ये १ जनवरी, २०१७ की बात है. (टाईम मशीन फॉरवर्ड
मोड में)
चौराहे पर खड़े हवलदार ने इशारा करके उसकी गाड़ी
रोकी और सिपाही से बोला- तलाशी लो इसकी?
वो आश्चर्यचकित था कि आज तक तो ट्रेफिक पुलिस
लाईसेन्स और कागज मांगती थी., ये तलाशी वाला काम कब से शुरु कर दिया?
सिपाही ने उसकी जेब की तलाशी ली और हवालदार को बरामाद
रुपये देते हुए बोला- साहेब, ये बीस हजार के पुराने नोट बरामद हुए हैं इसके पास?
गिरफ्तारी बनाऊँ इसकी?
उसने हवलदार से पूछा- ये कौन से कानून में लिखा
है कि २०००० रुपये लेकर नहीं चल सकते? मैने भी कानून पढ़ा है, ये देखो कानून की
किताब, बताओ इसमें कहाँ लिखा है? उसने बाजू वाली सीट से कानून की किताब उठा कर
हवलदार को दिखाते हुए कहा.
हवलदार हँसते हुए बोला- ये कानून की किताब थी, अब
इतिहास की किताब कहलाती है. आजकल तो कानून बुलेट ट्रेन की
स्पीड़ से भी तेजी से बदलते हैं और आप नवम्बर का एडीशन लिये घूम रहे
हो. डिजिटल इंडिया का जमाना है, अपडेटेड ईबुक रखा करो कानून की अपने फोन में. अब
१०००० से ज्यादा के पुराने नोट रखने पर ४ साल की सजा है.
फिर हवलदार ने धमकाते हुए कहा- कहाँ से लाया ये
रुपये?
मामला बिगड़ता देख उसने पैतरा बदला, आखिर वकील जो
ठहरा- ये नोट मेरे नहीं हैं. पीछे सीट के नीचे तमंचा रखा है, वो ही अड़ा कर वो कोने
में जो मोटरसाईकिल लिये बंदा खड़ा है उससे लूटा है.
क्या बात करते हो? हवलदार आश्चर्यचकित सा उसे देख
रहा है और वह अपनी बात जारी रखते हुए कहता है कि मेरे ऊपर आर्मस एक्ट और राहजनी का
केस लगा दो? जल्दी छूट जाऊँगा.
हमसे ज्यादा होशियारी नहीं. हमे तो ये नोट तुम्हारे
पजेशन में मिले सो हम तो तुम पर ही केस बनायेगे. हवलदार नें २०००० रुपये के नोट
दिखाते हुए कहा.
इतनी देर में उसने अपनी जेब से मोबाईल निकाला और
हवलदार की २०००० रुपये पकड़े हुए तस्वीर ले ली और क्लाऊड में सेव भी कर दी और बोला-
अगर पजेशन से जुर्म बनता है तो ये तो अभी आपके पजेशन में हैं, ये देखो फोटो भी
प्रूफ के लिए.
हवलदार झल्लाया, हमारे पजेशन से क्या होता है, हम
तो पुलिस वाले हैं?
पुलिस वाले ही हो न..कोई राजनेतिक दल तो हो नहीं
कि कितना भी केश धरे रहो, कोई कानून ही नहीं लागू होता. मैं तुम्हारी फोटो लेकर
अखबार और मीडिया में जाऊँगा, वो तुमसे भी बड़े वाले हैं, फिर देखना तमाशा.
अब हवलदार परेशान हुआ और कहने लगा- चलो अच्छा
निकलो, ज्यादा बहस की तो अन्दर कर दूँगा.
वकील भला हाथ आया मौका कैसे जाने देता- उसने
उसी हवलदार से उन नोटों को बदले २००० के नये नोट लिए और मुस्कराते हुए निकल गया.
सुना है कि थोड़ी ही देर में हवलदार ने भी उन
२०००० रुपयों को ठिकाने लगवा दिया.
कहीं पैतरेबाजी, कहीं
पोजीशन और कहीं पावर- सब मजे में हैं.
एटीएम की लाईन में जो खड़ा है न. उसके पास ये तीनों
स्किल सेट नहीं है..वो आम आदमी है..
-समीर लाल ’समीर’
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 30 दिसम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (30-12-2016) को "महफ़ूज़ ज़िंदगी रखना" (चर्चा अंक-2572) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Bahutkhoob
जवाब देंहटाएंहा हा बढ़िया है ।
जवाब देंहटाएंहाॅ हाॅ बहुत बढ़िया श्री मान जी, हवलदार हँसते हुए बोला- ये कानून की किताब थी, अब इतिहास की किताब कहलाती है
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