शनिवार, जून 29, 2019

क्रिकेटरों के लिए रिटायरमेंट के बाद रोजगार का नया अवसर



आज सुबह से ही चौक पर भीड़ लगी है. विश्व कप चल रहा है. बिट्टू ने टीवी दुकान के बाहर निकाल कर रख दिया है. आज भारत पाकिस्तान का मैच होना है. पान की दुकान, चाय की दुकान सब आजू बाजू में ही हैं. कहीं भी बैठ लो और मैच के मजे लो.
चौक पर मैच देखने का आनन्द ही अलग होता है. टीवी के समानन्तर एक कमेन्ट्री चौक पर बैठे एक्सपर्ट भी देते चलते हैं. थर्ड एम्पायर का निर्णय तो बाद में आता है, उसके पहले ही चौक पर तय हो जाता है कि आऊट था कि नहीं और अगर थर्ड एम्पायर का निर्णय उनसे अलग आया इसका मतलब थर्ड एम्पायर ने पैसे खायें हैं. हर भारतीय चौके, छक्के पर, हर पाकिस्तानी कैच ड्राप पर, हर पाकिस्तानी विकेट गिरने पर बकायदा नगाड़े बज कर नाच होता है. वहीं हर भारत के गिरते विकेट पर, पाकिस्तानी चौके छक्के पर, हर भारतीय कैच ड्राप पर नगाड़े के बदले गालियाँ और सलाहों का अम्बार लग जाता है. ऐसा नहीं वैसा करना था. ये शॉट गलत लगाया. अगर भारत की टीम का कोच इस चौक पर आ जाये तो अपनी अज्ञानता पर शर्मिन्दा हो जाये. 
बहुत से लोग भारत की टीम की टी शर्ट पहन कर आये हैं. किसी ने गाल पर भारत के झंडे का टैटू लगवा रखा है. कोई भारत का झंडा थामे है तो कोई विंग कमांडर अभिनन्दन का पोस्टर.. पूरा का पूरा माहौल एकदम उत्सव का. सब पहले से मान कर चल रहे हैं कि पाकिस्तान को तो हराना ही है, भले विश्व कप कोई भी ले जाये.
इस बार के चुनाव के बाद से एक नया डायलॉग भी चल पड़ा है कि चाहे कैसी भी बैटिंग कर लो, चाहे कैसी भी बालिंग कर लो, जितेगा तो भारत ही. मैने पूछा भी कि इतने विश्वास से आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? खेल है कोई भी हार जीत सकता है? जबाब मिला कि आप तो चुनाव के समय भी कहाँ हमारी बात मान रहे थे. मेरे पास चुप रह जाने के सिवाय रास्ता न था मगर मन ही मन सोचना तो मना नहीं है अतः सोचा कि यहाँ तो खुले में मैच हो रहा है और रन भी कोई ईवीएम तो गिन नहीं रही फिर भी ऐसा विकट विश्वास. चुनाव की तरह ये भी नहीं कह सकते कि कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है.
इसके अलावा कुछ अंतर और आये हैं. रनों के साथ जय श्री राम का उदघोष, चौक्के छ्क्के को विंग कमांडर अभिन्नदन के शौर्य से जोड़ कर उसके पोस्टर लहराना हर चौक की कहानी बन गये हैं.
घंसू भी आज क्रिकेट का बल्ला लेकर आये हैं. क्रिकेट का महापर्व चल रहा हो और घंसू पीछे रह जायें, ऐसा कैसे हो सकता है. मैच शुरु होने में अभी समय है. घंसू बीच सड़क में चौक्का छक्का मारने की मुद्रा में बल्ला घुमा रहे हैं. कभी कभी दो चार कदम आगे दौड़ कर भी बल्ला घुमा रहे हैं.
तिवारी जी ने आवाज लगाई कि भाई घंसू, अगर नेट प्रेक्टिस हो गई हो तो आ जाओ, पान खाया जाये. घंसू के आने पर तिवारी जी चुटकी लेते हुए कहने लगे कि बड़ी स्टाईल से शॉट लगा रहे थे घंसू. कोहली और धवन की बेटिंग भी फीकी लगेगी इसके सामने तो. लगता है अगले विश्व कप की तैयारी कर रहे हो. तुम्हारा सेलेक्शन तो पक्का समझो. तुम्हें कोई नहीं रोक सकता सेलेक्ट होने से.
घंसू जोर जोर से ठहाके लगाने लगा. कहने लगा कि यहाँ किसे क्रिकेट खेलना है. मैने तो आज तक मौहल्ले की  क्रिकेट टीम से भी नहीं खेला, विश्व कप में क्या खेलूंगा?
जो खेल खेलना नहीं, उसके लिए नेट प्रेक्टिस क्यूँ कर रहे हो फिर? तिवारी जी ने जानना चाहा.
घंसू बताने लगे कि दरअसल वो अगली विधानसभा के चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. भाषण देना सीख लिया है. झूठे वादे करना सीख लिया है. घड़ियाली आंसू बहाना सीख लिया है. बस एकाएक पता चला कि एक नई विधा में भी महारत होना चाहिये और वो है क्रिकेट के बल्ले से सरकारी अधिकारियों की कुटाई करने की. तो उसी की नेट प्रेक्टिस कर रहा था. विश्व कप का मौका भी है. सोचा लगे हाथों प्रेक्टिस भी कर लूँ और किसी को पता भी न चलेगा कि मैं विधायकी की तैयारी कर रहा हूँ.
मैने देखा तिवारी जी घंसू की दूरद्दष्टिता से अभिभूत उसे एकटक निहार रहे हैं. उन्होंने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया और विधायक भवः का आशीष दिया. तिवारी जी आँखों में खुशी के आंसू हैं.
घंसू ने खुशी में दो तीन बार फिर बल्ला घुमाया और तभी उधर से जय श्री राम का उदघोष गूंजा.
मैच प्रारंभ हो चुका है. भारत बैटिंग करने उतर रहा है.
अब इन क्रिकेट के खिलाड़ियों के लिए भी क्रिकेट से रिटायर होने के बाद एक नया रोजगार का अवसर हो गया है. वे विधायकी का चुनाव लड़ सकते हैं.
-समीर लाल समीर
   
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के रविवार जून ३०, २०१९ में:




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