छोटू: क्या बात है, चाचा. आज बड़ी चाय वाय पूछ रहे हो?
उत: अरे, तू भी कैसी बातें कर रहा है. तू तो हमारा खास है, तुझको चाय नहीं पूछेंगे तो और किसे.
छोटू: नहीं चाचा, कोई तो बात है!!
उत: अरे, कोई खास नहीं. अच्छा, यह बता कि तूने सुना क्या कि तरकश पर क्या हो रहा है?
छोटू: नहीं तो!
उत: अरे, वो वहाँ पर “२००६ का हिन्दी चिट्ठाकार” का चुनाव करा रहे हैं. उसके लिये सबको दो-दो ऐसे चिट्टाकारों का नामिनेट करना है, जिन्होंने २००६ में अपना चिट्ठा लिखना शुरु किया है.
छोटू: यह तो बहुत बढ़िया काम हो रहा है, यहाँ भी चुनाव. मगर इससे आपको क्या लेना देना?
उत: अरे, हम भी तो २००६ में ही लिखना शुरु किये हैं, हमें काहे नही लेना देना.
छोटू: अरे, हम तो समझे कि आप पहले से लिखना जानते थे.
उत: देख छोटू, ऐसी बातों पर हमसे मजाक न कर. लिखना तो जानते थे मगर चिट्ठा तो २००६ में ही न शुरु किये हैं.
छोटू: चाचा, आँख न दिखाओ. चुनाव का समय है. कोई गाली भी बके तो भी हाथ जोड़कर मुँह पर वो उसकी छोटी बेटी को चिपकाये रहो.
उत: अबे, क्या बकता है, किसकी छोटी बेटी?
छोटू: क्या चाचा, कितना गलत सोचने लगते हो? उ फुरसतिया जी बताये थे न, हँसी की छोटी बेटी मुस्कान है, यह अलग बात है कि उसमें हँसी से भी ज्यादा जान है. वही वाली का ख्याल आ गया.
उत: अच्छा,अच्छा. ऐसा ही करेंगे. और सबके दरवाजे जा जा कर टिप्पणियां डाल डालकर अपनी याद दिलायेंगे ताकि कोई भूले न!!
छोटू: मगर यह बात आपको पता कैसे चली कि तरकश पर चुनाव हो रहे हैं?
उत: अरे, वो अपना पंकजवा है, उसी का चिट्ठा मन्तव्य पर नोटिस सांटा गया है. वहीं पढ़्कर आ रहे हैं.
छोटू: तो वहीं टिप्पणी डालकर नामिनेशन कर आयें का!
उत: अरे नहीं भाई, तेरी बुद्धि भी तेरे नाम के जैसी ही है. वहां कोई कैसे नामिनेट कर सकता है, सबको पता नहीं चल जायेगा और सिर्फ दो को करना है तो बाकी मुँह फुलायेंगे तुमसे कि हमें काहे नहीं किये. ऐसे में ईमेल contact@tarakash.com का फायदा समझ में आया कि सबसे कह देंगे कि बस तुमको ही किये हैं.
छोटू: चाचा, मतलब सबको गोली दोगे. और दो कि जगह कहीं उ तीन साथ साथ बैठ कर बात कर लिये तो तीनों ही कहेंगे कि चाचा हमको नामिनेट किये हैं, तब.
उत: अरे, कभी दो चिट्ठाकार, वो भी हिन्दी के, आपस में नहीं मिलते तो तू भी तीन की लगाये है. तीन अगर मिल भी गये तो आपस के ही इतने झगडे हैं कि वहाँ नामिनेशन वाली बात उठे, इसका कहाँ समय होगा.
छोटू: चाचा, आप भी न! हो बहुते दूर की कौडी.
उत: तो चल, तू शुरु कर नामिनेशन भरना.
छोटू: कैसे भरना है, चाचा?
उत: बस, इतना सा तो भरना है-
“ मैं, …….., मेरा चिट्ठा, ………., निम्न लिखीत चिट्ठों को '२००६ के हिन्दी चिट्ठाकार' के लिये नामिनेट करता हूँ:
१. उड़न तश्तरी (समीर लाल)
२. ………………….”
बस, और भेज दो.
छोटू: मगर नम्बर दो पर किसी का नाम ही नहीं है?
उत: अबे, यह तो फार्म है, इसी को तो भरना है. खाली स्थान भरो, और भेज दो.
छोटू: आपका नाम तो पहले से ही छपा है, फार्म में. तो सिर्फ़ नम्बर दो वाला भरना है, क्या?
उत: तू भी छोटू, प्रश्न बहुत करता है. इतना ही जो सोचना था तो चाय किस बात की पी?
छोटू: अरे, चाचा, मैं तो मजाक कर रहा था और आपने अन्यथा ले लिया.
उत: मजाक कर रहा था तो बात के बाद में स्माईली क्यूँ नहीं लगाया.
छोटू: आगे से ध्यान रखूँगा, चाचा. अभी जाकर साईबर कैफ़े से इसे भेज देता हूँ.
उत: ठीक है, छोटू. जल्दी जा. २२ तारीख आखिरी तारीख है नामिनेशन की. और हाँ, उ जो ईमेल करेगा न, उसकी जरा BCC मुझे भी कर देना.
छोटू: क्या चाचा, इतना भी भरोसा नहीं क्या, भतीजे पर.
उत (मुस्कुराते हुये): अरे नहीं छोटू, तुझ पर तो पूरा भरोसा है, मगर जमाना खराब है.
चलते-चलते:
समस्त चिट्ठाकारों के हितार्थ मैने उपर दिया फार्म कॉपी लेफ्ट कर दिया है. आप लोग इसे यहाँ से कॉपी कर खाली स्थान भरने के बाद कृप्या इस पते पर प्रेषित करें: contact@tarakash.com
:)
अब तरीका सुझा ही दिये हो तुहार चेला की हांई, ई की सौ पचास हमहुं लगा देई
जवाब देंहटाएंवाह वाह, क्या लिखा है, मजा आ गया,,,,,हंसते हंसते पेट मे बल पड़ गये. :D
जवाब देंहटाएंचुनावों में सर फुटते हैं और भाटियाजी हँस रहे है!
जवाब देंहटाएंअन्यथा न ले.
Chunav ke poorv Basti mein cyclein banti hai, khoob daarubaazi hoti hai, botle milti hain, naach gaana hota hai, sab kutch ummeedwaar ke kharche par.
जवाब देंहटाएंSir ji, hum u sab kar leb, aap bas apne account se mudra transfer karai do.
वाह गुरूदेव. क्या मस्त लिखा है मजा आ गया, पोस्ट का शीर्षक "सागर भाई को हँसना है" दे देते तो क्या पता सागर भाई ही खुश होकर आपको नोमिनेट कर देते. :)
जवाब देंहटाएंवैसे हम है ना, डोंट वरी बी हैपी :)
बहुत खूब, मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंआप र्निविरोध जीत रहे है। कृप्या कोई अन्यथा मत लिजिये गा :)
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