बुधवार, अक्तूबर 28, 2015

जिल्द इक किताब का...

दो काल खण्ड
इस जीवन के
और उन्हें जोड़ता
वो इक लम्हा
जो हाथ पसारे
लेटा है इस तरह
दोनों को समेटता
मानिंद जिल्द हो
मेरी जिन्दगी की
किताब का!!

-समीर लाल ’समीर’


रविवार, अक्तूबर 18, 2015

टैटू पसंद लड़की



वो टैटू पसंद लड़की
चिपका लाती
दायें गाल पर तिरंगा
और
बायें गाल पर 
चाँद सितारा हरियाली
वो करवट बदलती
कि
बदल जाती जमाने की नजर!!
सहम जाती
वो टैटू पसंद लड़की!!

-समीर लाल ’समीर’