महावीर शर्मा जी, एक युग पुरुष, की पुण्य तिथि पर उनके ब्लॉग पर प्रकाशित मेरा संस्मरण (मात्र एक जगह संकलित करने के प्रयास में पुनर्प्रकाशित):
’आपके भाव बहुत प्रभावित करते हैं किन्तु यदि आप गज़ल के व्याकरण पर थोड़ा सा काम कर लें तो आपकी रचनायें गज़ल के रुप और बेहतर प्रभाव छोड़ेंगी. कृप्या अन्यथा न लें. आपसे मिला तो कभी नहीं किन्तु न जाने क्यूँ आपसे एक अपनापन सा लगता है, इसलिए कह गया.’
यह था महावीर जी से पहला परिचय सन २००५ में याहू ग्रुप के ईकविता मंच के द्वारा. नया नया शौक जागा था कविता कहने का. हर विधा में बिना व्याकरण जाने कुछ प्रायस करते रहने का नया शौक. ऐसे वक्त में गज़ल के महाज्ञाता और वरिष्ट का ऐसा आशीष पाकर धन्य हुआ. तुरंत ही जबाब दिया, आभार प्रदर्शन किया और निवेदन किया कि आप अपना फोन नम्बर दें तो चर्चा हो.
हालांकि उन दिनों वो कुछ अस्वस्थ थे किन्तु तुरंत ही जबाब आ गया. न सिर्फ फोन नम्बर बल्कि मेरी एक रचना को गज़ल में परिवर्तित कर उस पर तख्ति कैसे की और सरल शब्दों में उसके व्याकरण का ज्ञान देते हुए. मैं धन्य महसूस कर रहा था और बस, फोन पर चर्चाओं का सिलसिला शुरु हुआ.
पितृतुल्य स्नेह मिला. बात करने में इतने सहज, सौम्य और सरल कि कभी यह अहसास ही नहीं हुआ कि उनसे कभी मुलाकात नहीं है. शीघ्र ही उन्होंने अपने स्नेह से मुझे उस अधिकार का पात्र बना दिया कि जब कुछ ख्याल आते, उन्हें गज़ल की शक्ल में लिख उनके पास भेज देता. कभी इन्तजार नहीं करना पड़ा. तुरंत जबाब आता कि इस पंक्ति को ऐसा कह कर देखो और उस पर मात्राओं का ज्ञान, तख्ति निकालना आदि लगातार चलता रहा.
इस पूरी प्रक्रिया में उन्होंने न तो कभी अपने लगातार गिरते स्वास्थय का अहसास होने दिया और न ही कभी इसके चलते जबाब और सलाह देने में देर की. लगता जैसे ऊँगली पकड़ कर चलना सिखा रहे हैं. उन्हीं के माध्यम से प्राण शर्मा जी जैसे महारथी और गज़ल के सिद्धहस्त से परिचय प्राप्त हुआ और उनसे भी वही अपार स्नेह पा रहा हूँ. कई बार खुद के इतने भाग्यशाली होने पर घमंड में भी आ जाता हूँ और आज प्राण जी हमेशा मेरे पक्ष में ढाल बन कर खड़े नजर आते हैं.
बीच में लन्दन जाना भी हुआ मात्र एक दिन के लिए. महावीर जी से फोन पर चर्चा हुई. उनकी तबीयत कुछ ज्यादा खराब थी उस वक्त और वह अस्पताल ही जा रहे थे. समयाभाव में उस दिन मिलना नहीं हो पाया और उसी दिन मुझे टोरंटो वापस आना था.
वापस आकर जब उनसे फोन पर बात हुई तो जिस तरह से वह भावुक हो उठे कि मैं भी अपने आंसू न रोक पाया. सोचने लगा कि यदि एक दिन और रुक जाता तो शायद मुलाकात हो जाती. मन बना लिया था कि अगली यात्रा में और कुछ हो न हो, महावीर जी से जरुर मुलाकात करुँगा.
इस बीच उनके कहानी वाले ब्लॉग पर मेरी लघुकथा छापी. बिखरे मोती की रिपोर्टों और मेरे अभियान ’धरा बचाओ, पेड़ लगाओ’ के लिंक भी उन्होंने अपने ब्लॉग पर लगा कर सम्मान दिया. फिर एक दिन उनका ही फोन आया कि अपनी गज़लें भेजो, महावीर ब्लॉग पर छापना है. अच्छा लगेगा.
मैं क्या जानता था कि यह अंतिम वार्तालाप है. उन्होंने मेरी दो गज़लें छापी और वही उनके जीते जी उनके महावीर ब्लॉग की आखिरी प्रविष्टियाँ बन गई.
’वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है’ - एक दिन खबर आई कि महावीर जी नहीं रहे. मैं स्तब्ध!! बार बार महावीर ब्लॉग खोलता और सामने होती उनकी अंतिम प्रविष्टी- मेरी दो गज़ले जिन्हें उनके साथ साथ प्राण जी आशीष भी प्राप्त था. जब भी नजर पड़ती, महावीर जी के स्वर कानों में पड़ते कि बहुत बढ़िया लिख रहे हो, लिखते रहो.
आज महावीर जी नहीं है. इस दफा जब लंदन पहुँचा तो याद आया कि बिना महावीर जी मिले न जाने का वादा था, अब वो कैसे पूरा होगा. एक कशिश लिए भारी मन से लंदन से वापस लौट गया.
आज भी जब कुछ लिखता हूँ तो महावीर जी बरबस साथ होने का अहसास जगाते नजर आते हैं सुधरवाते हुए- व्याकरण सिखाते हुए.
दीपक ने जब इस ब्लॉग को पुनः आरम्भ करने का बीड़ा उठाया तो दिल भर आया. इस पुण्य कार्य के लिए दीपक को साधुवाद. प्राण जी भी इस अभियान में अपना वरद हस्त बनाये हैं, उनको भी प्रणाम एवं साधुवाद.
महावीर जी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि. मुझे मालूम है कि आज भी जब भी कुछ लिखता हूँ, वो उस पर अपनी नजर बनाये हैं. आप बहुत याद आते हैं महावीर जी.
-समीर लाल ’समीर’
महावीर ब्लॉग में पढ़ चुके हैं, सच में यह स्नेह हृदय को भिगा देता है।
जवाब देंहटाएंमहावीर जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंआज भी जब कुछ लिखता हूँ तो महावीर जी बरबस साथ होने का अहसास जगाते नजर आते हैं सुधरवाते हुए- व्याकरण सिखाते हुए.
जवाब देंहटाएंSameer ke dil ki yaadon ke saath jud jaati hai kaiyon ke dil ki baat jo yahi dohrana chahti hai. Bahut kam loh hote hain jo apne samay se samay nikal kar yeh siddhant sikhaane ki deeksha dete hai. Mahavir ji mein Vah jazba tha aur vah un logon ki dilon mein ankit hua hai jo unke sampark mein aaaye...
Bahut yaadein aur judi hai is sansmaran ke saath
shubhkamanyein
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंhamari or se bhi is mahan vyakti ko shrandhaajli
जवाब देंहटाएंआभासी प्यार का..आभासी गुरू के प्रति समर्पित प्रेम का..गुरू के आशीष का..सुंदर स्मरण।
जवाब देंहटाएं...विनम्र श्रद्धांजलि।
महावीर जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा! एक महान लेखक से आपका परिचय होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और हमें उनके बारे में जानने को मिला! उनको विनम्र श्रद्धांजलि और शत शत नमन!
जवाब देंहटाएंआपकी भावना आसानी से समझी जा सकती है। महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंमहावीर जी को विन्रम श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंबड़ा अच्छा लगा उनके बारे में जानकार ! ऐसे लोग दिलों में हमेशा बसे रहेंगे !
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि उनके लिए !
आपके मन के भावो को समझ सकती हूँ …………अब नमन के सिवा और कर भी क्या सकते हैं बस उनके बताये रास्ते पर चलने के सिवा।
जवाब देंहटाएंमहावीर जी को सादर श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंभावनात्मक पोस्ट के लिए साधुवाद
महावीर जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंआप बहुत भाग्यशाली हैं कि आपको महावीर जी पथप्रदर्शक के रूप में मिले, हम जैसे तमाम हतभागियों को पथप्रदर्शक मिलना तो दूर अपनी राह भी ख़ुदी बनानी पड़ती है। दिवंगत महाप्राण को भावभीनी श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंबहुत मधुर व्यक्तिव लगते हैं महावीर शर्मा जी चित्र में!
जवाब देंहटाएंऐसे स्नेही और सहृदय व्यक्तित्व को मेरी ओर से श्रद्धाञ्जलि समर्पित !
जवाब देंहटाएंMeree Vinat shraddhanjali
जवाब देंहटाएंएक उत्कृष्ट व्यक्तित्व का प्रतीक थे महावीर जी.एक फल से लड़े हुए वृक्ष की भांति.विनीत एवं सहायक.
जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को हार्दिक श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएं-----
कल 06/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
महावीर जी को विनम्र श्रद्धांजलि।....
जवाब देंहटाएंयुग पुरुष को नमन .
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! अधिक से अधिक पाठक आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
महावीर जी जैसे शक्सियत के लोग कभी कभी पैदा होता हैं .... विनम्र श्रधांजलि ...
जवाब देंहटाएंमहावीर जी को विनम्र श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रधांजलि श्रधेय महावीर जी को.
जवाब देंहटाएंउनका वरद हस्त आपकी रचनाओं में परिलक्षित होता है...श्रधांजलि...
जवाब देंहटाएंफोटो से ही लगता है , बड़े विनम्र स्वाभाव के व्यक्ति थे ।
जवाब देंहटाएंकब चले गए , पता ही नहीं चला ।
उन्हें विनम्र श्रधांजलि ।
विनम्र श्रद्धांजलि ....
जवाब देंहटाएंनाम के अनुरूप महान लेकिन विनम्रता की मूर्ति महावीर जी की पुण्य स्मृति में शत-शत नमन...
जवाब देंहटाएंदीपक, प्राण जी के साथ आपका भी इस पुनीत कार्य के लिए आभार...
जय हिंद...
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जवाब देंहटाएंआदरणीय महावीर जी को
शत-शत नमन !
अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि !
सुबह सुबह भावुक कर दिया सरजी आपने, जिवंत और भावनात्मक आलेख के लिए आभार। यह आभासी दुनिया का अपनापा है। मुझे भी जब आपकी सलाह पहली बार मिली तो यही एहसास हुआ जैसे कोई उंगली थाम कर अभासी दुनिया में चलना सीखा रहा हो। और फिर सलाह के लिए मेल करता रहता हूं और जबाब पाता रहता हूं।
जवाब देंहटाएंसच में गांव में रहकर भी दुनिया भर के लोगों से जुड़े रहने का एहसास जीवन को एक अजीब सा शकून और सार्थकता प्रदान करती है।
महावीर जी को शत शत नमन...
इस ब्लॉग को फिर से शुरू करने का निर्णय सुन कर मुझे भी प्रसन्नता हुई
जवाब देंहटाएंमहावीर जी को विन्रम श्रद्धांजलि...उनकी याद हमेशा बनी रहेगी .....
जवाब देंहटाएंअश्रुपूरित श्रद्धांजलि,
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा ने मेरी आँखों में ही आंशु ला दिए |
विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंदिल से फूटा हुआ सोता है यह संस्मरण....
जवाब देंहटाएंनमन इस पवित्र रिश्ते को और पुण्यात्मा महावीर सर को विनम्र श्रद्धांजली...