शनिवार, जून 24, 2017

विश्व योग दिवस के मुकाबले विश्व अखाड़ा व जिम दिवस

देश गढ्ढे में था और उसी गढ्ढे के भीतर गुलाटी मार मार कर योगा किया करता था.
सन २०१४ में एक फकीर अवतरित हुआ जिसकी वजह से देश गढ्ढे से आजाद हुआ और निकल कर विकास के राज मार्ग पर आ गया. जब देश राज मार्ग पर आ गया तो गुलाटीबाज योगा को भी राज गद्दी मिल गई. सारी दुनिया ने इसे एकाएक पहचान लिया और यू एन ओ ने विश्व योगा दिवस की घोषणा करके भारत को विश्व गुरु घोषित कर दिया.
चूँकि यह घटना २०१४ के बाद की है अतः २०१४ के बाद हुए हर सवेरे की तरह योगा को भी भगवा मान लिया गया. हालात ये हो गये कि विश्व योगा दिवस पर सारे गैर भाजापाई उदास से हो लिए. जो पहले घरों में योगा किया करते थे वो भी गुस्से में योगा करना छोड़ कर इसे नौटंकी बताने लगे. ऐसा भी क्या विरोधी होना कि अच्छी बात का भी विरोध करने लग जाओ. हालांकि ऐसी बातें ऊँगली पर गिनी जाने लायक ही है मगर फिर भी हुई तो हैं ही न!!
विरोध या विपक्ष का होना बहुत जरुरी है मगर जो अच्छा कार्य हो, जिसे पूरा विश्व मान रहा हो उसका भी विरोध कर देना मात्र इसलिए कि आखिर इन्होंने इस बात का श्रेय लिया तो लिया कैसे? यह तो हमारे जमाने में भी था...ये गलत बात है.
इस बात का मर्म समझने के लिए कुछ मित्र विपक्षियों से चर्चा की.
कांग्रेसी मित्र कहने लगे कि हम क्यूँ करें योगा? कोई जबरदस्ती है क्या? एक बार हमारी सरकार वापस आने दो..न हमने विश्व जिम दिवस घोषित करवाया तो नाम बदल देना. हमारे जीजा का फौलादी शरीर देखा है. योगा से नहीं, जिम में जाकर बनाया है उन्होंने. असल घी जिम है, योगा तो बस बनस्पति समझो.
समाजवादी मित्र कहने लगे कि योगा में क्या रखा है? हमारे बाप दादे अखाड़े में मुगदर भांजते आये हैं. जो कसरती बदन कुश्ति और अखाड़े में मुगदर भांजने से बनता है वो ही असल पहलवानी बदन कहलाता है, इसके आगे न तो जिम टिकता है और न ही योगा. हालांकि जिम तो फिर हल्का फुल्का मिलता जुलता है..उससे कुछ साझेदारी की जा सकती है मगर योगा...कतई नहीं. नेता जी अगर प्रधान मंत्री बने तो विश्व अखाड़ा दिवस की घोषणा करवायेंगे और सारा विश्व कुश्ति लड़ेगा और मुगदर भांजेगा. यही भारत की पहचान है.
समाजवादियों से बात हुई तो उन्हीं के एक पुराने नामी नेता के माध्यम से बॉलीवुड की कुछ बालाओं से भी बात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ..उन्हें तो बस इस बात पर पूरा भरोसा दिखा कि स्वाद पर लगाम ही कोमल शरीर की पहचान है. वो जिद करने लगीं कि हमें अगर प्रधान मंत्री बनवा दोगे तो हम विश्व सलाद दिवस की घोषणा करवा देंगे. जब सलाद ही मुख्य आहार होगा तो न किसान को न खेती करना पड़ेगी, न अन्न उगाना पड़ेगा और न ही आत्म हत्या करनी पड़ेगी..उनके हिसाब से सलाद खेत में नहीं, सुपर स्टोर में बनाया जाता है जिसका किसान से कुछ लेना देना नहीं है.
लालू जी से पार्टी से उपर उठ कर चर्चा हुई. उनके लिए पार्टी से ज्यादा महत्व परिवार का है. परिवार न होगा तो भला पार्टी कैसी और भरा पूरा दर्जन भर बच्चों वाले परिवार का राज...न जिम, न अखाड़ा, न योगा..न सलाद धत्त!! गुड़बक..ऐसे कहीं होता है क्या ये बच्चा लोग...खूब चारा खाओ...दूध पिओ..घी खाओ..राबड़ी की सरकार बनाओ..दर्जन भर बच्चा पाओ..बच्चा बड़ा होगा...सत्ता पर काबिज होगा..परिवार हष्ट पुष्ट बना रहेगा..हम को बनाओ जरा प्रधान मंत्री..हम घोषित करवाऊँगा विश्व चारा दिवस..लोग सलाद के बदले चारा खाने लगेगा पूरा दुनिया का..बात करते हैं!!
बात करते सुनते थकान लगने लगी..सोचा कि बहुत हुआ अब..
हम भी कुछ नया तलाशें और विचार आया कि चलो विश्व रायता दिवस के लिए अनशन किया जाये..सुनते हैं अच्छे स्वास्थय के रायता फैलाने से बेहतर कोई उपाय नहीं..जमाने पुरानी खाँसी से लेकर मधुमेह तक का अचूक उपाय..भले ही आप इसे राजनितिक स्वास्थय से जोड़ लें तो भी क्या? है तो फायदेमंद ही!!
-समीर लाल समीर’  
भोपाल से प्रकाशित सुबह सवेरे में आज रविवार २५ जून के अंक में..  


#जुगलबंदी
#Jugalbandi

5 टिप्‍पणियां:

  1. जो योगा से चिडेगा वो अपना ही नुक्सान करेगा,
    वैसे भी जिसे रायता पसंद हो, उससे मिठाई की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए, बुडबक ऐसे ही थोडे न कहते है।

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ईद मुबारक और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. Hamesha ki trha ye lekh bhi bahut kamal ka likha hai. Meri anekon shubhkamnayen.

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