एक गुलाब भेजता हूँ तुमको.
मैं तो हो नहीं सकता तुम्हारे आस पास. न तो ऐसा दस्तूर है जमाने का और न हीं मौका. कौन इसे सही मानेगा- तुम भी नहीं मानोगी कि मैं तुम्हारे आस पास आऊँ भी.
ये गुलाब देखेगा तुमको.
अभी तो खुशबू है इसमें बाकी- फिर सूख जायेगा जल्दी ही मगर मेरी कविता.... जो भेज रहा हूँ साथ...पढ़ लेना वक्त निकाल कर... तब...ये भर देगी हर बार एक ताज़गी भरी खुशबू उस गुलाब में- हर बार- तुम्हारा दिन एक खुशबूदार दिन बनाने के लिए...
इतना हक तो है मुझे कि तुम्हें खुश देख सकूँ और अहसासूँ तुम्हारी खुशिया!..कुछ पल को ही सही- खुश हो जाने के लिए!!!
मै खुद टूटा हुआ हूँ- न जाने कब तक- कितनी देर में- मुरझा जाऊँगा..मगर यह कविता- यह सनद रहेगी और हर वक्त काम आयेगी...तुम्हारे!!
इसलिए तो नाम दिया है इसे: ’जिंदा कविता’
बस शीर्षक ही तो लिखा है कविता के नाम पर- बाकी तो मौन की भाषा- इसे हर मोहब्बत करने वाला पढ़ पायेगा- तुमने भी तो एक दफा की थी बेइंतिहा मोहब्बत मुझसे...तुम पक्का पढ़ लोगी-
बताना कैसी लगी यह कविता!!!
जो न पढ़ पाये- उसे तुम वैसा ही मूँह बना कर चिढ़ाना- जैसा मुझे कहते वक्त बनाती थी-’दीवाने, इतना भी नहीं जानते??’
मोह लेती थी मुझे तुम्हारी वो अदा!!
कविता:
’जिंदा कविता’
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( कि मैं जब कुछ नहीं लिखता
और सोचता हूँ तुमको...
तो लिख जाती है
ऐसी न जाने कितनी
कवितायें...
जिनमें शब्द नहीं होते
मगर
जो मैं लिखता हूँ अनलिखी ईबारत
बस तुम
पढ़ पाती हो उन्हें...
गुनगुनाते हैं उसे...
हर वो लब....
जो जानते हैं...
मोहब्बत तो बस एक...
अहसासों की कहानी हैं....
किसी दीवाने के लिए
ये नई है....
तो किसी के लिए...
ये पुरानी है....
-समीर लाल ’समीर’
इसलिए तो नाम दिया है इसे: ’जिंदा कविता’..............Title well justified.
जवाब देंहटाएंआपका लेखन अच्छा है.
खाली पन्नों में बहुत कुछ होता है, जब प्यार होता है ...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं♥
आदरणीय ’समीर’ जी
सस्नेहाभिवादन !
एक गुलाब भेजता हूँ तुमको
( कितने तरीके मा'लूम हैं… )
ये गुलाब देखेगा तुमको.
अभी तो खुशबू है इसमें बाकी- फिर सूख जायेगा जल्दी ही
मगर मेरी कविता.... जो भेज रहा हूँ साथ...
पढ़ लेना वक्त निकाल कर...
तब...ये भर देगी हर बार एक ताज़गी भरी खुशबू उस गुलाब में- हर बार- तुम्हारा दिन एक खुशबूदार दिन बनाने के लिए...
इसे कहते हैं कुशल प्रबंधन और प्रणय-संचालन ! :)
समीर भाईजी ! आपका भी जवाब नहीं …
कोई आपको न पहचानने वाला /वाली आपकी इस सम्पूर्ण पोस्ट की शब्दावली से गुज़रने के बाद रचनाकार के रूप में आपकी कल्पना एक 18 साल के किशोर से 22-25 साल के युवक के सिवा कुछ कर ही न पाए … :)))
…और 'ज़िंदा कविता'
मैं जब कुछ नहीं लिखता
और सोचता हूँ तुमको...
तो लिख जाती है
ऐसी न जाने कितनी
कवितायें...
जिनमें शब्द नहीं होते
मगर
जो मैं लिखता हूँ अनलिखी ईबारत
बस तुम
पढ़ पाती हो उन्हें...गुनगुनाते हैं उसे...
हर वो लब.... जो जानते हैं... मोहब्बत तो बस एक...
अहसासों की कहानी हैं.... किसी दीवाने के लिए
ये नई है....
तो किसी के लिए...
ये पुरानी है....
गज़्ज़ब ! कम्माल ! व्वाऽऽह !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut khoobsurat jajbaat dil ki gaharaai se nikli hui kavita.--bahut khoob.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत तो बस एक...
जवाब देंहटाएंअहसासों की कहानी हैं...
प्रेमपुर्ण रचना
bahut sundar
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी रचना बहुत कुछ सिखा जाती है...गुरदेव
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
कि मैं जब कुछ नहीं लिखता
जवाब देंहटाएंऔर सोचता हूँ तुमको...
तो लिख जाती है
ऐसी न जाने कितनी
कवितायें...
bemisaal.....shabd hi nahin tareef ke liye......
जवाब देंहटाएंबड़े प्यारे लग रहे हो प्यारे ....
शुभकामनायें !
बहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
कविता सही पते पर भेज दी गयी है, जवाब आते ही खबर करता हूँ :)
जवाब देंहटाएंअहसासों की कहानी हैं.... भावमय करते शब्दों का संगम बिल्कुल जिंदा कविता ..आभार इस बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए ।
जवाब देंहटाएं( कि मैं जब कुछ नहीं लिखता
जवाब देंहटाएंऔर सोचता हूँ तुमको...
तो लिख जाती है
ऐसी न जाने कितनी
कवितायें...
जिनमें शब्द नहीं होते
मगर
जो मैं लिखता हूँ अनलिखी ईबारत
बस तुम
पढ़ पाती हो उन्हें...
ग्नगुनाते हैं उसे...
हर वो लब....
जो जानते हैं...
मोहब्बत तो बस एक...
अहसासों की कहानी हैं....
किसी दीवाने के लिए
ये नई है....
तो किसी के लिए...
ये पुरानी है.
आह! हर शब्द पर हर अहसास पर आह निकल रही है…………
एक कसक को जैसे जी गया कोई
मोहब्बत को घूँट बना जैसे पी गया कोई
ये अन्जाने शहर की अन्जानी बातें
अनकहे लफ़्ज़ों की अनकही बातें
बिन लफ़्ज़ो के पढा गया कोई
मेरी उलझी लट जैसे सुलझा गया कोई
मै तो बिना खत के भी पढ लेती हूँ
वो तहरीर जो ना तुम कहते हो
हवाओं मे फ़ैली खुश्बू की कसम
तुम ना भी कहते तब भी
तुम्हारी ज़िंदा कविता को पढ ही लेती
जानते हो ना…………
मोहब्बत के पास आँख नही होती
और जो पढता है उसे उसकी जरूरत नही होती
देखो ना पैगाम आया भी नहीं अभी
और उसने पढ़ भी लिया..... गुन भी लिया
कहो अब भी जरूरत है क्या किसी संदेशवाहक की............
लीजिए समीर जी आपके अहसासो ने कमाल कर दिया आज फिर एक कविता को जन्म दे दिया………हार्दिक आभार्।
समीर जी,बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराईयों से निकली एक आवाज है।एक बिना आवाज के बजने वाला साज है।
हम भी ग्नगुनाते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब समीर भाई ... इस मौन की भाषा मुहब्बत करने वाला तो पढ़ ही सकता है ... जंच रहे हो बहुत इस गुलाबी टाई में ... ये भी ताज़ा रहेगी जिन्दा रहेगी कविता की तरह ...
जवाब देंहटाएंSir ji
जवाब देंहटाएंYou are just superb
Ek ek shabd mehsoos kiye hain meine. Taarif kaise karoon pata nahi bas natmastak hoon aapki kavita ke saamne.
Aabhaar. . . !
कवितायेँ कभी सूखती नहीं हैं.. सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंज़िन्दी कविता एकदम
जवाब देंहटाएंबरबस यह गीत याद आ गया :
जवाब देंहटाएंहमको दीवाना कर गये।
आपकी ‘जिन्दा कविता’ वाकई दीवाना बना देगी उसे...
जिन्दा कविता खुशबु बिखेर रही है.. वही गुलाब की .
जवाब देंहटाएंबस मौन की भाषा !
जवाब देंहटाएंभगवान कभी किसी को इन भावों को शब्दों में उतारने का कार्य न दे। बड़ा कठिन है यह बताना।
जवाब देंहटाएंwaah !! sir kya baat hai aaj to aapne is zinda kavita ke madhyam se pyar ke sabhi ahesaason ko or jazbaton ko zinda kardiya aur... saath hee itna kuch likhne ke baad bhi nishabd kardiya:-) jitni tariff ki jaay aaj aapki is rachna ki wo bahut kam hogi :-) bahut khub sir excellent....best wishes ....
जवाब देंहटाएंमोहब्बत तो बस एक...
जवाब देंहटाएंअहसासों की कहानी हैं....
बहुत खूब ! लाज़वाब भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
AAPKEE ` ZINDA KAVITA ` JADOO KEE
जवाब देंहटाएंTARAH SAR PAR CHADH KAR BOLTEE HEE
NAHIN HAI ,DIL MEIN UTARTEE BHEE HAI. KHOOB ! BAHUT KHOOB !! YE
PANKTIYAN TO KISEE ACHCHHE SHER SE
KAM NAHIN HAIN --
MUHABBAT TO BAS
AHSAASON KEE KAHANI HAI
KISEE DEEWAANE KE LIYE
YE NAYEE HAI
KISEE KE LIYE PURANEE HAI
किसी दीवाने के लिए
जवाब देंहटाएंये नई है....
तो किसी के लिए...
ये पुरानी है....
Kya gazab ka likha hai!
अपने जिंदा होने का अहसास कराती एक "जिंदा कविता"...
जवाब देंहटाएंजिसकी खुशबू से महक उठता है एक मुरझाया गुलाब !
देख लिया होगा कहीं छुपकर तुमने मुझे पढ़ते हुए ...
अनलिखी ईबारत ...
कविता नहीं पूरा काव्य संग्रह है।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंहो जिसमें आब,
वही बन गया गुलाब।
फिर शायराना मूड में आ गए भाई !
जवाब देंहटाएंअच्छी बात है ।
बिना लफ़्ज़ों की कविता में भी दम होता है ।
फोटो बड़ी तगड़ी खिंचाई है ।
खूबसूरत कविता |
जवाब देंहटाएंसमीर जी,नमस्कार
जवाब देंहटाएं’ज़िंदा है कविता--,,बहुत कुछ उनकहा कहना चाह रही है---
अक्सर ही शब्द,अशब्द हो जातें हैं,ज़ब बिखरती हं अनुभूतियां.
सुंदर
Kya kahoon Soch rahi hoon! Bahut hi accha likhte hain Sameer Lal. jaane kahan se churayi hai is lekhni ne phoolon ki rangat, Gulshan ki khushboo! bahut sunder hai Zindadili ki tahreer..
जवाब देंहटाएंकविता इतनी जिंदा है कि उसकी हर धड़कन सुनाई दे रही है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
वाह....लाजवाब...
जवाब देंहटाएंभीनी भीनी खुशबू जैसे हवा में तैरती हुई...ऐसे ही सुवासित लहराते शब्द...
वाह कमाल का लिखा है आपने। आपकी लेखनी की कायल तो पहले से ही थी मगर बीच के दिनों में सिलसिला टूट सा गया था। एक बार फिर जुड़कर अच्छा लग रहा है। लाजवाब है आपकी 'जिंदा कविता'।
जवाब देंहटाएंवाह कमाल का लिखा है आपने। आपकी लेखनी की कायल तो पहले से ही थी मगर बीच के दिनों में सिलसिला टूट सा गया था। एक बार फिर जुड़कर अच्छा लग रहा है। लाजवाब है आपकी 'जिंदा कविता'।
जवाब देंहटाएंलाजवाब...
जवाब देंहटाएंजब नहीं लिखते और केवल सोचते हैं तो कितना अनकहा कह जाते हैं .. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसब लोगों ने इतना कुछ कहा है , अब मैं क्या कहूँ? आपके शब्द हमेशा दिल को छू जाते है. इंतजार है अगली पोस्ट का.
जवाब देंहटाएंमन में प्रेम हो तो बहुत कुछ शब्दों में ढल जाता है ....'जिंदा कविता' यह दो शब्द ही बहुत सुंदर चुने .....
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 08 -12 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज... अजब पागल सी लडकी है .
Bahut sundar prasuti lagi...rachna bhi bahut bavpurn hai hardik badhai..
जवाब देंहटाएंगुनगुनाते हैं उसे...
जवाब देंहटाएंहर वो लब....
जो जानते हैं...
मोहब्बत तो बस एक...
अहसासों की कहानी हैं...
.....बहुत खूब!
आपका पोस्ट अच्छा लगा .मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंजो मैं लिखता हूँ अनलिखी ईबारत
जवाब देंहटाएंबस तुम
पढ़ पाती हो उन्हें...
bahut sundar !
badhai !!
जो मैं लिखता हूँ अनलिखी ईबारत
जवाब देंहटाएंबस तुम
पढ़ पाती हो उन्हें...
गुनगुनाते हैं उसे...
हर वो लब....
..esi ka naam pyar hai...
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंमोहब्बत तो बस एक...
जवाब देंहटाएंअहसासों की कहानी हैं....
किसी दीवाने के लिए
ये नई है....
तो किसी के लिए...
ये पुरानी है....
exceelent creation
बहुत गहरी बात कर गए हो गुरु...प्यार के कोमल अहसासों को शब्दों में ढालना हर किसी के बस बात नहीं होती...इसके लिए तप कर कुंदन बनना पड़ता है...कौनसे शब्दों में बधाई दूं आपको...सारे शब्द तो आपने हथिया रखे हैं...
जवाब देंहटाएंनीरज
वाह आदरणीय, आप जब भी लिखते हो ह्रदय की गहराई से लिखते हो जो आपकी कविता में झलक जाता है, बहुत बढ़िया.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
प्रेम पर जो कुछ भी आपने लिखा सीधे मन में उतरता चला गया...
जवाब देंहटाएंबस यही तो प्रेम है...
मोहब्बत तो बस एक...
अहसासों की कहानी हैं..
आभार इस अहसास के लियें जो हरेक में जीवित है पर.....
बधाई आपको .
वाह! क्या बात है! बढ़िया लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेख..बधाई....
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट में आपका स्वागत है
जाने कैसी भीनी- भीनी खुशबू है इस जिन्दा कविता में ...
जवाब देंहटाएंकविता को जिन्दा ही होना चाहिए ...
कविता -सी ही मुस्कराहट भी है , दिल से मुस्कुराये हैं !
जाने कैसी भीनी- भीनी खुशबू है इस जिन्दा कविता में ...
जवाब देंहटाएंकविता को जिन्दा ही होना चाहिए ...
कविता -सी ही मुस्कराहट भी है , दिल से मुस्कुराये हैं !
इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंफिर खो ना जाएं हम कहीं दुनिया की भीड़ में,
जवाब देंहटाएंमिलती है पास आने की मोहलत कभी-कभी,
होती है दिलबरों की इनायत कभी-कभी,
मिलती है ज़िंदगी मे मोहब्बत कभी-कभी...
जय हिंद...
फिर खो ना जाएं हम कहीं दुनिया की भीड़ में,
जवाब देंहटाएंमिलती है पास आने की मोहलत कभी-कभी,
होती है दिलबरों की इनायत कभी-कभी,
मिलती है ज़िंदगी मे मोहब्बत कभी-कभी...
जय हिंद...
मगर मेरी कविता.... जो भेज रहा हूँ साथ...
जवाब देंहटाएंपढ़ लेना वक्त निकाल कर...
तब...ये भर देगी हर बार एक ताज़गी भरी खुशबू उस गुलाब में- हर बार- तुम्हारा दिन एक खुशबूदार दिन बनाने के लिए...bahut khub.
जो मैं लिखता हूँ अनलिखी ईबारत
जवाब देंहटाएंबस तुम
पढ़ पाती हो उन्हें....
प्रेमपुर्ण रचना.
मैं जब कुछ नहीं लिखता
जवाब देंहटाएंऔर सोचता हूँ तुमको...
तो लिख जाती है
ऐसी न जाने कितनी
कवितायें...
जिनमें शब्द नहीं होते
वाह वाह सुंदर भावनाएं. अच्छे लगे विचार.
nirmal bhawnao ki sunder prastuti.
जवाब देंहटाएंमैं जब कुछ नहीं लिखता
जवाब देंहटाएंऔर सोचता हूँ तुमको...
तो लिख जाती है
ऐसी न जाने कितनी
कवितायें...
जिनमें शब्द नहीं होते
बस .................... वाह !
दिल से लिखी गयी और दिल पर असर करने वाली रचना , बधाई तो लेनी ही होगी
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली प्रस्तुति,आपका हार्दिक धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअहसासों को जबान नहीं होती और जबान कुछ भी अहसास नहीं कर पाती। दोनों की ये मजबूरियॉं ही लिखवाती हैं - जिन्दा कविता।
जवाब देंहटाएंI have been regular reader of your writings for last few months. At the very beginning I quite liked those but I see one thing now. Either you are under pressure of mass production enforced by idiotic comments or your followers are afraid of you writing (sometimes comments have nothing to do with your post, some nice words scripted with no correlation similar to your posts now a days) good words always. Remember, Bhishma took few oaths and fought few battles(in most of those his army was defeated) and we could not forget him passing 5000 years.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति. धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब...............
जवाब देंहटाएंमूक अभिव्यक्ति..
बहुत खूब.
गज़ब दिल पाया है आपने...अहसासों को महसूस करना...फिर शब्दों में ढालना...कमाल है...
जवाब देंहटाएंसमीर जी ,
जवाब देंहटाएंन जाने ये कविता कैसे छूट गयी निगाह से... ....ये तो हीरा है हीरा .. शब्द और भाव , कौन ज्यादा बेहतर है .. इसके बारे में तो सिर्फ आप ही जानते है .. लेकिन , कविता ने मन में एक घर बना लिया है ... अक्सर ऐसा ही होता है......अब शायद किसी दिन इसी भाव पर कुछ लिखू.....