बीती ११ अक्टूबर की सुनहरी शाम का ६ बजना चाहता था. कभी कभी ऐसा हो जाता है कि सूरज डूबने को होता है और चांद निकल आता है. एक तरफ डूबता सूरज, मानो आज घर जाने को राजी ही न हो और दूसरी तरफ चाँद, आज वक्त के पहले ही हाजिर. कौन नहीं होना चाहेगा जब इतना सुन्दर आयोजन हो राकेश खण्डेलवाल जी के अद्भुत गीतों के संकलन के विमोचन का.
यूँ तो गीत शब्द एक संज्ञा है. जब भी मन के भावों को एक विशेष छंदबद्ध तरीके से शब्दों में ढाला जाता है, तब हम उसे गीत कहते हैं. वो ही अगर बहुत उम्दा भाव, उम्दा शब्द चयन और उम्दा लय के संगम को दर्शाता हो, तो हम गीत रुपी इस संज्ञा में एक विशेषण जोड़ देते हैं, सुन्दर गीत. और यदि उस सुन्दर गीत में भावों को दर्शाने के लिए बिम्ब चयन भी विशिष्ट हो, तब एक और विशेषण लगा कर हम उसे अति सुन्दर गीत निरुपित करते हैं.
किन्तु राकेश भाई के गीतों के लिए ’अति सुन्दर गीत’ एक संज्ञा ही है. वो जब भी अपने दिल के भावों को छंदों मे उतारते हैं, वो स्वतः ही एक अति सुन्दर गीत का रुप ले लेता है और हम सुनने और गुनने वाले कह उठते हैं, ’वाह, अद्भुत’
इस मौके पर एक अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का भी आयोजन था, जिसके मुख्य अथिति थे जाने माने साहित्यकार डॉ सत्यपाल आनन्द जी और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे फिलाडेफिया से पधारे विख्यात कवि श्री घनश्याम गुप्ता जी.
राजधानी मंदिर, वर्जिनिया, अमरीका के प्रांगण में कवियों और श्रोताओं का जमावड़ा सा था.
कविश्रेष्ट श्री सुरेन्द्र तिवारी जी, न्यू जर्सी से अनूप भार्गव जी और उनकी कवियत्री पत्नी श्रीमति रजनी भार्गव जी, टोरंटो से मैं स्वयं याने समीर लाल उड़न तश्तरी वाले, वाशिंग्टन से श्रीमति बीना टोड़ी, विशाखा जी, जिन्होंने ने बखूबी कार्यक्रम का संचालन किया, श्रीमति मधु माहेश्वरी जी एवं वाशिंग्टन के ही अनेक कवियों ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया.
कार्यक्रम की शुरुवात स्थानीय कवियों के काव्य पाठ से हुई एवं उसके बाद डॉ सत्यपाल आनन्द जी ने किताब का विमोचन किया.
पुस्तक का विमोचन: डॉ.सत्यपाल आनन्द जी द्वारा:
लिंक:
http://www.youtube.com/watch?v=3HxweVw5QoE
इसी दौरान, मैने इस पुस्तक के प्रकाशक शिवना प्रकाशन, सिहोर के संचालक श्री पंकज पुरोहित ’सुबीर’ जी का प्रतिनिधित्व करते हुए राकेश जी का सम्मान पत्र एवं शाल पहना कर अभिनन्दन किया.
इसके बाद फिर काव्य पाठ का सिलसिला शुरु हुआ जो देर रात जाकर थमा. बीच में राजधानी मंदिर के सौजन्य से विविध व्यंजनों का लुत्फ उठाया गया. आप भी सुनिये.
विडियो अनूप भार्गव जी के सौजन्य से यूट्यूब पर चढ़ाये गये है.
राकेश खण्डेलवाल जी का काव्य पाठ:
लिंक:
http://www.youtube.com/watch?v=WjwqUEq0GUA
समीर लाल: काव्य पाठ
लिंक:
http://www.youtube.com/watch?v=Qqlt0QZZmdI
अनूप भार्गव जी का काव्य पाठ
लिंक:
http://www.youtube.com/watch?v=TEB2lQv2Z-o
रजनी भार्गव जी का काव्य पाठ:
लिंक:
http://www.youtube.com/watch?v=6O5AcJqTyrw
badai aapki awaz bhi suni .kabhi apne desh bhi aaye .aapki prtiksha main
जवाब देंहटाएंधीरु भाई
जवाब देंहटाएंआपके आदेश पर बस नवम्बर में आ ही रहे हैं. :)
हमारे राकेश जी तो हैँ ही कविराज ! उन्हेँ बहुत बधाई और आप व अनूप भाई ने और रजनी भाभी ने
जवाब देंहटाएंसमाँ खूबसुरत बना दिया जी :)
बहुत अच्छा लगा इसे पढना
- लावण्या
आप भले ही विदेश में बसे हैं लेकिन आप अभी भी भारतीयता से ओतप्रोत हैं. आपके विचार, आपकी सक्रियता, हिन्दी साहित्य के प्रति अनुराग, निश्छल स्वभाव से हमें प्रेरणा मिलती हैं.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर !
जवाब देंहटाएंराकेश जी को,आपको और कार्यक्रम मे उपसथित सभी को बहुत-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंभई क्या केने। क्या केने।
जवाब देंहटाएंराकेश जी को काव्य संकलन पर बधाई। रिपोर्ट पढ़ना अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंअद्भुत है यह अनुभव, परदेश में हिन्दी को जीना..
जवाब देंहटाएंस्वदेश की छ्टा की झलक देता आयोजन !
पाठको की बात छोड़िये, 100-150 कमेन्ट्स ही आते हैं ।
पाठकों की बात क्यों छोड़ दी जाये, भला ?
क्या हिन्दी टाइपिंग में अक्षम पाठक का पढ़ कर ही संतुष्ट हो
लेना मायने नहीं रखता है ?
ठहाके किस बात पर लगवा दिये, हमें भी बतायें !
पुन: आगमन की बहुत बहुत शुभकामनाऍ, आपके ब्लाग पर बहुत कुछ अच्छा लगा खास कर साईड बार पर आपकी फोटो :)
जवाब देंहटाएंफोटो से याद आया, आपने मुझे कनाडा की वर्फ की तस्वीरे भेजने को कहा था करीब ढ़ेड़ साल पहले :)
बहुत बहुत बधाई जी ...
जवाब देंहटाएंराकेश खंडेलवाल जी का एक विमोचन समारोह आपके सानिघ्य में चल रहा था तो दूसरा हिंदी युग्म पर वर्चुअल विमोचन चिट्ठाजगत कर रहा था। आप सभी को साधुवाद। आपने अपनी पोस्ट में विमोचन समारोह की झलकियां दिखाकर जीवंत दर्शन कराया उसके लिए आभार।
जवाब देंहटाएंवाह समीर जी, आप तो छा गए! :) एक बात ये बताएँ कि फोटू में राकेश जी दूसरी ओर देख रहे हैं और आप इस ओर देख रहे हैं, ये क्या गड़बड़ घोटाला है? या ऐसा है कि आप अपने कैमरे की ओर देख रहे हैं और राकेश जी अपने कैमरे की ओर? ;)
जवाब देंहटाएंकिसी कारणवश पहले दो वीडियो ब्लॉग पोस्ट में नहीं दिख रहे, बाकी तो एकदम मस्त दिखे! :)
और नवंबर में आप भारत आ रहे हैं, ध्यान रहे आपने लाल अमृत लाने का वायदा किया हुआ है! :D
समीर जी, सबसे पहले गर्व अनुभूति कि आप वहाँ रहकर हिन्दी, हिन्दी जनों की निस्वार्थ सेवा में रत हैं. ईश्वर आपको सतत प्रेरणा, शक्ति और संबल प्रदान करते रहें. हम अकिंचन इस बात से बहुत प्रसन्न होते हैं कि जो किया जा रहा है, वह उन लोगों तक पहुंचे, जहाँ पहुँचना चाहिए. इस कार्यक्रम के नायक "राकेश जी" को बधाइयाँ. और उपस्थित सभी लोगों को सादर अभिवादन कि वह एक सार्थकता के लिए आये और उसे प्रमाणित भी किया. पढ़ा और सुना भी अब आपसे प्रत्यक्ष मिलने की इच्छा और बलवती हो गई...शायद नवम्बर नजदीक आने के कारण.
जवाब देंहटाएंसमीर जी कार्यक्रम की विस्तृत रपट जिसमें कि काव्य गोष्ठी की पूरी जानकारी हो जैसे कि नीरज जी ने दी थी का इंतेजार है ।
जवाब देंहटाएं' wah wah wah, dil khush ho gya aankhon dekha haal kee presentation pr... aap sbhee ko dil se shubhkamnayen"
जवाब देंहटाएंRegards
अच्छा लगा पढकर और सुनकर
जवाब देंहटाएंतालियाँ.....
जवाब देंहटाएंसभी का पाठ सुनने के बाद बजाई जा रही है.
व्यंजनों के वीडियो कहॉं हैं ?
जवाब देंहटाएंबधाई सब लोगों को
अरे वाह , इतने दिनों बाद आए , अच्छी अच्छी सौगातें लेकर....बहुत अच्छा....धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंपढ़ सुन कर आनंद आ गया ! अब आप आही रहे हैं नवम्बर में तो दर्शन देकर ही जाइयेगा !
जवाब देंहटाएंअपने भाव जहां भी कहता हूं गीतों की शक्लों में ढल जाते हैं। समीर जी बहुत ही बढ़िया रहा। नवंबर में कब, कहां आ रहे हैं और कैसे मुलाकात होगी ये जरूर बताइएगा। क्या दिल्ली आना होगा आपका?
जवाब देंहटाएंइस पुरे कार्यक्रम का विवरण पढ़ कर विडियो पर देख सुन कर मन गद गद हो गया ! आपका किन शब्दों में शुक्रिया अदा करूँ ? बहुत २ प्रणाम आपको !
जवाब देंहटाएं"P.N. Subramanian" to me
जवाब देंहटाएंshow details 11:08 pm (5 hours ago)
आज आपकी आवाज़ सुनकर अच्छा लगा. अति सुंदर रचना. श्रोताओं की आवाज़ का वॉल्यूम कुछ ज़्यादा हो गया.
Dear Shri Sameer Lal,
I could not give my comments due an error message coming up "Blogger not available, sorry for the inconvenience", therefore decided
to send it by mail.
With kind regards,
PNS
--
Kindly visit my blog at:
http://paliakara.blogspot.com (English)
http://mallar.wordpress.com (Hindi)
सुन तो लिया, और कितना अच्छा है ये कहने की जरुरत है क्या?...
जवाब देंहटाएंलेकिन व्यंजन तो आप अकेले ही उडा ले गए :-) नवम्बर में हम नहीं छोड़ने वाले :-)
bahut badhiyaa...humsab tak pahunchaney ke liye saadhuvaad..
जवाब देंहटाएंराकेश जी को बहुत बहुत बधाई और आपको इतने सारे कवियों की रचनाएं सुनवाने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंवाह मजा आ गया! विस्तृत रिपोर्ट के लिये शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी मिली आभार।
जवाब देंहटाएंसुन लिया ..बहुत सुंदर आवाज है आपकी समीर जी
जवाब देंहटाएंगीत की इतनी सुन्दर व्याख्या ..
जवाब देंहटाएंसीहोर मेरे शहर से मात्र ३ घन्टे की दूरी पर है, मगर जा नही पाया. मगर , इतने दूर हैं आप सभी, फिर भी रिपोर्ट बड़ी LIVE रही.
राकेश खंडेलवाल जी के पुस्तक विमोचन समारोह का जीवंत दिग्दर्शन कराने के लिए आपका कोटिशः आभार.बड़ा ही आनंद आया.अपनी मिट्टी से दूर रहकर भी सही मायनों में आप लोग ही इस माटी को और सुवासित तथा उर्वर कर रहे हैं.इसके लिए यह धरती माँ सदा आपलोगों पर अपनी स्नेह सुधा बरसाती रहेगी और आप लोगों पर गर्व करेगी.
जवाब देंहटाएंअपने इतने खुशनुमा क्षण बांटने के लिए आभार........;
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी अति सुन्दर . आप सभी ko बहुत बहुत badhaai .
जवाब देंहटाएंमुबारका .ढेरो .आप लोग एक साथ मंच पर आये.... ओर इस मुलाकात को आँख के चश्मे से दिखा भी दिया
जवाब देंहटाएंपा समीर का स्पर्श, गंध में डूबा करती है फुलवारी
जवाब देंहटाएंजहाँ उपस्थित होते, होती सभा तीन लोकों से न्यारी
हुआ मधुर कुछ और बहे जब शब्द मलयजी हो होठों से
सभी निहारें फंथ आयेंगे पुन: आप फिर कब दोबारी
राकेश जी की कवितायें तो अद्भुत होती ही हैं. उनके काव्य संकलन के बारे में इतना पढ़ा है कि पहला मौका मिलते ही किताब पढूंगा.
जवाब देंहटाएंसमीर भाई, प्रस्तुति देखने में समय तो लगा लेकिन लगी बहुत बढ़िया.
wah mahaaraj ,
जवाब देंहटाएंmaja aa gaya ab to bas yahee kehnaa hai ki kabhi washingtan via india bhee jaayiye na.
फिर मजा आया आपको पढ़कर। आत्मीय संवाद कायम किया है आपने।
जवाब देंहटाएंराकेश जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंaisi prastuti ke liye aapko bahot bahot sadhuvad,........
जवाब देंहटाएंregards
विमोचन और काव्य संध्या से रूबरू करवाने के लिए धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंswaagat hai........
जवाब देंहटाएंbahut achha laga padhke
श्री राकेश खंडेलवाल जी के अद्भुत गीतों के संकलन के विमोचन अवसर के सन्दर्भ में अपने अच्छी जानकारी दी है उन्हें और कार्यक्रम में शिरकत करने वाले समस्त कवियो को बधाई. " बस्ती बस्ती मै आस लिए फिरता हूँ" . आपकी आवाज में रचना सुनी जिसके लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंतद्भुअ हवा।
जवाब देंहटाएंवाह। अद्भुत।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, लेकिन अभी सारे नही सुने, अब सुनु गां, अजी नवम्बर मे क्या हमारे यहां भी आ रहै है क्या, वेसे बात तो पहले हो चुकी थी, अब समय बतायए, जबाब जरुर दे
जवाब देंहटाएंवाह मजा आ गया, गान भी सुंदर रहा और कवितायें भी।
जवाब देंहटाएंवाह आज तक यूट्यूब का इतना अच्छा इस्तेमाल नही हुआ था।
जवाब देंहटाएंवहाँ न होने का गम नही रहा। :)
वैसे सब टीपे पड़े हैं कि आप भारत आ रहे हैं तो आयेंगे न!
मैं भी जोड़ दूँ क्या? :)
गुरु जी को भी आपका गायन सुनवा दिया. गुरु जी मुस्कुरा रहे थे. गुरु माँ हँसने लगी तो गुरु जी बोले हैं कि अच्छा तो गा लेता है. गुरु माँ भी हाँ करने लगी साथ साथ में. आपकी नई फोटो भी दिखा दी.
जवाब देंहटाएंआपसे मिले बहुत दिन हो गया. दोनों मिलना चाहते हैं. कहते थे कि जल्दी आने वाला है. आप भारत तो नवम्बर में आ जायेंगे. आश्रम कब आवेंगे?
दीदी की तबीयत को लेकर गुरु माँ परेशान होती हैं. एक दिन उनकी बात कर देना फोन पर फिर से.
मैं कभी नहीं सोचती कि आप गाते भी हो.आपको देखकर ऐसा नहीं लगता. मगर सच्ची, अच्छा गाया है.
बहुत खूब, समीर जी. मज़ा आ गया आपको सुनकर. बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंदिल में इक मधुमास लिए फिरता हूँ .....और वह भी बेगानों के लिए -तरन्नुम में में सुधार है समीर जी पर यही कविता बिना तरन्नुम के आप जबरदसत तरीके से अर्ज कर सकते थे .आप पर ये तरन्नुम का भूत क्यों चढ़ा हुआ है -जब बनारस आईयेगा आपकी कविता मैं तरन्नुम में आपको ही सुनाऊंगा और आपसे सुनूंगा भी -यह सेशन यादगार होगा ! वादा रहा .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आप सब को सुनना। राकेश की ग़ज़ल खास तौर पर पसंद आया। इस प्रस्तुति के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंसरकार की जय हो.आज पहली बार आपको पाठ करते सुना और पहले से ही कायल मन आपकी तारिफ़ में फिलहाल शब्द-कोष पलट रहा है सही शब्दों के चयन के लिये...
जवाब देंहटाएंआपकी बदौलत हम भी हो आये वॉशिंग्टन . कविता पाठ बहुत भला लगा .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद समीर जी, काफी जानने को मिला, कुछ और फोटो भी डालिये ना| मालूम हुआ आप नवम्बर में भारत आ रहे हैं तो क्या दिल्ली भ्रमण भी होगा यदि हाँ तो इत्तला करियेगा इंतजार रहेगा|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद समीर जी, काफी जानने को मिला, कुछ और फोटो भी डालिये ना| मालूम हुआ आप नवम्बर में भारत आ रहे हैं तो क्या दिल्ली भ्रमण भी होगा यदि हाँ तो इत्तला करियेगा इंतजार रहेगा|
जवाब देंहटाएंshailesh zaidi to sameerlal
जवाब देंहटाएंshow details 11:35 pm (6 hours ago)
प्रिय समीर लाल जी
सारी प्रस्तुतियां हैं अदभुत, आप भी दिलचस्प हैं.
जितनी कवितायेँ सुनीं मैंने, सभी दिलचस्प हैं.
राकेश खंडेलवाल को, और आप सभी को बधाई.
शैलेश ज़ैदी
दो दो खूशखबरी एक साथ।
जवाब देंहटाएं१. एक बार और घूम लीयें :)
२. आपका पेजरैंक वापीस चार (4) हो गया।
बधाई हो!!
meri hajiri bhee laga lena, class me bhee sabse last me baithta tha.
जवाब देंहटाएंआपके व्यक्तित्व का याह आयाम तो बहुत आकर्षक है।
जवाब देंहटाएंमलाल भी है कि इसको हम कभी मैच नहीं कर सकते!
bahut suruchipoorna likha hain aapne. padhkar aanand aa gaya.
जवाब देंहटाएंबधाई!
जवाब देंहटाएंअब तक तो आपके लेखन से ही परिचित था, पहली बार आवाज सुनने का भी अवसर मिला, ऐसा लगता ही नहीं कि आपसे कोई नया-नया परिचय है। पूरी पोस्ट बढ़िया लगी।
जवाब देंहटाएंBahut acha laga sabko sunkar..badhai..aapki post bahut achi lagi bahut bahut badhai...
जवाब देंहटाएंभौत सानदार पोगराम भओ सरजी और रपोट, बा सै भी उम्दा. खीब मजै लै रए हो उते काय. जमन दो जमन दो.
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