सोमवार, जनवरी 29, 2007

हरि से बड़ा हरि का नाम

हमारे मित्र अब विधायक हो गये थे. हमेशा पूछते-' कोई काम हो तो बताना ' . हम शरीफ आदमी ठहरे. कुछ ऐसा काम ही नहीं सोच पाये, जो कि उनसे कराया जाये. एक बार एकाएक बम्बई जाना था. एक दिन का समय था. शादी ब्याह का समय चल रहा था. ट्रेन में भारी भीड़ भाड़. आरक्षण मिल पाना संभव नहीं था. किसी ने कहा विधायक जी से चिट्ठी लिखवाकर डी.आर. एम. कोटा में आरक्षण मिल जायेगा. हम भागे विधायक जी के घर की तरफ. रास्ते में ही वो जीप से आते दिख गये. हमें देखकर रुक गये. हमने अपनी परेशानी बतायी. उनके पास लेटर पैड तो गाड़ी में था नहीं. रेल्वे का दफ्तर पास ही था. हमने कहा, भाई, चल कर बोल दो. वो तैयार हो गये. हम उन्हीं की जीप में बैठ कर रेल्वे के दफ्तर पहुँच गये. सुबह का समय था. डी आर एम साहब तो आये नहीं थे. बड़े बाबू, जो कोटा ईश्यू करते थे, बैठे थे. हम लोग उन्हीं के पास जाकर बैठ गये. हम विधायक जी का परिचय दिये और विधायक जी बोले-'बडे बाबू, यह बम्बई जा रहे हैं, इनका डी.आर.एम. कोटा मे आरक्षण दे दिजियेगा.' बड़े बाबू बोले-'आप विधायक वाले लेटर पैड पर लिखकर आवेदन करवा दें और साथ मे मोहर लगवा दें, मै कर दूँगा'. विधायक जी बोले-'अरे भाई, मैं खुद साक्षात बोल रहा हूँ और तुम चिट्ठी की बात करते हो.' बहुत जद्दोजेहद के बाद भी बात नहीं बनीं. तब हम विधायक जी के साथ उनके घर आये, उनके लेटर पैड पर आवेदन बनाया, उनकी मोहर लगाई, दस्तखत लिये और जाकर जमा कर आये, आरक्षण मिल गया. --वाह वाह, हरि से बड़ा हरि का नाम!!!


देश की वर्तमान राजनीति के हालातों पर नजर डालती एक रचना:

//१//

जीवन की अंतिम संध्या पर, कहते हैं अब काम करुँगा
लूट मचाते थे जो कल तक, कहते हैं अब दान करुँगा.
वोट जुटाने की लालच में, ये क्या क्या कुछ कर सकते हैं
दलितों के मन को बहलाने, कहते है उत्थान करुँगा.

//२//

कभी उसका कभी इसका, ये दामन थाम लेते हैं
हवा किस ओर बहती है, उसे यह जान लेते है
जिसे कल तक हिकारत की नजर से देखते आये
सभी कुछ भूल कर अपना, ये उसको मान लेते हैं.

//३//

सियासत एक मंडी है, यहाँ इमान बिकता है
वही इंसान को ढ़ूँढो, अगर हैवान दिखता है
यहाँ वो ही सिंकन्दर है न जिसमें लाज हो बाकी
नहीं डरता गुनाहों से, भले नजरों से गिरता है.

--समीर लाल ‘समीर’

21 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी1/29/2007 11:01:00 pm

    'हरि से बड़ा हरि का नाम'
    सत्यवचन.
    सुबह का प्रारम्भ ही गुरूमंत्र से हुआ है.
    कविता की पहली चार पंक्तियाँ मार्के के रही.

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  2. वैसे अच्छी बात है कि बाबुसाहब माने नही और लिखित आवेदन पर ही आरक्षण दिया।

    यह तो सही है!

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  3. बाबू साहब की ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता प्रशंसनीय है। जानकर प्रसन्नता हुई कि आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं।

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  4. हरि अनंत हरि कथा अनंता…ये तो परम सत्य है॥
    किसी दार्शनिक ने सच ही कहा है कि Power Corrupts People...और ये 100% पर लागू होती है…।

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  5. सही है।
    "राम एक तापस तिय तारी। नाम कोटि खल कुमति सुधारी॥"

    नेता जी, नेता जी, नेत जी 108 बार।
    चलो आज का जप तो हो गया।

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  6. बेनामी1/30/2007 09:46:00 pm

    बहुत सही बात कह गये आप

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  7. मजेदार वाकये के साथ एक राजनीतिक चरित्र का यथार्थ विवेचन है आपकी पंक्तियों में !

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  8. बेनामी1/31/2007 09:42:00 pm

    समीर जी,

    लेख के साथ लिखे गये छंद पसंद आये।

    रिपुदमन

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  9. जो काम ख़ुद एम एल ए न कर सके उनके पत्र ने कर दिया लेकिन आपको काफी मशक्कत करनी पड़ी एम एल ए साहब के घर तक जाना पड़ा। चलो ख़ैर टिकट तो मिला।

    समीर भाई को नव वर्ष की शुभकामनाएं एक बार फिर।

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  10. hahahaha, boht badhiya, sach h hari se bada hari ka naam hai,

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  11. आपकी यह प्रस्तुति संगीता जी की हलचल का अनुपम नगीना है जी.
    पढकर मन प्रश्न हुआ जी.

    आपका आभार.
    संगीता जी का आभार.

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  12. रेलवे कथा रोचक लगी ...आप जो भी लिखते हैं ...हम बुन्देलखंडी में ही सुनते हैं ....काय ..?.....कछु काम हो तो बतइयो ...?
    ...
    और आनंद ज्यादा लेते हैं आपकी लेखनी का ....!!
    बहुत अच्छा लिखा है ...शुभकामनायें ...

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  13. कभी उसका कभी इसका, ये दामन थाम लेते हैं
    हवा किस ओर बहती है, उसे यह जान लेते है
    जिसे कल तक हिकारत की नजर से देखते आये
    सभी कुछ भूल कर अपना, ये उसको मान लेते हैं.

    बहुत सही बात कह दी समीर जी !

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  14. बिल्‍कुल सही कहा ।

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  15. सियासत एक मंडी है, यहाँ इमान बिकता है
    ..........यही आज का सबसे बड़ा सच है !

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  16. वर्तमान परिदृश्य में राजनीतिज्ञों की पैंतरेबाजी और उनकी साख पर करारा प्रहार करती बेहतरीन पोस्ट ! मुक्तक भी बहुत सारगर्भित हैं !

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  17. आपके आलेख देश के चेहरे का अक्श हैं.

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  18. आरक्षण लिपिक ने इस सच्चे कलियुग में जहां व्यक्ति के गुणों की नहीं अपितु उसके वेष की पूजा होती है, विधायक जी की साक्षात उपस्थिति के स्थान पर उनके द्वारा प्रदत्त चिन्ह की महत्ता को महिमामंडित कर हनुमान जी तरह भगवान राम का सच्चा भक्त होने का सुबूत दिया है।

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  19. बहुत सुंदर करारी प्रस्तुति,....
    मेरे नए पोस्ट में इंतजार है,...

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