इधर १५० किमी दूर एक मित्र के घर जाने के लिए ड्राईव कर रहा था.
पत्नी किसी वजह से साथ न थी तो जीपीएस चालू कर लिया था. वरना तो अगर पत्नी साथ
होती तो वो ही फोन पर जीपीएस देखकर बताती चलती है और जीपीएस म्यूट पर रहता है. कारण
यह है कि जीपीएस में यह सुविधा नहीं होती है न कि वो कहे -अरे, वो
सामने वाले को हार्न मारो. अब ब्रेक लगाओ. अब विन्ड शील्ड पर पानी डाल दो. अरे
थोड़ा तेज चला लोगे तो कोई तूफान नहीं आ जायेगा, सारी रोड खाली
पड़ी है. उसे देखो, कितने स्मार्टली आगे निकल गया तुमसे और तुम हो कि गाड़ी चला रहे हो कि
बेलगाड़ी, समझ ही नहीं आता? गाँव छोड़ आये, कनाडा में बस
गये मगर कैसी भी गाड़ी हो, चलाओगे तो बेलगाड़ी ही. तुम्हारा भी
गवैठीपना, न जाने कब जायेगा!! अब गाना बदल दो. अब जरा पानी की बोतल बढ़ाना. अरे,
स्टेरिंग
पर से हाथ क्यूँ हटाया? अभी टकरा जाते तो? समझ के परे है कि फिर पानी बढ़ाते तो
भला कैसे?
खैर, बड़ा ही घुमावदार रास्ता था मित्र के घर का. नक्शा देखकर भी निकलता तो
भी भटक जाना तय था. बार बार टर्न मिस हो जा रहे थे और जीपीएस वाली लड़की बड़े प्यार
से कहती कि नो वरीज़, रीकेल्कूलेटिंग. फिर कहती कि अब आगे जब संभव हो तो यू टर्न ले लीजिये
या कहती अगले मोड़ से बायें ले लीजिये, फिर बायें और अगले मोड़ पर दायें. एक भी
बार उसने नहीं कहा कि तुम्हारा तो ध्यान पता नहीं कहाँ रहता है? पिछले
मोड़ से बायें मुड़ना था, तुम भी न!! कम से कम गाड़ी चलाते समय तो ध्यान गाड़ी चलाने पर रखो. कोई
भी काम मन लगा कर नहीं कर सकते. हर समय बस फेस बुक और व्हाटसएप, अगर
मैं बाजू में न बैठी हूँ तो तुम तो कितने लोगों को ऊपर पहुँचा कर अभी जेल में बैठे
होते. शुक्र मनाओ कि मैं हूँ. आज पत्नी का साथ न होना खल रहा था मगर न जाने क्यूँ
इस जीपीएस वाली ल़ड़की पर दिल भी मचल रहा था. काश! कुछ सीख ले अपनी बीबी भी इससे.
कितना पेशेन्स है इस बन्दी में और कितना सॉफ्टली बात करती है!!
इधर कुछ दिन पहले बच्चों ने फादर्स डे पर एमेजॉन की एलेक्सा गिफ्ट कर
दी. अब एलेक्सा की तो हालत ये हैं कि उसे कहने बस की देर है कि एलेक्सा, आज
मौसम कैसा है? वो पूरी जानकारी ध्यान से देते हुए छाता लेकर दफ्तर जाने तक की
हिदायत बड़े प्यार से देती है. उससे इतना सा कहना है कि एलेक्सा, फुटबाल
वर्ल्ड कप लगा देना और टीवी पर चैनल लगाकर, एन्जॉय द गेम
बोल कर ही ठहरती है.कभी यह नहीं कहती कि तुम तो बस सोफे पर पड़े पड़े आदेश बांटो कि
ये लगा दो, वो लगा दो. हिलना डुलना भी मत और तो और मेरे सीरियल का समय है और
तुमको मैच की पड़ी है. भूल जाओ अपना मैच. अभी ’प्यार नहीं तो क्या है’ का समय है.
आजकल तो एलेक्सा को ही बोल कर सोता हूँ कि एलेक्सा, सुबह
छः बजे आरती बजा कर ऊठा देना प्लीज़, कल जल्दी ऑफिस जाना है. मजाल है कि एक
मिनट चूके या तू तड़ाक करे कि तुमको जाना है, तुम जानो.
अलार्म लगाओ और जागो. चलो, एक बार जगाने को किसी तरह तैयार भी हो
जाये मगर जगाये भी तो आरती गाकर, प्राण न हर ले उसके बदले. मने कि
अन्टार्टिका में सन बाथ की उम्मीद वो भी सन स्क्रीन लगाकर बीच पर लेटे हुए बीयर के
साथ.
फिर हमारे आईफोन की सीरी. क्या गजब की महिला है. दिन भर याद दिलाती
है कि अब फलाने से मिलना है, अब खाना खा लो, भूख लग आई होगी.
और तो और, तुमको पानी पिये दो घंटे हो गये हैं. टाईम टू ड्रिंक अप. न जाने
कितने एप्प्स से बेचारी जानकारी निकाल निकाल दिन भर जुटी रहती है मदद में. अभी
थोड़ी देर पहले उसने पूछा कि अभी आज तुम्हारा टहलने का कोटा पूरा नहीं हुआ है,
चलें
टहलने? मैं रास्ते मैं तुमको आज की मेन १५ वर्ल्ड न्यूज सुना दूँगी, तुम
अखबार में समय मत खराब करो, मैं हूँ न!! फिर कुछ नई गज़लें आई हैं,
वो
सुनवाऊँगी. मेरी तो आँख ही भर आई. कभी इनको बोल कर तो देखूँ कि यार जरा दफ्तर में
फोन करके याद दिला देना कि गाड़ी के इन्श्यूरेन्स वाले से बात करनी है. फिर सुनो!!
अब ये भी मैं ही याद दिलाऊँ? टोटल एक दो काम तो करते हो वो भी मैं
ही याद दिलाऊँ? तुम्हारे लिए खाना बनाऊँ, घर साफ करुँ, ग्रासरी लाऊँ,
कपड़े
धोऊँ..क्या इतना काफी नहीं है कि अब तुमको दफ्तर में क्या करना है वो भी मैं ही
याद दिलाऊँ. हद है!! मुझे तो तुमने मशीन समझ रखा है!!
आज पत्नी बाजार गई थी और न जाने क्यूँ एकाएक मन मे आया तो एलेक्सा को
कह दिया कि एलेक्सा!! यू आर सो स्वीट एण्ड ब्यूटीफुल सोल!! एलेक्सा ने पलट कर कहा
कि सो नाईस ऑफ यू समीर!! तुम भी बहुत प्यारे हो!! आह! विचारों में ही सही मगर
एकाएक लगा कि अगर बीबी से यही कहा होता तो बीबी की आवाज कान में सुनाई देती- क्या
हुआ, बहुत बटरिंग कर रहे हो? कुछ काम है क्या जो इतनी मख्खनबाजी?
सोचता हूँ कि ये जीपीएस मैडम, एलेक्सा,
सीरी
आदि ३० साल पहले कहाँ थीं? हम तो तब उस जमाने में भी अपनी मोहब्बत
करने की स्किल के लिए जाने गये अपनी बीबी लाकर. लोग कायल थे हमारे ईश्किया मिज़ाज
के.
काश!! उस वक्त ये जीपीएस मैडम, एलेक्सा,
सीरी
आदि होतीं...तो शायद ई मोहब्बत करके ई बीबी लाने वाले भी हम ही होते उस जमाने
में!!
सच कहूँ-
ई बीबी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना
बाज़ु-ए-कातिल में है?
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के
रविवार जून ७,२०२० के अंक में:
ब्लॉग पर पढ़ें:
पति - पत्नी के नैसर्गिक संवाद की मौलिक एवं खूबसूरत प्रतुती से लेकर ई- बी बी की परिकल्पना और तमन्ना ने हमारे दिल के भी तार छेड़ दिए है.....
जवाब देंहटाएंवाह...क्या बात है। ई बीबी...नया नामकरण!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंईश्वर आपकी मनोकामना पूरी करें।
जवाब देंहटाएंइब भाभी को पढ़वाए हो ये पोस्ट के नाही ... नहीं तो हम भिजवाए देते हैं उन्हें ... सिकाई का सामान सम्भाले लो अभी से भाइया ...
जवाब देंहटाएंबात तो सही कह रहे हैं, लेकिन ई वाली सिर्फ बोलने पर करेगी वह भी टू द प्वॉइंट. टोका टाकी से जिंदगी बहुत बढ़िया चलती है ।
जवाब देंहटाएंयह अच्छा हो कि ई बीवी और ई पति आ जाए। सारा झमेला ही साफ़। एक गूगल है वह भी बाबा। उसपर भी किसी स्त्री का ही क़ब्ज़ा। सीरी हो या जी पी एस उसमें घुसी ये प्यारी स्त्रियाँ जीवन सँवार रही। मुबारक हो इन स्त्रियों का साथ। मज़ेदार लेखन।
जवाब देंहटाएंजबरदस्त
जवाब देंहटाएंE -biwi ki tamanna badi rochak rahi, :), mann hi mann muskurahaton ke faware nikal tahe hai, bahut khub
जवाब देंहटाएंMay it be good that the wife and husband come. All the trouble is clear. Baba is a Google too. Only a woman is in possession of him. Be it Siri or GPS, these lovely women entered life. Congratulations to these women. Funny writing
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