabhar

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  36. मेरे साथ भी व्यस्तता कुछ ज्यादा ही है..... सुबह आधा घंटा और रात ११ बजे के बाद ही कमेन्ट कर पाता हूँ.... बहुत दिन हो गए मुझे भी पोस्ट लिखे हुए.... आपकी रचना बहुत अच्छी लगी.....

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  37. हमरा टिपाणी कहाँ गायब हो गया...हम त भोरे भोरे लिखे थे..समीर भाई ई बहुत गलत बात है!! खोजिए!!

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  38. आज जीवन का पूरा फलसफा ही कह डाल दिया।
    कितनी सही बाते। हर खिड़की पर जब बैठता हूं तो भूरा आसमान ही दिखता है। पीठ पर अरमानों की पोटली..पैबंद लगी..ठंडी सांस ही ले सका मैं....

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  39. आँगन वाले नीम के नीचे पड़ा
    तेरी पायल से टूटा घुंघरु...
    खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस! इतना है मेरा
    पूरा जहान!!

    सुंदर अभिव्‍यक्ति। आभार।

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  40. लाजवाब कविता .........
    एक ही सफहा काफी .........
    बहुत ही सुन्दर!!!

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  41. श्रावणी पर्व की शुभकामनाएं एवं हार्दिक बधाईलांस नायक वेदराम!---(कहानी)

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  42. रचना बहुत सुन्दर है - मैं भी जबसे ट्रेवल कर रहा हूँ तब से बहुत व्यस्त हूँ - रक्षा बंधन की बहुत बहुत शुभकामनायें !!

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  43. रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  44. बहुत सुन्दर प्रस्तुति........ रक्षाबंधन पर पर हार्दिक शुभकामनाये और बधाई....

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  45. भाई-बहिन के पावन पर्व रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है!
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/255.html

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  46. आहा !! क्या बात है भाई ..... कमाल है !!

    एक सफ़हा काफी है
    मेरी कहानी कहने को.

    छा गए !!

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  47. रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  48. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
    बहुत खूब लिखा है आपने! सुन्दर रचना !

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  49. Pardesh gaye aur jode naye rishte,
    Rahe hardam sampark main na badai duriyan,

    Armaan aapne bhi kiye poore,
    Na rahe bacchon ke sapne adhure,

    Aangan mai goonjiti pote-potiyonn ki kilkari
    Aur shaam ke dhundhalke mai sangani ke saath chai ki ek payali,
    Jeevan ke is padav per yahi baat sabse nayari,

    Sabr kar ae SAMEER -
    Na khayanegi dhool koi bhi yanden,
    Na dhundhli padengi koi tasveeren,
    Jab tak hai yeh Udan Tastari, aapki kalam or shabdon ki yeh kasidekari.

    Many happy returns of the day (in advance....)

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  50. ्ज़िन्दगी 2 लफ़्ज़ों की ही तो कहानी है उसके लिये तो एक सफ़हा ही काफ़ी है……………बेहद खूबसूरत भाव्।
    रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  51. एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस! इतना है मेरा
    पूरा जहान!!...दार्शनिक लहजे में सुन्दर अभिव्यक्ति...बधाई.

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  52. खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस! इतना है मेरा
    पूरा जहान!!

    मनमोहक अभिव्यक्ति, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  53. रक्षाबंधन की ढेरों शुभकामनाए !!

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  54. आँगन वाले नीम के नीचे पड़ा
    तेरी पायल से टूटा घुंघरु...
    खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान


    bahut sunder shabd aur bhaav..wakai..

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  55. -एक सफ़हा काफी है
    मेरी कहानी कहने को.
    .....अति सुन्दर रचना.

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  56. बहुत सुन्दर प्रस्तुती

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  57. "पैबंद लगी एक गठरी.. " बहुत खूब !

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  58. काफी देर से आया ब्लॉग पर। टिप्पणीकारों ने इतना कुछ कह दिया है कि मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं।

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  59. व्यस्तताओं में ही सब कह दिया। फ्री होने पर क्या करेंगे?

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  60. हमेशा की तरह अति सुन्दर रचना.

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  61. hamesa kee tarah man ko chhoo jane wali rachana...

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  62. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

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  63. आपने तो बहुत अच्छी नव-कविता लिखी अंकल जी ....बधाई.

    ______________________
    "पाखी की दुनिया' में 'मैंने भी नारियल का फल पेड़ से तोडा ...'

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  64. बस! इतना है मेरा
    पूरा जहान!!


    bahut badaa jahan hai aapka ...anant aakash or sari zamii .

    aabhar

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  65. आदरणीय समीर जी भाई साहब और ममतामयी भाभीजी
    शादी की साल गिरह मुबारक हो !
    हार्दिक शुभकामनाएं !
    मंगलकामनाएं !!


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  66. कुछ उधड़े कुछ जुड़े रिश्ते
    चन्द पोशीदा से ज़ज्बात
    धुँधली पड़ती कुछ यादें
    दिल के फ्रेम में जड़ी
    धूल खाई दो चार तस्वीरें
    पुश्त पर लदी
    मेरे अरमानों को थामे
    पैबंद लगी एक गठरी..
    आँगन वाले नीम के नीचे पड़ा
    तेरी पायल से टूटा घुंघरु...
    खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस! इतना है मेरा
    पूरा जहान!!

    -एक सफ़हा काफी है
    मेरी कहानी कहने को. man ko chhoo gayi rachna aapki ,behad sundar aur gahri baate hai .

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  67. समीर जी और साधना जी , शादी की सालगिरह मुबारक हो ।
    आप दोनों को एक लम्बे स्वस्थ जीवन की ढेरों शुभकामनायें ।

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  68. इस एक सफहे में तो आपने सारे जहाँ को समेत लिया ! बहुत ही भावपूर्ण रचनी और बेमिसाल प्रस्तुति !
    दिल के फ्रेम में जड़ी
    धूल खाई दो चार तस्वीरें
    पुश्त पर लदी
    मेरे अरमानों को थामे
    पैबंद लगी एक गठरी..
    बहुत खूबसूरत अल्फाज़ और बहुत ही नाज़ुक ख्यालात ! बधाई समीर जी !

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  69. आप दोनो को वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएँ

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  70. kya likh diya sameer
    lagata nahin ki itanr vyast hain aap.... wah...

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  71. ताऊ जी ब्लॉग पे पार्टी शार्टी चल रही है तो मैंने सोचा इधर भी कुछ इंतजाम होगा .....
    पर इधर तो अरमानों को थामे पैबंद लगी एक गठरी..के सिवा कुछ न दिखा ....

    तेरी पायल से टूटा घुंघरु...
    खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस! इतना है मेरा
    पूरा जहान!!

    ओये होए .....!!

    आज तो बस गज़ब ही है ....
    चलिए इस पुरे जहां की बहुत सी बधाई आपको ....
    ये जहां यूँ ही तरो ताजा रहे ......!!

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  72. JUT SPEACHLESS... AUR KUCH KAHNE KO MERE PAAS SHABD NAHI HAI .. GALA RUNDH SA GAYA HAI AUR AANK ME PAANI HAI .. PHIR AATA HOON, AAPKO PRANAAM

    VIJAY

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  73. वैवाहिक वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएँ |

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  74. सुन्दर रचना |

    सुखी दांपत्य जीवन की ढेर सारी बधाइयां। शादी की सालगिरह मुबारक हो |

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  75. sach,sahi,ek chota safah kafi hai jeevan ki kahani pirone ke liye,sunder rachana.

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  76. कुछ उधड़े कुछ जुड़े रिश्ते
    चन्द पोशीदा से ज़ज्बात
    धुँधली पड़ती कुछ यादें
    दिल के फ्रेम में जड़ी
    धूल खाई दो चार तस्वीरें

    खिड़की से दिखता
    एक मुट्ठी भूरा आसमान
    बस! इतना है मेरा
    hmmmm.............
    prte prte..kho jaate hain....

    Behtareen abhivayakti..
    tahn xx for sharing such jem wid us
    take care

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  77. शब्दों का सटीक चयन..
    और कविता बेजोड़ है सर

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  78. यहां तक आने में मैंने देर कर दी ,
    बहुत पहले से शुरू कर देना चाहिये था !

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  79. भई वाह!,बड़ा शानदार लिखते हैं आप .और हाँ , मेरी कविताएँ पढने के लिए आपका आभार और धन्यवाद,

    यूँ ही होती रहीं गर, हौसला -अफजाई मेरी!

    परिंदों से परवाज़ लगा पहुंचेंगे शिखर तक! (कुछ ज्यादा तो नहीं कह दिया).

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