करण जोहर का सरोगेसी के माध्यम से पिता बन जाने
का धमाका आज ऐसा गुँजायमान है कि उसकी धमक में नार्थ कोरिया की छोड़ी मिसाईलें अपनी
धमक खो बैठी...सारे मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियाँ बस इसी पर नागिन डांस चल
रहा है मानो कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना!!
एकाएक राजेश रेड्डी का शेर याद आया:
मेरे दिल के किसी कोने में इक मासूम सा बच्चा,
बड़ों की देख के हालत बड़ा होने से डरता है
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...राजेश रेड्डी से माफी के साथ मेरी कलम यूँ
फिसली कि:
उसके दिल के किसी कोने में इक दबंग सा मर्द
पतियों की देख के हालत पति होने से डरता है....
मगर एक पति बनने के डर के मारे पिता बनने के
सुख से वंचित रह जाओ, ये तो सरासर नाइंसाफी है. कोई जरुरी है क्या कि गुलाब का फूल
तोड़ने के हम अपने हाथ कांटों से जख्मी करवा कर लहू लुहान हो जायें वो भी तब जब कि
बाज़ार में गुलाब का फूल काँटे वांटे साफ करके मिल रहे हैं.
जब हम बाज़ार से सबसे मँहगा वाला हॉलैण्ड का
गुलाब खरीद कर अपने कोट में फंसा कर घूमने निकलेंगे तो लोग पूछेंगे ही कि भाई जी,
गज़ब गुलाब है? कहाँ से लाये?
ऐसे में दुकान का नाम और कीमत ही तो बतायेंगे
न!! इस बात का चिट्ठा लेकर तो नहीं घूमेंगे न कि किस माली ने तोड़ा? उसको कांटा
चुभा क्या?
विवाहित पुरुषों के एक सर्वे के मुताबिक, नाम न
छापने की शर्त पर, ८७.३८ प्रतिशत पतियों नें करन जौहर को ब्रिलियन्ट माना है और
कहा है कि अगर पहले से मालूम होता तो वो इसी राह पर चलते मगर अब तो इट ईज टू लेट.
उनसे जब पूछा गया कि क्या आप अपने बेटों को करण
जैसा स्टेप लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो इस पर उनका जबाब था कि एक जरुरी काम
याद आ गया है...बस!! उसे निपटा कर आता हूँ..ये फैसला बच्चों की माँ लेगी.
हल्ला है कि करन जोहर का नाम हो रहा है और उस
बेचारी माँ के नाम का जिक्र भी नहीं जिसने इस सरोगेसी को अन्जाम दिया..हद है हल्ला
उठाने वालों का भी..सरोगेसी मे से कॉन्फिडेन्सियल्टी गायब हो जायेगी तो बचेगा
क्या? ये तो वही बात हुई कि सी आई ए का जासूस कहीं जासूसी करने घुसने के पहले अपना
विजिटिंग कार्ड दे कि मैं सी आई ए से हूँ और आपके यहाँ जासूसी करने आया हूं
जी...कृप्या मुझे गुप्त बातें बताई जावें!!
सरोगेसी से माँ बनना एक व्यापार है.. अपनी कोख
समाज सेवा हेतु नहीं..जीविकोपार्जन हेतु किराये पर दे रही हैं. उनकी कोख है, उनका
अधिकार है कि किराये पर दें या न दें? कोई जबरदस्ती नहीं करता उनके साथ.
पैदा करने वाले से बड़ा स्थान पालने और संस्कार
देने वाले का होता है जीवन में.. ऐसे में यह प्रश्न चिन्ह कि पैदा नहीं कर सकते थे
तो सरोगेसी क्यूँ? जबाब कि पैदा नहीं कर सकते इसीलिए सरोगेसी...
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हैं जिन्होंने बच्चे गोद लिए हैं. उनका पालन पोषण देखकर किसी भी तरह उन्हें कमतर
नहीं कहा जा सकता और वहीं नार्मल शादी किये पति पत्नी अपनी पैदा की हुई औलाद के
सामने लड़ लड़ कर ऐसा उदाहरण पेश किये दे रहे हैं कि बच्चा सुबह शाम मनाता है कि
इससे बेहतर तो फोस्टर पेरेन्ट ही रहेंगे...फास्टर पेरेन्ट वो होते हैं जिनको सरकार
दूसरों का बच्चा अपने बच्चे की तरह पालने के लिए बच्चे के खर्च के साथ पालने की
फीस देती हैं.
वक्त और मौके की नजाकत है ऐसे में करन जौहर ने
जो किया वो उनका फैसला है. बच्चों को तो एक धन धान्य से परिपूर्ण घर मिला..भविष्य
तो उज्जवल होगा ही...
बॉर्न विथ सिल्वर स्पून..
-समीर लाल ’समीर’
हमेशा की तरह एक और बेहतरीन लेख ..... ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ..... शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)
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