रविवार, जुलाई 06, 2008

मैं गाँधी से मिला हूँ!!

उस रात कुछ मित्र परिवारों के साथ जुआघर गया. सभी मित्र हिन्दुस्तानी थे. दरवाजे पर पहुँचते ही हम ठिठक गये. मेरे मित्र के मुँह से अनायास ही निकल पड़ा-वो देखो गाँधी जी! एकाएक धक्का लगा-कहाँ ये जुआघर और यहाँ कहाँ गाँधी जी!






फिर भी हम पलटे तो देखा लॉबी के दाँयी ओर एक मंचनुमा पत्थर पर मेनीकुइन - आदमी जो पुतला बना खड़ा रहता है, गाँधी जी के रुप में खड़ा था. कभी ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानी तमाशा में गाँधी के मेनीकुइन के बारे में पढ़ा था आज साक्षात देख रहा हूँ वैसा ही माज़रा. गाँधी-जुआघर में. गाँधी-लोगों को जुआघर में आने का निमंत्रण देता, गाँधी-एक जिंदा पुतला, न हिलता न डुलता, बस तटस्थ भाव से सबको ताकता गाँधी.

जिन अंग्रेजों को कभी अपनी चुप्पी से डरा देने वाला गाँधी- आज उनके मनोरंजन का साधन बना बेबस खड़ा गाँधी. मेरे इन्हीं कानों ने सुना पास से गुजरती उस अंग्रेज महिला की फुसफुसाहट को-लुक, हाऊ क्यूट इज दिस गाँधी!! कोई कहता-पुअर गाँधी, लुकिंग सो स्वीट!! वेरी सेक्सी! इन बातों को सुनकर भी बिना हिले डुले खड़ा लाचार गाँधी-सेक्सी गाँधी-क्यूट गाँधी. मैने यह नायाब नजारा देखा. जिस गाँधी की पाँच सौ रुपये के नोट पर तस्वीर अंकित है. लगभग उतने रुपये घंटा अर्जित करने के लिये खड़ा मजबूर गाँधी.

लॉबी मे हालांकि हीटींग रहती है मगर फिर भी दरवाजा बार बार खुलते बंद होते रहते के कारण काफी ठंडा रहता है वहाँ का माहौल. उस माहौल मे जैकेट और कनटोपों से ढके लोगों को लुभाता सिर्फ एक धोती पहने अर्धनग्न खड़ा गाँधी. पेट की भूख मिटाने के लिये हर कष्ट सहता गाँधी-बेचारा गाँधी.

शराबियों और जुआरियों का आकर्षण का केन्द्र बना गाँधी शायद सबसे पापुलर आदम पुतला है. ऐसा मैने सुना वहाँ पर. मोस्ट सेलेबल एंड इन डिमांड गाँधी. लोग उसे देख कर हँसते हैं, चुटकुला बना गाँधी. लोग आते जाते थे, थोड़ी देर खड़े होकर गाँधी जी को निहारते थे और उनके कँधे पर टंगे झोले में कुछ लोग चंद रुपये भी डाल जाते थे. चार घंटे की ड्यूटी के बाद खुशी खुशी उन पैसों को गिनता गाँधी. छद्म मगर बिल्कुल असली सा दिखता गाँधी वरना मेरा दोस्त कैसे पहचान जाता. बनावटी, पुतला मगर सांस लेता पुतला और अपनी पलकें झपकाता पुतला-बिना हिले डुले खड़ा- अविचलित गाँधी. न कोई नेम प्लेट, न ही वो कुछ बोलता फिर भी सब जान जाते हैं वो गाँधी है-मौन खड़ा गाँधी. गाँधी की नुमाईश लगता गाँधी.

मैने पहले भी देखा है नव-धनाढ्यों को पार्टियों में आर्केस्ट्रा की धुन पर थिरकती नर्तकियों पर पाँच सौ के नोट पर सजे गाँधी को लूटता. गाँधी हवा में उड़ाया जाता है, फिर जमीन पर गिरता है और फिर उठकर उन नर्तकियों के ब्लाउज में कहीं खो जाता है. मैने यह भी देखा है कि हर बड़ी दो नम्बर डील में गाँधी ही प्रचलन में है, छोटे नोट किसी को गिनने और संजोने का समय नहीं. उन छोटे नोटों पर गाँधी भी नहीं है, वो इस प्रचलन से बाहर हैं.उन्हें गाँधी का आशिर्वाद नहीं है. मैने लिफाफों पर थूक से गाँधी को चिपकते देखा है, भारतीय डाक विभाग की टिकटों के माध्यम से. उसी गाँधी को जो बापू के नाम से जाना जाता है. उसी गाँधी की तस्वीर के नीचे बैठकर नेताओं को देश का सौदा करते देखा है.

किंतु आज यह जिंदा गाँधी. विदेश में नौकरी करता गाँधी-बिना हिले-डुले-एकदम सीधे खड़ा लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना-पुरातन गाँधी सबको जुआधर में खेलने को लुभाता गाँधी.

मैं दोस्तों के साथ जुआ खेलने जुआघर के भीतर चला जाता हूँ और यह पुतला गाँधी- मेरे मानस पटल से होता हुआ मेरे भीतर समा जाता है. मैं अपने लिये स्कॉच का एक गिलास आर्डर करता हूँ. सिगरेट के धुऐं का छल्ला बना कर उस गाँधी की याद को उड़ा देने की असफल कोशिश करता हूँ. सिगरेट के धुऐं के छल्ले में गाँधी. मगर यह गाँधी मुझ पर छाया है. कुछ असहज सा महसूस कर रहा हूँ. घुटन से बचने को मैं वापस बाहर लॉबी में आ जाता हूँ. गाँधी की तरफ निगाह जाती है. उसकी ड्यूटी खत्म हो गई है.

वो मंच से उतर रहा है, उसकी जगह अब सद्दाम हुसैन खड़ा है. उसके पहले उसी मंच पर चार्ली चेपलीन खड़ा था. चार्ली चेपलीन से लिया मंच सद्दाम हुसैन को सौंप कर गाँधी मंच से उतर जाता है.

लोग ताली बजा रहे हैं और गाँधी मुस्करा रहा है. फिर नम्बर आता है उन लोगों का जो गाँधी के साथ फोटो खिंचवा रहे हैं. हर फोटो के लिये चंद रुपये जेब में ठूंसता गाँधी. महिलाओं के साथ चिपक कर फोटो खिंचाता गाँधी, बेबस मगर मुस्कराता गाँधी. दस मिनट फोटो सेशन के बाद गाँधी पीछे एक कमरे में चला गया. पाँच मिनट बाद निकला. अब वो जींस टीशर्ट पहने था-एक नये रुप में गाँधी. जींस टीशर्ट पहने गाँधी.

मैं उसके नजदीक जाता हूँ और उससे उसका नाम पूछता हूँ. वो कहता है, जावेद खान! गुजरात, भारत. और पूछता है कि क्या आप भी भारत से हैं. मैं हामी में सर हिला देता हूँ और उसके साथ साथ बाहर आ जाता हूँ. वो जेब से सिगरेट निकाल कर जला लेता है. पाँच मिनट पहले का गाँधी अब सिगरेट पी रहा है. मैं उसे गौर से देखता हूँ. मुझमे कोतुहल है. मैं उससे पूछता हूँ कि यार, यह सब क्यूँ करते हो, बड़े मेहनत का काम है और तिस पर से गाँधी. वो बोला कि भईया, पेट का सवाल है, क्या करुँ.

पाँच साल पहले आया था. कोई काम नहीं मिला. एक दोस्त ने यह नौकरी लगवा दी. पहले नेहरु बना, नहीं चला. लोगों को मैं पसंद नहीं आया. फिर सुभाष, उसमें भी फेल हो गया, कोई पहचान ही नहीं पाता था. तब जाकर गाँधी बना और भाई, मैं हिट हो गया. यहाँ गाँधी बिकता है, सब उसे जानते हैं. खूब पैसा मिल जाता है. परिवार भारत में है. उनको पैसा भेजना होता है हर महिने. अगर गाँधी न बनूँ तो मैं भी भूखा मरुँ और भारत में परिवार भी. ऐसा गाँधी जो चार घंटे बिना हिला डुले खड़े रह कर फिरंगियों और सैलानियों का मनोरंजन करके पैसे कमाता है ताकि एक मुसलमान जावेद का पेट भर सके और भारत में उसका परिवार जी सके.

वो गाँधी, जो जावेद को पाल रहा है, जावेद से गाँधी और फिर गाँधी से जावेद...और फिर घर जाने के लिये बस का इंतजार करता जावेद जो तीन दोस्तों के साथ कमरा शेयर करता है. जिस दिन जावेद थक जाता है या बीमार होता है, उस दिन गाँधी नहीं बन पाता और भूखा सोना पड़ता है. गाँधी को आराम नहीं. वो फिरंगियों की नौकरी करता है. नहीं करेगा तो यह मुसलमान जावेद विदेश में भूखा मर जायेगा और परिवार भारत में.

मैं इस गाँधी से मिला हूँ!!

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मेरी यह कहानी तरकश में मार्च, २००७ में प्रकाशित हो चुकी है. तबियत की खराबी की वजह से कुछ नया लिखा नहीं जा रहा है, अतः आज मौका था कि आपको इसे यहाँ पढ़वा दिया जाये.

क्षमा चाहता हूँ कि वायरल फीवर की वजह से ब्लॉग से कटा हुआ हूँ, न पढ़ना, न टिप्पणी करना. सब बंद है. शायद कल से कुछ बेहतर हो जायें हालात.

68 टिप्‍पणियां:

  1. हरेक् को बीमारी में ही गांधी याद् आते हैं। जल्दी ठीक् होने की शुभकामनायें।

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  2. यहां भारत में भी सडक पर भगवान शंकर या हनुमान बने आठ दस साल के बच्चों को भीख मांगते देखता हूं तो दुख होता है। यहां जो डिफरेंट है वही बिकता है, शंकर या हनुमान में सांप और बंदर के संयोजन से बना गेटअप शायद लोगों को ज्यादा आकर्शित करता है ईसलिए चलता भी ज्यादा है,शायद गांधी में भी उन मूर्खों को कोई तत्व नजर आया हो, स्थित वाकई दुखद है।...जल्दी ठीक होने की शुभकामना के साथ उम्मीद है जल्द ही आप से फिर हम सभी ब्लागर रूबरू होंगे।

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  3. बहुत भाव पूर्ण रचना ,कितना महान है गांधी जिसने कितनों को रोजगार दे दिया और सदियों तक कितने ही धूर्त जाहिल काहिल नेता प्रेता और बेबस तथा तथाकथित बुद्धिजीवियों का भी कल्याण करता रहेगा .अमर हैं गांधी .
    अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें !

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  4. पेट की आग ने जावेद जी को गाँधी बनने के लिए मजबूर किया है यह उनकी मजबूरी ही कही जा सकती है . यदि गाँधी जी जुआघर में मौजूद होते तो क्या जुआ घर चल पाता ? बहुत अच्छी पोस्ट एक बेबस के बारे में .जल्दी ठीक् होने की शुभकामनायें . धन्यवाद.

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  5. हमने नही पढ़ा शाम को पढ़ेगे :) देखेगे कि आपके गांधी कैसे है ?

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  6. गांधी ने यहाँ भी एक भारतीय पर उपकार किया है अपनी छवि को बेच कर।
    जाने कब तक गांधी दुनियाँ को उपकृत करता रहेगा?
    शायद इतिहास के जीवित रहने तक।

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  7. गाँधी जी की हालत इस से ही पता चल गई कि गांधी बिकता है ...उनकी यह सिथ्ती जान कर अच्छा नही लगा ..आप जल्दी से अच्छे हो जाए ..बुखार को बाय बाय कहे शुभकामनायें।

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  8. आप फिर से दौड़-दौड़कर टिप्पणी करें इसकी शुभकामनाएं।
    लेकिन, बीमारी इस मायने में अच्छी रही कि हमें ये बेहतरीन लेख पढ़ने को मिला।
    वैसे आप विदेश के जुआघर में गांधी की दशा पर नाहक दुखी हो रहे हैं। अपने देश में भी सिर्फ गांधी ही बिकाऊ हैं। सुभाष को कोई नहीं पहचानता। नेहरु में अगर हैसियत होती तो, वो अपने बच्चों को अपना नाम देते गांधी क्यों देते।
    हमारे देश में ज्यादातर लोग गांधी को पूज रहे हैं। क्योंकि, गांधी ही सबसे ज्यादा बिकता है और गांधी (नोट- सबसे बड़ा रुपैया) में ही सबको खरीदने की ताकत भी है। गांधी आज भी ताकतवर हैं।

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  9. जमाये रहियेजी। गांधीजी के बगैर भारत अधूरा है।

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  10. आप जल्दी स्वस्थ हों, हमारी यही कामना है।

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  11. बेनामी7/07/2008 02:14:00 am

    aaj shayad gandhi ki yahi halat hai,unke vicharo ki aur bhi buri,jaldi thik hone ki kamna karte hai udan ji.

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  12. दुवा करता हूं कि आप जल्दी ठीक हो जायें.. गांधी का क्या कहूं.. मुझे तो कभी-कभी अपने उम्र के दोस्तों पर शर्म आती है जो गांधी को नहीं पहचान पाते हैं और उन्हें गालियां देते फिरते हैं..

    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भी जो तबियत खराब होते हुये भी मुझे साधुवाद देने मेरे ब्लौग पर आये थे..

    वैसे मेरे ब्लौग वाली वो कहानी सच्ची है मगर मेरी नहीं है.. मेरे एक मित्र की है..

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  13. आपके शीघ्र स्वास्थलाभ के लिए मंगलकामनाएं...
    आपकी इस रचना ने ऐसे छुआ, कि सारे शब्द कुंठित हो गए हैं.क्या कहें...........

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  14. धन्यवाद समीर जी, हमारी दुआ है कि आप शीघ्र ही ठीक हो जाएं। चलो काफी दिनों के बाद कोई तो गांधी से मिला। बहरहाल, आपने जो मुझे प्रोत्साहित किया उस पर सिर्फ कहना चाहूंगी कि, प्रोत्साहन मिलता रहे और मैं नियमित लिखती रहूं। हर बार आप से(वरिष्ठ ब्लॉगर होने के नाते) ये आशा है कि जब भी लिखुं तो आप अपना विचार जरूर भेजें।

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  15. पहली बार आप मेरे दिल की गहराईयों में बतोर लेखक कही गहरे तक उतर गये है....ओर जिससे उबरने में मुझे कुछ समय लगेगा .कहानी के आख़िर में लेखक आप पर हावी है पर मुझे ये रूप पसंद है......ओर कुछ नही कहूँगा..ये गाँधी तो हिन्दुस्तान में अमर है पर ये जावेद भी अब कई सल् तक जिंदा रहेगा......

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  16. जल्दी स्वस्थ हों यहीं कामना है.

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  17. समीर जी,मेरा गांधी मर कर भी मुस्लिमो की फ़िक्र कर रहा हे,आप का लेख सच मे आंखे खोलने के काबिल हे,अब आगे कया लिखु.. जल्द से जल्द ठीक हो जाओ,

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  18. जल्दी से स्वास्थ्य लाभ करें ताकि आपका ब्लाग रेगुलरली पढ़ने का आनंद उठा सकें।

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  19. कितने लोगों की जिंदगी अब भी चला रहे हैं....धन्य हैं गाँधी.
    बहुत शानदार कहानी है समीर भाई. आप जल्दी ही ठीक हो जाएँ, यही कामना है.

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  20. "मजबूरी का नाम महात्मा गांधी " को हम आज ही समझ पाये जी . :) आप जल्द ठीक हो और ट्रेन यात्रा मे पडोस मे बैठी पर कविता ठेले यही कामना है .

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  21. " interesting story, wish u good luck to recover soon"
    Regards

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  22. बेनामी7/07/2008 09:33:00 am

    ज्लदी ठीक हों - सब आपकी टिप्पणियों के लिये तरस रहें हैं।

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  23. जावेद ही क्या ? गांधीजी के दम पर तो आज भी बड़े बड़ों के पेट यहाँ पल रहे हैं !
    हमारे यहाँ क्या गांधीजी के बिना कोई कुछ कर सकता है ? यहाँ गांधी को बीच चोराहे पर
    खडा कर रखा है और कोई विशेष दिन बाबा को स्नान ध्यान करवा कर उनके नाम पर रोटी सेंकने वालों में कौन पीछे है ?
    बिचारा जावेद अगर सबके ....खैर छोडिये ..
    आपकी तबियत अब ठीक हो गई होगी ? शायद हमारी दुआओं में कमी रह गई दिखती है !

    प्रणाम !

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  24. समीरजी आज से 30 साल पहले गुजरात के गुजराती हिन्दी उर्दू के मश्हूर कवि शेखादम आबूवाल की काव्य पंक्तियाँ-

    गाँधीजी वेचाई रह्या छे आजे बज़ारमां,
    अफ़सोस नी छे बात की ते पण उधारमां.

    किंमत घणी हती आजे सस्तो थई गयो.
    कुरषी सुधी जवानो गाँधी ती रस्तो थई गयो.
    हिंदी मे यदि कहेंते
    गाँधीजी बेचे जा रहे अब तो ब़ज़ार में.
    अफ़सोस की है बात की वो भी उधार में.

    कीमत तो बहुत थी मगर आज सस्ता हो गया.
    कुर्षी तक जाने का गाँधी तू रस्ता हो गया.
    शेखादम साहब ने जिन गाँधी के इस्तेमाल करने वाले
    सफेदपोशों की ओर इशारा किया है उन पर लानत.
    लेकिन आपने जिस गाँधी के दीदार कराये वो जुआघर के पास बुत बना खड़ा अपने और अपने परिवार के पेट को भर रहा है उसकी नवाज़िश कैसी की जा सकती है ?
    आपने इससे भी बदतर हिंदुस्तान में गाँधी की बेहाली का जिक्र किया है.रचना की गंभीरता बरबस ध्यान खींचती है इसी कारण खुद को रोक न सका और ठहर गया.आप शीघ्र स्वस्थ हों इस कामना के साथ.

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  25. हम तो नब्बे परसेण्ट थीक हो गये। आप जल्दी ठीक हों, यह कामना है।
    बापू पर यह कथा मन को भाई। रागदरबारी में नारा लगता है न - "एक चवन्नी चांदी की, जय बोल महात्मा गांधी की!" आज के समाज में गांधी की नारे या फैशन में कीमत है। सिद्धान्त में नहीं!

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  26. shigra swasth hoyein.isi kaamna ke sath.

    achcha lekh likha aapne.

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  27. मन भर आया. सेहत पर ध्यान दें

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  28. kahani ke maadhyam se bahut gahri baat kahi apne....sheeghr swasth ho jaaye aap.

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  29. kahani ke maadhyam se bahut gahri baat kahi apne....sheeghr swasth ho jaaye aap.

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  30. Alam pe hai jama hua, gardogubaar dekh !
    Putlon ka dil bhee ho chala, zar zar dekh !!
    -bavaal

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  31. ऎ समीर भाई,
    हालाँकि, आपके वर्णन ने मुझे भी विचलित कर दिया, फिर भी...
    एक सवाल पूछूँगा, आपसे !
    आख़िर मार्च 2007 से पहले और अब बाद में भी, गाँधी जी का कैरीकेचर बनाते लोग आपको भारत में कैसे नही दिखे ?

    गाँधी की गाकर एक से एक धूर्त व पाखंडी लोग मजे से कमा-खा रहे हैं । सब जानते हैं, समझते हैं लेकिन गाँधी के नाम पर उनकी झोली में वोट डाल ही आते हैं ।
    आज आपका कोई कार्य किसी दफ़्तर में अटका हो, ज़ेब से निकालिये एक हँसते हुये गाँधी जी, और फिर देखिये कमाल !

    मेरी दृष्टि में, ज़ावेद तो एक ईमानदार प्रयास कर रहे हैं, अपने और अपने परिवार को ज़िन्दा रखने का । साथ ही गाँधी को विदेशी मानस में जीवित रखने का श्रेय भी दे रहा हूँ , मैं उनको ।

    नौटंकी में छम्मकछल्लो बने लौंडों को ब्रेक में जल्दी जल्दी बीड़ी के सुट्टे लगाते और लहँगा उठा कर खड़े खड़े पेशाब करते भी आपने अवश्य ही देखा होगा ! इसकी वज़ह ? पापी की उपाधि से नवाज़ा गया हमारा पेट !


    असहमत होने का रिस्क लेते हुये भी, आपसे इस टिप्पणी के लिये क्षमा भी नहीं माँगूगा । क्या करें, समीर भाई ?

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  32. चलिए, केवल जुआ घर था।
    अब आगे?
    क्या अगली बार किसी गणिकागृह (ब्रॉथेल) मे खडे करेंगे गाँधी को?
    मुझे बहुत दुख हुआ यह पढ़कर।

    शीघ्र स्वस्थ हो जाइए।
    शुभकामनाएं
    गोपालकृष्ण विश्वनाथ

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  33. गांधीजी की ये स्थिति हर जगह है. सोचने वाली बात ये है कि इन स्थितियों में क्या वाकई गाँधी जी प्रासंगिक हैं? यदि हैं तो किसलिए-पैसा कमाने का साधन होने के लिए, डाक टिकट, नोट पर छपने के लिए? क्या किया जाए, गाँधी के कथित उत्तराधिकारियों को सत्ता मिल चुकी है.
    आप जल्दी ठीक हों, शुभकामनायें क्योंकि उड़नतश्तरी की यात्रा (असली यात्रा) नहीं हो पा रही है.

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  34. मेरे द्वारा पढ़ी गयी श्रेष्ठ कहानियों में यह भी शामिल हो गयी है। यह मेरे हृदय पटल पर अंकित हो चुकी है। शायद कभी लिखते हुए इसका उल्लेख करूंगा क्योंकि गांधी पर मेरे मन में कीड़ी कुलबुला रहा है तब इसके उद्धरण काम आयेंगे। हां, आपके स्वास्थय खराब होने की चिंता सताने लगी है। शरीर पर अधिक तनाव हो तो कंप्यूटर से दूर रहें। आप स्वस्थ हों यह मेरी कामना है।
    दीपक भारतदीप

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  35. अच्छा तो गांधीगीरी वाले गांधी की बात है. हम तो शीर्षक से ही रौब खा गए कि शायद आप राहुल गांधी से मिल लिए. :-)

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  36. ऐसी बातोँ को पढकर दुख होता है कि क्यूँ कोई कानून इस तरह एक दीवँगत " जगत पिता " की छवि को कलुषित होने से बचा नहीँ पाता ?
    हिन्दु ऐसोशीयन को मिलकर इसका कडा विरोध करना चाहीये !
    - और हाँ,
    जावेद भाई के लिये एक उतने ही या अधिक पैसोँ की नौकरी के इँतजाम के बाद !
    -- आपकी कहानी पहले पढी न थी - अच्छी लिखी है -
    आप अब ठीक हो गये या नहीँ -
    Please get well soon -
    We all miss your presence on Hindi Blog Jagat Sameer bhai - take care ..
    - लावण्या

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  37. आपका यह लेख पहले भी पढ़ चुके थे लेकिन दुबारा भी उसी प्रवाह में पढ़ गए..
    आप जल्द ही स्वास्थ्य लाभ करके आभासी दुनिया में सक्रिय हों, यही कामना है.

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  38. बड़े दिनों के बाद इतनी अच्छी और दिल को छू लेने वाली कहानी पढ़ी, कहानी पढने और लिखने दोनों का शौक है, अपनी और भी कहानियाँ पोस्ट करें प्लीज़, और क्या कहा आपने, तबियत की खराबी? मतलब आपकी तबियत ख़राब है, प्लीज़ समीर जी अपना ख्याल रखिये,जब तक ठीक न हो जायें आराम करियेगा.दावा वगैरा समय पर लीजियेगा...मैं नमाज़ में आपके जल्द से जल्द ठीक होने की दुआ करुँगी...बस आप रेस्ट करें...

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  39. गाँधी बिकता है ... चे गुएअरा भी बिकता है... लिकिन इस रूप में भी ये पता नहीं था... गाँधी का काम ही था मर कर भी किसी के काम तो आ रहे हैं...
    जल्दी ठीक होकर आइये...

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  40. बेचारे गाँधी जी....अपने देश में तो लोग उसे देख कर हँसते ही हैं अब विदेश में भी हँसी का पात्र बन रहा है...अच्छे लोगों की दुर्गति सदा से होती आयी है...गाँधी जी कोई अपवाद थोड़े ही हैं.
    शशक्त रचना...हमेशा की तरह.
    आप अपनी बीमारी का जिक्र ना किया करें...डिप्रेशन होता है....आप तो हँसते हँसाते ही भले लगते हैं...जल्दी से बताएं की आप बिल्कुल स्वस्थ्य और प्रसन्न हैं.
    नीरज

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  41. कहानी के बारे में तो कहना भूल ही गया...बहुत संवेदनशील रचना है ये आप की.... जावेद जैसे लोगों का कोई धर्म नहीं होता देश नहीं होता ये आम इंसान होते हैं जिनको भूख लगती है और जो अपने परिवार का ध्यान रखते हैं.
    नीरज

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  42. धन्‍यवाद। आपने आईना दिखा दिया हमें। जिस महात्‍मा गांधी ने हमें आजादी दिलायी, पूरी दुनिया को सत्‍य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया, उन्‍हें हमने मजबूरी का नाम दे दिया है। कितने कृतघ्‍न हैं हम। इस देश में राजा और रंक सभी गांधी का इस्‍तेमाल करते हैं, उनका अनुसरण कोई नहीं करता।

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  43. pata nahi kahna chahiye yaa nahi
    magar dukh hota hai jab ham bhartiy hi is baat ki gambhirta ko nahi samjh paate
    majak humne bana diya hai apne rastrageet aur uske samaan ho

    khair ................
    sabke dekhne ka apna apna nazriya hai


    aakhir ye bhi to ek nara hai
    jiyo aur jine do

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  44. बहुत ही संवेदनशील लेख, सोचने पर मजबूर करता जावेद की मजबूरी को। आशा है वायरल फ़ीवर उतर गया होगा

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  45. गांधी जी का एक और आयाम आपकी अस्वस्थता के क्षणों में हम जान पाये। गुजरात का जावेद गांधी की दी हुई रोटी खा रहा है। खा तो हम सभी रहे हैं उनका दिया हुआ। अलग-अलग तरीके से।…मोदी जी सुन रहे हैं?
    जबतक आप पूरी तरह दौड़ने…सॉरी, ‘उड़ने’ लायक नहीं हो जाते तबतक रोज़ अपने तहखाने से ऐसा ही नगीना निकालकर नज़्र करते जाइए। हम तो इस खज़ाने को पाकर मुग़्ध हैं।
    हम आपके शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ हेतु ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

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  46. बीमारी में भी आप इतना सवेदनशील होकर लिख रहें हैं आपके गांधी की मजबूरी दिल दुखा गई। बहर हाल आप जल्दी स्वास्थ्य लाभ करें ।

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  47. Sameer KLya baat hai!!!
    Bahut acha laga vivaran
    shubhkamnaon sahit
    Devi

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  48. क्या बात है समीर जी, वाकई झिंझोड़ कर रख दिया पर आप बीमार हैं ये जान कर अच्छा नहीं लगा.

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  49. गाँधी की नुमाईश करता गाँधी! उफ! हालात हिंदुस्तान में भी कुछ एसे ही है।

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  50. बेनामी7/09/2008 02:39:00 pm

    koi baat nahi ........

    aisa do samajhadaaro ke saath aksar hotaa hai .....

    abhi mera exam hai kal hee .... jisase mujhe fever aa gayaa....
    :)
    :)

    kahaani achchhi thi...

    aaj hi system format kiya ...
    saare soft. daal nahi paayaa

    so in eng. ....

    aage se in hindi.......

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  51. jald hi thik ho jayiye ye hi shubhkamna...

    aap ke zyadatar vicharon se sehmat hoon...par apne itihas se apne samaj ka manobhav samaj aata hain...kaafi kuchh kamiyan hain...

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  52. भाव पूर्ण बहुत अच्छी पोस्ट !
    स्वस्थ हों,जल्दी ठीक हो जायें.. हमारी शुभकामनायें।

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  53. बेनामी7/10/2008 02:57:00 pm

    मतलब आप भी बाकेलाल के शौकीन हो गये ।

    बूहूहूहू… !!

    चलिये कोई बात नहीं , बुखार ने तो आपको गला दिया होगा ।

    बिल्कुल छरहरे हो गये होंगे ।

    दरअसल मैं भी हो गया हूँ :)

    आज फिर गाँधी जी को याद किया । शब्दों पर विषेश गौर किया ।

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  54. lagbhag sare pratimanon ke sath hi abhadrata ho jati hai ajkal...achhi Rachna.

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  55. Are maharaaj,
    udantastariyan bimaar nahih hua karti
    kuch der sustati hain
    aur phir ud
    chalti hain

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  56. "तू मुझे रुई की पोनी दे दे तकली खूब चलाऊँ ... मां खादी की चादर दे दे ...." - शायद जावेद ने भी पढी होगी अमल कर रहा है [ :-)]

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  57. बेनामी2/18/2010 06:59:00 pm

    Well written post dude!
    This is because why i love this site so much!

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  58. बेनामी3/01/2010 05:13:00 pm

    इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  59. बेनामी4/19/2010 01:40:00 pm

    Greets!

    It is my first post here wanted to say hi

    See you later

    जवाब देंहटाएं
  60. बेनामी5/19/2010 03:01:00 pm

    Hello

    It is my first time here. I just wanted to say hi!

    जवाब देंहटाएं
  61. बेनामी12/31/2010 03:09:00 pm

    Nice post
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    जवाब देंहटाएं
  62. बेनामी1/01/2011 07:52:00 am

    Hi folks, my own name is Incurdene

    I 'm latest here and might like to say greetings. I have by no means genuinely happen to be a fellow member in a discussion board. I noticed I can leave a note in order to introduce me personally here. Immediately after I posted this specific I will certainly go and discover out just the way all the things gets results around there.

    Happy new year!

    Kindest,

    Incurdene

    जवाब देंहटाएं
  63. बेनामी8/01/2013 03:32:00 pm

    Interesting

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आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.