शुक्रवार, अगस्त 10, 2007

ये देश है वीर जवानों का...




स्वतंत्रता संग्राम की १५० वीं और स्वतंत्रता प्राप्ति की ६० वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में हर तरह उत्सव भरा माहौल है. सरकारी विभागों में भी खुशी मनाने की तैयारी है. बच्चे परेड, नृत्य और गीत की तैयारी कर रहे हैं. स्कूलों में एक बालूशाही, एक समोसा, एक लड्डू और एक केला के पैकेट तैयार होने की तैयारी में हैं, जो बच्चों को स्कूल की परेड में आने के लिये ललचायेंगे.

नेता सारे भाषणबाजी के लिये तैयारी में जुटे हैं. लेखक धड़ाधड़ लेख लिखे चले जा रहे हैं और कवि कवितायें. जगह जगह कवि सम्मेलनों का आयोजन भी किया जा रहा है. सफेद खद्दर के कुर्ते पायजामे की बहार आई है. गाँधी जी की तस्वीर से झाड़ पोंछ कर धूल हटा दी गई है और तिरंगा कलफमय फहरने को तैयार है. विभिन्न प्रदेशों के विकास को दर्शाती प्रदर्शनी के ट्रक परेड शुरु होने की बाट जोह रहे हैं. फूल पौधों से अलग हो नेता जी के गले और गाँधी जी की तस्वीर पर चढ़ने को बेताब हैं.

पुलिस महकमा मुस्तैदी से अपने बिल्ले और बक्कल ब्रासो से चमका रहा है एवं एन सी सी के बालक अपनी यूनिफार्म पर आरारोट चढ़ाये बैठे हैं. स्टेडियम और अन्य झंडा स्थलों के करीब सफाई लगभग पूरी हो चुकी है. चुना और गेरु पुतने को तैयार बैठे हैं. गमले लगाकर हरियाली का माहौल बनाया जा रहा है.

अति जागरुक एवं घाग नेताओं के शहीदों के नाम पर बहाये जाने वाले दो बूँद आँसू आँख की पाईप लाईन की यात्रा लगभग पूर्ण कर चुके हैं और वो काला चश्मा उतार कर आँसू पोंछने के लिये उसे पहनने की तैयारी में हैं. इस हेतु एक जोड़ी रुमाल जेब में रख लिया गया है. पुरुस्कार और मैडल मय प्रशस्ति पत्र अपने जुगाडू साथियों के हाथ में जाने को तड़पड़ा रहे हैं. सब जुगाड़ सेट हो चुका है.

शिल्पा शेट्टी का भी देश पर अतुल्य अहसान राजीव गाँधी पुरुस्कार देकर उतारा जा रहा है. इस तरह से हमने अपने सठियाने का प्रमाण पत्र भी तैयार कर लिया है.

'ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का'


और

'जो शहीद हुये हैं उनकी,
जरा करो कुर्बानी'


के सी डी हिट सेल रिकार्ड कर रहे हैं. दुकानदार खुश हैं. बच्चे पिकनिकनुमा उत्सव मनाने के लिये तैयार हैं. बस उत्सव ही उत्सव. बहुत खुशनुमा महौल हो उठा है.

ऐसे में हमें भी न्यौता आता है कि इन ६० वर्षों की उपलब्धियों पर एक बड़ी सी कविता रच लाईये और आकर कवि सम्मेलन में सुनाईये. अब हमारी हालत देखिये:


आजादी की वर्षगाँठ पर
६० वर्षों की उपलब्धियाँ गिनाते
कविता लिख कर बुलाया है
अथक प्रयासों के बाद भी
यह कवि सिर्फ
एक क्षणिका लिख पाया है.

वो पूछते हैं-
बस इतनी सी?
कवि हृदय कब चुप रहा
उसने बस इतना सा कहा-
अजी, महा काव्य रच कर लाते
अगर आप
भ्रष्टाचारी, बेरोजगारी,
घोटालों और गरीबी के
विस्तार से ब्यौरे मंगवाते.

-समीर लाल 'समीर'

32 टिप्‍पणियां:

  1. तैयारी अच्छी है। रोज तैयारी का विवरण पेश किया जाये। कोई कोताही नहीं होनी चाहिये- न तैयारी में न विवरण में। :)

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  2. इतने पावन अवसर पर क्यों कातरता दिखाते हैं? आधा ग्लास भरा देखें.

    "पर ओ जीवन के चटुल वेग तू होता क्यों इतना कातर;

    तू पुरुष तभी तक गरज रहा, तेरे भीतर यह वैश्वानर!"
    इस देश में अभी भी बड़ी सम्भावनायें हैं. बावजूद चिरकुटई के!

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  3. ज्ञान दता जी

    पूर्णतः सहमत. Agreed type.
    :)

    समीर

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  4. बस एक कविता । अरे आजादी के साठ बरस हैं । कम से कम पूरा कवि सम्‍मेलन तो हो गुरू ।

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  5. बेनामी8/10/2007 11:59:00 pm

    वंदे मातरम ।

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  6. अपने तो ऐसे सोचते हैं लालाजी कि बी पोजिटीभ....

    सबकुछ सही नही है पर सबकुछ गलत भी नही है. गिलास आधे से ज्यादा भरा ही है. ;)

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  7. समीर भाई. ज्ञान जी की बात को अनसुनी करें.. आधा भरा देखने के लिए तो आप मशहूर ही हैं.. आधा खाली देखने के ऐसे अवसरों का हम इंतज़ार करेंगे..
    सही है..

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  8. उत्सव गमों को भूलाने के लिए मनाए जाते है.
    तमाम बुराईयों के बाद भी लोकतंत्र और आजादी सुरक्षित है, आओ इसी बात का जश्न मनाएं.

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  9. "अजी, महा काव्य रच कर लाते
    अगर आप
    भ्रष्टाचारी, बेरोजगारी,
    घोटालों और गरीबी के
    विस्तार से ब्यौरे मंगवाते."

    आपने एकदम सही कहा. लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. अत: मेरा अनुरोध है कि आज भी जो इस देश से प्रेम करते हैं उनके लिये भी चार पंक्तियां जरूर लिखें

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  10. वो पूछते हैं-
    बस इतनी सी?
    कवि हृदय कब चुप रहा
    उसने बस इतना सा कहा-
    अजी, महा काव्य रच कर लाते

    bahut khoob .....:)

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  11. ह्म्म, सामयिक!!

    पर ज्ञान दद्दा के ज्ञान से सहमत हूं!!

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  12. मस्‍त लिखा है,

    अच्‍छा लगा

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  13. अब बात निकली है तो दूर तक चली ही जाये! समीर भैया आप दुःखी जान पड़ते हैं, तो आइये आपको दिखाएं एक नयी शुरुआत का मासूम चेहरा: http://picasaweb.google.com/iAbhishek/CompetitionsInKhanmetSchool/photo#5097389037209799378

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  14. अपने विचारों को आपने इतने सहीढंग से प्रस्तुत किया है की वह हमें अपने
    लगे हैं।
    दीपक भारतदीप

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  15. सुन्दर कविता!

    ऊपर आलोक जी वाला आशीर्वाद हम भी माँगते हैं। :)

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  16. गंभीर उद्घोषणा है आपकी इस छोटी सी ही सही पर गंभीर कविता में…। शानदार!!!

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  17. पुरुस्कार और मैडल मय प्रशस्ति पत्र अपने जुगाडू साथियों के हाथ में जाने को तड़पड़ा रहे हैं. सब जुगाड़ सेट हो चुका है...
    क्या खूब लिखा है समीर भाई।

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  18. बेनामी8/11/2007 09:02:00 pm

    बहुत ही खूब! बिलकुल सही कहा है!

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  19. समीर जी बहुत अच्छा लिखा है आपको भी आज़ादी की ६० वीं वर्ष गाँठ मुबारक ...

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  20. सबसे पहले गुरूदेव आपको नमन...और उसके साथ ही मेरे प्यारे वतन को शत-शत नमन...और सभी को आपको भी आज़ादी की ६० वीं वर्ष गाँठ मुबारक हो...

    सुनीता(शानू)

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  21. 'अजी, महा काव्य रच कर लाते
    अगर आप
    भ्रष्टाचारी, बेरोजगारी,
    घोटालों और गरीबी के
    विस्तार से ब्यौरे मंगवाते.'



    अच्छी चोट की है। महाकाव्य भी कई खंडो मे छापना होगा फिर भी पूरा करना मुश्किल होगा।

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  22. सभी मित्रों का हौसला बढ़ाने के लिये बहुत बहुत आभार.

    इसी तरह स्नेह बनाये रखें. बहुत आभार.

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  23. अब तो आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं हम सब, यकिनन कवि को लिखने के लिए बहुत कुछ मिल गया होगा।
    अमृत महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई सर 🙏

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  24. वाह!!!!
    कमाल का सृजन ।

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  25. वो पूछते हैं-
    बस इतनी सी?
    कवि हृदय कब चुप रहा
    उसने बस इतना सा कहा-
    अजी, महा काव्य रच कर लाते
    अगर आप
    भ्रष्टाचारी, बेरोजगारी,
    घोटालों और गरीबी के
    विस्तार से ब्यौरे मंगवाते.
    वाह….चुटीली भाषा में लपेट कर सटीक व्यंग्य 👌

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