आज समाचार आया कि साहेब ने
अँगूठा छाप की परिभाषा बदल दी है. यह अनेकों बदलती परिभाषाओं
की कड़ी में एक और कदम है.
बताया गया कि पहले अँगूठा
छाप का मतलब अनपढ़ होता था और आज जमाना बदल गया है. मितरों, अब यह आपका अँगूठा आपकी पहचान होगा. मेरी समझ से अनपढ़ को अँगूठा छाप जरुर कहते थे मगर अँगूठे की
छाप (थम्ब इम्प्रेशन) की महत्ता अपनी जगह तो थी ही. जमीन की खरीद बेची और अनेक कानूनी दस्तावेजों में अँगूठे की
छाप ही मान्य थी. आज भी रजिस्ट्री कार्यालय
में काली स्याही से लदे और पुछे टेबल के मेजपोश अँगूठे की छापों की जाने कितनी जानी अनजानी कहानियाँ समेटे हैं.
समझ में आया कि बस, अब जो है सो आपका अँगूठा. कोई भीमकाय एवं ताकतवर ’भीम” एप लाया जा रहा है तब न
इन्टनेट, न स्मार्ट फोन, न फीचर फोन, न मोबाईल- बस, अँगूठा सलामत रखो, पूरी दुनिया आपकी. बाद में पता चला कि
इस एप का नाम इसके ताकतवर होने के कारण भीम नहीं रखा गया और न ही राहुल बाबा को
खुश रखने के लिए छोटा भीम की तर्ज पर, यह बाबा भीम राव
अम्बेडकर के नाम पर रखा गया है.
इसके बाद दृष्य कुछ यूँ
उभरे:
आने वाले समय में किसी से
आप पूछेंगे कि क्या पढ़े हो? वो आपको अँगूठा दिखायेगा
याने कि उसे अनपढ़ समझने की भूल मत करना.
बाजार में जेबकतरों के बदले
अँगूठाकतरे घूमा करेंगे. आवाज सुनाई देगी..पकड़ो पकड़ो, वो मेरा अँगूठा काट कर भागा
जा रहा है.
कोई अधिकारी रिश्वत मांगेगा
और बंदा उसे अँगूठा दिखायेगा. अँगूठा ही रुपया, अँगूठा ही प्रमाण पत्र, अँगूठा ही पढ़े लिखे होने का सबूत.
बैंक से पैसा निकालना हो तो
अँगूठा ही सब कुछ होगा. अँगूठा दिखाओ, पैसा पाओ.
आने वाले समय में हेलमेट की
जगह बाजार में अँगूठा सेविंग पाईप टाईप की कोई वस्तु बिकती दिखेगी. सर फट जायें मगर अँगूठा न चोटिल हो. न पट्टी चढ़े, न प्लास्टर. अगर अँगूठा गया तो आप गये. भूखे मरने की नौबत आ जायेगी.
अब अँगूठा दिखाने को याने
कि ठेंगा दिखाने को चिढ़ाने की श्रेणी से बाहर कर दिया गया. अतः अगले चुनाव में जब ये नेता वोट मांगने आये तो खुले आम ठेंगा
(अँगूठा) दिखाईये.
कोई बुरा नहीं मानेगा.
-समीर लाल ’समीर’
आज http://www.newsbox4u.com/details.php?news_id=6812&module_id=23
में प्रकाशित...
आज http://www.newsbox4u.com/details.php?news_id=6812&module_id=23
में प्रकाशित...
हा हा बहुत खूब :)
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-01-2017) को "नूतन वर्ष का अभिनन्दन" (चर्चा अंक-2574) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओंं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-01-2017) को "नूतन वर्ष का अभिनन्दन" (चर्चा अंक-2574) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओंं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'