कृष्णा विरेन्द्र ट्रस्ट के द्वारा घोषित पुरुस्कार स्वरुप मुझे कल ही यह तीन पुस्तकें, ए.एच.व्हिलर द्वारा प्रेषित, प्राप्त हुई है. मैं कृष्णा विरेन्द्र ट्रस्ट और जयप्रकाश जी का एवं साथ ही हिन्दी चिट्ठाजगत के साथियों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ और जैसा कि जयप्रकाश जी ने आदेश दिया है कि हम चाहेंगे कि श्री समीर लाल इन पुस्तकों को पढ़ कर, इनकी समीक्षा भी करें, पर अमल करने का अपनी क्षमताओं अनुरुप शीघ्र ही पूरा प्रयास करुँगा.
आवारा मसीहा-विष्णुप्रभाकर
अर्धनारिश्वर -विष्णुप्रभाकर
प्रथम प्रतिश्रुति-आशापूर्णा देवी
पुनः सबका आभार और गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर आप सबका हार्दिक अभिनन्दन.
बधाई!
जवाब देंहटाएंसमीर जी मुबारक हो !!!
जवाब देंहटाएंरिपुदमन पचौरी
आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंकिताबों का आनन्द लें
बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंप्रथम प्रतिश्रुति मैंने पढ़ी है । इस पुस्तक पर आशापूर्णा जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । इसे पढ़ने के बाद इस उपन्यास त्रयी की शेष दो कड़ियाँ सुवर्णलता और बकुल कथा पढ़ना ना भूलें । मध्यमवर्गीय बंगाली समाज में स्त्रियों की तीन अलग अलग पीढ़ियों की कहानी कहती इस गाथा ने मुझे उनके लेखन का कायल बना दिया था ।
गणतंत्र-दिवस पर शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंपुरस्कार मिलने की बधाई!
प्रिय समीर जी
जवाब देंहटाएंकृष्णा वीरेन्द्र न्यास की संचालिका डा. नीता सिंह हैं। इस न्यास का वेब पेज यहां है। न्यास की प्रर्थना पर ए.एच. वीलर के श्री जय प्रकाश जी ने यह किताबें आपके पास भिजवायीं। मेरे विचार से यह किताबें अपने आप में नायाब हैं। आपसे अनुरोध है कि इनकी समीक्षा करें ताकि अन्य चिट्ठेकार बन्धु भी इसे पढ़ने के लिये प्रेरित हों।
सम्पादक
समीर भाई
जवाब देंहटाएंआप को प्राप्त हुईं तीनों पुस्तकें अद्भुत हैं. वैसे विष्णु प्रभाकरजी को निकट से जानने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ है. दिल्ली में कूछा पाती राम में वे उनसे कै बार सम्पर्क हुआ है और मार्गदर्शन मिला है. आप इभें पढ़ कर आनंदित होंगे.
शुभकामनायें
सलाम सर,
जवाब देंहटाएंएक बार पुन: बधाई स्वीकारें और किताबो की समीक्षा तो आप करेंगे ही लेकिन थोड़ा अंदाज दुसरा हो somthing funny n on the track...
आपको बधाई हो, आवारा मसीहा तो वाकई में बहुत अच्छी किताब है और शायद इस को लेकर कोई मूवी भी बनी है। मुझे लगता है पहली और तीसरी किताब मैने बहुत पहले पडी है। शायद ११वी या १२वी में
जवाब देंहटाएंकिताबों को लेकर मैं तो यही कहूँगा जैसे आपके दिन फिरे वैसे ही सबके फिरें
समीर जी आपको बहुत-बहुत बधाई और साथ गणतंत्र-दिवस पर शुभकामनाएँ!
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