तिनका तिनका जोड जोड़ कर, नीड़ बनाना जारी है
मक्कारों की आँख लगी है, तूफ़ानों की बारी है.
दुनिया भर मे साख जमा कर, ज्ञान पताका लहराई
सत्ता की लालच मे उनकी, बुद्धि की बलिहारी है.
दलितों का उद्धार जरुरी, कब ये बात नही मानी
आरक्षण की रीत गलत है, इसमे गरज़ तुम्हारी है.
रोक लगानी है समीर,अब और न हो ये मनमानी
आने वाली नस्लों के संग, यह केवल गद्दारी है.
--समीर लाल 'समीर'
सही है
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से कुण्डलियाँ नहीं आ रही; ये बहुत ना-इंसाफ़ी है!!!!!!!! जीतु भाई के साप्ताहिक जुगाड़ु लिन्क की तरह साप्ताहिक कुण्डलियाँ चालू करें।
जवाब देंहटाएंसही है, आने वाली नस्लों के संग
जवाब देंहटाएंयह केवल गद्दारी है,
ये गद्दारी न हो आगे
अब अपनी जिम्मेवारी है ।
पंकज भाई एवं रत्ना जी,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत बहुत धन्यवाद.
सागर साहब,
आपके आदेश पर तालिम करने का प्रयास करता हूँ,
सुझाव के लिये आभारी हूँ.
समीर लाल
सही विषय उठाया है आपने !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, मनीष भाई.
जवाब देंहटाएंसमीर लाल
राजनीति को सदा चाहिये हुन्डी एक भुनाने को
जवाब देंहटाएंजातिवाद था, धर्म हुआ, अब आरक्षण की बारी है
एमबीए का तमगा लेकर रटें पहाड़े तेरह के
इस मंज़िल पहुँचाने वाली नई योजना जारी है
वाह राकेश भाई, बहुत खुब जोड़ है, वाह.
जवाब देंहटाएंसमीर लाल
आरक्षण की मांग एक विशेष क्षेत्र में हम भी रखते हैं। फुरसत मिले तो अपनी राय यहाँ व्यक्त कर दें ।
जवाब देंहटाएंपंकज भाई
जवाब देंहटाएंआपके मांग पर अपना समर्थन चस्पा कर आया हूँ, पधारने के लिये धन्यवाद.
भारत जल रहा है इसमें, ये आग और बढेगी।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंक्या कहें, बस यही कि "मूर्खों का देश" - बस अब इस शीर्शक वाले मेरे लेख की यहाँ पर प्रतीक्षा करिये - lakhnawi.blogspot.com
जवाब देंहटाएंशीघ्र ही लिखूँगा बस समय की तलाश है. तब तक समय बिताने के लिये बाकी का लिखा पढ़िये.
- अतुल