मात्र १०-१२ घंटों के लिए गुगल का ब्लॉगस्पॉट क्या बैठा कि मानो हर तरफ हाहाकार मच गया. छपास पीड़ा के रोगी ऐसे तड़पे मानो किसी हृदय रोगी से आक्सीजन मास्क खींच ली गई हो. जिसे देखा वो हैरान नजर आया. एक सक्रिय ब्लॉगर होने के नाते चूँकि हमारी हालत भी वही थी तो गाते गाते फेसबुक, ट्विटर, बज़्ज़, ऑर्कुट पर डोलते रहे:
सीने में जलन, आंखों में तूफ़ान-सा क्यूं है.
इस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूं है..
सन १७८० के आस पास शाह हातिम के जमाने में भी लगता है ब्लॉगर्स जैसा कोई टंटा रहा होगा. कभी ऐसे ही बैठ गया होगा जैसे कि आज ब्लॉगर बैठा तो हैरान परेशान खुद एवं लोगों की हालत देख शाह हातिम ने लिखा होगा कि:
तुम कि बैठे हुए इक आफ़त हो
उठ खड़े हो तो क्या क़यामत हो!!
सब आदत की बात होती. कोई भी आदत शुरु में शौक या मजबूरी से एन्ट्री लेती है और बाद में लत बन जाती है. अच्छी या बुरी दोनों ही बातें अगर लत बन जायें और फिर न उपलब्ध हों तो फिर तकलीफदायी हो चलती हैं. इन्सान छटपटाने लगता है. कुछ भी कर गुजरने को आतुर हो जाता है.
किसी ड्रग के आदी, शराब के लती, सिगरेटबाज और यहाँ तक कि शतरंजी को उपलब्धता के आभाव में तड़पते तो सभी ने देखा ही होगा. शायद शुरु में चार दोस्तों के बीच फैशन में या स्टेटस बघारने को एक पैग स्कॉच ले ली होगी. नशे की किक में मजा आया होगा. फिर कभी कभार और, फिर महिन में एक बार, फिर हफ्ते में, फिर एक दिन छोड़ एक दिन और फिर रोज पीने लग गये होंगे. बस, लग गई लत. अब एक दिन न मिले, तो बिस्तर में उलटते पलटते नजर आयें. नींद न पड़े. बेबात बीबी बच्चों पर बरसने लगें.
तब देखा कि ब्लॉगस्पॉट क्या बैठा, लगे लोग फेस बुक का सत्यानाश करने, ट्विटर पर ट्विटियाने,ऑर्कुट पर ऑर्कुटियाने और बज़्ज़ पर बज़्ज़ियाने- हाय, ब्लॉगर नहीं चल रहा. क्या आपका भी नहीं चल रहा? जबकि ब्लॉगस्पॉट की साईट साफ साफ लिख कर बता रही थी कि मेन्टेनेन्स चल रहा है, अभी आते हैं. मगर लतियों को चैन कहाँ? वो तो लगे यहाँ वहाँ भड़भड़ाहट मचाने. यहाँ तक कि जब ब्लॉगस्पॉट चालू हुआ तो फिर हल्ला मचा और कम से कम १०० फेसबुक, ब्ज़्ज़, ट्विट अपडेट मिले कि हुर्रे, चालू हो गया!! अच्छा है यहाँ चीयर बालाओं का चलन महीं है वरना तो क्या नाच होता कि देखने वाले देखते रह जाते.
लम्बे समय तक कोई आदत रहे तो लत बन जाने पर क्या हालत होती है, उसको जो जायजा आज मिला उसे देख कर एकाएक परेशान हो उठा. सोचने लगा कि भारत का क्या होगा?
सुनते हैं कि अन्ना किसी भी तरह हार मानने को तैयार नहीं. लगे हैं कि १५ अगस्त तक भ्रष्ट्राचार बंद हो ही जाना चाहिये. उनकी इस हठ से और आज के अनुभव से मुझे डर लगने लगा है. न सिर्फ भ्रष्ट्राचारियों से बल्कि उनसे भी जो इतने सालों तक भ्रष्ट्राचार झेलने के आदी हो गये हैं.
यूँ भी पूरा भारत में मात्र दो पार्टियाँ ही हैं जिन्हें मिलाकार भारत कहा जाता है. एक जो भ्रष्ट्राचार करते हैं और एक वो जो भ्रष्ट्राचार झलते हैं.
एकाएक १५ अगस्त को भ्रष्ट्राचार बंद हो जायेगा तो इन दोनों पार्टियों की क्या हालत होगी, ये भी तो सोचो. हर तरफ अफरा तफरी मच जायेगी. हाहाकार का माहौल होगा. आदमी स्टेशन पहुँचेगा, बिना रिश्वत दिये रिजर्वेशन मिल जाने पर भी ट्रेन में चढ़ने की हिम्मत न जुटा पायेगा कि जरुर कुछ घपला है. ऐसे भला रिजर्वेशन मिलता है क्या कहीं. ट्रेन का कन्फर्म टिकिट लिए वो बौखलाया सा बस में बैठ जायेगा. और भी इसी तरह की कितनी विकट स्थितियाँ निर्मित हो जायेंगी-सोच सोच कर माथे की नसें फटी जा रही हैं.
अन्ना, मान जाओ, प्लीज़. कुछ तो सीख लो आज के इस ब्लॉगस्पॉटी भीषण कांड से. क्या १६ अगस्त को अच्छा लगेगा जब सब कहेंगे कि पूरा देश जो तांडव कर रहा है, उसके जिम्मेदार अन्ना हैं? नाहक इस उम्र में आकर इतना बड़ा इल्जाम क्यूँ अपने माथे लगवाना चाहते हैं?
मान जाओ न प्लीज़!!! चलने दो जैसा चल रहा है? कुछ घंटों के लिए मेनटेनेन्स टाईप भ्रष्ट्राचार रुकवाना हो तो पूर्व सूचना देकर रुकवा लो, दोनों पार्टियाँ झेल लेंगी किसी तरह, तुम्हारी भी बात रह जायेगी- मगर ये पूरे से खात्मे की जिद न करो.
प्लीज़!!!!!!
-समीर लाल ’समीर’
सुन्दर!ब्लागरों की १० घंटों की व्यथा को अच्छी आवाज दी है और अन्ना को सलाह भी।
जवाब देंहटाएंउत्सुकता तो होती ही है ...इस बहाने ब्लॉगिंग को गरियाने वाले या छोड़ जाने की धमकी देने वालों को इसकी अहमियत तो पता चली ...
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार पर व्यंग्य अच्छा है !
अन्दर की खबर यह आ रही है कि कुछ ब्लागर ब्लाग की महत्ता को दरकिनार करते हुये ट्विटर और फेसबुक पर ज्यादा ही रँभाने लगे थे, उन्हे ही चेताने के लिये ब्लागर डाट काम ने कल एक दिन की कैजुयल लीव चुपके से ठोक दी थी । सावधान....
जवाब देंहटाएं(और आज सुबह सुबह का पहला काम- ब्लाग की सेटिँग मे जाकर बेसिक मेँ Export blog पर क्लिक करके हार्ड डिस्क मेँ अपने अपने ब्लाग को बैकअप फाईल के रुप मेँ सेव करने का )
अच्छा है कि कुछ सुगबुगाहट है
जवाब देंहटाएंशायद यह आगत की आहट है
ये मेंटीनेंस क्या चीज है? कभी शादी, कभी इंटरनेट की फेल्योर, कभी अदालती काम न जाने क्या क्या झेलना पड़ता है।
जवाब देंहटाएंसीने में जलन, आंखों में तूफ़ान-सा क्यूं है.
जवाब देंहटाएंइस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूं है.
.
ब्लॉगजगत के लिए ती इस विषय पे Phd कि जा सकती है. उसकी कमीज़ मेरी कमीज़ से अधिक सफ़ेद कैसे.? करों गन्दी उसकी भी कमीज़.
हमारे यहाँ बिजली विभाग की प्रतिदिन विज्ञप्ति होती है कि रखरखाव (मेन्टेनेंस) के लिए आज फला इलाके में इतने घण्टे के लिए बिजली बन्द रहेगी। अब इसकी तो आदत है कि साल में चार बार तो हमारा नम्बर आएगा ही लेकिन कल जब ब्लाग के भी मन्टेनेन्स की बात आयी तो समझ नहीं आया कि यह फाल्ट हमारे ब्लाग पर ही है या सभी के है। खैर अभी सुबह खोला है सब ठीक-ठाक है, बस पोस्ट की टिप्पणियां कुछ गायब हैं, अब पता नहीं किसकी गायब है और क्यों गायब है।
जवाब देंहटाएंbadiya.........sadhuwad
जवाब देंहटाएंउम्दा पोस्ट ..........शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंउन्नति, उत्साह, उमंग आपकी पीठ थपथपाएं॥
===========================
व्यंग्य उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमा रहा होता है।
http://dandalakhnavi.blogspot.com/2011/05/blog-post.html
=====================
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
.
जवाब देंहटाएंशुक्र है कि, कल चुनाव परिणाम आ रहे थे, जिसमें अधिकतर लोगों ने अपने को खपा लिया । ग़र फेसबुक का पड़ाव न होता तो 80% लोग आगरा जाने वाली हाई-वे पर होते । सोचिये यदि ट्विटर न होता तो वाक-अतिसार से पीड़ित जनता किधर को निवृत होती । चँद चिरकुट शर्माय के ऑरकुट की ओर कैसे लौटते । इति सिद्धम, दुनिया में सबसे स्वालँबी और जुगाड़ू तबका ठरकियों का है !
'बला' 'गर'चे आई; मगर टल गई,
जवाब देंहटाएं'उड़न तश्तरी'; चल गई, चल गई.
परेशानियां इस क़दर बढ़ गई,
"किताबो के चेहरे" कई पढ़ गई. "[face book]"
लगी थी जो दिल में बुझी इस तरह,
'Twitter" के माथे पे जब मढ़ गई.
लो 'अन्ना' का पन्ना भी खुलने लगा !
लगी आग 'वां' चीज़ 'याँ' जल गई.
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
हमको तो महाभारत का याद आ गया जी ..ऊ होता था कि राम जी एक तीर चलाते थे और ऊ दुर्योधन तक पहुंचते पहुंचते पचास ठो तीर बन जाता था ...सुनिए राम जी का रामायण के साथ और दुर्योधन का महाभारत के साथ मैच द फ़ालोविंग खुदे करिएगा ..हां तो पचास तीर वाला प्रहार किए हैं आप ..एके फ़ायर में कै ठो को घाईल कर डाले हैं ...अरे एलियन हैं एलियन आप ...हम जानते हैं न ई बात को
जवाब देंहटाएंबजा फ़रमाया...साल में एक पखवारा भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए मनाया जाता है...बस एक बैनर टांग दिया...घूस ले, ना देना जुर्म है...समझने वालों के लिए मेसेज साफ़ है...फिर भी जो ना समझे वो वाकई अनाड़ी है...
जवाब देंहटाएंअब फेसबुक के ट्रेफिक में गिरावट आ गयी होगी :)
जवाब देंहटाएंआदत को बदलने की कोशिश जरी है, थोडा सुधर हुआ है थोडा होना बाकि है
जवाब देंहटाएंब्लागजगत में हर शख्स परेशां सा क्यूँ है अच्छा हाल वयां किया .......
जवाब देंहटाएंगुरु चेला तलैया में नहाने गए...
जवाब देंहटाएंकुछ चीज़ दोनों को अपनी ओर खिंचती महसूस हुई...
गुरु खिलाड़ी थे, फौरन तलैया से बाहर आ गए...
बाहर आकर देखा, चेला एक कंबल से जूझ रहा है...
गुरु ने वहीं से चेले से कहा...कंबल छोड़ कर बाहर आ जा...
चेला बोला...मैं तो कंबल को छोड़ रहा हूं, ये कंबल ही मुझे नहीं छोड़ रहा...
वो कंबल नहीं रीछ था...
जय हिंद...
भ्रष्टाचार पर व्यंग्य अच्छा है !
जवाब देंहटाएंझेला तो मैंने भी लेकिन शायद उतनी बेसब्री से नहीं । अलबत्ता मेरे ब्लाग 'नजरिया' की करण्ट पोस्ट "है ना आश्चर्य...!" की सभी टिप्पणियां ब्लागर के इस मेन्टनेंस अभियान में फिलहाल तो शहीद हो गई हैं ।
जवाब देंहटाएंजब ब्लॉगर ने मेन्टेनेन्स के लिये ब्लॉग हड़प लिया तो हम भी ढेर सारे और कार्य निपटा आये, जल्दी सोने के अतिरिक्त। एक दिन का विश्राम ही सही। अन्ना जी का भी निष्कर्ष निकलेगा, 15 अगस्त भी निकलेगा।
जवाब देंहटाएंFriday 13th को ब्लागेर बैठे तो लोग घबराएंगे ही !
जवाब देंहटाएंहा..हा..हा..
जवाब देंहटाएंकब चालू हुआ, कब आपने लिख दिया..?
दिमाग है कि 3जी कनेक्शन!
..बहुत बढ़िया..बेहतरीन..!
बहुत सही बात कही है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
तुम कि बैठे हुए इक आफ़त हो
जवाब देंहटाएंउठ खड़े हो तो क्या क़यामत हो!!
हा हा हा क्या शानदार शेर है, मजा आ गया. खाली बैठी हुयी हर चीज एक आफत ही होती है और खड़े होते ही क़यामत ढा देती है.... अति सुन्दर.....
माने तब ना.....?
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार शब्द भ्रष्ट हो कर भ्रष्ट्राचार हो गया जान पड़ रहा है.
जवाब देंहटाएंआजकल फैशन बन गया कोई सीधी बात समझता ही नहीं है. इसलिए बात उलड़ी करके कहनी पड़ती है. आपने व्यंग्य शैली में भ्रष्टाचार और कुव्यवस्था पर करारा प्रहार किया है.
जवाब देंहटाएंअगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
हाँ वही तो ...लोग भजन और अखंड पाठ करने लगे,और कुछ ब्लॉग के दुश्मन मानाने लगे कि काश बंद ही हो जाये:)
जवाब देंहटाएंअब क्या करे ब्लोगर रोटी भले न खाए पर ब्लॉग्गिंग से न जाए :)
भ्रष्टाचार पर सही फ़रमाया है.
तुम होते तो, ये होता ,तुम होते तो वो होता.
जवाब देंहटाएंलेकिन कभी ये न सोचा था की,तुम नहीं होते तो. क्या होता....................
बहुत बढ़िया ब्लॉग के नशेड़ी तो
जवाब देंहटाएंहम भी बन ही गये हैं!
--
कामना यही है कि दोबारा ऐसा हादसा नहो!
ब्लोगाचार्य ने भ्रष्टाचार भी इस लेख में घुसेड दिया। हम तो समझे थे कि बात सीने की जलन और आंखों में तूफ़ान की ही है तो नया ओक्सिजन सिलिंडर लगवा देंगे पर यहां तो जेब की भरन का भी मुद्दा है :)
जवाब देंहटाएंबस १२ घंटे लेकिन मेरे यहाँ तो और भी ज्यादा देर तक बंद था यहाँ तो 12 मई को भी घंटो तक ब्लॉग स्पोट बंद था |
जवाब देंहटाएंसमीर जी अन्ना हजारे जी क्या उनके जैसे हजारो अनशन पर बैठ जाये तो भी देश के लाखो भ्रष्टाचारी का कुछ नहीं होने वाला वो नहीं सुधरने वाले |
:)
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार खत्म हो गया तो ....
जवाब देंहटाएंतो....
तो....
भारत का क्या होगा...
सही कहते हैं आप !!कल तो मैं भी डर गई थी ।कुछ पल तो यूं लगा कि हमारा पूराना घर पृथ्वीलोक से ही ग़ायब है।और हाँ एक बात ज़रुर कहुंगी कि आप तो दस्तक देकर जगानेवालों से हैं।
जवाब देंहटाएंजी ... :)
जवाब देंहटाएंअन्ना इस बार चोर की बजाय चोर की माँ को मारने चले हैं, बाकी तो आप सभी के साथ साथ वो खुद भी समझदार हैं ही ..........
जवाब देंहटाएंअर्रे! इत्ता बड़ा काण्ड हो गया, हम सोते रह गये! :(
जवाब देंहटाएंब्लॉगर से शुरु होती बेचैनी अन्ना के भ्रष्टाचार पर व्ंयंग्य के साथ खत्म हुई.... अच्छई ब्लेंडिंग के साथ लिखा गया एक अच्छा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंआकर्षण
ब्लॉगर की व्यथा तो सच में यही थी.मेरे जैसे नए ब्लॉगर का तो और भी बुरा हाल था.
जवाब देंहटाएंब्लॉगर की व्यथा तो सच में यही थी.मेरे जैसे नए ब्लॉगर का तो और भी बुरा हाल था.
जवाब देंहटाएंअब लत है तो लग ही गयी है ...ब्लोगर्स की व्यथा की अच्छी कथा ... दो पार्टियों के बीच अन्ना हजारे क्या गुल खिलाते हैं देखना बाकी है ...
जवाब देंहटाएंसीखा जी । यही कि भले ही बीडी सिगरेट , दारू , जुआ आदि की लत न हो लेकिन ये ब्लोगिंग तो गले ही पड़ गई । एक दिन ब्लोगर क्या गायब हुआ , अपनी भी नींद ही उड़ गई । बेड टी और अख़बार की तरह एक दिन की जुदाई भी रास नहीं आई ।
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार पर व्यंग अच्छा रहा ।
वही न जिसे देखो, जहां देखो सब जगह 'किताबी चेहरा' और 'कलरव' की आरती उतरती देख इसे लगा होगा कि सबने गरीब की जोरू बना कर रख दिया है। सो जरा सा हाथ रखा दिया रग पर, बनने-सवंरने के बहाने !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात
जवाब देंहटाएंआपका आभार
bilkul sahi....
जवाब देंहटाएंब्लॉगर बाबा देख रहे थे की नाम उनका लिया जा रहा है और मलाई खाने मुख्यमंत्री और चाटुकार भी आ जा रहें हैं,..
जवाब देंहटाएंगुस्से में बाबा ने कहा आज तो शुक्रवार की नमाज पढता हूँ ब्लॉग के जनाजे वाली..कम से कम लादेन के लिए पढ़ी जाने वाली नमाज से शुद्ध ही होगी...
तो उन्होंने समझा दिया की एक दिन ये जगत छोड़ कर चला गया तो हर दुसरे दिन पुरस्कार समारोह कैसे करोगे..
अब किसी और विधा पर कार्य करना होगा नहीं तो कुछ ख्यातिप्राप्त लोगो की दुकान का क्या होगा??????
वाह! मंसूर अली जी वाह!
जवाब देंहटाएं'बला' 'गर'चे आई; मगर टल गई,
'उड़न तश्तरी'; चल गई, चल गई.
ये उडन तश्तरी क्या चली,ब्लोगिंग की लत को ले भृष्टाचार पर वार कर गई.
आखिर 'समीर' की समीर है,जिस तरफ रुख करे उसी ओर बह जाती है,पर ब्लोगर्स के दिलों को ऑक्सीजन दे जाती है.
हमने तो आराम किया। बहुत कम हाथ लगता है। है ना?
जवाब देंहटाएंब्लॉगर व्यथा के साथ ही सटीक प्रासंगिक व्यंग भी..... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंये तो सभी को समझना चाहिए कि ये वो माध्यम है जिसका नियंत्रण आपके हाथ में नहीं है. प्रिंट माध्यम में यदि सारे संकरण समाप्त भी कर दिए जाएँ तो जो आपके पास सुरक्षित है वो तो सुरक्षित ही रहेगा पर यहाँ क्या है....एक दिन यदि ये सेवा सदैव के लिए समाप्त कर दी तो समझो अभी तक का गोड़ा गया बेकार....
जवाब देंहटाएंइसी से हम कहते हैं कि इस आभासी दुनिया से किसी क्रांति की नहीं इसी तरह के रोग जैसे व्यवहार की आशा की जा सकती है. खैर....सबकी अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
सर्वर लति हिन्दी ब्लॉगर के लिए भी एक पुरस्कार/सम्मान शुरू करवायें क्या समीर भाई ?
जवाब देंहटाएंहाँ बेचैन आत्माएं जरुर अधीर हो गयीं -मुला हमें तो बहुत आराम रहा -नर्व स्प्लिट टेंशन से कुछौ देर का ही सही आराम तो मिला
जवाब देंहटाएंएक तीर से दो निशाने साध दिये……………सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंप्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
जवाब देंहटाएंदोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
यही मैं सोंच रहा हूँ समीर भाई ...:-)
जवाब देंहटाएंगूगल ने खुद ही बताया है कि ब्लागस्पाट रेस्टोर करने में २०.५ घंटें लगे तो एह चिंता का विषय जरूर है. क्योंकि भविष्य में ऐसा दोबारा न होने की भी कोई गारन्टी नहीं है.
जवाब देंहटाएंपढ़ो तो मुश्किल ,न पढ़ो तो भी चैन न पड़े - ऐसे में कभी-कभी बड़ी निश्चिन्ती हो जाती है ऐसी स्थितियों से !
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ! pasand aayee baat !:-)
जवाब देंहटाएंसमीर जी कुछ नही बदलने वाला।अन्ना खुद समझदार हैं जानते ही होगें कि जिस देश को गाँधी जी रास्ते पर ना ला सके।वहाँ के कर्णधारों को कौन बदल सकता है?....इस लिये हमें तो कोई उम्मीद नही।कोई चमत्कार हो जाए तो अलग बात है।
जवाब देंहटाएंलगता है यहाँ भी ब्लॊगिग मेन्टेनेंस वाली ही बात होगी।;)
बढिया पोस्ट के लिये बधाई।
हालत हमारी भी खराब हो गई थी । मैंटेनेंस वाला मैसेज भी देख रहे थे बार बार पर दिल कहाँ मानता तसल्ली तभी हुई जब रिस्टोर हो गया । अन्ना को भी क्या खूब जोड़ा आपने यहाँ ! बहुत बढ़िया लगा पढ़कर । शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया चिंतन-मनन
जवाब देंहटाएंवैसे इस हाहाकार का हमें पता ही नहीं चला.....कभी-कभी व्यस्तता इतनी भली भी हो जाती है.:)
हा हा चीयर्स बालाओं की तर्ज पर चीयर्स ब्लागर्स अवश्य होने चाहिये, हम सोच रहा हुं हम ये काम शुरू कर दूं?:)
जवाब देंहटाएंहा हा चीयर्स बालाओं की तर्ज पर चीयर्स ब्लागर्स अवश्य होने चाहिये, हम सोच रहा हुं हम ये काम शुरू कर दूं?:)
जवाब देंहटाएंहा हा चीयर्स बालाओं की तर्ज पर चीयर्स ब्लागर्स अवश्य होने चाहिये, हम सोच रहा हुं हम ये काम शुरू कर दूं?:)
जवाब देंहटाएंपति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव अपने अनुभवों से तैयार पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में दंड संबंधी भा.दं.संहिता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव विधि आयोग में भेज रहा हूँ.जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के दुरुपयोग और उसे रोके जाने और प्रभावी बनाए जाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. अगर आपने भी अपने आस-पास देखा हो या आप या आपने अपने किसी रिश्तेदार को महिलाओं के हितों में बनाये कानूनों के दुरूपयोग पर परेशान देखकर कोई मन में इन कानून लेकर बदलाव हेतु कोई सुझाव आया हो तब आप भी बताये.
जवाब देंहटाएंbahut hi umda likhai hai aapki,,dhanyawad
जवाब देंहटाएंलगता है चियर्स बालाओं का डांस देखकर शुरू हो गया है आजकल इन्हीं का जमाना है ...बड़ा जोरदार कटाक्ष है ...आभार
जवाब देंहटाएंसमीर जी बहुत पते की बात लिखी आपने.तकनीक पर हमारी निर्भरता कुछ जरोरत से ज्यादा हो गयी है.
जवाब देंहटाएंbilkul sach bhaiya...!!
जवाब देंहटाएंwaise upendra jee ne sahi hi kaha:D
ब्लॉगजगत में सभी को परेशानी हुई उसे आपने बड़े सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! बेहद पसंद आया!
जवाब देंहटाएंइस बात से यह सीख लेना चाहिए कि किसी भी बात कि ज्यादा लत नहीं लगाना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट ... वैसे मैं उपेन्द्र जी से सहमत हूँ ... आजकल ब्लॉग्गिंग के साथ साथ फेसबुक और ट्विटर को भी काफी महत्व मिल रहा है
एक तीर से दो निशान लगाये हैं सरजी आपने। ब्लाग ठप होने से ब्लागरों की व्यथा को उजागर किया साथ ही अन्ना दादा को भी संदेश दे दिया।
जवाब देंहटाएंजवाब नही समीर भाई .. गूगल को भी लपेट लिया ...ग़लती हो गयी ब्लॉगेर को मेंटेनंस में डाल कर ...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर। कितनी सहानुभूति से ब्लॅागर व्यथा का वर्णन किया है! मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे जी आपने तो ब्लॉगरों की पूरी व्यथा कथा ही कह दी...
जवाब देंहटाएंभाई समीर जी बहुत सुंदर पोस्ट मेरे दोनों ब्लॉगों से एक एक पोस्ट गायब हो गयी एक तो वापस हो गयी ,दूसरी दुबारा पोस्ट करना पड़ा |ब्लाग पर आने के लिये आभार |
जवाब देंहटाएंkari anant hari katha ananta,
जवाब देंहटाएंko jaane bloggers ki chintaa.
udhrein ant na hoyi nibaahu,
har pal blogging karna chaahun.
Bhai Sahab,aapne hamari vyatha ko preshit kiya iske liye dhanyavaad...par duniya chalti hai, chalti rahegi...nayi raahein banengi,nayi manzilein bhi...blogging ke pahle bhi duniya basti thi...aaj bhi basti hai...kal bhi basegi...
ब्लॉग बंद हुआ था तो लगा चलो ठीक है कि कुछ देर के लिए आँखो और अंगुलियों को सुकून मिल जाएगी मगर ऐसा हुआ नही लोग दुगुनी गति से टीपियाने लगे..
जवाब देंहटाएंआपने ब्लॉग बंद होने की स्थिति पर बढ़िया प्रकाश डाला है..और रही बात अन्ना की तो अब ये मानने वाले नही ..भ्रष्टाचार तो ख़त्म कर ही रहेगा.....बढ़िया लेखन....धन्यवाद समीर जी..प्रणाम
हा..हा..हा..
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
पिंटू मामा जिस तरह से आपने यह संवादों को लिखा गया हैं काबिले तारीफ हैं .....
जवाब देंहटाएंएक प्रसंग से दुसरे प्रसंग में बड़े ही मनोहर ढंग से बुना हैं ....क्या इसी को "rambling style " कहते हैं ?
श्रीमान बहुत खूब व्यंग लिखा है .असल तीर जहाँ लगना चाहिए वहीं आपका निशाना था ..कुछ घंटों के लिए मेनटेनेन्स टाईप भ्रष्ट्राचार रुकवाना हो तो पूर्व सूचना देकर रुकवा लो..क्या बात है .
जवाब देंहटाएंइत्मिनान रखिये सर! भ्रष्टाचार ने अमृत पी रखा है. यह कालातीत है. अजर-अमर है. इसपर अन्ना हजारे रूपी ग्रहण लग सकता है, इसे परदे के पीछे जाना पड़ सकता है, नकाब के अंदर चेहरा छुपाना पड़ सकता है, इसका स्वरुप बदल सकता है. लेकिन इसका खात्मा न किसी युग में हुआ है न होगा. यही ख़त्म हो गया तो इस धरती पर बचेगा क्या. ब्लागस्पाट की तरह इसका भी मेंटेनेंस ही होता रहेगा.
जवाब देंहटाएं---देवेंद्र गौतम
अच्छा व्यंग्य ..उम्दा पोस्ट
जवाब देंहटाएंब्लॉगर व्यथा बहुत सुन्दर ठंग से उजागर किया है धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहम तो मनाय रहे थे कि कुछ और दिन ई धंसा रहे !अब जब ई ठीक हुइ गवा है तो कोई बहाना नहीं है इस पर न पधारने का !
जवाब देंहटाएंbhut hi achcha chitrran kiya aapne bloggers ki bytha ka sahi main agar aadat ke beech main byavdhaan aa jaaye to bacheni to dadh hi jaati hai.bahut satic lekh badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंplease visit my blog and leave the comments also.
मैं इस अफरातफरी से दूर था इन दिनों फिर भी फेसबुक वगैरह पर हाहाकार दिख रहा था..
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा....सही कहा...
जवाब देंहटाएंभ्रष्टटाचार अगर पूरी तरह अचानक से एकदिन ख़तम हो जाए तो शायद वह राष्टीय आपदा का सबसे बड़ा दिन होगा..
वाह,आपने भी कहाँ की कसर कहाँ निकाल दी !
जवाब देंहटाएं