११ अक्टूबर को गीत सम्राट राकेश खण्डेलवाल जी की पुस्तक ’अंधेरी रात का सूरज’ का विमोचन है. हमारे तो खैर वो गुरु जी हैं और हम उनके खास मूँह लगे चेले. न भी बुलाते, तो भी जाते जबरन. मगर पिछले तीन साल से लगातार वो उस कवि सम्मेलन में हमें बुला रहे हैं और हम जा रहे हैं, जिसमें इस साल विमोचन भी होना है. कितना बड़ा सौभाग्य है.
इस बार हम वहाँ तिहरी भूमिका में जा रहे हैं. एक राकेश जी के भक्त शिष्य की, दूसरी शिवना प्रकाशन, सिहोर, जिसने इस पुस्तक का प्रकाशन किया है, उनके प्रतिनिधि के रुप मे और तीसरे हम खुद भी तो कुछ मायने रखते हैं भई.
शिवना प्रकाशन जो हमारे गुरु पंकज सुबीर जी का है, उसके एक विमोचन में मैं सिहोर में था पिछले साल. हटीला जी की पुस्तक ’बंजारे गीत’ का विमोचन था और साथ ही कवि सम्मेलन भी. सारा कार्यक्रम देखा, सुना और सुनाया. बहुत ही सम्मान और अभिनन्दन के साथ होता है विमोचन. बड़ा आनन्द आया था. इस बार उसी परम्परा का निर्वहन मैं करुँगा शिवना के लिए, यह सौभाग्य की बात है. फोटो आदि भी आगे पोस्ट की जायेंगी, मेरे लौटने पर.
यह आय्जन राकेश जी के लिए भावुक क्षण होगा..मेरे लिए भी. अनूप भार्गव जी और उनकी पत्नी रजनी भार्गव न्यू जर्सी से एवं घनश्याम गुप्ता जी जी फिलाडॆफिया से आ रहे हैं इस कार्यक्रम में शिरकत करने. बहुत आनन्ददायी यात्रा रहेगी. ३ घंटे की एक जगह रुकते फ्लाईट है. परसों दोपहर में...निकलेंगे और आनन्द उठायेंगे और आनन्द फैलाना की कोशिश तो खैर रहेगी ही.
राकेश जी के लिए:
हमारे पास तो राकेश जी के हर गीत के लिए एक ही टिप्पणी है: ’अद्भुत’
अब सुनिये पिछली बार इसी जगह हुए कवि सम्मेलन की रिकार्डिंग:
अनेकों शुभकामनाऐं इस कार्यक्रम के लिए. बाकी वहाँ से आकर रिपोर्ट पेश करता हूँ.
This video presentation is courtesy of YouTube. Video Taken By: Sameer Lal. Video camera: SONY Battery used: Nokia Categories: Songs, Movie, Poems
कुछ आनंद
जवाब देंहटाएंयहां वहां इधर उधर
भी देना टपका
हम लपक लेंगे
अपने मन में।
बधाई
सबको।
आदरणीय राकेश खंडेलवाल जी को नमन व हार्दिक बधाई। स-शरीर न सही पूरे मन से इस अवसर पर् हम राकेश जी के साथ विमोचन के अवसर पर उपस्थित हैं...
जवाब देंहटाएंसमीर जी, जाइए घूम के आइये, फिर आराम से ब्यौरा दीजियेगा. शुभ यात्रा
जवाब देंहटाएंshubhkaamnayen...
जवाब देंहटाएंक्या कहने - अमर, अकबर एंथोनी सब एक साथ।
जवाब देंहटाएंराकेशजी को बधाई। आप भी टिका लो।
जवाब देंहटाएंशुभ यात्रा समीर जी, और कार्यक्रम के लिए शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंसमीरजी, ऐसी आपसी सौहार्द बनाये रखने वाली खबरे जब मिलती हैं तो अच्छा लगता है....यात्रा के लिये शुभकामनाएं। विमोचन हेतु ब्लॉगजगत की ओर से राकेशजी को शुभकामना संदेश लेते जाईयेग।
जवाब देंहटाएंsir bahut sunder rachana
जवाब देंहटाएंkindly read my latest post, if have time
my dustbin is waiting
regards
बधाई और शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो आपको परिवार सहित दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं ! आप जिस कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे हैं वो सफल और आनंद पूर्वक संपन्न हो एवं लौटकर उसका आनंद हम भी ले सके उसका इंतजाम जल्दी करेंगे ! यही उम्मीद करते हैं !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं !
बधाई हो आपको,राकेश जी,अनूप जी और सभी को ।
जवाब देंहटाएं’अंधेरी रात का सूरज’ के विमोचन समारोह में सफल शिरकत करके , वहाँ के अनुभव हमें भी बताएं ! तब तक प्रतीक्षा करेंगे !
जवाब देंहटाएंदशहरे की हार्दिक बधाईयाँ !
दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंभई वाह वाह क्या केने केने
जवाब देंहटाएंइंतजार रहेगा, लौटने के बाद, वहां का हाल जानने का।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...विस्तृत रिपोर्ट की प्रतीक्षा है...
जवाब देंहटाएंगा-बजा कर लौटें और हाल सुनाएं.
जवाब देंहटाएंसबकुछ सफल हो..
जवाब देंहटाएंट्रिपल समीरलाल का वज़न इसे यादगार बनाने जा रहा है, यह निश्चित है ।
रात के अँधेरेपन को वह एक नया आयाम देंगे, सूरज की महत्ता को बढ़ायेंगे...
लौट कर कुछ रोशनी हमें भी दिखाइयेगा ।
...जे इंतजार है विमोचन की रपट का और तस्वीरों का...
जवाब देंहटाएंvijyadshmi ki hardik shubkamna .
जवाब देंहटाएंसमीर जी...आप विमोचन में जा रहे हैं, बहुत अच्छा काम कर रहे हैं...मेरा भी एक काम कर दीजियेगा...आप से कर बद्ध प्रार्थना है...कहिये तो दंडवत प्रंणाम कर के विनती करूँ....राकेश जी से, एक बार मेरा नाम लेकर हाथ मिलाईयेगा...अपना तो जीवन इसी में धन्य हो जाएगा....और हाँ रिपोर्टिंग ठीक वैसे ही कीजियेगा जैसी मैंने अपने यहाँ की काव्य संध्या पे की थी...या उस से भी बेहतर... शुभकामनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंनीरज
अभी तक सिर्फ़ आपकी टिप्पणियां पढ़ पढ़ कर आनंदित होता था, आज अनायास ही आपके ब्लॉग पर आने का मन हुआ. आज पता चला कि इतने दिनों से मैं अच्छी और सरस भाषा से महरूम रहा. मुबारक हो.
जवाब देंहटाएंअभी तक सिर्फ़ आपकी टिप्पणियां पढ़ पढ़ कर आनंदित होता था, आज अनायास ही आपके ब्लॉग पर आने का मन हुआ. आज पता चला कि इतने दिनों से मैं अच्छी और सरस भाषा से महरूम रहा. मुबारक हो.
जवाब देंहटाएंकवि सम्मेलन और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की रिपोर्ट का इंतजार है। दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंab aapke lautkar aane ka intzaar hai,yaani un anubhawon ko jaanne ka
जवाब देंहटाएंदशहरे की हार्दिक बधाई ! यात्रा और लक्ष्य सफल हो ! तिवारी साहब का सलाम !
जवाब देंहटाएंतीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
जवाब देंहटाएंनफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
जरुर पढिए कविता .. हमारी टिप्पणी एडवांस में लीजिये "वाह अति सुंदर,भावपूर्ण !!" :-)
जवाब देंहटाएंआप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंराकेश जी को शुभकामनाए और आप को शुभयात्रा।
जवाब देंहटाएंha ha! maze liye jao! vijaydashami kii shubh kaamanayein!
जवाब देंहटाएंराकेश जी को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंआपके दुबले से शरीर पर काफी भार रख दिया है मैंने और अब आज तो सारे ब्लाग जगत ने आपको जिम्मेदारी दे दी है कि पूरे ब्लाग जगत की ओर से आपको राकेश जी को शुभकामनायें देनी हैं ।
जवाब देंहटाएंराकेशजी को बधाई!!
जवाब देंहटाएंआपकी पुस्तक/ फिल्म कब आ रही है?
इस ब्लॉग का तो
जवाब देंहटाएंबनाना ही पड़ेगा क्लोन
टिप्पणियां ऐसे आती हैं
जैसे बिन मांगा लोन।
आपको शुभकामनायें जी। और शुभ ही होगा।
जवाब देंहटाएंaapko hardik badhai
जवाब देंहटाएंराकेशजी को बधाई.दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की शुभकामनायें समीर भाई !
जवाब देंहटाएंराकेश जी की कविताओं के तो सभी मुरीद हैं, अद्भूत के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता. पुस्तक विमोचन पर शुभ कामनाएं. आपको भी.
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की शुभकामनाएं.
aapka blog padha ,kafee achha hai ,geetkar par samgree badhiya hai .
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंअच्छी खबर है....जाइए और लौटकर वहाँ का हाल सुनाइये!
जवाब देंहटाएंहमारे कविराज राकेश जी को पुस्तक प्रकाशन पर बधाई और आप दोनोँ को विजया दशमी की शुभकामनाएँ भेज रही हूँ ~~~
जवाब देंहटाएंस स्नेह्,
- लावण्या
दशहरे की हारदीक शूभकामनाऎं और ढेर सारी खूशीयां मीलें आपको।
जवाब देंहटाएंबहुत घूमते हैं :))))))))
_______________
मोबाईल खराब हो गया था ईसलीये नेट नही चला पा रहा था।
अंग्रेजी मे लीखे सफेद रंग पर कल एक्सपेरीमेंट कर के बताता हूं।
जवाब देंहटाएंवैसे तो मैने ईस बारे मे सोचा ही नही था। आप अच्छा सवाल पूछ दीये।
आपको एवम राकेश जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंविजयादशमी का सत्कार हो और असीम शुभेच्छाएँ.
शुभकानाएं समीरजी।
जवाब देंहटाएंहमरी तरफ से भी उन्हें शुभकामनायें दे dijiyega
जवाब देंहटाएंaapko dashaharaa aur subir ji ki nai pustak ki badhaai yadi unkaa blog yaad ho to pot karen badhaai denaa chahtaa hun
जवाब देंहटाएं"Rakesh jee ko dil se bhut bhut bdhaee or aapka bhee shukriya advance mey kyonkee aap hume ankhon dekha haal sunane ja rhe hain vapas aaker'
जवाब देंहटाएंso good luck
regards
intazaar us din ka jab aap vimochan ka ankho dekha haal batayenge
जवाब देंहटाएंराकेश जी हमारे भी गुरुजी हैं, फर्क इतना है कि हमने अभी हाल ही दाखिला लिया है!
जवाब देंहटाएंशायद हमें नाम से भी ना पहचाने :)
चलिये अब अनूप जी से और आप से विमोचन की खबर मिलेगी !
हाँ, एक बात बताईये, अगर आप उडन तश्तरी हैं तो फिर फ्लाईट की आवश्यकता क्यों :)
बहुत शुभकामनाएं!
चलिए, हमारी तरफ से भी राकेश जी को बधाई दीजियेगा, और आपको शुभ यात्रा
जवाब देंहटाएंवापसी रिपोर्ट की प्रतीक्षा रहेगी
जवाब देंहटाएंशुभयात्रा
राकेश जी को हमारी बधाई भी दें
विज और मेरी ओर से भी बधाई राकेश जी को, रिपोर्ट की प्रतीक्षा रहेगी
जवाब देंहटाएंसमीर जी पहले तो खण्डेलवाल जी को बहुत बहुत बधाई आप वहां होकर आओ और सारा वृतांत हमें सुनाना पढाना नहीं और हां याद रखना एक किताब का विमोचन मैं भी कर रहा हूं जल्द अभी नाम नहीं बताऊंगा फिर आपको आना पडेगा जरूर कोई बहाना नहीं चलेगा आपको हैप्पी जरनी इन एडवांस एंड बेस्ट आफ लक
जवाब देंहटाएंहम बहुत लेट हो गये है समीर जी......पर इन दिनों हर जगह उन्ही की चर्चा है अब लगता है इस पुस्तक का जुगाड़ करना ही पड़ेगा ...
जवाब देंहटाएंBahut-bahut shubhkaamnayen.
जवाब देंहटाएंHardik shubhkaamnayen.
जवाब देंहटाएंराकेश जी को शुभकामनाएँ। इस स्वर्णिम क्षण के विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा रहेगी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय समीर जी,
जवाब देंहटाएंउचित समझें तो आयोजन की रपट गर्भनाल में प्रकाशित करने के लिए भेजें.
सादर
आत्माराम
उम्मीद है,बड़ा आनंद आएगा आपके रिपोर्टिंग में। शुभकामनाऍं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय समीरजी,
जवाब देंहटाएंजा रहे हैं तो जाइए आप विमोचन में
हाल सब भर के लाइए आप लोचन में
एक बात और --पिछली बार की रिकॉर्डिंग का लिंक नही आ रहा है आपकी पोस्ट पर
राकेश जी को ढेर साड़ी शुभकामनाये...लौट कर हमें भी इस रौशनी से मुनव्वर कीजियेगा...
जवाब देंहटाएंmatlab aap Seehor mein honge ?
जवाब देंहटाएंBahut acha aapke lotne ka intjar rahega..rakesh ji bahut bahut badhai or aapko bhi...
जवाब देंहटाएंsubhkamna ke liye sadar dhnyawad.
जवाब देंहटाएंdr. jaya anand
कार्यक्रम के लिए शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंBadhai aurshubhkaamnayein hamari taraf se bhi.
जवाब देंहटाएंराकेश जी को बधाई और गुरु पंकज सुबीर जी को नमन
जवाब देंहटाएंआज कल आप अपनी उड़न तश्तरी का मुंह किस तरफ़ किया उड़ रहे हैं, कभी कभार हमारे ऊपर भी इसकी हवा सरकवा दिया कीजिये.
आप के हरेक लेख को मै हमेशा पढता हूँ. आपके लिखे हुये लेख मुझे बहुत पसन्द हैं.
जवाब देंहटाएंढेर सारी बधाई... बस हम नहीं आ पाये इसका थोड़ा दुःख जरूर है !
जवाब देंहटाएंहमारी ओर से भी राकेश जी को बहुत बहुत शुभकामनाऐं।
जवाब देंहटाएंइतनी सारी शुभकामनायें, इतना अपनापन और बिखरते हुए शब्द हाथ में पकड़े
जवाब देंहटाएंव्यस्तताओं से जूझता मैं. यद्यपि मेरा प्रयास होता है कि सभी को व्यक्तिगत
तौर पर संदेशों के उत्तर लिखूँ. इस बार ऐसा होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है
इसलिये सभी को सादर प्रणाम सहित आभार व्यक्त कर रहा हूँ. भाई समीरजी,
पंकज सुबीरजी, सतीश सक्सेनाजी. नीरज गोस्वामी जी, कंचन चौहान जी,
गौतमजी, रविकान्तजी, मीतजी, राजीव रंजन प्रसादजी, पारुलजी संजय पटेलजी.
पुष्पाजी, मोनिकाजी, रमेशजी, रंजनाजी, रंजूजी, सीमाजी,अविनाशजी,फ़ुरसतियाजी,
लवलीजी,अजितजी,योगेन्द्रजी,पल्लवीजी,लावण्यजी,शारजी,संगीताजी,अनुरागजी,मोहनजी,
तथा अन्य सभी मेरे मित्रों और अग्रजों को अपने किंचित शब्द भेंट कर रहा हूँ
मन को विह्वल किया आज अनुराग ने
सनसनी सी शिरा में विचरने लगी
डबडबाई हुई हर्ष अतिरेक से
दॄष्टि में बिजलियाँ सी चमकने लगीं
रोमकूपों में संचार कुछ यूँ हुआ
थरथराने लगा मेरा सारा बदन
शुक्रिया लिख सकूँ, ये न संभव हुआ
लेखनी हाथ में से फ़िसलने लगी
आपने जो लिखा उसको पढ़, सोचता
रह गया भाग्यशाली भला कौन है
आपके मन के आकर निकट है खड़ा
बात करता हुआ, ओढ़ कर मौन है
नाम देखा जो अपना सा मुझको लगा
जो पढ़ा , टूट सारा भरम तब गया
शब्द साधक कोई और है, मैं नहीं
पूर्ण वह, मेरा अस्तित्व तो गौण है
जानता मैं नहीं कौन हूँ मैं, स्वयं
घाटियों में घुली एक आवाज़ हूँ
उंगलिया थक गईं छेड़ते छेड़ते
पर न झंकॄत हुआ, मैं वही साज हूँ
अधखुले होंठ पर जो तड़प, रह गई
अनकही, एक मैं हूँ अधूरी गज़ल
डूब कर भाव में, पार पा न सका
रह गया अनखुला, एक वह राज हूँ
आप हैं ज्योत्सना, वर्त्तिका आप हैं,
मैं तले दीप के एक परछाईं हूँ
घिर रहे थाप के अनवरत शोर में
रह गई मौन जो एक शहनाई हूँ
आप पारस हैं, बस आपके स्पर्श ने
एक पत्थर छुआ और प्रतिमा बनी
आपके स्नेह की गंध की छाँह में
जो सुवासित हुई, मैं वो अरुणाई हूँ.
सादर
राकेश खंडेलवाल
हार्दिक शुभकामनाएं
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