पत्नी स्त्रियों की बीमारी से ग्रसित आज शल्य चिकित्सा के तहत अस्पताल में भरती कर ली गई. सुबह ६.३० बजे से बुला लिया था चिकित्सक महोदय ने. कागजी कार्यवाही एवं अन्य आवश्यक खानापूर्ति करते ८ बज गये और शल्य चिकित्सा प्रारंभ हुई. पूरे दो घंटे चली.
हम बाहर बैठे रहे और वहीं अस्पताल की लायब्रेरी से उठाकर फिलिस्तीन की क्रान्ति पर लिखी एक किताब का अध्ययन करते रहे. घर से ही थर्मोकप में ले जायी गई चाय के गरमागरम चुस्कियों के साथ. बरसों चली इस क्रांति का सार दो घंटों में निपटाकर संतुष्टी को प्राप्त हुए-क्या फरक पड़ता है जब बरतन दूसरे घर के फूटे. बल्कि मजा ही आता है और च च च!! जैसा अफसोस भी पूरे सुर ताल में रहता है. लगता है कि आपसे ज्यादा कोई दुखी नहीं..भले ही वो इस क्रान्ति में अपना सर्वस्व लुटा बैठा हो.
डॉक्टर ऑपरेशन करके बाहर आ चुका है. मुझसे बात कर ली है. पत्नी की हालत सामान्य है. एनेस्थिसिया का असर है, अतः होश नहीं है और शायद अगले ४ घंटे लगें जब होश आ पाये. हद है, जिसे होश नहीं है, उसकी हालत सामान्य?? भारत की जनता याद आई, मन मान गया. डॉक्टर में विश्वास जागा मात्र इसलिए कि अविश्वास से कोई फायदा नहीं. वो डॉक्टर ही रहेगा और मैं बीमार या बीमार का परीजन..पुनः मेरा भारतीय होना काम आया. मैं निश्चिंत हो गया. स्थिती से तुरंत समझौता कर लिया.
अगले ३ से ४ घंटे फिर इन्तजार करना था, जब वो कुछ होश में आये और उसे कमरे में स्थानान्तरित किया जाये. मैं अपने लिए एक कॉफी खरीद लेता हूँ-एकदम ब्लैक कॉफी. मूँह मे कड़वहाट भर दे मगर अंतरआत्मा को जगा कर रख दे. सब ऐसे ही जागे हैं मेरे देश में..कितने ही हैं जो मूँह में कड़वाहट भरे पूर्ण जागृत अवस्था का नाटक रचे घूम रहे हैं. मैं भी उनमें से एक हो गया तो क्या?? कौन नोटिस करेगा-और कर भी लेगा तो मेरा क्या हो जाने वाला है, जब लगभग सौ करोड़ का कुछ नहीं हुआ.
खैर, अब चार घंटे काटने के लिए मैने फिर अस्पताल की लायब्रेरी में किताब तलाशी. जहाँ फिलिस्तीन की क्रान्ति वाली किताब वापस रखी (जहाँ से उठाई थी), उसी के बाजू से ’इजराईल का अपना पक्ष’ वाली उठा ली. न जाने क्यूँ, लायब्रेरी हो या किताब की दुकान..दो विरोधी पक्ष आसपास ही क्यूँ जमाती है-क्या झगड़ा लगवाना इनका उद्देश्य है या कुछ और?? दुकान और लायब्रेरी हो या हमारे भारतीय नेता?
निश्चित ही इज़रायली का अपना पक्ष पर लिखी किताब फिलिस्तीन की क्रान्ति पर लिखी किताब से ज्यादा मोटी थी. हो भी क्यूँ न, पैसे वालों का पक्ष, जिन्हें बड़े बड़े गुण्डों का समर्थन हासिल हो, हमेशा़ भारी ही रहता है. फिर यहाँ तो अमरीका का समर्थन हासिल है. उससे बड़ा....कौन?? ज्यादा दस्तावेजी प्रमाणों से लैस. और उसे पढ़ने को मेरे पास समय भी ज्यादा ही था..रहना भी चाहिय..यही प्रभावी और पैसे वालों के प्रति आम शिष्टाचार की मांग भी है.
मेरे पास समय इतना कि लगभग दुगना. शल्य चिकित्सा, मुख्य भाग, में दो घंटे लगे..और रिकवरी में ४ घंटे लगने थे.आप समझ रहे होंगे क्यूँकि सामान्यतः यही होता है हमेशा!!! रिकवरी प्रोसेस हमेशा अपना समय लेती है, पूर्ववत स्थिती में आने को..पूर्ववत स्थिती की अहमियत का अहसास दिलाने.
इजराईल का पक्ष पढ़ा. अन्तरसात किया. जी मतलाया..वोमिट फीलिंग हुई थ्रो आउट वाली-बहुत समय पहले रशियन वोदका बिना जिन्जरेल के पीने पर ऐसा ही महसूस किया था ..मगर इम्प्रेस हुआ..इम्प्रेशन-अच्छा या बुरा..यह कहने वाला मैं कौन..मात्र एक पाठक की मामूली सी हैसियत.कोई आलोचक तो हूँ नहीं...आमतौर पर, पैसे वालों का और पॉवरफुल लोगों का पक्ष इम्प्रेस करता ही है. वो लिखा इसी उद्देश्य से जाता है.
यूँ अगर अलग नजरिये से आप देखना चाहें तो आपकी मरजी. मैं तो बस एक वृतांत पेश कर रहा हूँ पत्नी की ऑपरेशन के दौरान जो दिन गुजरा उसका.
एक नजरिया यूँ ही सही कि ऐसी क्रांति में झेलन पक्ष ( जो आम नजरों में झेल रहा है मगर सही मायनों में झिलवा रहा है) ज्यादा संवेदनशील प्रमाणपत्रों और पक्षों से लैस रहता है. मेरा लड़का है, इसका मेरे पास क्या प्रमाण पत्र होगा मगर अगर और कोई क्लेम करेगा तो वो डी ऎन ए रिपोर्ट से लेकर न जाने कितने फोटोग्राफ्स से लैस होगा कि चक्कर ही आ जायें. पाकिस्तान का हाल नहीं देख रहे हैं कश्मीर के मामले पर?? अब भी कोई प्रश्न है क्या?
क्या सही, क्या गलत!!! किस किस को रोईये..रो ही लेंगे तो खुद ही अपने आंसू पोछिये... छोडिये सब..बस, पत्नी की तबीयत देखिये, वो ही अपनी है..उसी से फरक पड़ता है, बाकि तो बस टाईम पास...चाहे प्रलय आ जाये..किसे बचाने भागियेगा... सोचो कुछई..भागोगे बीबी को बचाने ही न!!
खैर, वो कमरे में आ गई है. वेस्ट विंग का कमरा नं. ४००९. आलीशान कमरा..समृद्ध देश का समृद्ध अस्पताल...और मरीजों के लिए पेश किया खाना..मानो कोई अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन अटेंड कर रहे हों. मरीज के साथ वालों के लिए हाई फाई स्नैक, ज्यूस..और न जाने का क्या क्या विथ डिजर्ट.
उपरी मंजिल पर कमरा. अस्पताल जो एक बहुत विशाल प्रांगण में बना हुआ है..उत्तर में दो मील तक सिर्फ घास का करीने से कटा मैदान..दक्षिण में भी दो न सही डेढ़ मील का तो कम से कम...कमरे से खिडकी से दिखता दक्षिणी छोर...बीच मैदान में एक हैलीपैड..हैलीकाफ्टर से लाये गये मरीजों के लिये-लोहे की जाली से घिरा अहातानुमा... कुछ दूर पर इलेक्ट्रीक रुम और एक अन्य कोने में लगा प्रोपेन टैंक..अस्पताल की गैस सप्लाई के लिए... मैदान के दोनों ओर सड़क.
देखता हूँ सामने वाली सड़क से एक कन्या को मैदान में आते. सोचने लगता हूँ इतनी लम्बी दूरी और पैदल..दूसरी तरफ भी याने उत्तर में दो मील और, तब अगली सड़क पर पहूँचेगी. मैं सोच ही रहा हूँ और वो चलते चलते हैलीपैड का मुआयना करती, हेलिकाफ्टर को निहारती (सोचता हूँ मैं अकेला नहीं हूँ जो हेलिकाफ्टर और हवाई जहाज देखकर आनन्दित हो उठता है), इलेक्ट्रीक हाउस को पार कर, प्रोपेन सिलेंडर से किनारा कर गुम हो गई उत्तर मे..जल्द ही सड़क पा लेगी जो उसकी रफ्तार दिखी. मैं बस सोच ही रहा हूँ तभी उल्टी दिशा में जाता आदमी भी दिख गया..और जल्द ही दक्षिणी सड़क पर पहूँच भी गया. शायद पहला कदम जरुरी रहा होगा और फिर सब फासला तय हो गया.
मैं आल्स्यवश बैठा अस्पताल में, बस सोच रहा हूँ कि कैसे चल लेते हैं यह इतना.
एक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक श्रेणी के लोग और एक हम आलसी..बस, सोच की दुनिया में जीते.
शायद यही कारण होगा कि वो दक्षिणी छोर से घुसी और उत्तरी छोर से निकल गई..आस्पताल को पार करती हुई-अस्पताल में रुकने की कोई जरुरत नहीं और हम अस्पताल में बैठे हैं बीमार या बीमार के साथ. जल्दी कुछ इस तरीके का टहलना न शुरु किया तो यहीं लेटे नजर आयेंगे.
कितना अंतर है किसी कथा को लिख देने में और उसे जीने में. टहलना एक आलसी के लिए मनभावन बात नहीं है अतः सरल साहित्य के तहत राही मासूम रज़ा की किताब ’टोपी शुक्ला’ पढ़ने लगता हूँ. कुछ आनन्द का अनुभव होता है टोपी की बातें सुन "तुम मुसलमान हो क्या इफ्फन?- हाँ- और तुम्हारे अब्बू, क्या वो भी मुसलमान हैं?? :)).. बालमन, नादान गहरी बातें और हम सोच की उथली सतह पर ही टहल रहे हैं.
नोट: शायद आप समझ गये होंगे कि मेरी टिप्पणियाँ क्यूँ नहीं दिख रही हैं. कम से कम यह राजशाही की तरफ बढ़ता कदम तो कतई नहीं है, बस एक पारिवारिक जिम्मेदारी है.
पत्नीश्री के स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ. किताबें ज़रूर पढ़नी चाहिए और उनका सार ही ग्रहण करना चाहिए, लिखने वाले का थोथा नहीं, आपने भी यही किया, मज़ा आया.
जवाब देंहटाएंजाने भी दो यारो
जवाब देंहटाएंआपकी पत्नी जल्द स्वस्थ हो व आप उनके साथ टहलना शुरू करें इसी शुभकामना के साथ
जवाब देंहटाएंआपरेशन की सफलता के बारे में कल पता चला था हमारी शुभकामनायें आपके साथ थीं हीं.
जवाब देंहटाएंबाकी अनामदास जी ने कहा वो हमारे मन की बात है
ब्लागिंग तो होती रहेगी, अभी आप बीमार साथ ही समय बांटे। प्रिय निकटता कितनी ही परेशानियों में सुकून देती है। मेरी शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय भाभी साहब को आपकी सर्वाधिक ज़रूरत है । आप उनको पूरा समय दें । पत्नी हम पर मौन रह कर बिना कुछ बताये इतने उपकार करती रहती है कि एक बार अगर हमे उन उपकारों का प्रतिफल देने का मौका मिले तो पीछे नहीं हटना चाहिये । हम सब ब्लाग जगत की और से ईयवर से प्रार्थना है कि श्रद्धेय भाभी साहब जल्द स्वस्थ हों।
जवाब देंहटाएंपत्नी का बीमार होना इतने सुंदर पोस्ट लिखवा गया। चलिये अब बीमार की सेवा सुश्रुषा में लग जाईये ताकि हमे बाद में और भी रोचक चीजें पढ़ने को मिले।
जवाब देंहटाएंभाभी जी, का तबियत जल्दी ठीक हो ईश्वर से यही प्रार्थना।
जवाब देंहटाएंपत्नीश्री का स्वास्थ्य जल्दी ठीक हो, यह शुभकामना है।
जवाब देंहटाएंसर जी पोस्ट तो अपनी जगह सही है पर तनिक बर्तमान परिपेक्ष्य में परिवार की ओर अधिक ध्यान दे.
जवाब देंहटाएंभाभी जी के स्वस्थ होने के उपरांत ही बाह्य जगत की ओर ध्यान दें.
आ. गुरुमाता के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ ! आपकी अनुपस्थिति में कुछ तो गड़ बड़ लगती है वो क्या है यह पता नही !
जवाब देंहटाएंया शायद मैं कहूँ की आपकी हमारे बीच उपस्थिति एक केटेलिक एजेंट की भूमिका निभाती होगी ! या हमें आदत लग गई है ! आप कुछ ऐसे
लोगो में शामिल हैं जिनकी अनुपस्थिति अखरती है ! लोग कुछ भी कहे मुझे तो ऐसा ही लगता है !
"जल्दी कुछ इस तरीके का टहलना न शुरु किया तो यहीं लेटे नजर आयेंगे."
कहते हैं चेला समय पाकर बिल्कुल गुरु जैसा हो जाता है ! सो हम और किसी बात में तो आपकी बुद्धि ग्रहण नही कर पाये ! एक शरीर को आपकी बराबरी में ले जाने में सफल हो रहे हैं ! आपने जब से दीक्षा दी है तब से घूमना सिर्फ़
ताई को दिखाने मात्र का नाटक होता है ! और अब यह गोल बना लिया है की आख़िर कब तक हम चेला रहे ? भाई अक्ल से नही तो शरीर से तो गुरु की बराबरी कर ही सकते हैं ! :)
लिखने वाली कलम कहीं से भी लिखने का साधन तलाश कर ही लेगी :) आपकी पत्नी जल्दी ही अच्छी हो यही दुआ है .और सैर करे खूब आप ..पैदल :)
जवाब देंहटाएंishwar se prarthana hai bhabhiji jald swasth ho,aur baki sab to chalta hi rehta hai,paise waalon ki kitaab to moti rahegi hi,lekin us se fark nahi padta, thik waise hi jaise wahan ke aspatalon ke khoobsurati ka yahan ke kabad aspatal aur kabadi netaon par fark nahi padta
जवाब देंहटाएंhamaari bhi yahi dua hai ,ki bas jaldi se bhabhi thik ho jayen ,aur aap phir pehle ki tarah haste-hasaate rahe....topi shukla ka iffan aur topi mujhe bhi bahut pasand hai,,,
जवाब देंहटाएंभाई साहब, आप इत्मीनान से भाभी जी की सेवा करिए... कभी-कभी तो मौका मिलता है। इसीलिए दुनिया को बता भी देना चाहिए। जब ऐसा कुछ नहीं पोस्ट होता है तो इसका मतलब है कि सेवा का काम दूसरा पक्ष कर रहा है।
जवाब देंहटाएंऔर हाँ, टिप्पणियों कि चिन्ता छोड़िए। आपका सन्देश मिलने के बाद हम लग लिए हैं इस काम में अपनी पूरी औकात से... दूसरे भी हैं ही।
" sir, read your artical, and wish for your wife's early recovery. please atke care of her and your self. wish you good luck"
जवाब देंहटाएंRegards
शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंआत्म-विश्लेषण के साथ-साथ आम भारतीय मानस और दुनिया का सही चित्रण किया गया है-
जवाब देंहटाएं'निश्चित ही इज़रायली का अपना पक्ष पर लिखी किताब फिलिस्तीन की क्रान्ति पर लिखी किताब से ज्यादा मोटी थी. हो भी क्यूँ न, पैसे वालों का पक्ष, जिन्हें बड़े बड़े गुण्डों का समर्थन हासिल हो, हमेशा़ भारी ही रहता है. फिर यहाँ तो अमरीका का समर्थन हासिल है. उससे बड़ा....कौन?? ज्यादा दस्तावेजी प्रमाणों से लैस. और उसे पढ़ने को मेरे पास समय भी ज्यादा ही था..रहना भी चाहिय..यही प्रभावी और पैसे वालों के प्रति आम शिष्टाचार की मांग भी है'
स्वास्थ लाभ की शुभकामनाऍं।
ध्यान रखिये...भाभी का भी और अपना भी
जवाब देंहटाएंचाहे प्रलय आ जाये..किसे बचाने भागियेगा... सोचो कुछई..भागोगे बीबी को बचाने ही न!!
बहुत बड़ा सच है यह....
भाभीजी के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.
जवाब देंहटाएंलिखने से ज्यादा पढ़ने पर जोर है :)
आपने इतना सुंदर पोस्ट लिखा। बहुत बहुत धन्यवाद। भगवान से प्रार्थना है , आपकी पत्नी जल्द ही स्वस्थ हो जाए और आप पुनः अच्छे पोस्ट लिख सकें , ताकि हमारा मनोरंजन और ज्ञानवर्द्धन हो सके।
जवाब देंहटाएंइतनी अच्छी पोस्ट पढने को मिली लेकिन आंटी की तबियत ठीक नही है ये जान कर दुःख हुआ, आप प्लीज़ उन्हें पूरा समय देन और मेरी दुआ है कि वो जल्दी से जल्दी ठीक हो जाएँ (आमीन)
जवाब देंहटाएंभाभी के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हुँ.
जवाब देंहटाएंमेरे नये ब्लोग ’ मानस के अमोघ शब्द ’ पर आपकी प्रथम टिप्पणी मिली, मन हर्षित हुआ. आपके ब्लोग पर आकर पाया की आपके ब्लोग पर ९२ प्रविष्ठीयां (Record!!!) मिली, जब आप की Royal Retreat हुई तब. यह ब्लोग दुनिया के लोगों की आपके प्रति प्रेम मुहोब्बत की बानगी है, सबूत है.
जवाब देंहटाएंआपने कहीं अपने मित्रों से नये ब्लोग पर टिप्पणी करने के लिये आग्रह भी किया है , तो आप स्वयं भी अग्रणी है. Charity always begins from Home!!
यहां आ कर मैने पाया की कहां आप कनाडा में ,और कहां दुनिया के सभी कोनों से लोगों का प्यार भरा इसरार!! यही तो वसुदैव कुटुंबकम् का जीता जागता उदाहरण नही तो और क्या.
कृपया मुझे भी आपके इस कुटुंब में शामिल कर लें.
भाभी जी के शिघ्र स्वाथ्य लाभ के लिये शुभ्कामनायें.
जवाब देंहटाएंज़नाब समीर भाई,
जवाब देंहटाएंआपके स्वागत और हौसलाफजाई का तहेदिल से शुक्रिया. मैंने आपकी "उड़न तश्तरी" की छोटी सी सवारी की, हँस-हँस के पेट में बल पड़ गए. और मुझे महसूस हुआ की आपके सामने तो मैं नर्सरी का बच्चा भी नहीं हूँ. फ़िर भी आपने मुझे अपनी गोद में स्नेह से उठाया तो अब मैं बड़ा सुरक्षित महसूस कर रहा हूँ और मुझे उम्मीद है कि आपका स्नेह और आशीर्वाद मुझ पैर ऐसे ही बना रहेगा. जब भी फुर्सत मिलेगी, आपकी तश्तरी कि लम्बी सवारी कि टिकट कटाऊंगा.
वैसे आपके सुझाव पर मैंने वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है. अब आपकी टिप्पणियो कि प्रतीक्षा रहेगी.
सप्रेम
संतोष अग्रवाल
दिल्ली
http://dillinama-sk.blogspot.com/
उनके त्वरित स्वास्थ्य-लाभ के लिये हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअस्पताल मे भी ब्लागिंग !! कमाल है ! भाभी जी को प्रणाम और उनके जल्दी स्वास्थ लाभ के लिये शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें। आपका दाम्पत्य स्नेह और प्रगाढ़ हो!
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयोग किया समय का आपने।
चलो जब तक राजशाही आये, टिप्पणी करते रहें!
सबसे पहले तो भाभी जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना ....आज की ये आपकी पोस्ट अस्पताल में बैठे बैठे आपके दिमाग में घूम रहे विचारों का अच्छा प्रस्तुतीकरण है....आपका लिखना सोच को एक नयी दिशा दे देता है!
जवाब देंहटाएंवहां के अस्पताल लाइब्रेरी रखते है ओर उसे आम मरीज की पहुँच में रखते है ,जानकर अच्छा लगा...पर इसमे फिलिस्तीन ओर इस्राइल की किताबे ?वहां के मनेजर को जरा धकियाय्ये की वहां रीडर्स डाइजेस्ट जैसी कुछ किताबे रखे....खैर आपकी कोफी के साथ देश ओर ब्लॉग पे आपके गहरे चिंतन की झलक हमें दिख गयी....
जवाब देंहटाएंभाभी जी को शीग्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाये
पत्नीश्री के स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसब ऐसे ही जागे हैं मेरे देश में..कितने ही हैं जो मूँह में कड़वाहट भरे पूर्ण जागृत अवस्था का नाटक रचे घूम रहे हैं.
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पैसे वालों का पक्ष, जिन्हें बड़े बड़े गुण्डों का समर्थन हासिल हो, हमेशा़ भारी ही रहता है. फिर यहाँ तो अमरीका का समर्थन हासिल है. उससे बड़ा....कौन?? ज्यादा दस्तावेजी प्रमाणों से लैस. और उसे पढ़ने को मेरे पास समय भी ज्यादा ही था..रहना भी चाहिय..यही प्रभावी और पैसे वालों के प्रति आम शिष्टाचार की मांग भी है.
मेरे पास समय इतना कि लगभग दुगना. शल्य चिकित्सा, मुख्य भाग, में दो घंटे लगे..और रिकवरी में ४ घंटे लगने थे.आप समझ रहे होंगे क्यूँकि सामान्यतः यही होता है हमेशा!!! रिकवरी प्रोसेस हमेशा अपना समय लेती है, पूर्ववत स्थिती में आने को..पूर्ववत स्थिती की अहमियत का अहसास दिलाने.
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कमाल का सम्बन्ध जोड़ा आपने.
आपके इस कम्मल को नमन
Sameer ji aapki patni ji tabiyat jaid hi thik ho.
जवाब देंहटाएंदीदी के स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंमाहौल को सजीव कर दिया आपने . आण्टी जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ . वे बीमार हैं और आपको व्यंग्य लिखने की सूझी है ? कृपया ये वाली लाइन उन्हें भी पढवा दें .
जवाब देंहटाएंsrimati ji ke liye shubhkamnayen.......us soch ke saath aapne jo likha wah achha hai
जवाब देंहटाएंश्रीमती समीर जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंभगवान उन्हें जल्दी स्वास्थलाभ दें... ये भटकते हुए विचार भी अच्छे लगे...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.. शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिये..
जवाब देंहटाएंअंकल,
जवाब देंहटाएंआंटी को जल्दी से ठीक कर के घर ले जाना.. और नवंबर में अपने साथ लेकर आना.
आदि (बबुआ)
hamari shubhkamnaye hamesha aapke sath hai.. aap nahi likhte to bhi ham samjh gaye the ki koi jimmedari rahi hogi isi liye aap aa nahi rahe hai, aapko kuch kahne ki jaroorat nahi.. ham samajhte hai..
जवाब देंहटाएंभगवान से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामना करता हूँ।
जवाब देंहटाएंकभी कभी विस्मय होता है और कई बार आपसे ईर्ष्या भी कि आख़िर आप कैसे इतना समय निकलते हैं.....इतना पढ़ना और इतना लिखना आश्चर्यजनक है और अस्पताल से ब्लोगिंग वाकई आप ब्लॉग जगत के गाँधी होने वाले हैं
जवाब देंहटाएंआपको देखकर बहुत अच्छा लगा। बहुत अच्छा विश्लेषण किया है। जो आदमी होश में नहीं है, वो सामान्य है-अच्छा कहा।
जवाब देंहटाएंभाभी जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं
आशा है आप की पत्नी अब ठीक होगीं और घर लौट आयी होगीं। हमेशा की तरह लिखने की शैली कमाल की है, आनंद आया।
जवाब देंहटाएंये इजराइल और फ़िलिस्तीन वाला लफ़ड़ा घोस्ट बस्टर और अभय तिवारी के लिये छोड़ दीजिये। कायदे की किताब पढ़िये। सबसे जरूरी किताब है- पत्नी की देखभाल और सेवा कैसे करें। भाभीजी के जल्दी से स्वस्थ-प्रसन्न होने की मंगलकामनायें। अपनी सेहत का भी ख्याल रखें। वह भी जरूरी है, बहुत जरूरी है।
जवाब देंहटाएंमस्त रहें।
समीर जी हम तो भगवान से जल्द स्वास्थ्य की कामना ही करेंगे जल्द ही ठीक होकर घर आओ
जवाब देंहटाएंSaubhagyawai Sadhna bhabhi ji , ab tak swasth ho gayee hongeen.
जवाब देंहटाएंUnhe mere sneh purna namaste -
Aapki post aaj hee padh rahee hoon.
Wo bhee Bitiya ke ghar se , uske Lap top per, HINDI likhne ki suvidha nahee
isliye ye tippani Angrezi mei hai.
Humare Ghar per Electricity nahee :-(
Kal raat Storm aaya, 35, 40 miles raftar se hawa chalee ..
So -- this is what happened -
My good wishes to both of you , &
keep smiling get well soon.
with warmest regards,
- Lavanya
भाभीजी के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ.शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंjald se jald sair karna shuru kijiye!!! bhabhiji ka khayal rakhiye!!!
जवाब देंहटाएंमंगल कामनाएँ.
जवाब देंहटाएं=============
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
काफी बढ़िया पोस्ट. आप कलम के धनी हैं. सच और अफसाने में मिलावट की कला बखूबी जानते हैं. और हम इसे ताड़ना जानते हैं.
जवाब देंहटाएंभाभी जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामनाओं के साथ.
सादर.
व्यक्तिगत अनुभव का सकारात्मक व सर्जनात्मक उपयोग. बधाई !
जवाब देंहटाएंपोस्ट वोस्त तो बहतरीन है ही और हमारी पूज्य भाभीजी जल्द स्वास्थ्य लाभ करें यही कामना है मगर महाराज हो क्या गया उनको ? यहाँ बैंगनी (वायलेट)की तबीयत ऊँची नीची होने लगी ना सुनकर.
जवाब देंहटाएंऔर ये रक्षंदा जी ने उनको बेहोशी का फ़ायदा उठा कर आन्टी बोल दिया . मतलब आप .................................ए नको ना .
इसकी उनको सज़ा मिलेगी . बराबर मिलेगी.
भाभी के स्वास्थ्य के लिए शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसाधनाजी जल्दी ही पूर्ण स्वास्थ्य लाभ पाएँ...आप भी टहलना नियमित शुरु करें....
जवाब देंहटाएंसमीर जी हम सब आप की बीबी के स्वास्थ के लिये शुभकामनाएँ करते हे, ओर जल्द से जल्द ठीक हो कर घर आये, दुर हे वर्ना इस समय हम आप के साथ खडे होते.
जवाब देंहटाएंSameerbhai
जवाब देंहटाएं"Get Well Soon" wishes for Bhabhiji.
Nice blog.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
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जवाब देंहटाएंवैसे तो मुझे टिपेर तंत्र का अघोरी ही समझें..परआज मन से टिप्पणी कर रहा हूँ,
सच मानें, अब तक 33 % प्रतिशत टिप्पणियाँ, यहाँ
उपस्थित जनसमूह के दबाव लिहाज़ से प्रभावित हुआ करती थीं.
शेष 67% प्रतिशत पंडिताइन के हड़काऊपने से आक्रांतित रहा करती
थीं, बड़े मीथे मीथे कालाजाम देवर हो, आप !
फ़र्क इतना ही है, कि...
आप " भागोगे बीबी को बचाने ही न " कहने की लायकियत रखते हैं,
और, नाचीज़ केवल " भागोगे बीबी के भगाने से ही न " का अनुभव रखता है ।
बहरहाल, मुझे तो यह पोस्ट कई कई बार पड़नी पड़ेगी, यहाँ से उठाने लायक बहुत कुछ है, आज... बोले तो, तीन पोस्ट का माल मसाला !
ज्लद स्वस्थय होने की ढेर सारी सूभकामनाऎं।
जवाब देंहटाएंअमेरीका का सपोर्ट - तब तो भारत के सभी गूडे भाग नीकलेंगे।
आप मजे से लीखते रहीये!
टिपेर-तंत्र से फुर्सत कहाँ मिलती है हमें, फ़िर हम तो आप से जलते हैं कि आप इतने सफल ब्लॉगर कैसे हैं. बहुतों को टिप टिपाया है आज, आज कई चिट्ठों पर सबसे पहले पहुँचा था, जबकि पहली टिपण्णी का करने का हक़ तो आप को है.
जवाब देंहटाएंनरवादी हूँ पर नारी के बिना नर कहाँ !
अतः विलायती फूफा जी ख़याल रखियेगा, अपना और बुआ जी का.
सच में आप से मिलने को मन कर रहा है, अगर घर छोड़ कर भाग सकता तो आप के यहाँ ही आता.
आप के ब्लॉग पर अंत में आने का कारन यह है कि पोस्ट लिखने और टीपने में व्यस्त था. फ़िर अचानक देखा कि किसी पोस्ट ने ४७ टिपण्णी पायी है तो हम भी बेचैन हो गए कि कौन है ये महात्मा, यह कुर्सी तो मेरे विलायती फूफा जी की है, जब किल्काया तो आप ही निकले माने सब कुछ नोर्मल. तो फ़िर काहे की चिंता, पर आप साथ बुआ जी के पास रहिये मैं आप की जगह टिपटिपा दूँगा, बस आप बुआ जी का ख्याल रखिये, आपकी कुर्सी कहीं नहीं जायेगी.
कमज़ोर दिल का हूँ, पहले ही इजरायल- फिलिस्तीन हो जाता हूँ. बिल्कुल सही बात कही, राज भाटिया जी ने कि अगर आप से दूर नहीं होते, आप का अस्पताल अगल -बगल होता तो हम सब आप के साथ किताबें पढ़ रहे होते.
स्वास्थ्य- लाभ की आप दोनों को ही ज़रूरत है. ब्लॉग-जगत से कुछ दिन की छुट्टी ले लीजिये, कोई पहाड़ नहीं गिरेगा. फ़िर कुछ दिन बाद सब कुछ सही सही चलने लगेगा.
मुझे ख़ुद नहीं पता कि टिपण्णी के चक्कर में क्या लिख गया हूँ पर आप सपरिवार ओंटारियो में स्वस्थ रहें इस बात की चिन्ता हमें लगी रहेगी.
.शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंपहले तो पत्नी के स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामना। अब अपनी बात कहता हूं...मेरे ब्लॉग संवेदना पर आपकी टिप्पणी मिली। पढ़कर बहुत अच्छा लगा। हौंसला भी बढ़ा। आगे लिखने की प्रेरणा मिली। सच कहते हैं आप, चिठ्ठाकारी को सुद्रढ़ करने के लिए ब्लाग पर लिखे लेखों पर टिप्पणी करना बहुत ज़रूरी है। गिव एंड टेक की पॉलिसी बहुत कुछ अच्छा सामने लाकर खड़ा कर सकती है। आपकी पोस्ट पढ़ी...
जवाब देंहटाएंहद है, जिसे होश नहीं है, उसकी हालत सामान्य?? भारत की जनता याद आई, मन मान गया. डॉक्टर में विश्वास जागा मात्र इसलिए कि अविश्वास से कोई फायदा नहीं. वो डॉक्टर ही रहेगा और मैं बीमार या बीमार का परीजन..पुनः मेरा भारतीय होना काम आया. मैं निश्चिंत हो गया. स्थिती से तुरंत समझौता कर लिया।
भारतीय और भारतीयता का बिल्कुल सटीक चित्रण।
Shubhkamnaen
जवाब देंहटाएंjaldi se unhe lekar aap ghar laut aaen
Shubhkamnaen...
हम भी बीमार की सेवा में थे. (मन को मलेरिया हो गया था.) भाभी जी की तबियत जल्द ठीक हो दुआ करती हु. आप भी कुछ टहलम टाहली करके वजन कम कीजिये .....
जवाब देंहटाएंउड़न तश्तरी साहेब , नमस्कार, अब ऐसा है अगले हफ्ते तक आपका कोई भी पोस्ट नही होना चाहिए ,उड़न को नीचे रखो और तश्तरी मे भाभी जी को चाय पिलाते रहो। जल्दी ठीक होने की कामना के साथ , ..........हलंत परिवार
जवाब देंहटाएंजब मैने आपकी साइट को खोला तो मुझे आपकी पत्नी के स्वास्थ्य में आयी गड़बड़ी का पता चला। किसी भी घटना का ग्रहों के साथ सामंजस्य बनाने की बुरी आदत हमें है ही। इस पहलू पर भी गौर किया तो तीन निष्कर्ष पर पहुंची , जो मैं आपके सम्मुख रखना चाहूंगी , ताकि आप गत्यात्मक ज्योतिष की वैज्ञानिकता के बारे में कुछ कह सके------.
जवाब देंहटाएं1) सितम्बर.अक्तूबर 2008 में मंगल , बुध और शुक्र की खास स्थिति का जनसामान्य पर अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इनके प्रभाव से ही आपकी पत्नी की भी शारीरिक समस्या अचानक से 1 ,2 या 3 सितम्बर से आरंभ होनी चाहिए और 10.11 सितम्बर के बाद इसकी तीव्रता में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। मेरे ख्याल से भारतीय समयानुसार 4 बजे से 6 बजे सुबह या 6 बजे से 8 बजे शाम के आसपास का समय उनके लिए विशेष कष्टकर होता होगा। 24 सितम्बर तक तो पूरे ध्यानसंकेन्द्रण से इस समस्या को समाप्त करने सफलता मिलती दिखाई देगी , पर 24 सितम्बर के पश्चात् हल्के तौर पर और 28 सितम्बर के पश्चात पूर्ण तौर पर कुछ समस्याएं उपस्थित होकर परेशानी दे सकती है। इस कारण पत्नी के स्वास्थ्य को लेकर 7 अक्तूबर तक थोड़ी अनिश्चितता बनीं रह सकती है , पर उसके बाद खासकर 13 अक्तूबर के बाद कुछ सुधार होगा , 22.23 अक्तूबर के बाद और तेज गति से सुधार होगा। जैसे ही अक्तूबर व्यतीत हो जाएगा , स्वास्थ्य बिल्कुल सामान्य होता चला जाएगा।
2) यदि आपकी पत्नी की तबियत अप्रैल 2008 से ही गड़बड़ है और अभी तक थोड़ा बहुत कम अधिक होता आया है , तो अब निरंतर सुधार होता जाएगा और यदि जन्मकुंडली में कोई खास गड़बड़ी न हो तो 9 अक्तूबर के बाद वे काफी हद तक ठीक हो जाएंगी।
3) यदि आपकी पत्नी की तबियत 2002 से ही गड़बड़ है , तब भी इस वर्ष से इनकी तबियत में सुधार आना चाहिए।
वैसे तो गत्यात्मक ज्योतिष पर आधारित मेरे बहुत सारे लेख आपने पढ़े हैं , पर इसके प्रति आपके विचार को मैं अभी तक समझ नहीं पायी हूं। आज आपरेशन की बात सुनते ही मेरे दिमाग में जो भी बातें आयी , उसको हू.ब.हू लिख रही हूं , अन्यथा न लेंगे। अंत में ढ़ेर सारी शुभकामनाओं के साथ मै लिखना बंद करती हूं।
समीर भाई , आपकी पत्नी शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ करें ,हमारी भी प्रार्थना है । वैसे आपकी टिप्पणियाँ कत्तई बन्द नहीं थीं । हम भी उसी जमाने के हैं जब इस्राइल से राजनयिक सम्बन्ध न रखना सभ्यता माना जाता था ।
जवाब देंहटाएंishwar se gujarish hai ki aapki jeewan sangini jald se thik ho jayen...
जवाब देंहटाएंसमीर भाई,
जवाब देंहटाएंकमाल करते हैं. इतना लिखते हैं, पढ़ते हैं, नौकरी करते हैं, घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वहन भी जारी है. फिर दुनियाभर के ब्लॉग लेखन पर टिप्पणी करने के लिए कहाँ से समय निकाल लेते हैं. मेरे ब्लॉग पर आपकी नियमित टिप्पणी प्राप्त होती है और उसी से प्रेरणा लेकर मैं भी ब्लॉग पर टिप्पणी कर रहा हूँ.
आपके ब्लॉग की नयी पोस्ट की सूचना मुझे कैसे मिले - इस बाबत जानकारी चाहता हूँ.
सादर
आत्माराम
पत्नीश्री के स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ. ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपकी पत्नी जल्द स्वस्थ हो.
जवाब देंहटाएंकीप अप द ग़ुड वर्क !!
जवाब देंहटाएंAsha hai bhabhiji ki recovery poori ho gayi hogi. Achcha laga ki aapne khali samay ka prayog kitabein padhne aur unke nichod ko apni vyangatmak shali mein prastut kiya
जवाब देंहटाएंहमारी कामना है कि आप और आपका परिवार सुखी संपन्न और निरोग रहे। स्वास्थ्य लाभ की कामना करते रहेंगे।
जवाब देंहटाएंआपकी तरह कुछ पारिवारिक व्यस्तताओं में घिरा रहा. अब आपसे मिल सका तो ओपरेशन बीमारी जैसी ख़बर के साथ. चलिए, अंत भला तो सब भला. कुछ समय पाइए तो टिपण्णी मारिएगा जरूर, बहुतों को आपका इंतजार रहता है. शुभकामनायें.....
जवाब देंहटाएंआपकी जीवन-सहचरी जल्द सेहत्याब हों,हमारी इस रमजान में खुदा से यही दुआ है
जवाब देंहटाएंकिताबों की दुनिया का अपना अलग ही मिजाज होता है.
आप विषय को पकड़ कथ्य को बखूबी लिखने का हुनर जानते हैं.
स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ! Get Well Soon!
जवाब देंहटाएंसबका ख्याल रखना
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बढिया व्यंग । आशा है भाभीजी का स्वास्थ्य अब सुधार पर होगा ।
जवाब देंहटाएंजल्द ही स्वास्थ्य लाभ हो आपकी श्रीमती जी का ऐसी हार्दिक कामना है।
जवाब देंहटाएंबाकी का क्या कहें, अपने को तो अभी इन सब बातों पर चर्चा करने योग्य समझ नहीं! :)
भाभी जी जल्द स्वस्थ हों।
जवाब देंहटाएंपारिवारिक दायित्वों का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं। पता चल रहा है। स्वास्थ्य लाभ के लिये शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंaasha hai bhabhi ji ab tak achhi tabiaat mehsus kar rahi hongi,wo jaldi thik ho yahi prarthana hai ishwar se.
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनाएं ! आशा है सब आनंद मंगल होगा !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं !
गज़ब चित्रण
जवाब देंहटाएंफुर्सत हो तो मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें स्वागत है
सभी जने स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें, यही प्रार्थना रहती है, सर्वशक्तिमान से। जल्द घर लौटने की खबर का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंएक बात हुई इससे मैने कुछ तो सीखा …
जवाब देंहटाएंखैर शतक लग रहे हैं
और मेरे लड्डू आपके मन में फूट रहे हैं
:)
:)
फ्रेशर फक्शन था तो उसमे व्यस्त था … आज ही सब समाप्त हुआ
और आज जम कर सोना है … बाकी सोने के बाद :)
:) आप भी व्य्स्त ही थे … :)