साहेब की थाली में दो सूखी रोटी और पालक का साग उनके स्वास्थय के प्रति सजगता दिखाती है. वो बड़े गौरव के साथ अपना ५६ इंची सीना ताने अपने रईस दोस्तों के बीच अपनी डाइट बताते है. अपना एक्सर्साईज रुटीन बधारते हैं. नित प्रति दिन ऐसी साइकिल (एक्सर्साईज बाईक) चलाने का दावा करते है जो जाती तो कहीं नहीं मगर मीटर में दिखाती है कि पूरे पाँच किमी चली है याने अगर १०० दिन की बात करें तो ५०० किमी चली- मानो साइकिल न हुई, सरकार हो गई हो. हुआ गया कुछ हो या न हो, १०० दिन में ५०० किमी का रिपोर्ट कार्ड लहराया जा रहा है हर तरफ. काश!! ५०० किमी की जगह, दिल्ली से ५० किमी दूर तक भी निकल लिए होते सही में साईकिल चलाते और कुछ जमीनी हकीकत का जायजा ले लेते तो शायद कुछ किसान आत्म हत्या करने से बच जाते. शायद महिनों से रुकी तनख्वाह की बाट जोते किसी नगर निगम के कर्मचारी के परिवार को कुछ आशा की किरण दिख जाती.
लेकिन हमारे नेताओं की आदत में है, आपदाओं और विपदाओं का हवाई निरक्षण करना और उसके आधार पर बने जमीनी विकास के रिपोर्ट कार्ड को हवा में लहरा लहरा कर जनता को बहलाना. आकाश से देखने का फायदा ये होता है कि कीचड़ में उगी घास भी हरियाली नजर आती है. मुश्किल तो उसकी है जिसे उस कीचड़ के दलदल से होकर गुजरना होता है. लेकिन उसकी किसे फिकर- कीचड़ में उसके कपड़े खराब हों या वो दलदल में फंस कर दम तोड़ दे- ये सब उसकी परेशानी है. हमारा रिपोर्ट कार्ड तो दिखा रहा है कि चहु ओर हरियाली ही हरियाली है. हरित क्रान्ति के इतिहास में पहली बार इतना हरा अध्याय.
खैर, बात चल रही थी एक्सर्साईज रुटीन की- तो यदि आप योग को योगा कह दें तो ये तुरंत वैसा ही स्टेटस सिंबल बन जाता है जैसे मानों आम आदमी की थाली से उचक कर दो सूखी रोटी और पालक का साग साहब की थाली में शोभायमान होने लगा हो और जब साहब की थाली में आया है तो बखाना भी जायेगा और जब बखाना जायेगा तो रिपोर्ट कार्ड में भी आयेगा.
गांवों में अस्पताल हो या न हो और अगर अस्पताल हो भी तो उसमें डॉक्टर का अता पता लापता हो मगर इससे क्या फरक पड़ता है. बेवजह हल्ला मचाते हो फालतू का मुद्दा उठा कर. चलो, तैयार हो जाओ इस समस्या के समाधान के लिए- २१ जून को अन्तर्राष्ट्रीय योगा दिवस के दिन सब साथ में योगा करो. योगा में अगर भगवान का नाम न लेना हो मत लेना, अल्लाह का ले लेना, ईशु का ले लेना - क्या फरक पड़ता है मोटापा कम होने में अगर पाव दो पाव का अंतर रह भी गया इस वजह से तो. जब सब सूर्य नमस्कार कर रहे हों तो तुम सूर्य ग्रहण की कल्पना करते हुए चाँद सलाम कर लेना, लिटिल स्टार मान कर ट्विंकल ट्विंकल हैलो कर लेना- आँख तो मूँदी ही रहना है.
जो मन करे सो करना- बस इतना ध्यान रखना कि अब आगे से बीमारी के लिए अस्पताल और डॉक्टर की मांग उठाना मना है क्यूँकि रिपोर्ट कार्ड दिखा रहा होगा कि भारत में सब योगा कर रहे हैं और सब पूर्ण स्वस्थ है!!
इससे अच्छे दिन की और क्या कल्पना कर सकते हो, बुड़बक!!
बात करते हो!!
-समीर लाल ’समीर’
२१ जून २०१५ अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर दैनिक जनसंदेश में प्रकाशित
'मध्य प्रदेश जनसंदेश' में हमने भी पढ़ा है। बधाई हो।
जवाब देंहटाएंभारत कचरा मुक्त पहले ही हो गया था। अब रोग-मुक्त, योग-युक्त हो गया।
जवाब देंहटाएंअब टोरंटो में रहने वाले तरन तारन चले आयें।
हर जगह जहाँ हर कोई जय कर रहा हो
जवाब देंहटाएंअच्छा लगता है कहीं कोई अगर देख रहा हो ।
lलाजवाब व्यंग
जवाब देंहटाएंअसल मे साहिब को योगा से क्या लेन देन वो तो एक तीर से कई शिकार करते हैं एक तो बाबा की दुकानदारी मे पैर पसार लिये दूसरा मंहगाई भ्रश्टाचार रोज़गार आदि मुद्दों से ध्यान हटाने के लिये 1 तीसरा काला धन के लिये जो ललित गेट खोला है उसे अपने कब्जे मे करने के लिये और इस छवि छम्काने मे जो करोडों खर्छ हुया उस से आम आदमी की और जेब कटने वाली है1 पर कोई मरता मरे साहेब के मजे हैं1 जो दाल 60 साल मे 90 रु8 पर पहुंछी वो एक साल मे 120 रु हो गयी मतलव 40्रु किइ बढौतर्4एए सब छीज़ों का यही हाल होने से हर परिवार का बजत लगभग्5000 6000 रु बढ गया 1 ये कैसे अच्छे दिन आये1
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योग तक तो ठीक ... पर अपने देश महान है अगर हर बात में राजनीति न हो तो खाना नहीं पचता ... (चाहे इस्मीं भी योग की जरूरत अ जाये)... कुछ दिनों का जबरदस्त मनोरंजन रहा ... पत्रकारों को जम कर काम मिला... नेताओं को चमकने का मौका ... अब और क्या चाहिए ... कितने फायदे हैं योग के ...
जवाब देंहटाएंअच्छे दिन की कलपना कौन कर रहा है. हम तो यही चाहते हैं की कम से कम बुरे दिन तो ना आए. हमारे लिए तो वही अच्छा है. एक जबरदस्त कटाक्ष सार्थक लेख. आभार
जवाब देंहटाएंयह व्यंग्ययोग है
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व्यंग्य रचना.... अजी वाह....
जवाब देंहटाएंVery nice post ...
जवाब देंहटाएंWelcome to my blog on my new post.
बहुत बढ़िया लेख, धन्यवाद् !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व्यंग्य रचना
जवाब देंहटाएंbhut hi acha blog
जवाब देंहटाएंbahut hi majedaar v vyang se bharpur lekh-----saadar naman
जवाब देंहटाएंयोगा अच्छी चीज़ है पर इसे राजनीति से दूर रखना चाहिए था......
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
गुरु देव तो छा गए...
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