रविवार, अक्तूबर 05, 2008

स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा...

आज रविवार है अतः थोड़ा आराम रहा. सोचा था कि आज कुछ समय निकाल कर लिखा जायेगा. मगर मैने देखा है कि जब भी समय ज्यादा रहता है, सोचा हुआ काम पूरा नहीं हो पाता. पता नहीं क्या वजह है. जब समय कम रहता है तो काफी बड़े बड़े काम निपट जाते हैं मगर खाली वक्त जैसे कुछ करने ही नहीं देता.

दिन भर में सोचता ही रह गया और कुछ नहीं लिखा. कुछ ब्लॉग पढ़े. पुराने दिनों के ब्लॉग एग्रीगेटर पर भी जाना हुआ.लोग लिख रहे हैं और खूब लिख रहे हैं. एक बात सोचता हूँ कि जब इतना लिखा जा रहा है तो लोग एक ही पोस्ट दो दो चार चार ब्लॉग से बार बार क्यूँ पोस्ट करते हैं? क्या उद्देश्य रहता है? और भी कि एक लिखता है, वो एग्रीगेटर पर दिखता है तो दूसरा उसका लिंक बताता है, वो भी दिखने लगता है. संसाधनों का दुरुपयोग सा लगता है.

शिकायत तो नहीं, महज एक विचार है. कभी सोचता हूँ कि गाँधी जी जब जिन्दा रहे होंगे तब उनको जन्म दिन की इतनी मुबारकबाद मिली होगी क्या जितनी हम दिये चले जा रहे हैं. एक बार हो गया भई..१३७ पोस्ट-जन्म दिन मुबारक. फिर ११० इस पर कि शास्त्री जी को याद नहीं किया. फिर ९९ ईद मुबारक तो ८० नव रात्रे की शुभकामनाऐं.

त्यौहार का मौका है. मास्साब बच्चों को समझा रहे हैं-ईद है, गाँधी जयंति है, शास्त्री जी का जन्म दिन है, नवरात्रि है-सब का एक संदेश-भाई चारा फैलाना है. मानो कि भाई चारा न हुआ, रायता हो लिया अमेरीकी अर्थ व्यवस्था जैसा कि फैल जायेगा. चलो फैला भी लोगे-तो समेटेगा कौन?

बच्चा समझने की कोशिश कर रहा है. टीवी दर्शक बच्चा है यानि सीखा सिखाया ज्ञानी. सर, भाईचारा फैल ही नहीं सकता?

’क्या बात करते हो’ मैं उसकी नादानी पर आश्चर्य व्यक्त करता हूँ.

उसका कहना है कि जो चीज है ही नहीं, उसे फैलाओगे कैसे?

मैने कहा कि है कैसे नहीं?

बोल रहा है कि भाई तो पाकिस्तान में जाकर बैठा है, इन्टर पोल तक खोज रही है, वो भी नहीं ढ़ूंढ़ पा रही तो हम आप क्या खोजेंगे फैलाने के लिये. तो भाई तो प्रश्न से बाहर हो लिये. अब बचे चारा, वो अगर होता तो लालू और खा लेते. वेशियों और उन के समतुल्य माने जाने वाली आम जनता के हाथ तो आने से रहा. सी बी आई उसी चारे की तहकीकात कर रही है, उन्हें ही करने दें. फैलाने की बात बाद में करेंगे.

इसी बात में क्लास खत्म होने की घंटी बज जाती है और मैं बहुत शांत महसूस कर रहा हूँ घंटनाद से.

एक गीत लिख देता हूँ, पढ़िये:



स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा

स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.

सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो.

फरमानों को गाँधी जी के, कैसे हम तुम भूल गये
नेताओं आज यहाँ कहते है, अपना घर आबाद करो.

धर्म हमें जुड़ना सिखलाता, डूब के उसको जानों तुम
आपस में लड़ते भिड़ते ही, वक्त न तुम बर्बाद करो.

देश हमारा फिर से होगा, सपनों वाला भारत वो,
छोड़ो उसको क्या कहता है, तुम अपनी ही बात करो.

-समीर लाल ’समीर’

85 टिप्‍पणियां:

  1. apki tippani ke liye dhanyawad.
    apka lekhan bahut hi sahaj aur rochakta liye hue hai.

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन कविता. बहुत सही कहा आपने समय के बारे मैं..:)

    जवाब देंहटाएं
  3. कविता के लिये आपको A+
    ...और बात भी पते की लिखी आपने समीर भाई ...
    और "भाई" की बात तो
    कोई बहन क्या बताये !:)
    इत्ता ही कि,
    हरेक की खबर रखता है "वो" जो दीखता नहीँ है -
    ( हाँ भाई की तरह ही तो !! :-)
    - लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  4. "सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो"


    तहकीकात शुरू हो गयी है. बस जी, कमीशन बिठा दिया है, रिपोर्ट आने पर दबा देंगे.

    जवाब देंहटाएं
  5. सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो.
    भारत आज भी नेताओं के लिए तो सोने की चिडिया ही है और वे दोनों हाथों से जमकर खुले आम लुट रहें है

    जवाब देंहटाएं
  6. भाईचारा की कथा, कहते लाल ‘समीर’।
    ‘भाई’ परदेशी हुआ,‘चारा’ को है पीर॥

    चारा को है पीर, और है लालू जी को।
    व्यंगकार को मिला खजाना ऐसा नीको॥

    देख रहे ‘सिद्धार्थ’ चलबसा प्यारा नारा।
    चिन्ता बढ़ी, कहाँ से लाएं भाई-चारा॥

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खुब समीर भाई.. लेख भी और कविता भी.. और समझ में आया आपको वक्त क्यों नहीं मिला..".१३७ पोस्ट-जन्म दिन मुबारक. फिर ११० इस पर कि शास्त्री जी को याद नहीं किया. फिर ९९ ईद मुबारक तो ८० नव रात्रे की शुभकामनाऐं." इतने आंकडे इक्क्ठे करने ्के बाद वक भला क्या करेगा :)

    जवाब देंहटाएं
  8. हमेशा की तरह बेहतरीन लेख
    by default अच्छा लिखते हैं आप

    जवाब देंहटाएं
  9. बेनामी10/05/2008 10:33:00 pm

    समीर भाई, आप कवितायें एकदम सहजता से लिख जाते हैं. वक्त के हिसाब से बहुत ही सही और उससे जुड़ी हुई होती हैं. और मैं आपसे सहमत हूँ, की संसाधनों का दुरुपयोग करेंगे, तो अपना ही नुक्सान है.

    और रही बात, गांधी जयन्ती की, तो अपने घर में इन्टरनेट और ईमेल के जरिये लोगों को बढियाँ देने के बजाय अगर हम १% भी गांधी के बताये रास्ते पे चलें तो देश का कल्याण हो.

    जवाब देंहटाएं
  10. asli swarg to hamare aas pas hotahai. iske alawa agar insan jo sochta hai wah sab hone lage to fir main to ka mar gya hota. sameer jee aap " lage raho munna bhai" ke batuk maharaj ho kya

    जवाब देंहटाएं
  11. बेनामी10/05/2008 10:39:00 pm

    स्वर्ग तो दिलवा देंगे लेकिन पहले ये बताये कि सोमवार की पोस्ट में ये क्यूँ कहा जा रहा है कि आज रविवार है।

    जवाब देंहटाएं
  12. ऐ भाई ये ज्योतिषी लोगों की भाषा मत बोलो - सोचा हुआ काम होता नहीं। कोई तुम्हारा दुश्मन है, कोई तुम्हारा अच्छा नहीं चाहता, सब तुमसे जलते हैं, पैसा आता है लेकिन खर्च हो जाता है - रूकता नहीं। अंत मे कहेगा - टिप्पणीयां आती हैं तो बस आती चली जाती हैं.....कोई जरूर तुमको देख रहा है :)
    अच्छी पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  13. स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
    फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.

    सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो.

    badiya hai sameer bhai
    badhai........

    जवाब देंहटाएं
  14. blog poston par aapki thyatmakta chakit karne waali hai. kaise banaya hoga aankda !!

    जवाब देंहटाएं
  15. भाई चारा में से भाई आप रख लीजिये, चारा हमको दे दीजिये।

    जवाब देंहटाएं
  16. स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
    फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.
    " bhut sunder geet, or time kum ho ya jyada aapka artical hmesha bhut accha hotta hai'

    regards

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ख़ूब,
    लाल साहेब, क्या कहना !

    जवाब देंहटाएं
  18. समीर जी,बहुत बेहतरीन रचना है। अब जो भाई पाकिस्तान बैठ गया है वह तो ्मिलने से रहा चारा लालू खा गया।बहुत सही कहा।

    स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
    फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.

    जवाब देंहटाएं
  19. हर त्यौहार पर पोस्ट, राष्ट्रीय पर्वों पर पोस्ट हर ब्लॉग पर वही पोस्ट। पोस्ट मय है संसार।
    अब दशहरे दिवाली की पोस्टें चमका रहे होंगे मित्रगण!

    जवाब देंहटाएं
  20. समीर जी कविता अच्‍छी है ।और आपको याद दिला दूं कि आपको भी इस सप्‍ताह में राकेश जी पर एक स्‍पेशल पोस्‍ट लगानी है । अभिनव लगा चुके हैं अब आपकी बारी है ।

    जवाब देंहटाएं
  21. धर्म हमें जुड़ना सिखलाता, डूब के उसको जानों तुम
    आपस में लड़ते भिड़ते ही, वक्त न तुम बर्बाद करो।

    काश लोग इसे पढ़े और समझे ।

    भाईचारा तो लाजवाब रहा । :)

    जवाब देंहटाएं
  22. स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
    फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.
    ati sunda kintu
    "स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा..."
    list men meraa naam hogaa hee......?

    जवाब देंहटाएं
  23. सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो.
    लाजवाब...

    जवाब देंहटाएं
  24. सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो.

    वाह ! समीर भाई , बहुत सही लिखा है आपने । पूरा गीत शानदार है मगर इस बंद ने तो जैसे बाहरवाले ही नहीं , अंदरवाले लुटेरों को भी सुई चुभो दी है....
    तहकीकात हो या न हो , ऐसे लोगों के साथ जीते जी यहीं न्याय होता रहा है।
    यूनान, मिस्र ,रोमां , सब मिट गए जहां से
    लेकिन अभी है बाकी , नामो-निशां हमारा

    जै हिन्द.....

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत अच्‍छी पंक्तियां-
    धर्म हमें जुड़ना सिखलाता, डूब के उसको जानों तुम
    आपस में लड़ते भिड़ते ही, वक्त न तुम बर्बाद करो.

    देश हमारा फिर से होगा, सपनों वाला भारत वो,
    छोड़ो उसको क्या कहता है, तुम अपनी ही बात करो

    आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  26. सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो.

    waah waah...Guru Ji to khush ho jaye.nge Gazal sun kar

    जवाब देंहटाएं
  27. सब का एक संदेश-भाई चारा फैलाना है. मानो कि भाई चारा न हुआ, रायता हो लिया अमेरीकी अर्थ व्यवस्था जैसा कि फैल जायेगा. चलो फैला भी लोगे-तो समेटेगा कौन?
    बहुत सही.....

    जवाब देंहटाएं
  28. कविता बहुत सुंदर है ! आपका चिंतन बहुत मार्मिक लगा ! शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  29. स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
    फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.


    बहुत सुंदर गीत है !

    "उसका कहना है कि जो चीज है ही नहीं, उसे फैलाओगे कैसे?"

    आज के समय में इस लाइन से बढ़ कर कुछ कहा ही नही जा सकता ! नमन आपको गुरुदेव !

    जवाब देंहटाएं
  30. उसका कहना है कि जो चीज है ही नहीं, उसे फैलाओगे कैसे?

    क्या खूब लिखा है.
    एक दम चित कर दिया आपने तो.....

    जवाब देंहटाएं
  31. भाईचारे की तो बात ही मत करो, ब्लोगरों में बहुत है. :)

    जवाब देंहटाएं
  32. बहुत अच्छा और स्टीक लीखे हैं।
    और कविता तो और अच्छा है।

    कविता बहुत अच्छा लग।
    ईस सोने की चीडीया को नेताओ ने ही लूटा है।

    जवाब देंहटाएं
  33. कवीता सही बन पड़ी है और दूसरी बात आपकी इससे सहमत हूं कि कम समय में ज्यादा काम हो जाता है और ज्यादा समय में थोड़ा काम भी मुश्किल जान पड़ता है।
    धर्म हमें जुड़ना सिखलाता, डूब के उसको जानों तुम
    आपस में लड़ते भिड़ते ही, वक्त न तुम बर्बाद करो.
    सही विचार।

    जवाब देंहटाएं
  34. I read your blog after a really long time and must say its simply brilliant. Its refreshing to read such clear thoughts and the way you you were driving to a point that makes serious sense.
    Maza aa gaya hindi padhke. Ab aapke blog pe main regular visitor rehne wali hu.

    जवाब देंहटाएं
  35. पोस्ट शानदार है. कविता जानदार है. पब्लिक खबरदार है....:-)

    आगे समाचार यह है कि दशहरे की, दुर्गापूजा की, दिवाली की, नेहरू जयन्ती की.....ये सारी पोस्ट कल तक तैयार कर लूँगा.

    जवाब देंहटाएं
  36. aapkee sajagta ka main kayal hun.itna sabkuch kaise kar lete hain bhai? jara hamen bhee batayen
    ranjit

    जवाब देंहटाएं
  37. aapkee sajagta ka main kayal hun.itna sabkuch kaise kar lete hain bhai? jara hamen bhee batayen
    ranjit

    जवाब देंहटाएं
  38. aapki kavita kaafi achi lagi. desh hit kee baat karne ke liye dher saari shubhkaamnaye....

    जवाब देंहटाएं
  39. बहुत शिक्षा पूर्ण पोस्ट...आप महान भारत के महान सपूत हैं जो विदेश रह कर भी भारत और उसकी समस्याओं से व्यथित हैं...और हम यहीं के यहीं रह के भी कुछ नहीं कर रहे...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  40. बेनामी10/06/2008 07:15:00 am

    Priy Sameer jee,
    Aap shabdon ke jaadoogar
    hain.Jitna achchha gadya likhte
    hain utna achchha padya bhee
    likhte hain aap.Bahut hee kavita
    ke liye aapko dheron badaeean.
    Pran Sharma

    जवाब देंहटाएं
  41. हरफनमौला हो समीर भाई !

    जवाब देंहटाएं
  42. आपने गंभीर सवाल उठाए है... आज की पोस्ट में.. अक्सर मुझे भी लगता है.. पर मेरे ख्याल से इसका कारण ब्लॉगरो को नये विषयो का ना मिल पाना है.. रचनात्मकता होनी ही चाहिए

    जवाब देंहटाएं
  43. स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
    फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.

    सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो.
    लेख और कविता दोनों को पढ़ कर मज़ा आगया!

    जवाब देंहटाएं
  44. चिंतन परक अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  45. बहुत सुन्दर।
    अब वादा किया है तो स्वर्ग को लाना ही
    पड़ेगा। इसमे हमारा पूरा सहयोग रहेगा।

    जवाब देंहटाएं
  46. क्या कहे बहुत लेट एंट्री हुई हमारी ....लोगो ने स्वर्ग के सारे टिकट अडवांस में करवा लिए है...देखिये क्या ज़माना आ गया है कि अब टोरंटो से स्वर्ग की बुकिंग होने लगी है....
    वैसे ये हमारे देश का नही दुनिया का चलन है समीर भाई कि यहाँ जिंदा इंसान को कोई नही पूछता ....बातो बातो में गहरी बात कह गये आप

    जवाब देंहटाएं
  47. बहुत ही सुंदर समीर भाई

    जवाब देंहटाएं
  48. कविता भावों से भरी हुई है, अच्छी लगी.

    एक सवाल है- क्या ऐसा नहीं हो सकता कि टिप्पणी बाक्स में ही सीधे यूनीकोड में टाइप हो जाये. अभी कहीं और जाकर टाइप करना होता है और फिर टिप्पणी बाक्स में कॉपी करते हैं. (आप जानकार है, शायद समाधान सुझा पाएँ).

    सादर
    आत्माराम

    जवाब देंहटाएं
  49. समीर जी अति सुन्दर रचना है।

    जवाब देंहटाएं
  50. समीर जी अति सुन्दर रचना है।

    जवाब देंहटाएं
  51. मानो कि भाई चारा न हुआ, रायता हो लिया अमेरीकी अर्थ व्यवस्था जैसा कि फैल जायेगा. चलो फैला भी लोगे-तो समेटेगा कौन?

    सर जी हम तो ये रचना पढ़ कर गद गद हो गए ! बस यूँ समझ लीजिये की मजा आ गया !

    जवाब देंहटाएं
  52. अच्छी कही, सच्ची कही

    जवाब देंहटाएं
  53. सरकार की जय हो...आप पधारे हमारे ब्लौग पे बड़े दिनों बाद और यूं पीठ थपथपायी कि बस हम और फूल गये हैं
    ...और आपके इन शब्दों पर क्या कहूँ,सारी टिप्पणियाँ पढ़ गया.किसी ने कुछ छोड़ा ही नहीं.कहाँ है वो लेखनी कमबख्त देखूँ तो जरा...

    जवाब देंहटाएं
  54. आप तो बस आप हो जी
    लाजवाब हो जी

    वीनस केसरी

    जवाब देंहटाएं
  55. स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
    फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो।

    सचमुच अगर गाँधी जी के रास्ते पर चला जाए तो स्वर्ग आ जाएगा।
    सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  56. समीर जी बहुत देर से आना पडता है, पेट जो लगा है, स्वर्ग की तो सारी सीटे फ़ुल हो गई होगी, वेसे मुझे जाना भी नही वहां, बहुत सख्त नियम है बहां, लेकिन अगर हो सके तो यही भारत मे कुछ ऎसा कर दो लोगो मे भावनाये आ जाये आपस मै प्यार जाग उठे, बस मुझे तो यही अच्छा लगेगा, ओर उस स्वर्ग से भी सुन्दर लगेगां.
    ओर आप की कविता तो है ही सुन्दर, सब ने एक एक लाई की एक एक शव्द की तारीफ़ कर दी मेरे लिये बस कुछ छोडा ही नही, हमारी तरफ़ से शावाश
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  57. जितना सुन्दर लेख लिखा है, कविता भी उतनी ही सुन्दर
    इससे ज्यादा लिख पाने को कहीं आप न रिश्वत समझें
    बात स्वर्ग जो दिलवाने की कही आपने, समयी वादा
    लगता है चुनाव की खातिर लगा रहे हैं चुन कर तमगे :-)

    जवाब देंहटाएं
  58. बेनामी10/06/2008 04:16:00 pm

    हा हा हा …

    मैं भी यही सोच रहा था कि एक ही चीज चापे पड़े हैं लोग्……

    शायद कापी पेस्ट करने में धुरंधर होंगे … मेरी तरह ):):):)
    और गीत काफ़ी अच्छा लगा …

    जवाब देंहटाएं
  59. बेनामी10/07/2008 12:51:00 am

    sameer bhai
    raag deepak men khyaal
    achchaa lagaa

    जवाब देंहटाएं
  60. aap ke blog per der se aane ke liye maafi chahungi....bahtreen kawita ke liye badhaaee....
    vert to the nawratra ke lekin aaj ashthami pujan kar diya hai....ashthami ki apko shubhkaamnayem

    जवाब देंहटाएं
  61. बढिया पोस्ट है। "जो चीज है ही नहीं, उसे फैलाओगे कैसे?" क्या बात कही है!और ये स्वर्ग का क्या चक्कर है? बिना मरे कौन स्वर्ग पहुँचता है?

    जवाब देंहटाएं
  62. humne ek series chalayee thi ndtv india par..kya gandhiji ki tasveer sarkari daftaron se huta deni chahiye...wakayee kitna bada shurm hai ki gandhi ki nazaron ke neeche hum ghoos lete hain aur pukde jate ahin...hamare corporation mein...police thano mein...yehi kuch ho reha hai...

    जवाब देंहटाएं
  63. देश हमारा फिर से होगा, सपनों वाला भारत वो,
    छोड़ो उसको क्या कहता है, तुम अपनी ही बात करो.

    मेरी नजरो मे ब्लागिंग जगत का एक बेहतरीन विचार!!

    जवाब देंहटाएं
  64. sameerji chitrgupt ke bhrast hone ki khabar dene ke liye dhanywad


    kyonki bagair unke aap swarg nahi dilaa paayenge

    जवाब देंहटाएं
  65. धर्म हमें जुड़ना सिखलाता, डूब के उसको जानों तुम
    आपस में लड़ते भिड़ते ही, वक्त न तुम बर्बाद करो.bahut sahi baat kahi en panktiyon ne.bahut sundar

    जवाब देंहटाएं
  66. गज़ब लाजवाव . बधाई
    मेरे ब्लॉग पर दस्तक देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
    मेरी नई पोस्ट कांग्रेसी दोहे पढने हेतु आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं

    जवाब देंहटाएं
  67. समीर भाई..चारा थोड़ा मुझे भी चाहिए। नहीं नहीं मैं नहीं खाउंगा..मवेशियों को ही खिलाना है..मुझे तो आप स्‍वर्ग दिलवा ही देंगे :)

    जवाब देंहटाएं
  68. समीर भाई..ब्लोगर्स की बदमाशियों को नजर अंदाज करने की शर्त के साथ, शेष लेख कविता सही है....हा हा .!!

    जवाब देंहटाएं
  69. सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो


    भावनाओ को अच्छा बयान किया है समीर भाई ................
    सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई हो

    जवाब देंहटाएं
  70. सोने की चिड़िया होता था भारत वो नीलाम हुआ
    जिसने जिसने लूटा इसको, उसकी तहकीकात करो


    भावनाओ को अच्छा बयान किया है समीर भाई ................
    सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई हो

    जवाब देंहटाएं
  71. देश हमारा फिर से होगा, सपनों वाला भारत वो,
    छोड़ो उसको क्या कहता है, तुम अपनी ही बात करो.
    Kafi prabhavit kiya in panktiyon ne aapki, dhanyawad.

    जवाब देंहटाएं
  72. देश हमारा फिर से होगा, सपनों वाला भारत वो,
    छोड़ो उसको क्या कहता है, तुम अपनी ही बात करो.
    Kafi prabhavit kiya in panktiyon ne aapki, dhanyawad.

    जवाब देंहटाएं
  73. '……तहकीकात करो'
    बिलकुल सही जगह चोट की है आपने।
    बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  74. शिकायत तो नहीं, महज एक विचार है. कभी सोचता हूँ कि गाँधी जी जब जिन्दा रहे होंगे तब उनको जन्म दिन की इतनी मुबारकबाद मिली होगी क्या जितनी हम दिये चले जा रहे हैं. एक बार हो गया भई..१३७ पोस्ट-जन्म दिन मुबारक. फिर ११० इस पर कि शास्त्री जी को याद नहीं किया. फिर ९९ ईद मुबारक तो ८० नव रात्रे की शुभकामनाऐं.

    बिलकुल साब, इस बात पर हम भी आपसे इत्तेफाक रखते हैं, ये तो हद हो गई। एक ही बात की कितनी शुभकामनाएं झेलें।

    जवाब देंहटाएं
  75. महाराज गर्भनाल में आपका लेख पढ़ा! बहुत अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  76. बहुत सही जा रहे हैं, व्यंग से ढंग तक ।
    कविता सुंदर है ।

    जवाब देंहटाएं
  77. Bohot dino baad aapke blogpe aa sakee hun...hameshaki tarah shashopanjme hun...kya tippanee dun??
    Aapne Khandelwalji ke liye kaha " adbhut"....mai aapke liye wahee keh daalun??
    Vijayadashmiki anek shubhechhayen, meree orsebhee sweekar karen!

    जवाब देंहटाएं
  78. मजेदार सुंदर कविता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपके मेरे ब्लॉग पर पधारने का धन्यबाद कृप्याप उन: पधारे मेरी नई रचना मुंबई उनके बाप की पढने हेतु सादर आमंत्रण

    जवाब देंहटाएं
  79. भाई और चारे की बड़ी सटीक नब्ज धरी आपने !

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.