आम शिकायत: समीर जी टिप्पणी में बस इतना सा लिख कर निकल जाते हैं-अच्छा है!! बहुत खूब!! बधाई!! जारी रहें!! शाबास!! बेहतरीन!! सटीक!!
उदाहरण -१
सड़क पर बिखरा
लाल रंग
-कहीं किसी नादान का
खूँ तो नहीं!!
अब इस पर क्या टिप्पणी करें सिवाय यह कहने कि-मार्मिक!!
क्या चाहते हो कि इस कविता पर ऐसी टिप्पणी लिखने लगें-
आपकी कविता पढ़ी. गीता पर हाथ रख कर कसम खाता हूँ कि पढ़ ली है, तब टिप्पणी करने निकला हूँ. उम्मीद है आपने जीवन में खून कई बार देखा होगा और सिन्दुर भी. फिर क्या वजह है कि आप पहचान नहीं पा रहे कि यह रंग जो बिखरा हुआ है, वह खून है कि नहीं. वैसे इसे और अद्भुत काव्य बनाने के लिए आप कह सकते थे कि
इसे किसी का खून न कहो,
यह तो किसी के माथे का
सिन्दुर बिखरा है.
बात गहरी हो जाती. यानि एक आदमी मरा और उसकी बीबी के माथे का सिन्दुर बिखर गया.
कोई खून खराबा हुआ होता तो हादसे की जगह के आसपास भीड़ दिखाई देती. देर से ही सही, पुलिस भी आती. साथ ही खूँ (खून लिखने का साहित्यिक तरीका) देखकर यह पता कर लेना कि यह किसी नादान का है या बदमाश का, माफ करियेगा मित्र-अभी विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की है. मैं आपकी इस शब्द के इस्तेमाल पर भर्त्सना करता हूँ तथा अपना मतभेद दर्ज कराता हूँ.
साथ ही मुझे तो लगता है आपको दृष्टि दोष है. साथी ब्लॉगिया होने के नाते मैं इसे अपना फर्ज समझता हूँ कि आपको किसी अच्छे नेत्र चिकित्सक को दिखलाने की सलाह दूँ. एक बार दृष्टि पर काबू कर लें, फिर कलम काबू में लेने का पुनः प्रयास करें, सहायता मिलेगी. मेरी बातों को अन्यथा न लें, बस सलाह मात्र है.
आपका पाठक एवं टिप्पणीकर्ता: समीर लाल. साथ ही एक नोट: कृप्या ध्यान दें कि यह टिप्पणी मैने बिना पलट टिप्पणी पाने की चाह से की है. कृप्या इसके बदले में मुझे टिप्पणी न करें और न ही इसे मेरा विज्ञापन माने.
*******************
उदाहरण -२
या फिर किसी ने यू ट्यूब पर गीत पेश किया:
फिल्म परदेश का-जरा तस्वीर से तू, निकल कर सामने आ!!
हम क्या कह सकते हैं सिवाय इसके कि सुन्दर गीत या अच्छा लगा सुनकर!!
आपके कहे पर चलें तो कुछ यूँ शुरु हो जायें:
आपने यह गीत फिल्म परदेश का चुना है, उसे पहले भी मैं कई बार सुन चुका हूँ. तीन बार यह फिल्म देखी है. यह गीत मुझे बहुत पसंद है. हमारी आपकी पसंद कितनी मिलती है, सेम पिन्च!!
वैसे अगर आप गीत के साथ इसके संगीतकार, रचयिता और कोरियोग्राफर का नाम भी देती तो आनन्द दूना हो जाता, जानना तो मैं यह भी चाहता था कि तबला किसने बजाया है और ज्ञान में इजाफा भी होता जिसके लिए हम ब्लॉग पर आते हैं. अगर इसके नोट्स मिल जाते तो मैं की बोर्ड पर बजा कर देख लेता जैसे मैने कोशिश की है:
Notes:
s r2 g2 m1 p d1 n3 S
Kisi Roz Tumse Mulakat Hogi
p.s g r s r p.n.r s n.s
G.C D# D C D G.B.D C B.C
Meri Jaan Us Din Mere Saath Hogi
p.s g r s r p.n. r s n.s
G.C D# D C D G.B. D C B.C
आदि आदि. की बोर्ड सीखने के उत्साही ब्लॉगरों का भी भला हो जाता.
एक बात पर बहुत दुखी हूँ कि आपने संपूर्ण महिला समाज को नजर अंदाज करने वाले इस गीत का चुनाव किया-देखिये बीच गीत में एक जगह गुब्बारे उड़ाये जाते हैं मगर उसमें महिलाओं को प्रतिनिधित्व करता गुलाबी रंग का एक भी गुब्बारा नहीं है. नारियों को इस तरह नजर अंदाज करना कतई भी उचित नहीं है और मैं नारी संगठन की ओर से इसका पुरजोर विरोध करता हूँ एवं गाने में नायिका को घूंघट में दिखाया गया है जो कि इस नरवादी समाज द्वारा नारी की स्वतंत्रता पर सीधा वार है और नारी पर की जा रही पुरुष समाज की प्रतारणा का जीता जागता नमूना. आखिर शाहरुख खान का मूँह क्यूँ नहीं ढका गया सिर्फ इसलिये कि वो पुरुष है और महिमा चौधरी नारी. आपको जबाब देना होगा कि आखिर आपने यह गीत किस उद्देश्य से चुना.
साथ ही आपने हिन्दी का अपमान करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है-गीत के बीचों बीच:
O Blood Dy Dy Dy
O Blood Da Da Da
O Blood Du Du Du
We Love You...
यह आपका विदेशी भाषा प्रेम नहीं तो क्या है. आज आपके इस चयन से हिन्दी अपमानित हुई है. हिन्दी सुबक रही है. हम चुप नहीं बैठेंगे. हम हिन्दी को उसका अधिकार दिलवा कर रहेंगे. आंदोलन करेंगे. मैं आज इस मंच से आपके सामने खुला प्रश्न रखता हूँ कि क्या आपको ऐसा कोई गीत नहीं मिला जो पूरा शुद्ध हिन्दी में हो??
दीगर इन ऐतराजों के, मैं आपको साधुवाद कहने से भी गुरेज नहीं करुँगा कि आज जब हर तरफ संप्रदायिक्ता की आग भड़की हुई है, ऐसे वक्त में शाहरुख खान(मुसलमान) और महिमा चौधरी(हिन्दु) की प्रेम कहानी हिन्दु मुसलमान के परस्पर प्यार का सुन्दर संदेश देती है. उनका प्यार देख आँख नम हुई जाती है. यह गीत सचमुच संप्रदायिक सदभावना के लिए प्रेरित करता है.
और भी अन्य बातें हैं टिप्पणी में लिखने को, वो फिर कभी. न तो यह मेरा विज्ञापन है और न ही इसे पढ़कर आगे से आप मेरे ब्लॉग पर आने वाली हैं. अतः टिप्पणीधर्मिता पर यह टिप्पणी खरी उतरेगी.
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अब बताईये क्या करुँ-रोज सुन सुन कर कान पक गये-समीर जी टिप्पणी में बस इतना सा लिख कर निकल जाते हैं-अच्छा है!! बहुत खूब!! बधाई!! जारी रहें!! शाबास!! बेहतरीन!! सटीक!!
निकल जाते हैं तो ठीक हैं निकल जायें. कम से कम खबर तो दे जाते हैं कि आये थे. आपका तो पता ही नहीं चल पाता कि आये थे. कितना धीरे से निकलते हो यार!! क्या चाल पाई है कि तनिक भी आवाज नहीं!! वाह!! आशिकों के गली के वाशिंदे दिखते हो.
मैं तो ऐसे शिकायतपीरों को भी जानता हूँ-जिनके सामने से चुपचाप निकल जाओ तो कहते हैं बहुत घमंड है, नमस्ते तक नहीं करता. नमस्ते करो तो कहते हैं पैर नहीं छूता. पैर छू लो तो हाल नहीं पूछा. हाल पूछो तो घर वालों का हाल नहीं पूछा-हद है यार!! मन तो करता है कि वहीं खटिया डाल कर बैठ जाऊँ और तब तक बात करता रहूँ, जब तक अगला ही चट कर न चला जाये. फिर दूसरे को साधूं.
खुद कुछ करना नहीं, न हिलना न डुलना और न किसी के यहाँ जाना...दूसरा करे तो परेशानी कि पेड़ की डाली पर टंगे नजर आते हैं, फलानें के साथ गुटुरगूं करते हैं, आँख मींचे हैं, पढ़ते नहीं यूँ ही बिना नजर मिलाये नमस्ते कर गये, काव्य गोष्टी के संस्कार यहाँ ले आये..जबकि यह तो मंदिर है, भजन में वाह वाह थोड़े न होती है, चश्मा लगाये हैं, सफेद शर्ट पहन ली, फुल पेन्ट पहनें हैं-याने कि कुछ न कुछ समस्या निकल ही आयेगी हर बीस पोस्ट के बाद.
कई बार सोचा कि चलो जाने दो-बीमार होगा या किसी हीन भावना से ग्रसित होगा या कोई कुंठा की ग्रन्थि सटपटा रही होगी या नाराज होगा किसी बात पर या टिप्पणी न पा पाने पर उदास(जायज कारण है-इस पर हम आपके साथ हैं) या समयाभाव एवं आलस्यवश टिप्पणी न कर पाने की तिलिमिलाहट और अपने इस व्यस्त दिनचर्या एवं नाकारेपन को सिद्ध करने की कुतर्की कोशिश-कुछ भी हो सकता है, हमें क्या करना. मगर रोज रोज-कुछ ज्यादा ही हो गया.
जरा सोचो, समझो मेरे भाई कुछ भी लिखने पढ़ने के पहले.
न समझ आये तो न सही. मौन धर लो. शायद कोई ज्ञानी ही समझ लेने की गल्ती कर बैठे. बड़े बड़े लिख्खाड़ बैठे ही हैं मौन धरे और हम उन्हें ज्ञानी समझे मौन व्रत तुड़वाने के प्रयास में कलम घिसे जा रहें हैं.
आप भी मौन रख लो और हमें जो समझ आयेगा, लिख देंगे.
कितना मन लगा कर कल लिखा होगा कि पीठ खुजाओ पीठ खुजाओ-लिखने के पहले निवेदन तो ठीक से पढ़ लेते मेरे भाई. हम अपने लिए टिप्पणी नहीं मांग रहे हैं, हम दूसरों को प्रोत्साहित करने की बात कर रहे हैं.
कहना है हम तो खाना(टिप्पणी) मांगते नहीं, फिर काहे प्लेट(टिप्पणी बाक्स) लिए घूम रहे हो भाई कि शायद कोई खाना डाल जाये तो खा लेंगे? बिल्कुल सही, ऐसे ही शर्मीले लोगों के लिए हम निवेदन कर रहे हैं औरों से कि कहीं वो भूखे ही साफ सुथरी प्लेट लिए घूमते ही न रह जायें.
आप सुकून से सोईये अपने आलस्य और मजबूरियों को तर्कों की रजाई से ढककर, कहीं ब्लॉगजगत में बहती ठंडी हवा न लग जाये-जब कभी बीच में नींद टूटे तो एक पोस्ट ठेल देना कि फलाना गलत कर रहा है और साथ में एक कवितानुमा कुछ:
ब्लॉगर महाराज की जय
प्यारे समीर और शास्त्री जी की जय
ब्लॉगवाणी और चिठ्ठाजगत की जय
पूरे हिन्दी ब्लॉगिंग की जय
-फिर से अच्छी नींद आ जायेगी.
शुभ स्लीप!!
नोट: उपर वाली कविता (स्वरचित) एवं गाना, मात्र अपनी बात स्पष्ट करने को ली गई है. इसे ब्लॉग पर पेश करने वाले कृप्या आहत न हों. मैं तो नहीं हुआ. आशा करता हूँ आप भी नहीं होंगी. :)
कुछ रीत जगत की एसी है हर एक सुबह की शाम हुई
जवाब देंहटाएंतू कौन है तेरा नाम है क्या, सीता भी यहां बदनाम हुई
फिर क्यों बेकार की बातों में, भीग गये तेरे नैना
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना.
बढ़िया लिखा है आपने |
जवाब देंहटाएंमेरी राय है कि आपको इस मुद्दे पर सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है। जाकी रही भावन जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। वैसे वैकल्पिक टिप्पणी भी जोरदार लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंखुब हंसी आई आपकी लम्बी टिप्प्णी पढ़ कर...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने "कम से कम खबर तो दे जाते हैं कि आये थे"..
आपकी छोटी सी टिप्पणी ही कुछ नया लिखने को प्रोत्साहित कर देती है तो बड़ा लिखने की क्या जरुरत |
जवाब देंहटाएंवाह ,मजा आ गया -इसी पोस्ट का मैं इंतज़ार कर रहा था -आपने कयिओं से स्कोर एक ही शोट में सेटिल कर लिया है -बधाई !
जवाब देंहटाएंठीक किया जनाब, बड़ी हाय तौबा हो रही थी... पर आपने खूब तरीके से निपटाया सबको एक साथ.. अच्छा है... मजा आया..
जवाब देंहटाएंखूब कही।
जवाब देंहटाएंसमीर जी का टिप्पणी शब्दकोष ..बेहद ज्ञानवर्धक ..अच्छा है!! बहुत खूब!! बधाई!! जारी रहें!! शाबास!! बेहतरीन!! सटीक!! इस पेज को बुक मार्क करे :)
जवाब देंहटाएंएक लफ्ज़ भी प्रोत्सहन का होता है ..हमें तो यही समझ आता है ..कि आपका लिखा किसी ने पढ़ा तो ...अब चाहे वह टिप्पणी की रस्म ही अदा कर जाए :)
समीर भाई,
जवाब देंहटाएंहमेँ तो आपकी हर पोस्ट
पसँद आतीँ हैँ और हर टीप्पणी भी ~~
दुनियावालोँ के मन क्या आता है या नहीँ आता,
उसकी चिँता क्यूँ करेँ ? :)
आजकी बात भी खूब लिखी आपने ...
अब आगे क्या लिखेँ ? ..
हाँ साधना भाभीजी को
आराम आ रहा होगा ~~
उन्हेँ मेरे सस्नेह नमस्कार
और आप को शाबाशी :)
- लावण्या
देखन में अति सुक्ष्म हैं,
जवाब देंहटाएंपर स्नेह करें गम्भीर।
समीर जी सिर्फ़ दो ही दृश्य? यहाँ भी आपने अपनी टिप्पणी के शब्दों की तरह कंजूसी कर ली - इससे तो लगता है शिकायतें वाजिब ही हैं - उधर ताऊ ने पैंतीस उड़न-तश्तरियों का ज़कीरा देखा है इधर आप सफायियाँ दे रहे हैं - आसार कुछ अच्छे नहीं दीख रहे हैं.
जवाब देंहटाएंसमीर प्रा जी, तुस्सी ग्रेट हो, साड्डा दिल लूट्ट लित्तां यारा. होर लिखो, खूब लिखो. तुस्सी चिटठाजगत दी शान हो. ओ तुस्सी तो चिट्ठाजगत दी तोप हो. फालतू टेंशन लेन दी लोड़ नेई. बस्स लिक्खी जा..लिक्खी जा...
जवाब देंहटाएं१.अब बताईये क्या करुँ-रोज सुन सुन कर कान पक गये-समीर जी टिप्पणी में बस इतना सा लिख कर निकल जाते हैं-अच्छा है!! बहुत खूब!! बधाई!! जारी रहें!! शाबास!! बेहतरीन!! सटीक!!
जवाब देंहटाएंये टिप्पणियां बोलने कैसे लगीं। कान पक गये तो उसई अस्पताल में दिखाये काहे नहीं गये जहां की लाइब्रेरी में बैठकर इसरायल/फ़िलिस्तीन कर रहे थे।
२. इसे ब्लॉग पर पेश करने वाले कृप्या आहत न हों. मैं तो नहीं हुआ. आशा करता हूँ आप भी नहीं होंगी. :) हम आहत हैं और जम कर आहत हैं। हमारे आहत होने के अधिकार को चुनौती देने आप होते कौन समीरलालजी! हम इस बात से आहत हैं कि आपने केवल ’होंगी’ के आहत होने की चिंता की है। ’होंगे’ के लिये कोई व्यवस्था नहीं की है। ठीक है कि आपने अगले जनम में बिटिया होने के लिये अर्जी लगायी है। उधर से भी आपको अपनी पार्टी में लोग शामिल करना चाहते होंगे लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि आप’जेंडर-खिलाफ़ी’ करें।
हम बहुत आहत हैं इसलिये कुछ और कह नहीं पा रहे हैं लेकिन ये अच्छी बात नहीं है समीरलालजी! हम आपकी टिप्पणी से टिप्पणी बजा देंगे। आप हैं किस मुगालते में। :)
"ha ha ah great style for explaination han. sir wanna say that your presence itself on blog is much more sufficient than any long comment or any thing. a single word of appreciation itself motivates to write more and more"
जवाब देंहटाएंRegards
समीर जी, मुझे तो बस यह पता है कि बहुत सारे नये ब्लागरों को अगला लेख लिखने का ईंधन देती आपकी टिप्पणी
जवाब देंहटाएंक्रिटिक्स के बारे में यह सुनिये
"Critics are like eunuchs. They know how it's done. Talk about how it's done, but can't do it themselves."
उन्हें अपने काम में लगे रहने दीजिये, वरना वो फालतू हो जायेंगे. बलकि यह प्रसन्नता की बात है कि आप के बहाने वो ब्लागजगत से तो जुड़े हैं. :)
विचार सही है। ब्लोग्जगत को आपका मंदिर कह्ना अच्छा लगा। साहित्य तो एक साधना है। यहां जिसकी जेसी भावना सब अपने कद के अनुरूप बात करते हैं।
जवाब देंहटाएंसर आपकी पहला कमेन्ट अब भी याद है..:)
जवाब देंहटाएंवैसे एक बात जरूर कहूँगा, मेरे ब्लौग पर आपसे पहले ज्ञान जी ने टिपियाया था..:D
हा हा हा ha हो हो हो हो हो मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएंआपकी भाषा में कहे तो सटीक, बेहतरीन, बहुत खूब, शानदार और 'उनके' लिए मार्मिक भी....जो रजाई में सो रहे हैं...
किसी अंग्रेज दार्शनिक ने कहा है कि कुछ लोग 'काम' करते हैं और कुछ लोग 'आलोचना' करते हैं । आप तो बस ये सोचें कि जब आलोचना करने वाले अपना धर्म नहीं छोड़ रहे तो हम क्यों छोड़ें । दूसरे ये कि आलोचना बताती है कि आप सही दिशा में जा रहे हैं । तीसरे हाथी के निकलने पर हलचल होती है गधों के निकलने पर नहीं होती । आशा है तीनों सिद्धांतों को आप समझ लेंगें ।
जवाब देंहटाएंपंकज सुबीर
जब आपकी आलोचना/निंदा होने लगे तो समझिये आप सक्रिय है और जिंदा भी.
जवाब देंहटाएंBahtareen, Bahut shandaar, badhiya hai, kya baat hai ! aha, shabaas, Subhan allah, Thakaan ho gayee bhaiya tareef kar kar ke. Bakee tareef ke liye post padh lijiye. Hariom
जवाब देंहटाएंअच्छा है!! बहुत खूब!! बधाई!! जारी रहें!! शाबास!! बेहतरीन!! सटीक!!
जवाब देंहटाएंनेकी कर ………… नही ,टिप्पनी कर और सेन्ड कर डाल
जवाब देंहटाएंबस-बस। आप साधुवादी तरीके से सोच रहे हैं और हम टिपेरतंत्री तरीके से।
जवाब देंहटाएंज्यादा फर्क नहीं है।
पर आपने बेहतर लिखा है।
आप अच्छा लिखते हैं, सतत लिखते रहें।
सरजी आप तो टिप्पणीशास्त्र लिख दो। बाकी जो मैथिलीजी ने कहा है, वोही हम भी कह रहे हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने। टिप्पणी लेख के अनुकूल लेकिन छोटी ही होनी चाहिए। बड़ी टिप्पणिया देने का मतलब है कि आगे के अन्य लेखों को या तो बिना पढ़े ही छोड़ दिया जाए, टिप्पणी करने का तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। खुद का लिखना भी छोड़ दिया जाए , यदि कोई लेख हमें खासा प्रभावित करता भी है कि उसके सहमति में या विपरीत कहने के लिए दिमाग में काफी कुछ छोड़ जाता है , तो अलग पोस्ट लिखने के लिए भी हमें एक आइडिया मिल ही जाता है।
जवाब देंहटाएंपूरे लेख का सबसे बढ़िया भाग
जवाब देंहटाएं"कहना है हम तो खाना(टिप्पणी) मांगते नहीं, फिर काहे प्लेट(टिप्पणी बाक्स) लिए घूम रहे हो भाई कि शायद कोई खाना डाल जाये तो खा लेंगे? "
खिस्यानी बिल्लियो को खंबा नोचने देवे.. आप व्यर्थ में उनके वचनो से परेशन ना हो.. हम तो सदेव आपके साथ है और रहेंगे ही.. बाकी ब्लॉगजागत के लिए आवश्यक पाठक धार्मिता का निर्वाह आप बखूबी कर रहे है.. करते रहिए..
शुभकामनाए
समीर भाई आप बिंदास रहिये। आपको पहले भी टिप्पणी मे बोले थे कि हाथी चले बजार.... (आप का वजन देख कर नहीं बोल रहे हैं)। बिंदास टिप्पणी भी करते रहिये। आपको हकिकत बयान कर रहें हैं। मैं कुछ महिनो से ही इस हिन्दी ब्लाग का एडिक्ट हुआ हूं। मेरा अनुभव है कि हिन्दी ब्लागिंग हिन्दी पत्रकार बनाम आम हिन्दी ब्लागर के बिच बटा हुआ है। कुछ लोग हिन्दी ब्लागिंग को अपना जागिर समझ रखे हैं। कुछ भलेमानुष पत्रकारों को छोड़कर बाकी तो आम लोगो के ब्लाग्स पर झाकने भी नहीं आते और मुहं बनाए बैठे रहेगें कि एक आम आदमी के ब्लाग पर हमसे ज्यादा टिप्पणी क्यों।
जवाब देंहटाएंblog dar blog main bhi jaati hun aur nazar aa jate hain niymit log,jisme ek aap hain........aapki rachnaaon se mayusi mit jaati hai aur main to pure pariwaar ke saath hanste hanste padhti hun.......lambi tippani ka jo rup prastut kiya ,wah jabardast hai,saanp ko mar daala,bina lathi tode
जवाब देंहटाएंwah wah wah
सर जी बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंआपकी नजरे इनायत हमारे ब्लॉग पर हो जाती है . हमारा ब्लॉग वैसे ही धन्य हो जाता है . फ़िर टिप्पणी ......
समीर भाई
जवाब देंहटाएं...तेरा जवाब नहीं...क्या पोस्ट लिखी है...क्या विचार है...क्या स्टाइल है...मान गए गुरु...मान गए.
नीरज
एक शख्स को दिखता कम था पर जब भी वो किसी से इस कारण से टकरा जाता तो दूसरे से कहता कि देख के नहीं चलते। मुझे नहीं पता कि कौन था वो जिसने इस आलसी काया को इतना उकसा दिया जो इतना बिगड़ गए आज आप। चलिए जाने दीजिए छोड़िए, बच्चा समझकर माफ कीजिए जो भी ये महानुभाव हैं। वैसे इसके पीछे का कारण ये भी है कि समीर लाल या फिर किसी प्रतिष्ठत ब्लॉगर के ऊपर कमेंट कर के उस पोस्ट की तो चांदी हो जाती है। लोगों के सामने पहचान भी बन जाती है। और जबकि मेरा मानना ये है कि ऐसी पोस्ट को पढ़ने से भी हमें बचना चाहिए। कई बार तो मैंने ये भी देखा कि ऊपर से नीचे तक धकियाते आते हैं फिर धीरे से सॉरी ठेल देते हैं कि हमारा अभिप्राय ये नहीं था। तो छोड़िए इनको।
जवाब देंहटाएंअब बताईए कि भाभी जी कैसी हैं। जरा ध्यान रखा कीजिए। माफी चाहूंगा कि पिछली पोस्ट आज ही पढ़ पाया तो ज्ञात हुआ।
नमस्कार।
समीर जी आपकी टिप्पणी से तो बल मिलता ही है कि ये एक टिप्पणी तो आएगी ही हमारी पोस्ट पर। लोगों का काम है कहना। वो तो कुछ भी कहेंगे ही।
जवाब देंहटाएंवैसे भाभी जी अब कैसी हैं?
sameer ji
जवाब देंहटाएंtarkash ke baan nayaab hain
chalaane men sankoch hai
dhwast ho jayegi ye duniya
makhol naa kare varnaa
aadi ityadi...........
आप तो ऐसी ही बढ़िया बढ़िया टिप्पणी करो....कुछ दिनों में यही लोग कहने लगेंगे की इससे तो वही छोटी टिप्पणियाँ ही भली थीं!क्या लोग हैं...जो टिप्पणी लिखकर ब्लोगेर्स को प्रोत्साहित कर रहा है उसी को टिप्पणी देने में हतोत्साहित किया जा रहा है....
जवाब देंहटाएंaapki tippani ke liye dhanawad .. :-D
जवाब देंहटाएंsanjog... mein aapke visit ke liye aapko shukriya karne aya tha blog par.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहूं. पढ़ लिया. अब बतायें क्या टिपियाऊं.
जवाब देंहटाएंहा हा हा....क्या जवाब दिया है आपने !! मगर लोग आपकी छोटी टिपण्णी की निंदा करते हैं इसका मतलब है कि आपकी छोटी टिपण्णी में बहुत सामर्थ्य रहता है, अगर ये तनिक भी कमजोर होती तो लोग उसे भूल जाते उसकी निंदा नहीं करते.
जवाब देंहटाएंसमीर जी,
जवाब देंहटाएंहम आपकी लम्बी टिप्पणी की बजाय...शोर्ट वाली से ही काम चला लेंगे..प्लीज..हमें कोई शिकायत नहीं है :) हा हा हा........हूऊऊऊऊऊऊ
bahut ache sameer ji.. kahne do logo ko.. jo bhi kahe aap bas aate rahe aur tippadi karte arhe :-)
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार!
जवाब देंहटाएंहमारी उपस्थति दर्ज की जाए……:)
जवाब देंहटाएंदुसरे की रेखा को छोटी करने के लिए या तो एक
जवाब देंहटाएंबड़ी लाइन खींची जाए या फ़िर दुसरे की रेखा को
मिटा कर छोटा कर दे ! और शायद यही हो रहा
है ! आपने जो कुछ लिखा है , वो हकीकत है ! इस सब घटना क्रम पर मुझे तो तकलीफ हो रही है ! और आपने बहुत कुछ कह दिया है !
शुभकामनाएं !
ये इस बात का सबूत है कि हम आये थे. कृपया हाजिरी स्वीकारे..
जवाब देंहटाएंहे स्थूलकाय प्राणी ....जब तक हम जैसे फेन इस ब्लॉग जगत में हैं...किसी की बात का बुरा मत मानो. तुम्हारी एक चोटी से टिप्पणी बड़े से बड़ी टिप्पणियों पर भारी कहा है न जहा काम आवे सुई वहा क्या करे तलवार. सो कल्लू मामा टेंसन मत ले यार क्युकी तेरे साथ है पूरा ब्लॉग संसार.
जवाब देंहटाएंमु्झे और कई लोगों को आपकी मंशा पर कभी शक रहा ही नहीं, आपकी भाषा की रवानगी से यह खुद-बखुद झलकता है। आपने जिसके लिए भी ये पोस्ट लिखा, वह भी पढ़कर गुदगुदा न जाए तो फिर कहना ही क्या।
जवाब देंहटाएंये स्पष्टीकरण तो मरे लिये नही थी लेकिन पढने के बाद चला ।सच लिखा है।
जवाब देंहटाएं"मन तो करता है कि वहीं खटिया डाल कर बैठ जाऊँ और तब तक बात करता रहूँ" :))
जवाब देंहटाएंएक तो पहले से ही हसा दीये थे आप और ये उप्पर वाला लाईन पढ के तो और हसी आ रही थी।
"हम अपने लिए टिप्पणी नहीं मांग रहे हैं, हम दूसरों को प्रोत्साहित करने की बात कर रहे हैं"
- सहमत हूं।
बडा मजा आया पढ के
"मै गिता पर हाथ रख के कहता हूं की एक एक सब्द पढा हूं" :)))) मजा आ गया। ये तो चुटकूले से भी मजेदार पोस्ट कर दीयें।
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंआभार!!
समीर जी,
जवाब देंहटाएंमैने वो अँखरने वाली बात पढ़ी तो थी, और शायद उसका प्रतिवाद भी किया था। लेकिन अब याद नहीं आ रहा है कि कहाँ। ...खैर जो भी हो, इस बेहतरीन पोस्ट की क्रेडिट तो उस बन्दे को देनी ही पड़ेगी। हा,हा,...।
आपकी लेखन प्रतिभा, परीश्रम की क्षमता, और नये ब्लॉगरों को प्रेरित करने की भावना के कायल तो हमपहले से ही हैं, बहुत लोग इस पोस्ट के बाद हो जाएंगे। बधाई।
फायर ..........धांय
जवाब देंहटाएंफायर ....धांय
हमने ताऊ से सुबह ही कहा था बेकार चिंता करते हो..... वैसे आप नही भी लिखते तो भी काम चल जाता .....सही फायर है पर.......धांय ........धांय......
आलसी कुतर्की तो कोई और हमसा खैर मुश्किल ही होगा पर एक बात कहनी होगी आजकल आपको हत्थे से उखाड़ देना लागों के लिए कुछ आसान होता जा रहा है...ऐसा न करो बंधु। बाकी अंदाज बरोबर बना हुआ है। सो साधुवाद (संभाल कर रख लें, हमारे कीबोर्ड से साधुवाद निकले ये दुर्लभ परिघटना है, कोर्अ हेली कॉमेट नहीं है कि हर छियासी साल में फिर से आ जाए)
जवाब देंहटाएंआपके कृपया में 'प' ठीक कर लें। :))
sir ji, bahut accha likha hai.
जवाब देंहटाएंजब मेरे ब्लॉग पर कोई नहीं आता था, यब समीर जी की टिप्पणी जरूर आती थी (आजकल नहीं आती) क्योंकि उन्होंने नये लेखकों को प्रोत्साहित करने का बीड़ा उठाया है और दुआ है कि वे ऐसे ही टिप्पणियाँ करते रहें… पर कभी-कभी हम जैसे कुछ पुराने लेखकों को भी टिपिया दें, आखिर बच्चे तो हमेशा बच्चे ही रहेंगे (है ना समीर भाई…)
जवाब देंहटाएंdilchasp
जवाब देंहटाएंApke vicharo se sahamat hun .Yadi aap hindi bhasha ko Adhikaar dilane ke liye koi andolan kare to sabase pahale mai apke sath hun.
जवाब देंहटाएंहम आये थे, ये बताने के लिये आहट करके जा रहे हैं। वैसे नयी गाड़ियों के लिये ईंधन की फिक्र हर कोई कर रहा है लेकिन कई जो पुरानी गाड़ियाँ ईंधन की वजह से या तो बंद होती जा रही हैं या सुस्त हो गयी हैं, उनका क्या?
जवाब देंहटाएंसत्यवचन !
जवाब देंहटाएंभाई हम तो टिपण्णी देने आये हे, लेकिन टिपण्णी देने से पहले हम यहां एक कुर्सी पर बेठ हर सोच रहे हे????????????? क्या लिखे इस टिपण्णी मे , चलो सोच लिया, कि समीर जी आप ने बहुत अच्छी बात लिखी हे.... अरे नही.... जचां नही............ कुछ ओर सोचते हे क्या???????????????? हां याद आया समीर जी आप का लेख बहुत पंसद आया....... नही नही यह तो सब ने लिखा होगा...... कुछ ओर सोचते हे??????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????? बहुत ऊतम लिखा हे जी..............यह भी नही ...... समीर जी कुछ समझ मे नही आ रहा, आज माफ़ी देवे कल कोई अच्छी सी टिपण्णी खरीद कर लाऊगां फ़िर उसे दुगां, आज धन्यवाद से काम चला ले :)मे निकला पतली गली से......
जवाब देंहटाएंसमीर जी आपने लिखा हैं सो कमेंट्स की बाढ़ आही गयी होगी .
जवाब देंहटाएंकुछ प्रश्न हैं मन मे टिपण्णी से जुडे हुए हो सके तो अगली पोस्ट मे उत्तर दे दे .
१ ब्लोगिंग समाज को ६० २० २० मे बांटा जा चुका हैं इसका क्या अर्थ हैं
2 कुछ लोगो के लिये ब्लॉग लेखन का अर्थ हैं कुछ लिखा इस हफ्ते , कुछ टिप्पा इस हफ्ते और फिर एक हफ्ते की छुट्टी , एअसे ब्लॉगर कमेन्ट देते समय ना तो पोस्ट पढ़ते हैं , ना उनमे लगे लिंक देखते हैं , बस कमेन्ट देते , किस चीज़ पर पता नहीं .
३ कितनी ब्लॉगर हैं जो कमेन्ट करने के बाद फिर जा कर पढ़ते हैं की उनके कमेन्ट पर क्या प्रतिक्रया आई हैं और फिर उस बहस को साथक रूप से आगे ले जाते हैं
४ क्या कमेन्ट केवल इस लिये कर दिया जाना सही हैं की कमेन्ट तो करना होता हैं जी .
५ उन ब्लोग्स का क्या जो अग्रीगाटर पर नहीं हैं उनको कितने पढ़ते हैं और टीपते हैं ??
6 आप का योगदान हैं ब्लॉग्गिंग को आगे लाने मे लेकिन क्या हर जगह ये बताना जरुरी हैं की टिपण्णी करने से प्रोत्साहन मिलता हैं . क्या ब्लोगिंग समाज एक अपरिपक्व समाज हैं जहाँ ये बताना बहुत जरुरी हैं की कमेन्ट करो .
7आप नये ब्लॉग बनाने की बाते कहते थे समझ आता था क्योकि वो सही मे जरुरी था ताकि हिन्दी आगे आए पर इसमे आप सिर्फ़ ब्लॉग वाणी से क्यों जुडे चिट्टा जगत से क्यों नहीं , नहीं समझ आया . मेरे किसी भी प्रश्न को व्यतिगत से ऊपर उठ कर देखियेगा क्युकी आप अगर सीनियर ब्लॉगर हैं तो आप को जूनियर ब्लॉगर का शंका समाधान करना होगा या किसी सीनियर ब्लॉगर से करवाना होगा अगर आप चाहे तो .
सादर
रचना
मैं गीता कुरआन, बाइबिल
जवाब देंहटाएंसबके आगे शीश झुका कर
फिर अपने दोनों हाथों में
दो दो गंगाजली उठा कर
सच्ची बात आज कहता हूँ
मेरे पास समय कब इतना
हर चिट्ठे को पढ़ लूँ जाकर
इसीलिये हर बार टिप्पणी
अगर कभी कोई करता हूँ
बिना पढ़े ही मैं करता हूँ
जो है शब्द जिनेरिक, जैसे
वाह वाह, सुन्दर; क्या कहना
लिखते रहें; आपका लेखन
प्रगति मार्ग पर बढ़ता जाये,
अद्भुत,मन झिंझोड़ डाला है
उनको लेकर टिपियाता हूँ
इसीलिये यह पोस्ट आपकी
पढ़ी नहीं है चार पंक्ति भी
किन्तु आपका जो कर्जा है
उसको वापिस लौटाता हूँ
इसीलिये यह लिख जाता हूँ
ताऊ.. लोगों ने तो आप्पको हत्थे से उखाड़ दिया. ऐ मत करो जी। आपका साधुवाद मिल जाता है, तो लगता है कि लिखना सफल रहा। तो ऐसे ही टिप्पण देते रहें, इस उम्र में गुस्सा ऐसे भी ठीक नहीं।
जवाब देंहटाएंआपका प्यारा भतीजा
गुस्ताख
आपको अगर कोई टिपण्णी में सीख दे रहा है तब तो कोई पंहुचा हुआ आदमी है :-)
जवाब देंहटाएंपोस्ट पढ़ते-पढ़ते ये तो भूल ही गया की असली बात क्या है, सीरियस मामला और हँसी आए जा रही है.
खैर शुकुलजी ने टिपण्णी से टिपण्णी तो मस्त बजाई है !
बहुत देर में पहुन्चा आपकी पोस्ट तक। कितने ही पाठक आ चुके हैं, टिप्पणियां बता रही हैं। मजा आया टिप्पणियॊं के दोनों अंदाजो को पढकर। लिहाजा टिप्पयाये बिना तो रहा नहीं जा सकता।
जवाब देंहटाएंye bhi khoob rahi...
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें...सो भेज रहा हूँ
जवाब देंहटाएंकाहे परेशान हो... बहुत बोगस लेखन है.. यह टीप कर
सरकाये लो खटिया ... गाते हुये सरक लो
सिर धुनने को अभिशप्त लोगों को ,
एक और माक़ूल मौका देने का सबाब लूटो
हुम्म, किसी खास ही को मद्देनज़र रखते हुए लिखे हैं यह पूरी पोस्ट! ;)
जवाब देंहटाएंअब अपन क्या कहें, बस अपनी भी हाज़िरी दर्ज कर लीजिए, ऐसा न हुआ कि अपन दबे पाँव आए और झाँक के चल दिए! :P
मज़ेदार पोस्ट !
जवाब देंहटाएंaapki ek-ek bat sahi hai...
जवाब देंहटाएंmein bhi jyada to nahin likh paunga, lekin itna kahunga ki aapke hale-dil-se hum bhi anjaan nahin...
नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपने इस नाचीज के ब्लोग पर अपनी उडन तश्तरी कुछ देर के लिए ही सही लेंड करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. अभी नई-नई ही अपनी दुकान खोली है इस आशा से की आपलोग जरुर तसरीफ लाओगे और मेरा मार्ग दर्शीत करावगे.
भूल हो तो छोटा समझ कर बता देना.
आपके लिए चार लाइने लिखी है :
जवाब देंहटाएं"तुम पे सौ इल्जाम है
तू बहोत बदनाम है
कुछ तो तुझ में बात है
की हर लब पे तेरा नाम है
तू-तडाक के लिए माफ़ी चाहता हूँ, दरअसल "आप" इसमे फिट नहीं बैठ रहा था. बुरा लगे तो अपने-आप "आप" लगा के पढ़ लेना. समीर भाई! पिछले एक हफ्ते से काफी "इधर-उधर" घूम के आया हूँ,पर दिल से कहता हूँ, जो बात आपके लेखों में है वह अतुलनीय है. आप तो इंडिया आ जाय तो टॉप के मंचीय कवियों की छुट्टी कर सकते है.
हमारी उपस्थति दर्ज की जाए......सर आपकी पहला कमेन्ट अब भी याद है..:)
जवाब देंहटाएंअपने व्यंग्य लेख से हँसाकर आनंदित करने के लिए बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंइमानदारी से कहती हूँ जितनी पोस्टों पर आपकी टिप्पणिया/उपस्थिति देखती हूँ विस्मय होता है कि अपने ऑफिस के काम ,व्यक्तिगत कार्यकलाप और लेखन के बाद इतने सारे ब्लोगों पर कमेन्ट करने का समय आप कैसे निकाल लेते हैं ? यह सिर्फ़ और सिर्फ़ आपका बड़प्पन है कि इतना सारा कुछ मैनेज करने के साथ ब्लोगरों के प्रोत्साहन हेतु आप इतना भी लिख देते हैं...... अब यदि किसी को पोस्ट जितनी लम्बी पोस्ट कमेन्ट भी चाहिए तो कोई क्या कर सकता है...कृपया आहत न होइए....क्या करेंगे......जो है नाम वाला वही तो बदनाम है.........
I liked yr writings too much! (of course I know a lot of them are there!). Keep posting! please....
जवाब देंहटाएंitani lambi tippani:):) bahut hi badhiya:):)
जवाब देंहटाएंअब लेख के शीर्षक में ही आपने लेख के विरोध में तर्क रख दिया तो हम क्या खा के विरोध करें.
जवाब देंहटाएंये दोनों पहलु साथ ले कर चलना अच्छा नही है कुछ हम जैसे विरोध प्रदर्शकों के लिए भी छोड़ देते.
वैसे इतना छोटा कमेन्ट पढ़ के लगता है कि बस एक चम्मच चखा के सामने से खीर हटा दी गई. भरोसा रहता है न कि बहुत अच्छा , बहुत खूब या मार्मिक लिखने वाले ने कुछ और भी सोचा होगा. ये किसे पता था कि शायद सोचने में भी आलस आ जाता हो
वैसे एक बात और भी सच है कि जहाँ कुछ नही होता वहां समीर जी के दो शब्द पहुँच तो जाते हैं और हौसला दे देते हैं यही काफ़ी नही है?
जवाब देंहटाएंसमीर भाई,
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति। बधाई। आपके कहे अनुसार मेरी उपस्थिति दर्ज हो गयी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
धन्य हैं प्रभु....
जवाब देंहटाएंलेकिन इतना तो बता दिजै कि आप होमवर्क क्यों नहीं जमा करा रहें.गुरू जी उधर कक्षा आगे नहीं बढा रहे हैं इसी चक्कर में. आपका नाम मौनिटर के लिये प्रस्तावित हो रहा है अगले क्लास में
अच्छा है!! बहुत खूब!! बधाई!! जारी रहें!! शाबास!! बेहतरीन!! सटीक!! :)
जवाब देंहटाएंसचमुच कमाल की "उडन तश्तरी" है।
जवाब देंहटाएंकिस्मत तो हमारे साथ है बकने वालें बका करें । वैसे मुझे तो आपकी टिप्पणी से सदैव प्रोत्साहन मिलता है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंsameer bhayee,
जवाब देंहटाएंhindi chitthajagat ka aagantuk hoon.aate hee chittha thel diya.kuch sabasiyan mileen.un chitthakaron kee site bhraman par nikla.aapkee udan tastaree pe bhee pahuncha.voh maza kee pichalee poston par bhee 'udan'bharee.aap bahut modest hain.aap ka blog aanand ka udan 'khatola' hai par aap to use bhee tashtaree hee kahate hain. kyaa baat hai!
punasch:
roman maf karen.abhee shastreeji aur balendu ji se tution le raha hoon.
हमेशा की तरह बिन्दास :)
जवाब देंहटाएंsameer ji, dont worry, ye duniya hai, yahan aapki achhi baat bhi buri bana kar pesh ki jaayegi, log charcha paane ke liye doosron ka use karte hain...aapne mujhe samjhaya or aap dukhi hain...aap jaise hain, vaise hi rahiye...koun aapke baare mein kya kahta hai...hans kar udaa dijiye...u r great...bas itna yaad rakhiyega.
जवाब देंहटाएंsameer ji, dont worry, ye duniya hai, yahan aapki achhi baat bhi buri bana kar pesh ki jaayegi, log charcha paane ke liye doosron ka use karte hain...aapne mujhe samjhaya or aap dukhi hain...aap jaise hain, vaise hi rahiye...koun aapke baare mein kya kahta hai...hans kar udaa dijiye...u r great...bas itna yaad rakhiyega.
जवाब देंहटाएंtipnio par tipni padh kar maja aaya. sach me sahmat v hu aapki baaton se.
जवाब देंहटाएंसमीर जी,बहुत बढिया लिखा है।
जवाब देंहटाएंmai apka lagbhag har lekh padhta hun, par sayad pahli bar comment de raha hun, aapki har lekh me kafi had tak sachhai hoti hai, dhnyabad,
जवाब देंहटाएंhalanki mere lekh ko pahkar log mujhe jyada tar bised hi samajhte hai,
dhnyabad
sgadi.com का एड :)))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))))
जवाब देंहटाएं@आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंयही हम भी कहना चाहेंगे. आप आते हैं हमारे ब्लाग पर, यह हमारा सौभाग्य है. धन्यवाद.
एक बात बताइए, आपने कमेन्ट मोडरेशन क्यों लगा दिया? क्या किसी विशेष टिपण्णी के आने से डर लग रहा था?
समीर भाई, हिन्दी चिट्ठाकारी को प्रोत्साहित करने के लिए जितना मेहनत आप करते हैं, शायद ही कोई करता हो। हम चाहकर भी आपका अनुकरण कर पाने में अक्ष्ाम रहते हैं। आदमी की पहचान कर्म से होती है, थोथे वचन से नहीं। कोई क्या कहता है इस पर आप तनिक भी ध्यान नहीं दें। वे किसी ग्रंथि के मारे हुए लोग हैं। आपका सहज भाव हिन्दी चिट्ठाकारी के लिए रामबाण है, कृपया इसे बनाए रखें।
जवाब देंहटाएं"barking dogs seldom bite" समीर जी भौंकने वालों पर ध्यान दिए बिना आगे बढ़ते जाइये, आपकी की हुई टिप्पणी का एक शब्द ही कोरामिन का काम करता है. ऐसे में अगर आपकी आलोचना हो रही है, तो समझिये कि आप सफल हैं. और मेरे लिए तो आप आदर्श हैं ब्लॉग की दुनिया में
जवाब देंहटाएंसचमुच आप लिखते बहुत बढि़या हैं। टिप्पढि़यों की बात नहीं करेंगे आज। मैथिली जी कह रहे हैं कि लोगों का काम है कहना। आपने उदाहरण बड़े सटीक दिए हैं। कायल हो गए हम आपके। न होते तो भी क्या कर लेते।
जवाब देंहटाएंमैं तो एक छोटा सा आदमी हूं लेकिन आप चिटृठे और चिट़ठाजगत की शोभा हैं। आप नहीं आते तो लगता है कि बगिया सूनी रह गई।
namaskar
जवाब देंहटाएंaapke kathan anusar upasthiti darz karwaa raha hoon.
Vaise vaikalpik tippani bahut zordaar rahi. aapki shikayat bhi kaafi mazedaar hai.
प्रणाम सर. पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. ये तो हमारी कमी ही है सर कि हम किसी भी चीज के लिए संतोष नहीं करते है. हमें कोई भी चीज ज्यादा से ज्यादा चाहिए होता है. अपने एकदम सही कहा कि लोग टिप्पणी में कम लिखते है पर यही क्या कम है लिखते तो है भले ही कम लिखे. हमें बस प्रोत्साहन देने कि जरुरत है हिन्दी चिट्ठा जगत को. बाकि जहाँ तक बात है फिल्मों में अंग्रेजी भाषा के जुगलबंदी की तो ये हमारी ही कमी है कि हम धीरे-धीरे अपनी ही राष्ट्रभाषा से दरिद्र होते जा रहे है. अब क्या कहा जाए या ये किसकी कमी है इसके लिए तो हम सभी जिम्मेदार है और ये कमी मैं मानता हूँ कि जरुर दूर होगी और उसमे काफी बड़ा योगदान हिन्दी चिट्ठा जगत का होगा.
जवाब देंहटाएंबदनाम होंगे तो क्या, नाम तो होगा।
जवाब देंहटाएंआपकी शिकायत ही सही, कम से कम उन्हे लिखने के लिये कुछ तो मिला।
अच्छा है!! बहुत खूब!! बधाई!! जारी रहें!! बेहतरीन!! सटीक!!
जवाब देंहटाएं:D :D :D :D :D :D :D :D :D :D :D :D
टिप-टिप-टिप करते रहे, रोज टिप्पणीवीर.
जवाब देंहटाएंशतकवीर अब हो गये, अपने यार समीर..
Jai Ho....................
shabdon me "kanjusi" jaruri hai
जवाब देंहटाएंshabdon ko bekar ahin karna chahiye man ke bhav to aankhon se bhee prkat ho sakte hain.
जहां बहुत लोग होते हैं वहां पहुँच जाना चाहिए । "महाजन जेनोगातो स पन्था"--क्या ऐसे नहीं थे संस्कृत का वह श्लोक? गलती माफ़, मेरी टिपण्णी कुछ ऐसे ही मानिए । मज़ेदार लेख, पढ़ने वाले मज़ा लें ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
Nanda
http://ramblingnanda.blogspot.com
http://remixoforchid.blogspot.com
बहुत सही समीर भाई, बढ़िया लगाया.
जवाब देंहटाएंटिप्प्णी आप करते है
जवाब देंहटाएंउत्साह सबका बडता है
आपकी टिप्प्णी से,
प्रसाद भगवान सा मिलता है
आपकी क्रपा द्रस्टी से,
थोडे से प्रसाद से
पेट हमारा भर जाता है
अगर आप नही आये तो
कुछ सूना रह जाता है.
आपके आशीर्वाद से
रोशन रहे सबके कालम
आप्की दिव्य द्रस्टी
सदा सबपे रहे क़तरा-क़तरा
www.qatraqatra.yatishjain.com
GOOD ENOUGH
जवाब देंहटाएंmain chupke se nahi aaram se bata kar zayada zayada .................
जवाब देंहटाएंlikh kar pura padh kar nikal rahi hoon
"खुद कुछ करना नहीं, न हिलना न डुलना और न किसी के यहाँ जाना...दूसरा करे तो परेशानी"
जवाब देंहटाएंसमीर जी, आपके इस लेख पर आज ही आ पाया हूँ. पढ कर बहुत अच्छा लगा.
कुछ दिनों से मुझे लग रहा था कि आप बहुत सॉफ्ट होते जा रहे हैं एवं आलोचकों के सामने अधिक ही झुकने लगे है. अब इस लेख द्वारा आपने सबको दो टूक बता दिया है कि आप एक मिशन पर निकले हैं एवं जिसको वह मिशन पसंद नहीं है वह अपने काम से काम रखे!!
अब आप दुगने उत्साह के साथ टिपियायें!!
कल का हिन्दीजगत जब मुड कर देखेगा तब ये आलोचक कहीं नजर न आयेंगे, लेकिन आपने हिन्दी चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने, पुचकारने, दुलारने, डाटने के द्वारा चिट्ठाकारी को जो क्वांटम-जंप दिया है वह स्वर्णाक्षरों मे सबको दिखेगा.
हिन्दी के लिये यह आपकी सबसे बडी सेवा होगी!!
सस्नेह,
-- शास्त्री
-- ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसने अपने विकास के लिये अन्य लोगों की मदद न पाई हो, अत: कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर अन्य चिट्ठाकारों को जरूर प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
सही बात है। टिप्पणी लिखना कोई आसान बात नहीं है नहीं तो हरऐरा गरा नत्थूखैरा टिप्पणियाँ लिखता।
जवाब देंहटाएंक्या बात है समीज जी मज़ा आ गया। बहुत ही सही जवाब दिया आपने।
जवाब देंहटाएंआपको साधुवाद
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही है क्या बताये हम जैसे ब्लागरों ने हाथी तो बाँध लिया है उसकी खुराक महगी पड़ रही है
वो पलटवार मारा कि चारों खाने चित्त … शायद इतना सुन लेने के बाद वो साहब कुछ समझ ही जाएँ … एक बात तो सही है कि कम से कम हाज़िरी तो आप लगा देते हैं…………
जवाब देंहटाएंऔर सब तो टांगें पसारे सोये पड़े हैं …… कोई कुछ करे तो ईर्ष्या भाव चरम पर पहुँच जाता है … हद है …………
एक आध और टीपिये … दो तीन की और टाँग खेंचिये :)
:)
मज़ा आया। आपसे हमें बहोत कुछ सिख़ना अभी बाक़ी है।
जवाब देंहटाएंआज निगाह पड़ी इस पोस्ट पर।
जवाब देंहटाएंसही जवाब