आज के जमाने के ७ वीं कक्षा
के बच्चे की कॉपी में होली पर निबंध पढ़ने का मौका लगा.
कुछ अंश:
होली के दिन स्कूल की
छुट्टी होती है. इस दिन हम मम्मी, पापा और उनके खूब सारे दोस्तों के साथ मिल कर
पिकनिक पर जाते है. सब एक दूसरे से गले मिलते हैं और हैप्पी होली बोलते हैं. बच्चे
दिन भर खूब खेलते हैं. पापा मम्मी और उनके दोस्त बीयर पीते है. केटरर खूब सारा
खाना बनता है. डी जे वाला गाना बजाता है. सब लोग नाचते हैं. देर शाम को सब थक कर
घर वापस आ कर सो जाते हैं...
ऐसा होली का बदला स्वरुप
देखकर लगता है आने वाले दस पंन्द्रह सालों में गुजिया, सलोनी, टेसू के रंग,
पिचकारी, अबीर गुलाल, काली स्याही, सिल्वर कलर आदि तो होली के नाम का साथ पूरी तरह
से छोड़ देंगे. गुजिया, सलोनी की जगह बरफी, काजू कतली ने ले ली, भांग की जगह बीयर,
रम, व्हिस्की ने ले ली और घर में पकते पकवानों की जगह केटरर की केटरिंग ने ले ली
और जोगी रा सा रा रा के बदले डीजे गाना बजाने लगा और मोहल्ले सड़को पर नाचते गाते
घूमते रंगों में सारोबार टोलियों की जगह पिकनिक और पिकनिक पर डीजे की धुन पर
थिरकते लोगों ने ले ली है.
अब ये सब फिल्मों और टीवी
के लिए बनते फिल्मी कार्यक्रमों में होली में दिख जाता है और एक एलिट वर्ग उसे ही
घर में बैठ कर टीवी पर देखकर होली मना लेता है.
जोगिया को गुम हुए तो यूं
भी एक अरसा बीता. यदा कदा व्यंग्य वाणों के तौर पर इसका इस्तेमाल होते दिख जाता है
बस्स!!
उसी को याद करते जोगिया सी
कुछ व्यंग्यात्मक कोशिश:
बाथरुम में झाँक के बोले
अपनी ये सरकार
रेनकोट में नल के नीचे,
बैठे हैं सरदार
जोगी रा सा रा रा रा, जोगी
रा सा रा रा रा
खोद रहे थे चला कुदाली, इत्ता बड़ा पहाड़
निकली चुहिया नाच के बोले, पकड़ा गई मक्कार.....
जोगी रा सा रा रा रा, जोगी
रा सा रा रा रा
वेलेन्टाईन की शाम को उनको,
चढ़ा प्रेम खुमार
रात गुजारी साथ साथ में,
सुबह हुई तकरार..
जोगी रा सा रा रा रा, जोगी
रा सा रा रा रा
दूध पिये भगवन की मूरत, भूखे
मरते लोग
क्या अंधों का देश है, या
अंधे भक्तो का लोक...
जोगी रा सा रा रा रा, जोगी
रा सा रा रा रा
सच को झूठ बताने वाले, जीत
रहे हैं जंग
सीएनएन को रोज झिड़कते,
राष्ट्रपति जी ट्रम्प..
जोगी रा सा रा रा रा, जोगी
रा सा रा रा रा
-समीर लाल ’समीर’
#जुगलबन्दी #Jugalbandi
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंलवार (21-02-2017) को
जवाब देंहटाएंसो जा चादर तान के, रविकर दिया जवाब; (चर्चामंच 2596)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भवानी प्रसाद मिश्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंवाह बढ़िया :)
जवाब देंहटाएंजोगी रा सा रा रा रा, जोगी रा सा रा रा रा...... ये भी बहुत खूब रही
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