रविवार, अक्तूबर 21, 2007

कृप्या दो जूते की सुरक्षित दूरी बनाये रखें...

बुजुर्ग कहते हैं जीवन एक पाठशाला है जहाँ व्यक्ति रोज कुछ नया सीखता है.

सच कहते हैं. बुजुर्ग वैसे भी जो कुछ कह गये वो सच ही कह गये हैं. उनको तो कुछ झेलना था नहीं. कहा और निकल लिये और अब आप उनका कहा पालन करिये और झेलिये.

बड़ी मुश्किल यह है कि जो भी कह गये आधा कह गये हमेशा. सेफ प्ले किया.

देखिये, एक दिन आलोक पुराणिक ज्ञान बीड़ी जलाये बैठे थे कि बुजुर्ग कह गये-’झूठ बोले कौव्वा काटे’ . आगे कुछ नहीं कह गये और चले गये. सच बोले तो?? कहते हैं कि झूठ बोलने पर सिर्फ कौव्वा काटता है और सच बोलने पर सांप, जैसे कि सत्यवादी हरीश चन्द्र जी के लड़के को काट गया.

कह गये ’नेकी कर दरिया में डाल’-कहा और चले गये. बताया ही नही कि चालबाजी कर और तिजोरी भर. वो तो भला हो बिगडैल औलादों का, जिन्हें हम नेता के नाम से जानते हैं, जिन्हें सिद्धान्तः बड़े बुजुर्गों की बात के विपरीत ही जाना है. उन्होंने बाकी आधे को ईजाद कर दिखाया. चालबाजी कर और तिजोरी भर. नेताओं का समाज पर यह उपकार कभी नहीं भुलाया जा सकेगा.

भुलाया तो गुण्डों का भी नहीं जा सकेगा जिन्होंने इस अधूरी दास्तान को पूरा किया. कहा गया कि ’इज्जत दो इज्जत मिलेगी’.आगे भाई लोगों ने पूरा किया कि दम दो, धमकाओ, बंदा पैर पर गिर पड़ेगा और पैसा मिलेगा सो बोनस.

खैर वापस आते हैं ’जीवन एक पाठशाला है जहाँ व्यक्ति रोज कुछ नया सीखता है.’

हम तो उपर की दोनों श्रेणी, नेता और गुण्डा में नहीं आ पाये हैं अभी तक. हालांकि कोशिश जारी है और मन भी बहुत करता है. इसलिये जैसा बताया गया, मान लिया. आज नया सीख कर लौटे हैं जीवन की पाठशाला से, तो बाँटे दे रहे हैं.

हुआ यह कि स्टेशन की सीढ़ियां चढ़ रहा था. सामने एक सुकन्या-तीन इंच की पैन्सिल हील पहने बड़ी ही अदा से चढ़ रही थी. वो एक सीढ़ी पर और हम अगली पर-एकदम पीछे. अदाकारी न चाहते हुये भी दिख ही जा रही थी. एकाएक न जाने क्या हुआ कि मोहतरमा का एक पैर हल्का सा गलत पड़ा और जूता पैर का साथ छोड़ हवा में होता हुआ हमारे मुँह पर. हद हो गई. बिना छेड़े पिट लिये. एक सुन्दर पत्नी के पति और दो जवान लड़कों के बाप के मुँह पर एक विदेशी सुकन्या का तीन इंच हील का जूता सीधे तड़ाक से. हम सन्न. कन्या सन्न. फिर न जाने क्या हुआ-उसने बिना अपनी गल्ती के भी माफी मांगी, हमने पिटने के बाद भी, उन्हें रिवाज के मुताबिक सुकन्या होने का फायदा देते हुये मुस्कराते हुए माफ कर दिया. बस, जीवन की इस पाठशाला में एक नया अध्याय पढ़ लिया, सीख लिया, कंठस्थ कर लिया.
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’जब भी किसी सुकन्या के पीछे चलिये, कृप्या दो जूते की सुरक्षित दूरी बनाये रखें’ अर्थात कम से कम दो सीढ़ी पीछे चढ़ो.

बरफ से नाँक सेकते हुए सोचा कि आपको भी बताता चलूँ ताकि सनद रहे और वक्त पर आपके काम आये. यह सीख मेरे उन नौजवान साथियों को ज्यादा काम आयेगी जो कुछ ज्यादा ही नजदीक चलते हैं सुकन्याओं के पीछे. :)

44 टिप्‍पणियां:

  1. समीर जी कर गये न आप भी गोची, आधा ही बताया कन्या के पीछे चलो तो दो कदम पीछे चलो वो तो ठीक और अगर बराबर चलो तो कितना दूर या सट कर चलो और अगर आगे चलो तो कितना दूर चलो…जरा जीवन की पाठ्शाला में प्रयोग कर इन सवालो के जवाब भी तो दिजिए…।:)

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  2. और जूता भी देख लेना जरूरी है । अगर हील्स वाला है तो पाँच सीढी की दूरी ठीक रहेगी और फ्लेच हैं तो बराबर भी चल सकते हैं ।

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  3. बेनामी10/21/2007 09:16:00 pm

    चलो जो होना था हो गया। नाक बच गई ये क्या कम है। :)

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  4. टोरण्टो, कनाडा में रहते हैं तो क्या? सोच तो जबलपुरिया है!
    सही सोच -
    देखिये सुकन्या हो (और पत्नी आस-पास न हो) तो दो सेण्डिल पीछे नहीं वरन बगल में बराबरी में चलना चाहिये। अगर सेण्डिल गड़बड़ायमान हो तो कम से कम सहारा देने के लिये कोई मिस्टर डिपेण्डेबल (पढ़ें - समीर) तो होना चाहिये! :-)

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  5. समीर जी, बुजुर्गों ने तो "safe प्ले किया" पर आप ने आगे की बात समझा कर हमारा ज्ञानवर्धन किया. लेकिन बात वहीं की वहीं है पीछे पीछे सीढ़ी मत chadho तो ठीक है, अगर पीछे चले तो ?

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  6. aur ye juta kya kabhi aap ko naseeb hua tha sameer bhai jiski tasveer hame dikha rahe ho

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  7. चवन्नी तो मानता है कि हिल के आसपास ही न फटको.हिल वाली सैंडिल उड़ी तो उड़न तस्तरी पर एसका आना स्वाभाविक था.

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  8. वैसे हील्स बचाने का कौशल हो तो, पीछे-पीछे भी चल सकते हैं। सुकन्या के साथ पीछे चलने वाले की किस्मत भी सुधर सकती है!

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  9. गर सैर करने वाला जूता जो तसमों के साथ कस कर बँधा है तो फिर शायद सट कर चला जा सकता है ,लगने का बिल्कुल भी डर नहीं..क्या सही है ? सखी-सखा ये भी जानना चाहेंगे...! :)

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  10. आप भी भरी जवानी में बुजुर्गों टाईप बिहेव कर रहे हैं....आधा ही बताया....अगर किसी सुकन्या के पीछे ही पड़ना है तो पीछे नहीं साथ चलिये।
    :))

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  11. जब से चश्मा लगाया है आपने,आप सुकन्याओं को ज्यादा ताकने लगे हैं।
    सुकन्याओं से एक चश्मे भर की दूरी अवश्य बनाये रखें।

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  12. हम तो अपने अनुभव से ही सीखने में यकीन रखते हैं बोले तो पर्च हैंड नॉलेज....

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  13. वाह समीर जी आपका अंदाज बड़ा निराला है

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  14. बेनामी10/22/2007 02:06:00 am

    जी ध्यान रखा जायेगा. वैसे केवल पीछे चलने तक न रूक आजू-बाजू आगे कैसे चलें यह भी बता दें.

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  15. सही है पन गुरुदेव, बना लो इस मामले मे शिष्य को गुरु, कभी न कन्या के पीछू-पीछू चलो, चलो तो साथ में कदम से कदम मिलाकर चलो!!

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  16. लोग जिसे सुअवसर मानकर जीवन भर प्रतीक्षा करते है उस पर आप बिफर रहे है। :) अभी जूता ही गिरा है, आगे देखिये क्या-क्या होता है। :)

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  17. दादा आप तो बड़े अनुभवी निकले ऑर जबलपूरिया सोच का दुनिया मे कोई सानी नही है

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  18. डा. रमा द्विवेदी said...

    समीर जी,

    बहुत बढ़िया हास्य के साथ यथार्थ की शिक्षा.....शुक्र है कि जूता ही गिरा अगर सुकन्या ही आप पर गिर जाती तब? आपकी इस शिक्षा का रूप ही बदल जाता :)....न घर के रहते न घाट के....वैसे आपने भी आधी अधूरी शिक्षा ही लिखी कई लोगों को प्रतीक्षा है कि आप पूरी बात कब लिखेंगे??? वैसे प्रतिक्रियायें भी बहुत मजेदार हैं....सबको साधुवाद ...
    बहुत खूब ...बधाई..

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  19. वाह!! "'आज का ज्ञान"' समीरानंद जी का मजेदार है !!

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  20. समीर जी
    क्षमा चाहूंगा ....
    मैंने अभी लिंक डालना शुरू भर किया है
    पर आपकी उड़न तशतरी मैंने अपने ब्लाग पर सजा दी है.....

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  21. उड़न तश्तरी,

    धरती पर आएगी
    तो चकराना स्वाभाविक है
    जूता अवश्य आगरा का होगा
    क्योंकि वहीं से विश्व भर में
    निर्यात किए जाते हैं

    पहनने वालियों का
    आयात निर्यात प्रतिबंधित है

    आपको अपने शरीर में
    वो शक्ति विकसित करनी चाहिए
    जो खतरनाक वस्तुओं से
    आवश्यक दूरी बनाए
    नहीं तो ऐसे हादसे
    होते ही रहेंगे
    आप कब तक
    सोते रहेंगे
    जागिए लाखिए और लिखिए
    ऐसे किस्सों को सुनने
    टिप्पणियाने को सब ब्लागर
    तैयार खड़े हैं।

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  22. ऊं हूँ ! बाट कुछ पची नहीं समीर जी. कहीं ऐसा टू नहीं की भौजाई को पता चल गई हो आपकी स्टेशन पर की करतूत सो आपने उन्हें पटाने के लिए बतौर सफाई ये पोस्ट मारी हो! सच-सच बताइएगा. अब देखिए दोस्तों से भी छिपाना!

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  23. बहुत खूब समीर जी,वैसे आप अपने अनुभवों का वेहतर इस्तेमाल करते हुए रोचक जानकारी प्रदान की है, ज्ञानवर्धन किया है, भाई साहब हम
    तो वॉधिसत्व जी की तरह सीखने में यक़ीन रखते हैं.आप माने या न माने पर यह सच हैकि फलैच से ज़्यादा ख़ौफ़ हिल्स का होता है. ख़ैर जो हुआ सो हुआ नाक तो बच गयी..

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  24. वाह! आप वाकई निराले है। अभी तक तो आगे चलती कन्याओं की चुन्नी-शाल पीछे वाले के मुह पर पडती देखी थी ,आप तो सिन्डल ही खा गये । धन्य हैं प्रभो !!

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  25. Kaya bat ha sameer ji ham kuch din ke liye net se juda kaya rahe aapko to bahut bade sankat ka samna karna pada .asha ha ab aapki nak sahi ho gayi hogi ab aap jara dhyan rakhiyega abhi aapko kavi sammelan men bhi to jana ha kaya aisi nak lekar jayenge :)

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  26. नाकर्दा गुनाहों की सजा, हो गया जूता
    कल पांव तले, आज वही नाक को छूता
    इसको भी मुस्कुराके जो तस्लीम कर लिया
    सचमुच में रहा एक ये बस आपका बूता

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  27. दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएँ आपके साथ हैं...

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  28. आपने सावधान कर दिया, आभार।

    हाँ इस पोस्ट का लिंक भाभी जी को भेजा जा रहा है। :)

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  29. अब से तो पूरी तरह सावधान रहूँगा…

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  30. वाह-वाह ..बहुत खूब..बढ़िया लिखा है ..मजा आ गया...राकेश जी की टिप्पणी भी कमाल है

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  31. ज...ज..जूता की...की ..कितने न...म्बर का था

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  32. ज....ज....जूता क...कक.कितने नं .....बर का था

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  33. बहुत बढिया प्रुस्तुति
    दीपक भारतदीप

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  34. समीर जी सही बात बताईये. असल किस्सा कुछ और ही लग रहा है.:)

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  35. आपका ब्योंगो भी गजबै है। सबसे बढ़िया कमेंट बेजी का....

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  36. वाह समीर जी!
    आपने ये पीछे चलने का शौक कब से पाल लिया? इस पर भी तो प्रकाश डालें. वैसे हम आप के सुख और दुख दोनों में शरीक हैं(आपको किसका अहसास हुआ, स्पष्ट करें)

    - अजय यादव
    http://ajayyadavace.blogspot.com/
    http://merekavimitra.blogspot.com/

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  37. अब कुछ उभ्र का भी ख्याल कीजीये :)

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  38. बेनामी10/24/2007 03:58:00 pm

    Farmaish puri karne ke liye bahut shukriya, Sameer Bhai. Bahut majedar hai.

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  39. ’जब भी किसी सुकन्या के पीछे चलिये, कृप्या दो जूते की सुरक्षित दूरी बनाये रखें’

    समीर भाई,

    शीर्षक पढ़कर लगा कि अपने दोनों पाँव के बीच की दूरी बनाए रखनी है....

    लेकिन खुशी इस बात कि है कि 'चलिए नाक तो बची.'.........:-)

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  40. अपने दूर दूर ही चलते हैं. वे ही हैं कि पीछा नही छोडते.. :)

    बाकि जूते तो ऐसे होते है कि खाकर भी तबियत तो हरी हो जाए. :) आप तो जानते ही होंगे. :)

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  41. wah aaj maine aapka pehli baar blog dekha bahut badheya hai aab to hindi ke site bhi badh rahe hain

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  42. यदि सुकन्या की जगह किसी प्रौढा क सैंडिल आन पडा होता तो भी क्या बाकी सब वैसा ही होता जैसा हुआ ---:) हमारा तो इमैजिन कर रहे हैं जी....

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आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.