सियापा और उसके सुर
यूँ...इत्ती कम उम्र..बस १६ साल की उम्र..यह तो खेलने खाने की उम्र है, इस उम्र में भी
भला कोई मरता है? सन २००० हजार की पैदाईश...सारा भविष्य उस पर ही टिका हुआ था..बहुत जतन उसे
संभाला था..और एकाएक उसकी इस तरह हत्या..कि सब कुछ पल भर में नेस्तनाबूत हो गया..भविष्य के सारे
सपने चकनाचूर..
इसे हॉनर किलिंग कहें
या शहादत..
अगर पड़ोसी मुल्क
को मूँह की चटा देने के लिए ही इस १००० के नोट का कत्ल हुआ है तो इसे शहादत मान कर
इसकी मौत को शहीद का दर्जा मिलना चाहिये और इस तरह से शहीद हो जाने पर १ करोड़ का
मुआवजा तो बनता ही है उस पालक का, जिसने इसे अब तक बड़े जतन से पाला और संभाला था.... अतः धोषणा करो..हे
सत्यवादी आंदोलनकारी...,कि मैं हर उस परिवार को एक एक करोड़ रुपये देने की घोषणा
करता हूँ जिसके पास उस हजार रुपये का नोट हैं, जो अभी अभी शहीद हुए है सीमा पार से
आने वाले नकली नोटों से लड़ते हुए...ध्यान रहे कि इस मुआवजे के हकदार सिर्फ वो लोग होंगे जिनके
नोट बदलने योग्य नहीं हैं..वो बेचारे कहाँ जायेंगे? जिनके नोट बदल दिये गये हैं वो
इसे परिवार के अन्य सदस्य को उसकी शहादत की एवज में दी गई नौकरी मानें. अतः वे
मुआवजे के हकदार नहीं होंगे. मुआवजा पाने के लिए नोट के धारक को, घोषणा पत्र समेत
अन्य ऐसे सभी कागजत जमा करने होंगे जो इस
बात को साबित करते हों कि यह नोट बैंक में किसी भी हालत में बदले जाने योग्य नहीं
है एवं खालिस काले हैं.
जान लिजिये आपकी यह
घोषणा...आपको न सिर्फ पंजाब, गोवा और यूपी की गद्दी दिला जायेगी..बल्कि पूरे भारत की
राजनीत को हिला जायेगी...किस्मत और कल को कौन जानता है? क्या पता इसी के चलते कल
को आप प्रधान हो जायें...फिर ओबामा केयर का जो हश्र हुआ ट्रम्प के आने पर ..उसकी
पुनरावृति आप इन नोटों को फिर से चलन में लाकर कर देना..कम से कम इस मामले में तो
हम अमरीका के समकक्ष आ जायेंगे..है न सटीक बात?
वरना अगर यह हत्या,
अपनी साख बचाने या उसमें इजाफा करने के लिए, अपने ही घर में रह रहे लोकल
भ्रष्टाचारियों की कलई खोलकर, अपने ही आमजनों के सामने, अपने ही लोगों को अपराधी
घोषित करने की मुहिम है..तो इसे ऑनर किलिंग का दर्जा दिया जाना चाहिए...तब यह सोचना होगा
कि खाप पंचायत का फैसला मान्य होगा या अपनी संवेधानिक अदालत का..
बहुत दुविधा है.. हॉनर किलिंग..शहादत
या कि बस, शरारत!!
यह एक संक्रमण
काल है..मुद्रा का संक्रमण काल..
संकट तो है ही,
कल को दूर भी हो जायेगा..संकट का तो स्वभाव ही आना जाना है..बस, हर बार संकट की परिभाषा बदल जाती है...
समीर लाल ’समीर’
जो भी हो प्राण का जाना तय है। . :-)
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 16 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंVichaarneey Aalekh
जवाब देंहटाएंइससे अच्छा तो हारर किलिंग ही कर देते हा हा। हानर नही आनर ��
जवाब देंहटाएंMass किलींग है। कई लोग जान बचाने मे लगे हैं ईसका।
जवाब देंहटाएंहाँ ये शहादत है काला धन के चक्कर में बेचारे नोटों को शहीद होना पडा। मोदीजी का ये आइडिया और इन नोटों की शहादत कितनी काम आती है ये तो आगे दिखेगा।
जवाब देंहटाएंहाँ ये शहादत है काला धन के चक्कर में बेचारे नोटों को शहीद होना पडा। मोदीजी का ये आइडिया और इन नोटों की शहादत कितनी काम आती है ये तो आगे दिखेगा।
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