सोमवार, नवंबर 03, 2008

बीबी साथ में है फिर कैसा!!!!!!!!

आज शाम भर सोचता रहा कि किस रस में रचना लिखूँ. विचार कई उठे और खारिज होते गये. अधिकतर क्या लगभग सभी का कारण था कि बीबी साथ में है.

देखिये, सोचा विरह गीत लिखूँ मगर कैसे-बीबी साथ में है फिर कैसा विरह और किसका विरह. अतः खारिज.

फिर विचार बना कि वीर रस-मगर फिर वही, बीबी साथ में है तो काहे के वीर. बीबी के सामने तो अच्छे अच्छे पीर तक वीर नहीं हो पाये तो हम क्या होंगे. अतः खारिज.

अब सोचा, प्रेम गीत-मगर बीबी साथ में है. मियां बीबी मे प्रेम तो एक अनुभुति है, एक दिव्य अहसास है, एक साझा है-प्रेम तो इसका एक अंग है और एक अंग पर क्या लिखना. लिखो तो संपूर्ण लिखो वरना खारिज. अतः खारिज.

फिर रहा श्रृंगार रस तो बीबी साथ में है और वो चमेली का तेल लगाती नहीं फिर कैसे होगा पूर्ण श्रृंगार. अपूर्ण पर क्या रचूँ. अतः यह भी खारिज.

बच रहा हास्य रस- तो बीबी साथ हो या न हो. मगर यहाँ ब्लॉग पर हंसना मना है. यह हा हा ठी ठी ठीक नहीं वो भी जब बीबी साथ में हो तो गंभीर रहने की सलाह है. अतः खारिज.

अब क्या करुँ. कई विचारों के बाद नये रस ’टेंशन रस’ की रचना बन पाई यानि किसी भी चीज से बेवजह परेशान. ऐसा होगा तो फिर क्या होगा. वैसा होगा तो फिर क्या होगा. इस तरह की फोकट टेंशन में जीने वाले बहुत से हैं. इस तरह जीना भी एक कला ही कहलाई और जो जिये, वो कलाकार. तो ऐसे सभी कलकारों को प्रणाम करते हुए सादर समर्पित:




चाँद गर रुसवा हो जाये तो फिर क्या होगा
रात थक कर सो जाये तो फिर क्या होगा.

यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँ
आँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा.

यों तो मिल कर रहता हूँ सबके साथ में
नफरत अगर कोई बो जाये तो फिर क्या होगा.

कहने मैं निकला हूँ हाल ए दिल अपना
अल्फाज़ कहीं खो जाये तो फिर क्या होगा.

किस्मत की लकीरें हैं हाथों में जो अपने
आंसू उन्हें धो जाये तो फिर क्या होगा.

बहुत अरमां से बनाया था आशियां अपना
बंट टुकड़े में दो जाये तो फिर क्या होगा.

ये उड़ के चला तो है घर जाने को ’समीर;
हवा ये पश्चिम को जाये तो फिर क्या होगा.


-समीर लाल ’समीर’

87 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी11/03/2008 09:56:00 pm

    Ahem Ahem!

    Madam sath mein hain to aapne itna soch liya warna kuch bhi nahi likh pate...so credit goes to her :-)

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अरमां से बनाया था आशियां अपना
    बंट टुकड़े में दो जाये तो फिर क्या होगा.

    बहोत ही सुदर रचना है समीर जी ....बहोत खूब .. आपके लहजे में मज़ा आगया बहोत उम्दा ...

    अर्श

    जवाब देंहटाएं
  3. सच में आप बहुत भाग्यवान हैं। क्योंकि हर अहसास आपके साथ हैं।
    यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँ
    आँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा.
    बहुत उम्दा।

    जवाब देंहटाएं
  4. चाँद के रुसवा होने की परवा न करो
    रात के थक कर सोने की परवा न करो
    टेंशन रस की रचनाओं से हिन्दी को बढ़ाते रहो
    बीबी के साथ होने की परवा न करो

    जवाब देंहटाएं
  5. क्या केने क्या केने। पर सच्ची बताइये कि विरह गीत सिर्फ बीबी के लिए लिखे जाते हैं क्या।

    जवाब देंहटाएं
  6. कुछ लोग इतना टेंशन पाल लेते हैं कि बगैर टेंशन के जी ही नही सकते. टेंशन में जीना भी वास्तव में एक कला ही है.
    आपके स्केच में चेहरा होरीज़ेंटल से वर्टिकल हो गया. "फिर क्या होगा" का टेंशन झलक रहा है. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. कहने मैं निकला हूँ हाल ए दिल अपना
    अल्फाज़ कहीं खो जाये तो फिर क्या होगा.


    सच में बड़े दिल से आपने अरमान निकाले ..:) बहुत बढ़िया लिख डाला आपने .

    जवाब देंहटाएं
  8. समीर जी पत्नी के साथ आप "लाचार रस" में कोई कविता या रचना लिख सकते थे...ये सबसे सुरक्षित रस है जिसमें किसी की पत्नी को कभी कोई एतराज नहीं होता....ग़ज़ल आप की "सुभान-अल्लाह" है....तो फ़िर एक और ग़ज़ल की बिस्मिल्लाह कीजिये ना.
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  9. रहने दो श्रृंगार रस नहीं रस वीर,
    गज़ब की शायरी और अजब तस्वीर

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत अच्छी टैंशन पाइ भैया कि बीवी के साथ होते हवा पानी की बात कर पाये..नहीं तो नून तैल लकङी.....

    जवाब देंहटाएं
  11. सच्ची सच्ची कमेन्ट दूँ या बाकी सभी की तरह? चलिए अपनी ही कहता हूँ.

    बाकी पोस्ट मजेदार है पर मुझे लगता है इस गीत में आप उन स्थितियों की जबरन कल्पना कर रहे हैं जिनके बारे में निश्चिंत हैं कि ऐसा आपके साथ कभी होने वाला नहीं. तो कल्पना में ही इस भावुक कातरता का "आनंद" ले रहे हैं और यही इसे अगंभीर और सतही बना रहा है.

    जवाब देंहटाएं
  12. भेज रहा हूँ टिप्पणी, प्रकाशित न हुई तो क्या होगा.

    वैसे बीवी साथ हो तो प्रेमरस की कविता कैसे लिखी जा सकती है? वह तो ता लिखी जाती है जब वो साथ में हो...आपने कारण सही नहीं दिया था, उसे ठीक किया गया है :)

    जवाब देंहटाएं
  13. अत: निष्कर्ष यह निकलता है कि बीवी साथ में है तभी इतना लिख पा रहे हैं :)

    जवाब देंहटाएं
  14. किस्मत की लकीरें हैं हाथों में जो अपने
    आंसू उन्हें धो जाये तो फिर क्या होगा.

    बहुत लाजवाब गजल !

    पर देखा गुरुदेव , ये है गुरु-माई के साथ का असर जो इतनी लाजवाब रचना लिख दी आपने ! शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  15. सही है जी बीवी के साथ अगर कोई रस पैदा होता है तो वो टेंशन रस ही है , आपने इस रस के साथ ये नही लिखा कि " बीवी साथ में है" यानी भाभी जी का डर कहीं न कहीं किसी कोने में है जरूर

    जवाब देंहटाएं
  16. सही है जी बीवी के साथ अगर कोई रस पैदा होता है तो वो टेंशन रस ही है , आपने इस रस के साथ ये नही लिखा कि " बीवी साथ में है" यानी भाभी जी का डर कहीं न कहीं किसी कोने में है जरूर

    जवाब देंहटाएं
  17. बेनामी11/04/2008 12:58:00 am

    मैं भी यही सोचूं कि आंटी साथ मे हैं तो आपने इतना लिखने की हिम्मत कैसे करली :)

    जवाब देंहटाएं
  18. फिर विचार बना कि वीर रस-मगर फिर वही, बीबी साथ में है तो काहे के वीर.
    चलिए कोई तो आपके साथ hai

    जवाब देंहटाएं
  19. बेनामी11/04/2008 01:26:00 am

    सभी शेर दिल को छूने वाले है :-
    रात थक कर सो जाए तो फ़िर क्या होगा

    बहुत अरमाँ से बनाया था आशियाँ अपना
    बँट टुकड़े में दो जाए तो फ़िर क्या होगा

    जवाब देंहटाएं
  20. 'टेंशन रस' बहुत खूब !

    सुना है की आजकल 'टेंशन रस' और 'बीबी रस' एक दुसरे के लिए इस्तेमाल होते हैं. मैंने तो बस सुना है ज्यादा तो शादी-सुदा लोग ही बताएँगे :-)

    जवाब देंहटाएं
  21. :-) :-) "देखिये, सोचा विरह गीत लिखूँ मगर कैसे-बीबी साथ में है फिर कैसा विरह और किसका विरह. अतः खारिज." bahut khoob sir aapka naya izaad kiya hua "’टेंशन रस’ " bahut acha laga :-)


    New Post :
    खो देना चहती हूँ तुम्हें.. Feel the words

    जवाब देंहटाएं
  22. इतना सोचने के बाद .....आपने ये गजल ठेली है समीर भाई......हमें उम्मीद है आप कुछ करुणा रस ठेलोगे या फ़िर कोई पीडित पक्ष रखोगे या शिकायतों का पिटारा .....खैर आपका ये शेर पसंद आया



    ये उड़ के चला तो है घर जाने को ’समीर;
    हवा ये पश्चिम को जाये तो फिर क्या होगा.

    जवाब देंहटाएं
  23. sir jee kis chand kee bat hai shuru shuru me , aapne to confuse kar diya
    narayan narayan

    जवाब देंहटाएं
  24. भाभीजी से अनुमति‍ मि‍ल गई और आपने उसे लि‍खकर पोस्‍ट भी कर दि‍या, भई वाह......
    बहुत हि‍म्‍मत वाले हैं समीर जी...........

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत अरमां से बनाया था आशियां अपना
    बंट टुकड़े में दो जाये तो फिर क्या होगा.

    ये उड़ के चला तो है घर जाने को ’समीर;
    हवा ये पश्चिम को जाये तो फिर क्या होगा.

    khoob likha hai...bhabhi ji saath mein hi rahe to behtar hai.

    जवाब देंहटाएं
  26. फिर विचार बना कि वीर रस-मगर फिर वही, बीबी साथ में है तो काहे के वीर. बीबी के सामने तो अच्छे अच्छे पीर तक वीर नहीं हो पाये तो हम क्या होंगे. अतः खारिज.

    कमाल की रचना ! आप तो सबको चश्मा दिखा रहे हो ! :)

    जवाब देंहटाएं
  27. बेनामी11/04/2008 04:38:00 am

    धन्‍य है आप

    जवाब देंहटाएं
  28. बेनामी11/04/2008 04:52:00 am

    वाह-२, टेन्शन रस, क्या बात है समीर जी!! :D

    वैसे आपको टैग किया है मैंने, अपनी पढ़ी पुस्तकों में से कोई पाँच कथन उद्धृत करने हैं, यहाँ देखिए:
    http://hindi.amitgupta.in/2008/11/04/read-and-remember/

    और जल्द ही लिखिए! :)

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत खूब, आज इतनी सी टिप्पणी से ही काम चलाईये क्योंकि टिप्पणी देते वक्त बीबी साथ में है...

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत खूब, आज इतनी सी टिप्पणी से ही काम चलाईये क्योंकि टिप्पणी देते वक्त बीबी साथ में है...

    जवाब देंहटाएं
  31. पत्नी का डर
    सबसे बढ़कर !

    आज बचाए
    कल पिटवाए!

    जो सोचों
    वो हो न पाए !

    तब न बच पाए
    अब बीबी से कौन बचाए!


    हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा

    लगातार खतरे ले रहे हैं समीर जी!!!!!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  32. सोचा विरह गीत लिखूँ मगर कैसे-बीबी साथ में है फिर कैसा विरह और किसका विरह. अतः खारिज.

    वैसे मैं आपकी इस बात से इत्‍तेफाक नहीं रखता। विरह रस की रचना बीबी पर। मैंने तो आजतक नहीं सुना। आपने सुना हो तो जरूर बताइएगा।

    जवाब देंहटाएं
  33. बहुत अरमां से बनाया था आशियां अपना
    बंट टुकड़े में दो जाये तो फिर क्या होगा.

    Main aur meri tanhai ye baatein karte hain.

    जवाब देंहटाएं
  34. सारी कायनात भी रूठ जाये तो गम नहीं,
    बीवी अगर रुसवा हो जाये तो क्या होगा।

    जवाब देंहटाएं
  35. वाह वाह!

    टेंशन रस....अद्भुत. एक दम्मे ठीक.

    ये अच्छा था टेंशन रस पर लिख डाला
    लाफ्टर रस ले गले मिलें फिर क्या होगा

    हँस-हँस कर हम पढ़ते जाएँ, तो बढ़िया
    टेंशन रस में शाम ढले फिर क्या होगा

    जवाब देंहटाएं
  36. यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँ
    आँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा.

    यों तो मिल कर रहता हूँ सबके साथ में
    नफरत अगर कोई बो जाये तो फिर क्या होगा.
    बहुत सुंदर भावः के साथ बढ़िया रचना .

    जवाब देंहटाएं
  37. muze lagta hai ki Bibi ke saath hone ki wajah se hi aapaki kalam kamaal dhhaa rahi hai|...varna aap ko itani prerana kaise milati?

    जवाब देंहटाएं
  38. ये उड़ के चला तो है घर जाने को ’समीर;
    हवा ये पश्चिम को जाये तो फिर क्या होगा.

    सुभान अल्ला

    क्या बात है समीर भाई, भाभी का नाम ले कर
    क्या क्या लिख डाला

    पड़ कर मजा आ गया

    जवाब देंहटाएं
  39. वाह वाह ! मन को छू लिया इस अंदाजे बयाँ ने !

    जवाब देंहटाएं
  40. फिक्र न करें। आपकी जीवन्तता के साथ साथ चलेगी हवा - जहां जहां आप जाना चाहेंगे।
    और आप जैसे दरियादिल के लिये तो सारा जहान ही घर है।
    और श्रीमती लाल के साथ तो सभी रसों का रैनबो है। बस टेंशन रस नहीं है।
    मस्त रहिये।

    जवाब देंहटाएं
  41. உடன்த்ஷ்ற்றி
    . अब तो मैंने अपने पाठ्यक्रम में उड़नतश्तरी विषय के रूप में चुन लिया है आपकी ग़ज़ल अच्छी लगी . आपको किसी ने सुझाव दिया था की कविता पर ध्यान न दे ,आप तो स्थापित कवि हो गए है
    कहने मैं निकला हूँ हाल ए दिल अपना
    अल्फाज़ कहीं खो जाये तो फिर क्या होगा.

    जवाब देंहटाएं
  42. बीवी संग तो रस नीरस से, कलम उठातई पीर घनेरी
    किस रस भिगो करुँ कविताई,कवि के सनमुख सांझ घनेरी
    वाह हजूर ये एकनिष्ठता का सर्टिफिकेट काहे जारी
    कर रए हो भई....?
    इधर सारे लोग जानते हैं आपकी प्रभुताई की कथा
    वो नेपियर टाऊन का होम साइंस कालेज
    आपकी उस गली में निरंतर लगती गश्त
    ये पोस्ट पडा दूँ आपके समकालीनों को
    वे साक्ष्य सहित देगें टिप्पणियों में तथ्य
    "बेहतरीन पोस्ट के लिए आदर सहित आभार बधाइयां "

    जवाब देंहटाएं
  43. हाय रे...क्या रस निकाला है सरकार आपने और गज़ल तो माशाल्लाह है
    तेरे पोस्ट को पढ़ टिप्पणी करूँ जो मैं
    एक गज़ल हो जाये तो फिर क्या होगा

    जवाब देंहटाएं
  44. अरे भाई, जो होगा देखा जायेगा काहे का टेंशन!

    जवाब देंहटाएं
  45. आहा ! क्या बात है ! बड्डे बस बस कुछ नहीं बोलता, नहीं तो आज ज़रूर आपको मेरी नज़र लगेगी. क्या सहजता है यार मेरे सीनियर पार्टनर में. मान गए. लेकिन इस सुंदर ग़ज़ल में सबसे शानदार पार्ट उसका मक्ता है, याने आख़री शेर. बहुत गहरा बहुत ऊँचा. लाल तुसी ग्रेट हो.

    जवाब देंहटाएं
  46. आप का कहने का मतलब बीबी एक टेंशन होती है??? आओ हमरे यहां सभी आप की पोस्टे हम उन्हे पढवाते है... फ़िर लिखना सुंदर सुंदर कविता.
    धन्यवाद
    मजा आ गया आप की कविता ओर लेख पढ कर

    जवाब देंहटाएं
  47. बेनामी11/04/2008 11:37:00 am

    shayaad vhi hota jo manjoore bibi hota

    जवाब देंहटाएं
  48. अब सोचा, प्रेम गीत-मगर बीबी साथ में है. मियां बीबी मे प्रेम तो एक अनुभुति है, एक दिव्य अहसास है, एक साझा है-प्रेम तो इसका एक अंग है और एक अंग पर क्या लिखना...

    sahi or gahri bat.

    जवाब देंहटाएं
  49. वाह वाह
    पर हमें लगता है कि वो दिन विरह के लिए डूब मरने का होगा जब बीबी पर विरह के गीत लिखने की नौबत आ जाए।

    जवाब देंहटाएं
  50. 51वी टिप्पणी--बहुत उम्दा ...

    जवाब देंहटाएं
  51. बेनामी11/04/2008 12:31:00 pm

    "बीबी साथ में है" कई बार प्रयोग हुआ लेकिन कवि यह नहीं बता रहा है किसकी बीबी साथ में है? इसी से टेंशन रस की सृष्टि हुई क्या?

    जवाब देंहटाएं
  52. अजी चाँद गर थक सो जाये तो क्या है
    समीर बही और गज़ल उभरी ये हुआ !!
    स स्नेह,
    - लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  53. टेंशन-रसपान करने के बाद इतनी उम्‍दा बात सामने आती है तो एक कवि‍ हमेशा टेंशन में ही कवि‍ता लि‍खा करे :)
    चाँद गर रुसवा हो जाये तो फिर क्या होगा
    रात थक कर सो जाये तो फिर क्या होगा.

    यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँ
    आँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा.

    जवाब देंहटाएं
  54. ये उड़ के चला तो है घर जाने को ’समीर;
    हवा ये पश्चिम को जाये तो फिर क्या होगा.

    .......आप तो कहीं न जायें...पूरब के हैं पूरब की तरफ़ आइये..."नवम्बर" तो चल ही रहा है..टिकट विकट हो गया कि नहीं..! अब भाभी के संगत में कोई राग गाया नहीं गया तो ....यही सही.

    जवाब देंहटाएं
  55. :) आपको पढकर बस मुस्करा देते हैं...

    बस सोचते रह जाते है कि आपकी
    लेखनी में और क्या क्या छिपा होगा !!!!!

    जवाब देंहटाएं
  56. समीरजी, टेंशन देना भी एक कला है.....और इस कला में बीवीयां पारंगत होती हैं ये आज फिर साबित हो गया....वरना आप को ये गद्य लेख से सीधे गजल पर जाने की नौबत न आती :) अच्छी पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  57. मैं भी यही सोचता रहता हूँ bhai अक्सर ,
    समीर जी न हों तो टिप्पणीकारों का क्या होगा !!
    यूँ ही खाली-पीली रसों की छानबीन करते हो,
    लिखये जाओ,रस ख़ुद समझेंगे,उनका क्या होगा !!

    जवाब देंहटाएं
  58. गीत भी सुंदर ....भूमिका ज्यादा सुंदर....

    जवाब देंहटाएं
  59. समीर भाई, टेंशन लेने का नहीं, देने का। लगे रहो और देते रहो हिंदी पाठकों को टेंशन की आज समीर भाई क्‍या लिखेंगे। कब ब्‍लॉग पर आएगी रचना और कब पढ़ेंगे हम। कब टिप्‍पणी देंगे...कितने लोग टिप्‍पणी देंगे। मेरी टिप्‍पणी पहली होगी या लास्‍ट। बस टेंशन ही टेंशन..................।

    जवाब देंहटाएं
  60. "यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँ
    आँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा"

    बहुत बढीया लगा ईस कविता को याद कर के कभी फीर कहीं घूमने जाऊंगा तो वहां सूनाऊंगा।
    और बाद मे कहूंगा की मैने बनाया है :)

    बीबी का डर :)
    आप तो बहुत घूमते हैं :) -> कहता ही रहूं।

    जवाब देंहटाएं
  61. कहने मैं निकला हूँ हाल ए दिल अपना
    अल्फाज़ कहीं खो जाये तो फिर क्या होगा.

    " ek ek sher or alfaj bhut sdhe hue or sunder, pr ek baat smej nahee aaye.... Madam sath hai to prem ras bhee nahee, veer ras bhee nahee...vireh ras bhee nahee, fir ye kambakht tension ras beech mey khan se aa gyaa ?????????????? ha ha ha ha unhone pdhee kya jinke sath ne iss rachna ko jam diya ha ha ha ... " very good composition .."

    Regards

    जवाब देंहटाएं
  62. aap tansaniyaa ke bhee kamaal likhte hain, aap jaroor antrish ke hee prani hain par bibi to mujhe bhaartiya lagtee hai .

    जवाब देंहटाएं
  63. अभी तो मैं जवान हूँ [via ई-पंडित /रफ़्तार कमेन्ट]

    जवाब देंहटाएं
  64. बहुत ही बढ़िया लिखते हैं आप।

    जवाब देंहटाएं
  65. ------------------------------------
    देखिये, सोचा विरह गीत लिखूँ मगर कैसे-बीबी साथ में है फिर कैसा विरह और किसका विरह. अतः खारिज.
    --------------------------
    देखिये, सोचा टिप्पणी लिखूँ मगर कैसे ?
    69 टिप्पणीकार आपके साथ हैं, फिर कैसा विरह और किसका विरह. अतः खारिज.
    --------------------

    जवाब देंहटाएं
  66. tension ras!ye bhi nayee khoj hai--lekin ye thodi jyadati hai Sameer ji!---:) --

    aur ye --panktiyan--
    ये उड़ के चला तो है घर जाने को ’समीर;
    हवा ये पश्चिम को जाये तो फिर क्या होगा.-

    kya soch rahe hain????..'tension ras' mein hawa ke ruukh par to doubts na karen ....

    [:D--chaleeye..mazaak ek taraf kiya---]

    achchee ghazal hai...pasand aayee.

    जवाब देंहटाएं
  67. mere shabd sab fanaa ho jaye aapki is gazal par ....

    kuch baat hothon se na khe ehsaason se samjha duin to kya hoga?

    जवाब देंहटाएं
  68. समीर जी आपकी ये पेशकश भी पसंद आई।

    जवाब देंहटाएं
  69. वाह समीर जी वाह! आपने बीबी को जरिया भर बनाया लेकिन जो आप मतलब जिस रस पर लिखना चाहते थे वो तो आपने कविता में लिख ही दिया है। आपको पहले मैं इतना उच्च कोटी का कवि नहीं मानता था पर आज से मानने लगा हूं। कमाल कर दिया आपने। बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  70. ऎ समीर भाई, कल से तीसरा चक्कर है चमेली के तेल तक जाकर हँसी आजाती है, आगे लिख दिया आपने कि हँसना, मना है.. सो इस बार आप मेरी टिप्पणी को तरसो, मेरी कोई गलती नहीं है.. आप की अदा ही निराली है, इस उम्र में भी ...

    जवाब देंहटाएं
  71. आप बजा फरमाते हैं जनाब।

    जवाब देंहटाएं
  72. सुंदर रचना सर. अद्भुत. अति सुदर.

    जवाब देंहटाएं
  73. ये उड़ के चला तो है घर जाने को ’समीर;
    हवा ये पश्चिम को जाये तो फिर क्या होगा.

    wah sir

    जवाब देंहटाएं
  74. पर बताइए तो सही कि इतने दिनों तक लिखे गए हर रस के इतने सारे पोस्‍टों में किसका साथ मिला था ?

    जवाब देंहटाएं
  75. ’टेंशन रस’ की रचना .....:)bahut khoob hai...

    जवाब देंहटाएं
  76. अब पता चला कि आप तो अच्छे-खासे असमंजस में चल रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  77. बीबी साथ में है को पढ़कर मेरी एक पुरानी कविता पेश है (माफीनामे के साथ) -

    प्रिया तुम पास नहीं हो

    फूल आई कचनार
    प्रिया तुम पास नहीं हो
    रातें हुईं पहार
    प्रिय तुम पास नहीं हो

    सूख गई मन की चिकनाई
    गुजरी रात भोर हो आई
    बिसर गई मनुहार
    प्रिया तुम पास नहीं हो

    लगते घर के कमरे खाली
    ज्यों शरबत की चटकी प्याली
    सूना सब संसार
    प्रिया तुम पास नहीं हो

    मेरा हाल हुआ है ऐसे
    बिना नमक की दाल हो जैसे
    घर में नहीं अचार
    प्रिया तुम पास नहीं हो

    मुँह उठाए फिरता हूँ ऐसे
    बिना धनी की भैंस हो जैसे
    पूंछ उठाए - खूंटा तोड़े भरती है हुंकार
    प्रिया तुम पास नहीं हो

    खा-पीकर फिर मौज मनाई
    निंदा-रस की चाट उड़ाई
    अपनी खातिर माथा कूटा
    पर-स्वारथ को मैल न छूटा
    ज़िंदगानी दिन-रात खरचकर
    महिने की हुई पगार
    प्रिया तुम पास नहीं हो

    सादर
    आत्माराम

    जवाब देंहटाएं
  78. भाई जी. जब हमारे साथ यह समस्या हुई थी तो शब्द ऐसे आये
    तुमने मुझसे कहा, लिखूँ मैं गीत तुम्हारी यादों वाले
    तुमने मुझसे कहा, लिखूँ मैं गीत तुम्हारी यादों वाले
    लेकिन मन कहता है मुझको याद तुम्हारी तनिक न आये

    याद करूँ मैं क्योंकर बोलो तीन पौंड का भारी बेलन
    जो रोजाना करता रहता था,मेरे सर से सम्मेलन
    तवा कढ़ाही, चिमटा झाड़ू से शोभित वे हाथ तुम्हारे
    रहें दूर ही मुझसे,नित मैं करता आया नम्र निवेदन

    छुटकारा पाया है जिसने टपक रहे छप्पर से कल ही
    उससे तुम आशा करती हो, सावन को फिर पास बुलाये

    याद करूँ मैं, चाल तुम्हारी, जैसे डीजल का ड्रम लुढ़के
    या मुझसे वह बातें करना, जैसे कोई बन्दर घुड़के
    रात अमावस वाली कर लूँ, मैं दोपहरी में आमंत्रित
    न बाबा न नहीं देखना उन राहों पर पीछे मुड़के

    छालों से पीड़ित जिव्हा को आज जरा मधुपर्क मिला है
    और तुम्हारा ये कहना है फिर से तीखी मिर्च चबाये

    याद करूं मैं शोर एक सौ दस डैसिबिल वाले स्वर का
    जिससे गूंजा करता कोना कोना मेरे मन अम्बर का
    नित जो दलती रहीं मूंग तुम बिन नागा मेरे सीने पर
    और भॄकुटि वह तनी हुई जो कारण थी मेरे हर डर का

    साथ तुम्हारे जो भी बीता एक एक दिन युग जैसा था
    ईश्वर मुझको ऐसा कोई दोबारा न दिन दिखलाये

    तुमने कहा लिखो, पर मैं क्यों भरे हुए ज़ख्मों को छेड़ूँ
    बैठे ठाले रेशम वाला कुर्ता मैं किसलिये उधेड़ूँ
    जैसे तैसे छुटकारा पाया प्रताड़ना से , तुम देतीं
    और तुम्हारी ये चाहत है, मैं खुद अपने कान उमेड़ूँ

    हे करुणानिधान परमेश्वर, मेरी यह विनती स्वीकारो
    भूले भटके सपना भी अब मुझे तुम्हारा कभी न आये.

    जवाब देंहटाएं
  79. "बीबी साथ में है फ़िर कैसा !!!" की प्रस्तावना
    में भी आनंद आया.. ग़ज़ल में भी ..

    प्रस्तावना पढने में जरूर हलकी फुलकी है,
    परन्तु सोचने पर गंभीर है, सहधर्मिणी यदि
    साथ हो तो शायद फ़िर किसी तीसरे की
    आवश्यकता नही होती, चाहे हम जर्मनी
    की यात्रा करें या फ़िर कितने ही
    अडवांस देशों की. ( अच्छा है )
    ग़ज़ल सुंदर है , नयापन झलकता है.
    आख़िर में ये भी है :-
    गर छोड़ के दुनियादारी के झमेलों को
    टेंशन फ़्री हो जायें तो फ़िर क्या होगा
    आपका
    विजय तिवारी ' किसलय '
    जबलपुर

    जवाब देंहटाएं
  80. बहुत अरमां से बनाया था आशियां अपना
    बंट टुकड़े में दो जाये तो फिर क्या होगा.
    अत्यधिक सुन्दर रचना है.
    मीना अग्रवाल

    जवाब देंहटाएं
  81. बेनामी11/08/2008 10:12:00 pm

    किस्मत की लकीरें हैं हाथों में जो अपने
    आंसू उन्हें धो जाये तो फिर क्या होगा.

    बहुत अरमां से बनाया था आशियां अपना
    बंट टुकड़े में दो जाये तो फिर क्या होगा.
    bahut achhe lage ye sher

    जवाब देंहटाएं
  82. हर पंक्ति बहुत ही सुन्दर है किसकी तारीफ़ की जाये किसकी नहीं... रोज़ ही मन में नये-नये भाव आयें और हमें दिखायें... लिखते रहिये...

    जवाब देंहटाएं
  83. बेहद खूबसूरत रचना समीर जी। पहले तो शुर में हंसा जी खोल के लेकिन बाद में सब हंसी गायब और मन के अंदर सन्नाटा.....

    जवाब देंहटाएं
  84. वाह भाई जान वाह किस-किस शेर की तारीफ करूं

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.