तिवारी जी और घंसु देश की
दोनों बड़ी पार्टियों का और तमाम आंचलिक पार्टियों का घोषणा पत्र पढ़ पढ़ कर तय कर
रहे हैं कि किसमें से कौन सा हिस्सा उठाना है. इस तरीके से वो एक नया घोषणा पत्र तैयार कर रहे हैं.
तिवारी जी और घंसु ने मिलकर
गैर मान्यता प्राप्त एक नई पार्टी बना ली है. बस दो ही सदस्य हैं. तिवारी जी राष्ट्रीय
अध्यक्ष घंसु के द्वारा चुने गये हैं और घंसु राष्ट्रीय सह
अध्यक्ष चुने गये हैं तिवारी जी के द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से.
तिवारी जी पास वाले शहर, जो कि उनका ससुराल भी है, से चुनाव लड़ेंगे और घंसु चूँकि विवाहित नहीं हैं, अतः वे अपने ही शहर से चुनाव लड़ेंगे.
आज घोषणा पत्र आ गया है. कोई पत्रकार तो आया नहीं है अतः पान की दुकान पर ही इसे
जारी कर दिया गया है. ऐसा देश में पिछले ७२ सालों
में पहली बार हो रहा है जिसमें बिके हुए गोदी मीडिया को कोई स्थान नहीं दिया गया
है और घोषणा पत्र भी हस्त लिखित पेंसिल से लिखा गया है. सच तो यह है कि तमाम
निवेदनों के बाद जब मीडिया नहीं आया तो ऐसा कहा है तिवारी जी और घंसु ने संयुक्त
बयान में.
घोषणा पत्र में सब कुछ लोक
लुभावन है. नाम रखा गया है ’ जनता से संकल्प ’. इसमें जहाँ चुनाव जीतते ही देश के हर घर में १५ लाख रुपये घर पर जा जा कर देने
का वादा है, वहीं साथ ही हर महिने १२०००
रुपये देने का वादा है. घंसु का मानना है कि सिर्फ
१५ लाख एक बार दे देने से सारा जीवन नहीं कटता. हर महीने के खर्चे भी तो लगे ही रहते हैं? साथ ही वादा किया गया है कि न सिर्फ जीएसटी हटेगा वरन आयकर
भी हटा दिया जायेगा. फिर देश कैसे चलेगा? पूछने पर बताया गया कि यह
बात आप दुबई वालों से जाकर क्यूँ नहीं पूछते? क्या वो नहीं चल रहा?
सरकारी योजनाओं और विकास के
ढेरों वादे हैं. गैस मुफ्त, बिजली मुफ्त, पानी मुफ्त, शिक्षा मुफ्त, चिकित्सा मुफ्त, सड़कें ऐसी जैसे कि हवाई पट्टी.
जेब कतरने वालों को कोई सजा
नहीं होगी बल्कि उन्हें स्किल इंडिया के तहत अर्जुन पुरुस्कार दिया जायेगा. उनकी
हाथ की सफाई को स्वच्छता अभियान का हिस्सा माना जायेगा. कुछ तो साफ हो रहा है इस
बहाने.
साथ ही घोषणा हुई है कि
मंदिर वहीं बनेगा. फिर एक घोषणा है कि मस्जिद
वहीं बनेगी. इसका क्या आधार होगा पर
तिवारी जी थोड़ा झुंझला गये कि क्या कभी दो मंजिला इमारत नहीं देखी क्या. एक की एंट्री उत्तर दिशा से और दूसरे की सीढ़ी दक्षिण से. इतना सरल सा समाधान और आज झगड़ा देखो कि कभी कोर्ट कचहरी तो
कभी अली और बजरंगबली. लगता है जैसे कोइ समाधान
चाहता ही नहीं. मंदिर मस्जिद न हुआ मानो
धारा ३७० हो गई हो कश्मीर की. जब तक रहेगी कम से कम एक पैरा
तो घोषणा पत्र में बदलने की जरुरत न होगी हर बार.
घोषणाओं के प्रवाह में बहते
हुए तिवारी जी ने घोषणा की कि अब हर शहर में हवाई सुविधा दे जायेगी और हवाई यात्रा
का किराया रेल यात्रा के किराये से एक चौथाई और रोड़वेज़ के किराये से आधा होगा. पान की दुकान पर खड़े ग्राहकों को लगा कि तिवारी जी पीकर बहक
गये हैं. मगर तब घंसु सामने आये और
बताया इस विषय पर हमने पूरी रात गहन मनन किया है. हमारे पास हर घोषणा को बैकअप करने का प्लान है. सरकारी स्कूल के अर्थशास्त्र की मास्साब पांडे जी जो तिवारी
जी के मित्र भी हैं, उन्होंने इस योजना को तौला
है और एक अच्छी योजना बताया है.
बाद में देर रात गये पुलिया
पर बैठे दारु पीते पीते घंसु ने मुझे नाम न बताने की कसम देते हुए पूरी योजना का
खुलासा किया. योजना में दम दिखा. उसका कहना था कि हवाई
कम्पनियाँ तो प्राईवेट सेक्टर की हैं और उस पर तो हमारा भला क्या जोर चलेगा? मगर रेल और सरकारी रोड़वेज तो हमारी होगी. हम उसका किराया इस प्रकार कर देंगे ताकि वो रेल किराया को
हवाई किराये का चार गुना कर दे और रोड़वेज़ की बस का दुगना. बताओ है न सोची समझी हुई योजना. हमने कोई भी घोषणा बिना आधार के नहीं की है जबकि हमने आधार
कार्ड का टंटा खत्म करने की भी घोषणा की है.
आलू से सोना बनाने और नाले
से गैस जलाने की बातें भी घोषित की गई थीं मगर आधार पोषित न हो पाने से इरेज़र से
मिटा दी गई.
यही फायदा है पैंसिल से
हस्त लिखित घोषणा पत्र का. मुकरने की जरुरत ही नहीं है. बस, इरेज़र उठाओ और मिटा डालो. कौन सा रिपोर्ट कार्ड और कौन सी वादा खिलाफी. दारु पीते हुए यह बात भी घंसु की जुबान से फिसल गई थी.
एक घोषणा थी कि हिन्दु राष्ट्र
बनावेंगे और एक अन्य कि मुस्लिम राष्ट्र बनावेंगे. पूछने पर बताया गया कि हम एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करेंगे
जहाँ हिन्दु को लगेगा कि हिन्दु राष्ट्र है, मुस्लिम को लगेगा कि
मुस्लिम राष्ट्र है और ईसाई सोचेगा कि क्रिश्चियन राष्ट्र है. हर धर्म का अंतस प्रेम है एक दूसरे से. मानवता है. बस!! हम वैसा ही राष्ट्र बनाने का सपना देखते हैं.
दिल प्रसन्न हो गया. लगा कि काश!! इनकी ही सरकार बने. दोनों जीते तो भला वरना एक भी जीत गया तो लक्षण तो इस
चुनाव में ऐसे ही दिख रहे हैं कि एक सीट जीता भी सरकार बना
सकता है.
इस बार तुरुप का पत्ता ही
हुँकार भरेगा.
-समीर लाल ’समीर’
भोपाल से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे में रविवार अप्रेल
१४, २०१९ को:
A great satire on prevalent scenario. A bigger part of it is how diametrically opposit persons like Tiwari ji and Ghansu are brought together by compulsions of election.
जवाब देंहटाएंGreat!!!
यह तुरप का पत्ता तो जोरदार है ----- इस पार्टी का प्रवक्ता आप तो नहीं?
जवाब देंहटाएंआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-04-2019) को "तुरुप का पत्ता" (चर्चा अंक-3307) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया व्यंग्य है। बधाई।
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