शनिवार, सितंबर 22, 2018

भजन में वजन है इसीलिए आज तक टिका हुआ है


भजन की शुरुवात कहाँ से हुई यह तो पता नहीं मगर हुई प्रभु वंदना के लिए थी. यह किसी देवी या देवता की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत है. मीराबाई, सूरदास, तुलसीदास, रसखान आदि के भजन आदिकाल से प्रचलित रहे हैं.
पहले गांव शहरों में लोग मंडली बनाकर रात रात भर भजन किया करते थे. भक्ति भाव ही प्रमुख भाव होता था. कभी प्रभु के प्रति अपना धन्यवाद प्रेषित करने के लिए तो कभी प्रभु से अपने लिए कुछ मांगने के लिए तो कभी यूँ ही आनन्दपूर्वक. सभी में भजन का इस्तेमाल होता. जैसे आजकल रैली के माध्यम से ही मांग भी की जाती है, विरोध भी किया जाता है और धन्यवाद भी दिया जाता है.
एक दौर आया और फिल्मी भजनों का सिलसिला चल पड़ा. एक से एक भजन गाये गये फिल्मों में जो फिल्मों के परदे से होते हुए मंदिरों और मंडलियों में प्रवेश कर गये. एक से एक धुन पर भजन गाये जाने लगे. जो फिल्मों में आते उनके लिए तो संगीतकार धुन तैयार करते मगर जो पुराने औए अन्य भजन थे उसे लोग किसी भी फिल्मी धुन में ढाल कर गाने लगे. मुद्दा तो प्रभु को रिझाने का ही था.
रिझाने का हाल तो यह रहता है कि हम इन्सानों को इसमे महारत हासिल है और इस हेतु न जाने कितनी तिकड़म हम कर गुजरना जानते हैं. आमजन प्रभु को रिझाने के लिए भजन गाये तो नेता आमजन को रिझाने के लिए जुमले सुनाते हैं. एक भक्ति भाव का पुट इसमें भी रहता ही है.
प्रभु को भी तभी तक रिझाया जाता है जब तक काम सध न जाये तो आमजन कोई प्रभु से बड़े तो नहीं है. नेता भी उनको तभी तक रिझाते हैं जब तक की वोट न पड़ जाये.
फिर भजन का व्यवसायीकरण शुरु हुआ. बड़ी बड़ी ऑर्केस्ट्रा की तर्ज पर भजन मंडली और जगराता कम्पनियाँ और गायक गायिकायें रातों रात छा गये. लाखों रुपये लेकर भजन गाने आते और जगराता कराते. तरह तरह के म्यूजिकल इन्सट्रूमेन्टस बजते, डिस्को भजन तक आ गये. सब बदलती दुनिया है. हर बात के तरीके बदलते रहते हैं. अब तो चुनाव लड़वाने के लिए बड़ी बड़ी कंपनियाँ ठेके लेती है. एक से बढ़कर एक चुनावी चाणक्य मोटी रकम लेकर चुनाव की रणनिति तय करते हैं. परिवर्तन ही संसार का नियम है.
इसी परिवर्तन के नियम तहत हाल ही में बाजार में तूफान खड़ा हो गया. एक प्रसिद्ध भजन गायक का बरसों से भजन गाना ऐसा फला कि अच्छे अच्छे युवा दांतों तले ऊंगली दबा बैठे. बुजुर्गों को भजन में खोया विश्वास वापस जागा. एक उम्मीद की किरण नहीं बल्कि पूरा सूरज ही उग आया. ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन की तर्ज पर भजन गायक जो कि ६२ पार है, की आधी से भी कम उम्र की सुन्दर बाला के साथ कॉमन लॉ में रहने की बात जग जाहिर हुई. वो भी तब जब इस गायक को पूर्व में तीन पत्नियाँ तलाक देकर अलग हो चुकी हैं. अच्छे अच्छे हिम्मत छोड़ बैठें, निराशा और हताशा में जान गवां बैठें मगर ईश भक्ति और भजन की ही ताकत है कि बंदा न तो हताश हो रहा है और न ही ईश्वर के प्रसाद की स्पलाई बंद हो रही है.
एकाएक समाज में नई जागृति आई है. जिसने जीवन भर भजन न गाया वो भी ललायित है कि कैसे भजन सीखा जाये और गाया जाये. भगवान में खोया विश्वास भी पुनः जाग उठा है.
ऐसे ही चमत्कार खोई और बुझती आस्थाओं को पुनः जगा जाता है फिर एक लम्बे समय तक ढाक के वही तीन पात. ऐसा ही चमत्कार दिल्ली के मफलर मैन लेकर आये थे मगर ढाक के तीन पात थोड़ा जल्दी ही हो गया. ५६ इंच का सीना भी ४ साल में ही घट कर ३६ से भी कम का रह गया. मगर एक बार को तो हवा बना ही गये.
उम्मीद तो यही है कि भजन की ताकत बरकरार रहे और भले ही कॉमन लॉ में रहें मगर कुछ समय को तो टिके ही रहें.
शायद यही भजन में वजन है और आदि काल से आजतक टिका हुआ है.
-समीर लाल ’समीर’

भोपाल से प्रकाशित सुबह सवेरे के रविवार सितम्बर २२, २०१८ में:


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6 टिप्‍पणियां:

  1. भगवान् के नाम का भजन के माध्यम से तरह-तरह का दुरूपयोग, स्वार्थ सिद्धि के लिए बहुत सुन्दर ढंग से व्यंग के माधयम से प्रस्तुति

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (24-09-2018) को "गजल हो गयी पास" (चर्चा अंक-3104) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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  3. सबका एक समय आता है जैसे समय पर पेड़ पर पत्ते आते हैं और पतझड़ में झड़ जाते हैं फिर नए पत्ते आते हैं, सिलसिला चलता रहता है रुकता नहीं लेकिन एक नए रूप में
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन मानवीयता की प्रतिमूर्ति रवि शाक्या को नमन : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  5. बहोत ही बढ़िया प्रस्तुति है धन्यवाद शेयर करने के लिएread deleted WhatsApp Messages

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