ये अजब बात है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर जैसे
शिक्षित और सभ्य व्यक्ति के दस्तख्त किये हुए बयान को कि मैं धारक को इतने रुपये अदा
करने का वचन देता हूं, भी चुनावी जुमला बना कर धर दिया जाये..ये बिल्कुल गलत बात है ..इसमें ऐसा
कहाँ लिखा है कि जब तुम इसे बैंक में अपने खाते में जमा करोगे तब मैं इसे हर रोज
२००० और कुछ दिन बाद ४००० की शक्ल में अदा करुँगा..और साथ ही तुम्हारा पैन नम्बर
आयकर वालों को देकर तुम्हारी तबीयत से बैण्ड
बजवाऊँगा.
जो पिछले चुनाव में वादा किया था कि
हर खाते में १५ लाख डलवाओगे वो तो पूरा किया नहीं और अब हालात ऐसे कर डाले कि अपने
खुद के १५ लाख रुपये से कहीं ज्यादा नगद
में १००० रुपये के नोट की शकल धरे मूँह चिढा रहे हैं मगर बैंक में डाल नहीं सकते.
जन धन योजना वाले खातेदार मजे में धनधारियों की तरह ताक रहे हैं
कि शायद उनके साहब अब उन्हें याद करें..कुछ खुरचन बचा ले जाने के लिए....खुरचन यूँ भी ज्यादा स्वाद देती है
मलाई से..
वैसे ये बताओ हे
जुमला पीर..ऐसी कौन मजबूरी आन पड़ी थी तुम पर कि तुमने अपनों की भी नहीं सोची..सिर्फ
उन दो तीन खास को छोड़ कर जिनके पास ऐसा होने की खबर थी और जिनके पास अब बस १०० -
१०० के नोट हैं..१००० – ५०० के
तो तीन दिन पहले ही छुट्टे करा कर मुस्कराते हुए धर लिए थे...लोक सभा की तरह यू पी
और पंजाब चुनाव में भी तो तुम्हारा ख्याल उन्हें ही रखना है...तो इतनी सी जानकारी का तो उनको मालूम होना बनता है..
आज बहुतेरे तो जिनमें तुम्हारे भी अनेक साथी शामिल हैं.. रोते हुए घर के
आंगन में नोटों का बोरा जला कर, मुस्कराते हुए बरामदे में खड़े हो कर प्रेस वालों को
ये बयान दे रहे हैं कि बड़ा ही साहसिक और ऐतिहासिक कदम रहा माननीय का. फिर ध्यान से
देखो तो उनके चेहरे की
वही मुख मुद्रा- मूँह
में राम बगल में छूरी वाली....
न जाने कितने आज इस उम्मीद में सोये होंगे...कि
कल शायद माननीय उठें और राष्ट्र के नाम पुनः संदेश दें कि बड़े भाई, गल्ती हो गई थी..कल
ज्यादा पी ली थी...सॉरी.. (ऐसा एक सोशल
साईट पर जोक मिला है)
वैसे कल की तो कल देखेंगे...मगर आज तो वाकई ..हद ही
कर दी..क्या ऐसे भी कोई करता है भला... कित्ता कागज खराब किया.....पर्यावरण के लिए
कित्ती गलत बात है..एक बार भी न सोचा कि कितने पेड़ कटे होंगे इसके पीछे...
और जिस शहर में सबसे
ज्यादा नोटों से भरे बोरे जलेंगे..उस शहर में ऑलरेडी स्मॉग अलर्ट है..विश्व का
सबसे पोल्यूटेड शहर अभी कल ही घोषित हुआ है ..विषैली
आबोहवा.. उसी का सोच लेते...मगर आपको क्या?
दिल्ली की हवा और अधिक विषैली हो भी जाये तो उसका ठीकरा
फोड़ने के लिए पोल्यूशन का ब्राण्ड
एम्बेसड़र, वो खाँसता हुआ बंदा तो है ही..उसी के नाम मढ़
देना...आने वाले पंजाब
चुनाव में मदद भी हो
जायेगी शायद..
वैसे शास्त्रों के हिसाब से
भी देखें तो नोटों को जलाना लक्ष्मी जी का अपमान करने जैसा है..ऐसा करने वाला पापी
है मगर फिर वही वेदों वाली बात...पापी से नहीं पाप करवाने वाले से घृणा करो..फिर
तुम ही अटकोगे..बता दिया ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आवे..
-समीर लाल ’समीर’
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.9.2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2522 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
vichaarneey lekh
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