शनिवार, अगस्त 29, 2020

हाय रे, ये जी का जंजाल!!




मुन्नू याने पिछले ढाई दशक से भी ज्यादा समय से मेरे जी का जंजाल.
मेरे मित्र शर्मा जी का बेटा है. पारिवारिक मित्र हैं तो सामन्यतः न पसंदगी को भी पसंदगी बता कर झेलना पड़ता है. शायद शर्मा जी का भी यही हाल हो मगर उससे हमें क्या?
मुन्नू क्या पैदा हुए, शर्मा शर्माइन सारी शरम छोड़ कर उसी के इर्द गिर्द अपनी दुनिया सजा बैठे. फिर क्या, मुन्नू ने आज माँ कहा, मुन्नू आज गुलाटी खाना सीख गये, मुन्नू चलने लगे. मुन्नू सलाम करना सीख गये और जाने क्या क्या. हर बात की रिपोर्टिंग बदस्तूर फोन के माध्यम और आ आकर या बुला बुलाकर मय प्रदर्शन के जारी रही.
बेटा, अंकल को सलाम करो..बीस बार बोलने पर मुन्नू भी टुन टान करके एक बार सलाम किये..फिर क्या, सब लगे उसे चूमने..खूब खुश होकर अतः हम भी खुशी से हँसे. वाह, वेरी गुड करते हमारा मूँह दुख गया मगर शर्मा दंपत्ति न थके. नित नये किस्से.
देखते देखते मुन्नू चार साल के हो गये. दीवार से लेकर फ्रिज तक पर पेन्टिंग ड्राईंग में महारत हासिल कर ली. मूंछ वाली रेलगाड़ी, कुत्ते से बदत्तर सेहत वाला पंखधारी शेर, गमले में उगता आधा कटा पपीते के आकार का सेब, नीला केला..सब बनाना सीख गया. शर्मा दंपत्ति का सीना गर्व से फूला न समाता और हम एक चाय की एवज में वाह वाह करते रह जाते.
वाह वाही से बालक मुन्नू इतना उत्साहित हुए कि एक दिन हमारे ड्राईंग रुम की दीवार पर उड़ती हुई मछली के सर पर गुलाब का फूल उगा गये. अब हमें काटो तो खून नहीं, मगर क्या करते. खुद ही तो वाह वाह करके उत्साहित किये थे. मिटा भी नहीं सकते, शर्माइन के बुरा मान जाने का खतरा. वो तो इस चक्कर में साल भर बाद एक पैच मिटाने के लिए पूरे घर को पेन्ट करवा कर बहाना बनाया कि पेन्ट छूटने लगा था, तब बच पाये.
अब तक मुन्नू स्कूल जाने लगे. हमारे लिए नई जहमत रोज साथ लाने लगे. अब जब भी वो लोग बुलायें या हमारे यहाँ आयें तो कभी गिनती, कभी ए बी सी, कभी पहाड़ा और कभी कविता. दोनों हाथ एक के उपर एक चिपका कर दोनों अंगूठे उड़ा उड़ा कर नचाते हुए..
मछली जल की रानी है..(पीछे पीछे शर्माइन बैकअप में..हाथ लगाओ...!!!)
हाथ लगाओ, डर जाती है (शर्माइन की देखादेखी डरने का अभिनय करते हुए और फिर दोनों हाथ समेट कर बाजू में उस पर गाल टिकाते हुए)
बाहर निकालो...(आँख बंद करके मरने का अभिनय) मर जाती है....
शर्मा शर्माइन की तालियाँ..मैं सोचने लगा कि कितनी खुश किस्मत है यह मछली जो मर गई, मुन्नू की जमाने से सुनी जा रही घिसी पिटी कविता से निजात पा गई और हम अटके हैं जब मुन्नू पुनः मनुहार पर जैक एण्ड जिल सुनाने की ऐंठते हुए तैयारी कर रहे हैं. दिखाने के लिए हम भी ताली बजाते रहे और मुन्नू सुनाना शुरु हुए...

जैक एण्ड जिल....और अंतिम पंक्ति में...
जिल केम टंम्बलिंग आफ्टर...

और मुन्नू जी पूरी तन्मन्यता से धड़धड़ा कर गिरे. सबने ताली बजाई, मुन्नू हँसे, हम दिल दिल में रोये.चेहरे पर मुस्कान चिपकाये ताली बजाने लगे., समझिये कि भयंकर झेले. सर पकड़ लिया. घर पर सेरीडॉन की सर दर्द गोली का पत्ता हफ्तावारी लिस्ट में शामिल हो गया. लगने लगा जैसे सेरीडॉन ने शर्मा जी को अपना ब्रॉण्ड एम्बेसडर बना दिया हो. उन्हें देखते ही इसकी याद आ जाये.
अच्छा या बुरा, कहते हैं कैसा भी वक्त हो, गुजर ही जाता है. सो यह भी गुजरा. झेलते झिलाते मुन्नू २६ साल के हो लिये. दो महिने पहले उनका ब्याह भी कर दिया गया. तब से आज तक बुल्लवे पर उनके घर चार बार हम जा चुके है और वो हमारे घर प्रेशर क्रियेट कर बुल्लवे पर तीन बार आ चुके हैं. हर बार शादी के चार फोटो एलबम, जिसमें हल्दी, मेंहदी, शादी, रिसेप्शन और फिर हनीमून की तस्वीरें हैं और इन्हीं समारोहों का विडियो देख देख कर पक चुके हैं. ये बुआ जी, ये चाची, ये दादी, ये साला, ये दूर की साली-इन्फोसिस में, ये गुलाबी साड़ी में नौकरानी छल्लो, ये भूरा ड्राईवर..ये ये...वो वो...हाय, मेरे कान क्यूँ न फट गये, आँख क्यूँ न फूट गई. कहो उनकी बहू जिन रिश्तेदारों को न पहचाने, उन्हें हम बिना मिले अंधेरे में पहचान जायें, बिना किसी गफलत के. एक बार फिर घर में सेरीडॉन चल निकली है.
कल रात आये थे..इस बार शादी का विडियो बर्न करके दे गये हैं क्यूँकि हमें बहुत पसंद आया था. हमारे झूठ मूठ की प्रशंसा अगली बार लेड़ीज संगीत वाला भी बना कर दे जायेंगे, यह बात उन्होंने समय की कमी के कारण क्षमा मांगते हुए बता दी है. अब तो जब उस विडियो पर नजर जाती है, बस मन से एक ही उदगार निकलता है-
धन्य हो तुम..मेरे मुन्नू.
हम आगे के लिए भी तैयार हैं, जब अगले बरस तुमको बच्चा होगा. हमें तो मानो परम पिता परमेश्वर ने किसी पुराने जन्म का बदला लेकर सिर्फ झेलने को रचा है.
शायद, पिछले जनम में कवि रहा होऊँगा और लोगों को खूब झिलवाया होगा.
-समीर लाल ‘समीर’



भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार अगस्त ३०,२०२० के अंक में:
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3 टिप्‍पणियां:

  1. Excellent depiction of Parent psychology specially with their first child and plight of neigbours to bear with it....Awaiting next article

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 2 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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