आज एक ब्लाग पर पोस्ट देखी, ब्लाग का नाम है छाया, जानकारी लगी है कि किसी भारतीय यायावर का है, क्या बात है, भारतीय और यायावर, इसमे अज़ूबा क्या है, कोई भी एक बात बता देते, दूसरी जोडने मे तो हम खुद सक्षम हैं:
पोस्ट शुरू होती है:
हालांकि मुझे मेरी पिछली दो पोस्ट पर टिप्पणियॉ नही मिलीं, शायद मेरा लिखने का उत्साह जाता रहता,
फ़िर मुझे लगा:
अरे, छाया जी तो उदास टाइप कुछ हो गये, टिप्प्णी न आने से. इसके कई कारण हो सकते हैं;
एक तो आपका नाम पता नही है, पढने से एहसास तो है कि कोई भाई साहब हैं, बहिन जी नही...मगर अब छाया को कैसे संबोधित करें, यह समझ मे नही आ रहा था..जरा फ़ोटू वगेरह लगाओ और वो भी नाम भी साथ मे.कैसी भी फोटो हो, लगा दो, भाई, आखिर हमने भी तो लगाई ही है ना.
दूसरा, टिप्पणी का स्वभाव थोडा ज्ञान के समान है, जितना बांटोगे, उतना बढेगा. जब आप दूसरों के ब्लाग पर टिप्पणी करेंगे तो वो भी, भले ही शरमा कर, आपके ब्लाग पर भी टिप्पणी करेगा. कई बार अपवाद भी पाये जाते हैं, तब आप भी उनके ब्लाग पर टिप्पणी करना बंद कर सकते हैं, या उन से बहुत नाराज़ हों तो टिप्पणी करते रहिये, नीचा दिखाने के लिये.आपका क्या जाता है, सिर्फ़ थोडा सा समय और उसकी क्या कमी है अगर आप सच्चे भारतीय हैं और झूठ ना बोलना हो तो. वैसे समय बचाने के भी कुछ उपाय हैं, कहीं पहले से ही कुछ टिप्पणी टाईप करके रख लें, उदाहरण के तौर पर:
. बहुत बढियां, लिखते रहें.
.मज़ा आ गया, बहुत सुंदर लिखते है आप.
.क्या बात है, वाह.
.बहुत बढिया कटाक्ष किया है.
.मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ.
.बहूत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है (यह जीतू भाई के हर साप्ताहिक जुगाड लिंक पर निःसंकोच डाल दिया करें)
.क्या लिखते हैं, हंसते हंसते बुरा हाल हो गया. अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा ( फ़ुरसतिया जी की पोस्ट पर बिना पढे डाल दें)
.शब्द संचयन को माध्यम बनाकर बडी गहरी बात कह डाली. ( एकदम चल जायेगी मानोशी जी, अनूप भार्गव जी और राकेश जी के ब्लाग पर, पर राकेश जी को ईमेल से भेजना पडेगा क्योंकि उनके ब्लाग पर टिप्पणी का कोई प्रावधान नही है, कुछ तो सिखो उनसे, मगर उसके लिये तो वाकई अच्छा लिख्नना पडेगा (रिस्की फ़िल्ड है) और वो कविता ब्लागियों मे राकेश जी के सिवा कौन जोखिम उठा सकता है)
.बहुत गहरी अभिव्यक्ती है, मज़ा आ गया. ( इसे तो सभी कविता टाईप ब्लागों पर डाल सकते हैं)
.शब्दों के माध्यम से बहुत सुंदर चित्र खींचा है, साधुवाद स्विकार करें. ( इसे भी कविता टाईप ब्लागों पर डाल सकते हैं, पिछली टिप्पणी को बदलने के लिये)
.कहाँ से लाते हो इतनी बढियां फोटो (पंकज भाई के लिये)
.कहाँ थे अब तक, छा गये. ( जोगलिखी पर)
बस कट और पेस्ट. सब अज़माये नुस्खें हैं, मेरी बात मानो, बहुत कारगर हैं.
और तो आप खुद ही समझदार है, साथ ही संवेदनशील भी, जब भी अच्छी और कामन टाईप की टिप्पणी दिखे, बस कट एंड पेस्ट करके रख लो. बहुत काम आती हैं.
और इन सब से ऊपर, पोस्ट कैसी भी हो, टाईटल एकदम धासूँ रखो. वही तो खिंचता है, नारद से नज़र को आपके ब्लाग पर.मैने तो यहाँ तक देखा है, टाईटल के बेस पर लोगों ने क्या क्या बताने के लिये के लिये अपने ब्लाग पर बुला लिया, मसलन:
.अब वो छुट्टी पर जा रहे हैं.
.अब वो छुट्टी से आ गये हैं.
.जल्द ही कुछ पोस्ट करने वाले हैं ( जबकि आज तक नही किया, और उस पर भी टिप्पणियां प्राप्त कर सुशोभित हुये)
.नित्य कर्म कैसे निपटाया.
यहाँ तक कि मै नया चिठ्ठा शुरु कर रहा हूँ, स्वागत करिये( फंस गये ना, करो तो मरो, मालूम है कुछ भी पढवायेगा, और ना करो, तो फिर अपने ब्लाग पर वो भी टिप्पणी नही करेगा..ये तो गज़ब हो जायेगा, ना भई ना)
सबसे मजेदार मुझे लगती है, पलायन की सूचना. मेरी यह दुकान बंद हो रही है, कृप्या अब वर्ड प्रेस पर पधारें. अरे भई, हम कोई तुम्हे एड्रेस से थोडे ही ना जानते हैं, ना ही तुम्हे फ़ेवराइट मे डाले है, हमारा माध्यम तो नारद हैं, तुम जहाँ भी जाओगे, नारद हमें बतायेंगे.
अंतिम सलाह, अगर इतने अति संवेदनशील हो तो ब्लागिंग बंद कर दो और वही पुराना रस्ता अपनाओ, कि दोस्त को चाय नाश्ता कराओ और सुनाओ....ब्लागिंग कि दुनिया वो दुनिया है दोस्त, जहाँ चार पोस्ट तक तो सब संभव है, उसके बाद लौटना संभव नही, अभी भी संभल जाओ.
चलिये, मुझे लग रहा पोस्ट लंबी हो रही है...अब बंद करता हूँ..कबीर दास के इन शब्दों के साथ कि धीरज़ धरो हे छायावादी:
"धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय
माली सिंचें सौ घड़ा, रितु आये फल होय"
इंतजार करो, छाया भाई, दिल छोटा ना करॊ...सब ठीक होगा, अभी तो यह शुरूवात है.
--समीर लाल 'समीर'
"कृप्या कोई बुरा ना माने, मेरी किसी को आहत करने की कोई मंशा नही है."
very nise and I have typed the comment not pasted it
जवाब देंहटाएंअंतिम सलाह, अगर इतने अति संवेदनशील हो तो ब्लागिंग बंद कर दो और वही पुराना रस्ता अपनाओ, कि दोस्त को चाय नाश्ता कराओ और सुनाओ....ब्लागिंग कि दुनिया वो दुनिया है दोस्त, जहाँ चार पोस्ट तक तो सब संभव है, उसके बाद लौटना संभव नही, अभी भी संभल जाओ....
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति पर तो टिप्पणी देनी ही होगी:_
मैदाने जंग में शहसवार वो ही जीतते हैं जो चार दिन के इनीशियल यूफ़ोरिया को झेल लेते हैं...
वैसे, काटने-चिपकाने के लिए ढेरों मसाला रेडीमेड देने के लिए भी धन्यवाद!
अंतिम सलाह, अगर इतने अति संवेदनशील हो तो ब्लागिंग बंद कर दो और वही पुराना रस्ता अपनाओ, कि दोस्त को चाय नाश्ता कराओ और सुनाओ....ब्लागिंग कि दुनिया वो दुनिया है दोस्त, जहाँ चार पोस्ट तक तो सब संभव है, उसके बाद लौटना संभव नही, अभी भी संभल जाओ....
जवाब देंहटाएंइस पंक्ति पर तो टिप्पणी देनी ही होगी:_
मैदाने जंग में शहसवार वो ही जीतते हैं जो चार दिन के इनीशियल यूफ़ोरिया को झेल लेते हैं...
वैसे, काटने-चिपकाने के लिए ढेरों मसाला रेडीमेड देने के लिए भी धन्यवाद!
हँस हँसकर पेट दोहरा हो गया। हम तो नए हैं, सब आप लोगों से ही सीख रहे हैं। सारी टिप्पणियाँ यहीं से कॉपी कर ली हैं बहुत काम आएंगी।
जवाब देंहटाएंअब पता चला कि आपकी टिप्पणियाँ हर ब्लॉग पर क्यों नज़र आती हैं... रेडीमेड स्टॉक जो है। वैसे, ब्लॉग खोल कर आप ख़ुद टिप्पणी करते हैं या फिर इसके लिए भी कोई सॉफ़्टवेयर है आपके पास.... जो आपके टिप्पणी-डेटाबेस का उपयोग करता है। :-)
जवाब देंहटाएंलो भई, हम भी टिप्पणी(कापी पेस्ट) कर दिये देते है:
जवाब देंहटाएंक्या लिखते हैं, हंसते हंसते बुरा हाल हो गया. अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा
देखना कोई पेस्टिंग मे गलती तो नही हो गयी।
अच्छा अब हमारा "टिप्पणी पुराण भी झेलो।
सही बतायें तो हम भी कुछ मायुस हो रहे हैं (थे),पर आपका यह लेख पढ़ने के बद कुछ हिम्मत आ रही है,
जवाब देंहटाएंऔर हाँ अब आपके आईडिया वाला "कट एंड पेस्ट"
"बहुत बढ़िया लिखते है, मजा आ गया, लिखते रहें"।
वाह समीर लाल जी मजा आगया पोस्ट पढकर।
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट्स पर तो विशेष ध्यान है आपका।
और लिखते रहिये शुभकामनाएं।
1.बहुत बढियां, लिखते रहें.
जवाब देंहटाएं2.मज़ा आ गया, बहुत सुंदर लिखते है आप.
3.क्या बात है, वाह.
4.बहुत बढिया कटाक्ष किया है.
5.मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ.
टिप्पणी करने का राज़ तो समझ में आगया पर आपके चिठ्ठे पर लगी घड़ियों का राज़ नहीं समझ में आया| टोरन्टो तथा नयी दिल्ली की घढ्ियों में एक समय कैसे है?
जवाब देंहटाएंबहूत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है
जवाब देंहटाएंमैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ और आपने बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी दी है । वैसे अब समझ आया कि आपकी टिप्पणियाँ मेरे ब्लाग पर भी कभी-कभी कैसे दिखती हैं। पर वाकई आपने बहुत बढ़िया लिखा है। बढ़िया टिप्पणियाँ सुझाने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअरे उडन तस्तरीजी आपके ब्लोग पर क्या टिप्पणी दें, यह भी बता देते ना!!
जवाब देंहटाएंचलिए चुन लिजीए:
1. मजा आ गया
2. वाह वाह भई खुब रही
3. शुभान अल्लाह... वाह मिँया नगीना हैं आप तो
धन्य हो समीर लाल जी
जवाब देंहटाएंक्या गजब की पोस्ट लिखी है, आपको या तो टिप्पणीयां भी मिली तो छप्पड फाड के।
:-):-)
जवाब देंहटाएंअब समझ आया आपके तुरंत टिप्पणी लिखने का राज ;)
जवाब देंहटाएंलगता है इस एकलव्य को द्रोणाचार्य मिल गया ।
जवाब देंहटाएं"काट और साट" की परम्परा का प्रारम्भ होने वाला है।
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट पर आई प्रतिक्रियायें बताती हैं कि हवा हवाई कविताओं के मुकाबले लेख लोगों की समझ में ज्यादा आते हैं। मुझे तो बड़ा अच्छा लगा कि जीतेंदर के टिप्पणी पुराण के बाद की बात कही। ब्लाग-ब्लागर-ब्लागिंग के कुछ सुभाषितों में से जो यहां लागू होते हैं वे यहां दुबारा दिये जा रहे हैं:-
जवाब देंहटाएं- अच्छा लिखने वाले की तारीफ करते रहना आपकी सेहत के लिये भी जरूरी है। तारीफ के अभाव में वह अपना ब्लाग बंद करके अलग पत्रिका निकालने लगता है। तब आप उसकी न तारीफ कर सकते हैं न बुराई।
-ऊटपटांग लिखने वाले का अस्तित्व आपके बेहतरीन लिखने का खुशनुमा अहसास बनाये रखने के निहायत जरूरी है। घटिया लिखने वाला वह नींव की ईंट है जिसपर आपका बढ़िया लिखने के अहसास का कगूंरा टिका होता है।
- बहुत लिखने वाले ‘ब्लागलती’ को जब कुछ समझ में नहीं आता तो वह एक नया ब्लाग बना लेता है,जब कुछ-कुछ समझ में आता है तो टेम्पलेट बदल लेता है तथा जब सबकुछ समझ में आ जाता है तो पोस्ट लिख देता है। यह बात दीगर है कि पाठक यह समझ नहीं पाता कि इसने यह किसलिये लिखा!
बहुत बढ़िया समीर जी।
जवाब देंहटाएंसमीर जी, आपका तो जवाब नही है साहब, मुझे टिप्पणियॉ कैसे मिले ये बताते बताते आपने उसका अम्बार जमा कर लिया, मै निरुत्तर हूँ साहब जो कहना चाहता था भाई लोगों ने पहले ही कह डाला है। मुझे आपका चिठ्ठा बेहद रोचक लगा और बेहद हँसी भी आई कई जगह। आपकी सलाह गॉठ बॉध कर रख लेता हूँ।
जवाब देंहटाएंअब इतनी टिप्पणियों की बाद कुछ रहा भी है लिखनें के लिये ?
जवाब देंहटाएंजितनें 'सुझाव' तुम नें दिये हैं , जी चाह्ता है कि कह दें "All of the above".
समीर जी,
जवाब देंहटाएंइतनी टिप्पणियों के बाद आपको मेरी टिप्पणी की ज़्ररूरत तो नहीं है,फिर भी डाले देता हूँ। लाख़ टके की सलाह दी है, आपने।
अरे भैया अगर कोई आप के ब्लाग पर नहीं आता तो अखबार मेँ एड दो न मना किसने किया है
जवाब देंहटाएंसमीर भाई बहुत बढ़िया, बधाई. पर कट पेस्ट नहीं है।सच में बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रेमलता
इतनी सारी टिप्प्णियाँ......विश्वास सा नही होता.आप सबके स्नेह से भाव विभोर हुआ जाता हूँ. बकौल जीतू भाई, गला रौंध आया. थोडा खंगारा, तो कुछ ठीक लगा.अब तीन चार पार्ट्स मे धन्यवादी सिलसिला शुरू करता हूँ:
जवाब देंहटाएंभाग १:
रत्ना जी: मान गये कि आपने टाइप किया है, धन्यवाद.
रवि भाई: बहुत धन्यवाद, कभी इनीशियल यूफ़ोरिया पर विस्तार से विचार दें, सिम्पटम्स आदि पर.
आईना जी(जगदीश भाई): आशा अब तक थम गये होंगे-और पेट पुनः यथास्थिती को प्राप्त हुआ होगा.धन्यवाद.
प्रतीक भाई: साफ़्टवेयर बनाने के जुगाड मे लगा हूँ, जैसे ही तैयार होगा, जीतू भाई से बात कर साप्ताहिक जुगाड लिंक मे डलवा देंगे.अभी तो खुद ही पूरी मेहनत करनी होती है, कापी और पेस्ट की.बहुत धन्यवाद.
जीतू भाई: टिप्पणी पुराण पढ ली और टिप्पणी भी चस्पा( कापी/पेस्ट) कर आये. बुरा हाल करने के लिये माफ़ी चाहूँगा.अब तक अच्छा हो गया होगा.बहुत धन्यवाद
सागर भाई: हिम्मत वापिसी की बहुत बधाई.आगे भी जब हिम्मत छुटने लगे, चले आना, भाई.मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिये. आईडिया पसंद करने के लिये धन्यवाद.
क्रमशः........
आगे:भाग २
जवाब देंहटाएंयुगल भाई: आपको मजा आया, सुनकर हमे भी मजा आया. आपका तो विशेष ध्यान रखना ही पडता है, और अब आपने बुरा नही माना है तो आगे भी कवरेज थोडी बढा कर करुँगा.:)
आशा है इसी तरह खेल भावना का प्रर्दशन जारी रखेंगे.धन्यवाद.
रा.च.मिश्र जी: आपकी सहमती के लिये आभारी हूँ.(कंडिका ५) और बाकी के लिये बहुत धन्यवाद. वैसे मुझे लग रहा है, आपने इसका पालन करना भी शुरु कर दिया है, कहीं आपकी टिप्पणी देखी "शब्द संचयन को माध्यम बनाकर बडी गहरी बात कह डाली." ...तो यूँ ही ख्याल मचल उठा. :)
उन्मुक्त भाई: चलिये, एक राज तो क्लियर हुआ.अब रही घडी की बात: मेरी मशीन पर तो ठीक दिखा रही हैं, फिर भी और टेस्ट करता हूँ आपके सुझाव के मद्देनज़र.बहुत धन्यवाद
आशीष भाई: ज्ञानवर्धन के इस विशेष मौके पर आपको लाख लाख बधाई एवं यह भविष्य मे आपको लाभ पहुँचाये, इस हेतु शुभकामनाऎं प्रेषित करता हूँ.बहुत धन्यवाद
शालिनी जी: ज्ञानवर्धन के इस विशेष मौके पर आपको भी लाख लाख बधाई एवं यह भविष्य मे आपको लाभ पहुँचाये, इस हेतु शुभकामनाऎं प्रेषित करता हूँ.अरे नही जी, आप जब जब भी अच्छा लिखती है, मन ही नही मानता, वाकई टिप्पणी करके आया था. :) सुझाव पसंद आये, हम खुश हुये, आगे भी स्नेह बनाये रहें. बहुत धन्यवाद
पंकज भाई: आगे से जरुर बताऊँगा कि कैसी टिप्पणी चाहिये.:) वैसे आग्रह का कच्चा हूँ, तीनों ही रख लेता हूँ, बहुत धन्यवाद.
युगल भाई(पुनः): पुनः धन्यवाद..अब एक हफ़्ता तो छप्पर की मरम्मत मे निकल जायेगा. :)
क्रमशः........
आगे:भाग ३
जवाब देंहटाएंमानोशी जी: इस पोस्ट पर दो बार मुस्कराने के लिये बहुत धन्यवाद. :-):-)
सीमा जी: अरे, इसमे भी बडी मेहनत का काम है, कौन सी वाली कापी पेस्ट करना है, कहीं पिछली वाली भी तो वही नही थी. कभी कभी तो सीधे लिख देना ज्यादा जल्दी हो जाता है. :) धन्यवाद.
पंकज भाई एवं पंकज भाई( दो बार): एकलव्य को द्रोणाचार्य मिला, बहुत खुशी की बात है, बधाई स्विकारें विशेष प्राप्ती के लिये और नई परम्परा के उज्जवल भविष्य के लिये शुभकामनाऎं. पधारने के लिये धन्यवाद.
अनूप (शुक्ला) जी: बिल्कुल सही कह रहे हैं, लेख ज्यादा पसंद किया जा रहा है. एक बार पहले भी आपने मुझे गद्य के मैदान मे रहने का सलाह दी थी ......
सुभाषितों को पढकर तो मज़ा ही आ गया. पधारने और नज़रें इनायत करने के लिये बहुत धन्यवाद. स्नेह बनाये रखें.आपकी लेखनी के तो हम कायल हैं.
क्रमशः........
आगे:भाग ४
आगे:भाग ४
जवाब देंहटाएंरजनीश भाई: बहुत धन्यवाद
छाया भाई ( माननीय e-shadow ji): वाकई, बहुत स्नेह प्राप्ति हुई और साधन बने आप. अब तो कविता मे भी आपको ही नायक बना कर लिख करूँ, ऎसा लगने लगा है.अरे भाई, निरुत्तर होने की जरुरत नही है, कुछ तो कहो. गाँठ की सलामती के लिये शुभकामनायें.. और बुरा ना मान कर जिस खेल भावना का प्रर्दशन आपने किया है, उसके लिये आपको साधुवाद एवं धन्यवाद.
अनूप(भार्गव) जी: आपको तो कुछ लिखने की आवश्यकता ही नही, आप तो बस अपना नाम भी लिख जाते तो सम्मान का विषय है, वैसे "All of the above" तो मै फ़्रेम करा कर रख ही लेता हूँ.
लक्ष्मी जी: आप पधारे, अहोभाग्य हमारे.सलाह को इतनी कीमत मुहैय्या कराने हेतू बहुत धन्यवाद.
विवेक भाई: जब फ़्री के नुस्खों से काम चल जाये, तो फ़िर यह पैसा खर्च करने वाला नुस्खा कौन मानेगा. वैसे सलाह तो अच्छी है अगर अखबार वाले फ़्री मे निकाल दें, तब. धन्यवाद.
प्रेमलता जी: अरे, हम तो जानते है, आप का स्नेह तो हमेशा मिलता रहा है, और इस सच मे वाली बधाई के लिये बहुत धन्यवाद
---समीर लाल
लेख और जवाब दोनों , बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद, प्रत्यक्षा जी.
जवाब देंहटाएंमजा आ गया हुजूर क्या अंदाजे बयाँ है आपका !
जवाब देंहटाएंमित्र मनीष
जवाब देंहटाएंबस यूँही बयान कर दिया, और अंदाज आपको पसंद आ गया, तो इसे मेन्टेन करने का प्रयास जारी रखूँगा.
समीर लाल
लगता है कि मेरे करने के लिए कोई टिप्पणी ही नही बाकी। खैर कौनो बात नाहीं।
जवाब देंहटाएंव्यंग में धार है।
क्या लल्लन टाप लिखे हैं .... वाह
जवाब देंहटाएंलम्बे समय तक ये पोस्ट याद रहेगी
बल्कि सीधे कहूँ तो कालजयी पोस्ट है
[बिना कापी-पेस्ट किये प्रतिक्रिया दे रहा हूँ ]
Chaliye majma to jam hi gaya hai, ye silsila yoon hi chalta rahe.
जवाब देंहटाएंShayad ye bhi aapko pasand aayen- Albert Einstein Quotes , Love Quotes for Him