पिछले दिनों भारत में प्रकाशित डॉ प्रेम जन्मजेय की पत्रिका ’व्यंग्य यात्रा’ का जनवरी-जून, २०११ अंक प्रकाशित हुआ इस अंक में मेरा यह व्यंग्य भी प्रकाशित हुआ, सम्मानित महसूस कर रहा हूँ.
-न्य़ू अन्ना कन्सलटेन्सी सर्विसेस-
आज के बाद जब भी कोई अनशन होगा तो अन्ना को याद किया जायेगा. एक विशाल अनशन के साथ यह बात स्थापित हो चुकी है. ध्यान दिजिये स्थापित हुई है, अमर नहीं. आगे बदल भी सकती है मगर निकट भविष्य में संभावनाएँ अति क्षीण हैं. अन्ना की स्टाईल कॉपी की जा रही है.
अन्ना अब मात्र अन्ना न होकर बिगुल हो गये हैं. कहते हैं क्रान्ति का बिगुल. जब भी किसी अनशन की बात उठती है, अन्ना का नाम बज उठता है. अन्ना इन अनशनों को देख सकते हैं, मुस्करा सकते हैं मगर कर कुछ नहीं सकते. स्टाईल पर कॉपी राईट नहीं होता. क्षेत्रिय, शहर स्तरीय, प्रदेश स्तरीय नये नये अन्ना तेजी से ऊग रहे हैं, ऊगते ही लहलहा रहे हैं. जबलपुरिया अन्ना, मध्य प्रदेशी अन्ना, फेस बुकिया अन्ना सब आंदोलन के आकार, व्यापकता और भूमिका के आधार पर अपने आप तय होता जा रहा है.
जल्द समय आयेगा जब किंग जार्ज वन, किंग जार्ज टू आदि की तर्ज पर जबलपुरिया अन्ना प्रथम, जबलपुरिया अन्ना द्वितीय, जबलपुरिया अन्ना जूनियर, जबलपुरिया अन्ना सीनियर का प्रचलन शुरु हो जायेगा. मेन वाले अन्ना अपना अस्तित्व तलाशते नजर आयेंगे और ये डुप्लिकेट अन्ना नानकराम हलवाई की तरह अपने नाम के साथ जबलपुरिया अन्ना असली वाले, असली जबलपुरिया अन्ना प्रथम, न्यू जबलपुरिया अन्ना, ऑथेन्टिक साऊथ वाला जबलपुरिया अन्ना आदि आदि लिखते नजर आयेंगे.
ऐसे लेटेस्ट ट्रेन्ड अनशनकारी माहौल में यदि आपको शहर में जगह जगह निम्नलिखीत होर्डिंग नजर आने लगें तो आश्चर्य मत करियेगा:
- मात्र ६ माह में बनें: सर्टिफाईड अनशनकारी- अन्ना सर की क्लासेस- १ माह की इन्टर्नशिप की नेशनल लेवल अनशन में व्यवस्था ऑन लाईव प्रोजेक्ट.
- असली अन्ना इवेन्ट मैनेजमेन्ट कार्पोरेशन- हमारे यहाँ सस्ती दरों पर पूरे अनशन का इवेन्ट मैनेजमेन्ट किया जाता है. पैकेज डील में मीडिया का अरेन्जमेन्ट हमारी गारंन्टी है. (मिनिमम दो चैनल) (प्रति एक्स्ट्रा चैनेल अलग से चार्ज लिया जायेगा). ’१५ अगस्त तक विशेष: डायमन्ड डील में एक ए केटेगरी के फिल्म अभिनेता को अनशन स्थल तक १५ मिनट के लिए समर्थन जाहिर करने हेतु लाया जायेगा.’
- अनशन के लिए खादी के कुर्ते पायजामे, गाँधी टोपी एवं गद्दे तकिया किराये पर उपलब्ध हैं. फ्रेम जड़ित चरखा चलाते गाँधी जी की तस्वीर भी किराये पर दी जाती है. ’साऊथ वाले अन्ना टेन्ट हाऊस’
- नई दिल्ली स्टेशन, निजामुद्दीन, चाँदनी चौक आदि प्रमुख स्थलों से अनशन स्थल के लिए शटल बस सुविधा- ग्रुप बुकिंग के लिए संपर्क करें. जबलपुरिया अन्ना प्रथम ट्रेवेल्स- ’हमारे यहाँ 2X 2 वातानुकुलित विडियो कोच की व्यवस्था है’
- जबलपुरिया अन्ना रचित ’२१ दिन में सफल अनशनकारी कैसे बनें’ -हार्ड बाऊन्ड. मात्र १५० रुपये में. स्टेप बाई स्टेप २१ चेप्टर में विभाजित. एक्स्ट्रा बोल्ड फॉन्ट.
- न्यू अन्ना फ्रेश फ्रूट ज्यूस कार्नर- अनशन तुड़वाने के लिए ठंडा एवं फ्रेश संतरे का रस सस्ते दामों पर- असली नागपुरी संतरे का. अनशन स्थल तक पहुँचाने की व्यवस्था.
और भी न जाने क्या क्या!! सोचो तो कितनी बड़ी अर्थ व्यवस्था, रोजगार के अवसर और कितनी बातें जुड़ी है इस अनशन दर्शन के साथ.
ऐसे में जब पिछले दिनों एक व्यंग्यकार ने अनशनकारियों के लिए कुछ नायाब उपाय सुझाये तो लगा कि बड़ा स्कोप है इस फील्ड में कन्सलटेन्सी का. भारतीय हैं तो सलाहकारी तो खून में है यानि कि अपना तो खूनी पेशा की कहलाया. इसी उद्देश्य को मद्देनजर रख कुछ उपाय अनशनकारियों के सफल अनशन के लिए ताकि मीडिया कवरेज मिले और अनशन सफल भवे!!! प्रस्तुत कर रहा हूँ. बाकी विस्तृत विवरण के लिए समय एवं रुपया लेकर मिलें.
१. अपना अनशन स्थल बोरवेल में कम से कम ५० फीट उतर कर बनायें. मीडिया की चिन्ता न करें, उन्हें वहाँ तक माईक पहुँचाने की पुरानी प्रेक्टिस है. आप वहीं से बैठे मीडिया द्वारा प्रद्दत माईक से अपनी मांगे उठा सकते हैं. मीडिया के लिए यह सर्वाधिक प्रिय स्थल है.
२. यदि आप हिन्दु हैं तो मस्जिद की छत पर और मुसलमान हैं तो मंदिर के कंगूरे पर चढ़कर अनशन पर बैठ जायें. अपनी मांगों के साथ यह धमकी देना कतई न भूलें कि यदि आपने मांग न माने जाने पर कूद कर आत्म हत्या कर ली तो इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार के साथ साथ उस कौम की भी होगी, जिसकी पावन स्थली के उपर से आप छलांग लगाने वाले हैं. अनशन का मजहबी रंग मीडिया के घोर आकर्षण का कारण बनेगा, आप निश्चिंत रहें.
३. अनशन की सफलता पर अनशनकारियों के समक्ष मॉडल पूनम पाण्डे के निर्वस्त्र होकर दर्शनार्थ उपलब्ध होने की घोषणा करवा दें. मीडिया कवरेज के साथ साथ अनशनकारियों की उमड़ती भीड़ अन्ना वाले अनशन का रिकार्ड ब्रेक करती नजर आयेगी, इस बात की गारंटी है. भीड़ मीडिया को बुलाने और सरकार को डराने के लिए काफी है.
४. अनशन स्थल पर प्रत्येक बीस नारों के बाद चीयर बालाओं के डांस का इन्तजाम किया जाये जैसे कि धोनी ने छक्का मारा हो. इससे एक तरफ अनशनकारियों में नये उत्साह और स्फूर्ति का संचार होगा, वहीं दूसरी ओर मीडिया को भड़कीला शो भी मिल जायेगा.
५. अनशन शुरु करने के पहले कुछ सपेरों को सेट किया जाये ताकि वो एकाएक अनशन मंच पर सांपों के निकल कर नाचने का प्रबंध कर सकें. ऐसे घटनाक्रम मीडिया को बेहद लुभाते हैं. और फिर जैसे ही मीडिया की कृपा बरपेगी, जनता को मीडिया सुना लेगी और सरकार को तो सुनना ही पड़ेगा.
६. चका जाम, रेल रोको आदि अब पुराने पड़ चुके तरीके हैं. अनशन को नया रंग देने के लिए एयरपोर्ट की हवाई पट्टी पर अपना आसन जमायें और हवाई जहाज रोको की घोषणा के साथ अनशन पर बैठ जायें. रेल रोकने से नेताओं को कोई फरक नहीं पड़ता. न तो उनको, न उनके परिवार के किसी को रेल से चलना है मगर हवाई जहाज रुकते ही सारे नेता सकते में आ जायेंगे और मीडिया खुद दौड़ती भागती आयेगी.
७.यदि अनशन लम्बा चलाना है तो पानी का जहाज रोको आंदोलन बीच समुन्द्र में डेरा डाल कर चलायें. सालों साल अनशन चलता रहेगा और कोई सुनने वाला भी नहीं मिलेगा. वैसे हवाई जहाज रोको की तरह ही यह मौलिक तरीका शायद मीडिया का ध्यान आकर्षित कर जाये और आपका काम बन जाये.
अंत में अनशन की सफलता का पूरा राज न तो मुद्दे में है. न इस बात पर कि अनशन पर कौन और कैसे बैठा है, यदि आप मीडिया को आकर्षित नहीं कर पाये तो लाख सर पटक लें या आकाश गंगा में चारपाई लगाकर अनशन पर बैठ हवाई मार्ग अवरुद्ध कर लें, कोई नहीं सुनेगा.
नोट: जब यह आलेख छपेगा तो मैं टोरंटो से लन्दन के मार्ग में हूँगा. अतः मोडरेशन में हुए विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी.
बहुत अच्छा लगता है जब कोई मार्ग में मिलता है। देख रहा हूं कि आप लंदन में एक मार्ग पर खरामा खरामा चले जा रहे हैं और मन में एक और व्यंग्य की उधेड़ बुन है। पर इसे मत उधेड़ना समीर भाई, एक और नया बुन लेना।
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य किया है आपने!
जवाब देंहटाएं"न्यू अन्ना कन्सलटेन्सी सर्विसेस" में छपने पर बधाई!
मस्त लिखा है। राप्चिक।
जवाब देंहटाएंसुना है बैंक से फ़ाइनेन्स की सुविधा भी मिलने वाली है ---
जवाब देंहटाएंभाई ये सर्टिफाइड कोर्स वाला फंडा ज़बरदस्त है...कोचिंग मंडियों में घमासान मच जाएगा...बाप से डिमांड पूरी करानी हो तो कुछ टिप्स...माँ से करानी हो तो कुछ और...विरासत में नाम घुसेडवाना हो तो कुछ और...अन्ना ने राह दिखा दी है...लेकिन इस देश में गाँधी या अन्ना क्या करें...जहाँ भैंस के आगे बीन बजाने वाली स्थिति है...अपना सर फोड़ने के अलावा हम लेखक/कवि इत्यादि कर भी क्या सकते हैं...नक्कारखाने में तूती की आवाज़ कौन सुने...बिगुल बजा है तो जूं रेंगी है...
जवाब देंहटाएंसचमुच अन्ना अनशन का ब्रांड बन गए. लेकिन बाबा की टीआरपी तो घाट गयी.बहुत ही मज़ेदार पोस्ट. बधाई!
जवाब देंहटाएंयूपी में तो नजर भी आने लगे हैं ऐसे रंग-ढ़ंग.
जवाब देंहटाएंपढ़ते पढ़ते बीच में कई बार रुकना पड़ा, इतना हास्य एक साथ।
जवाब देंहटाएंरेल रोकने से नेताओं को कोई फरक नहीं पड़ता.
जवाब देंहटाएंभारतीय हैं तो सलाहकारी तो खून में है
बाकी विस्तृत विवरण के लिए समय एवं रुपया लेकर मिलें :-)
सर , कनसलतेंसी तो बहुत ही अच्छी है .
बाकी तो विवरण के लिए , समय लेकर मिलना पड़ेगा :-)
रेगार्ड्स--
गौरव श्रीवास्तव
हर पंक्ति सटीक है..... ज़बरदस्त व्यंग
जवाब देंहटाएंसही है ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंबेचारा बाबा रामदेव पीछे रह गया कांग्रेस पीछे पड़ गयी वो अलग
जवाब देंहटाएंताऊछाप पोस्ट
जवाब देंहटाएंमजा आ गया
प्रणाम
बहुत बढि़या व्यंग्य। मैं यही सोच ही रहा था कि अन्ना के अनशन पर जंतर मंतर पर जो चकल्लस इतने दिनों तक लगी थी, उसमें पानी पूरी वाले, भेलपुरी वालों, आइसक्रीम वालों वगैरह की तो अच्छी कमाई हो गई होगी। रामदेव के अनशन में टेण्ट वालों की अच्छी कमाई हो गई होगी। आपने इसी वयंग्य को व्यापक फलक तक पसार कर जो लिखा है वह वाकई दिल को गुदगुदा गया और सोचने को भी विवश कर गया कि यदि अनशन इतने ही 'कॉमन' होने लगे तो क्या इनका कुछ महत्व रह जायेगा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग्य..
जवाब देंहटाएंहमें तो अन्ना और बाबा दोनों पर नाज है..
मैंने आप के ब्लॉग पर एक प्रश्न किया था इस रिश्वत लेने देने की परम्परा को बंद करने के परिपेक्ष्य में
जवाब देंहटाएं"अन्ना" इतने मशहूर हो गए हैं की अभी जहाँ भी देखा जाए चर्चा का विषय बन गया है! आख़िर इस अनशन का क्या फायदा पर जनता भी क्या करें! बहुत ही बढ़िया और ज़बरदस्त लिखा है आपने! सटीक व्यंग्य!
जवाब देंहटाएंवाह समीर भाई ... बधाई पहले तो छापने पर .. फिर इतना जबरदस्त व्यंग मारने पर ...
जवाब देंहटाएंमजा आ गया ..
jabardast vyang :-)
जवाब देंहटाएंमात्र ६ माह में बनें: सर्टिफाईड अनशनकारी- अन्ना सर की क्लासेस-...........बहुत सही व्यंग है यह ..आने वाले भारत का भविष्य :)
जवाब देंहटाएंआज के दौर पर सटीक व्यंग्य...'व्यंग्य पत्रिका' में छपने पर बधाई..
जवाब देंहटाएं:) :) वाह,..एकदम सटीक व्यंग...मस्त!
जवाब देंहटाएंख़ूब मज़ेदार व्यंग्य !लगता है अब अनशन का भी यही अंजाम होने वाला है .
जवाब देंहटाएंha ha ha...बेहद सुन्दर व्यंग्य..सच कहा ऐसा ही कुछ देखने मिलेगा इस अन्ना के अनशन पर...
जवाब देंहटाएंक्यों भाई, अन्ना के सामने क्या बाबा रामदेव की दुकान फीकी रह जाएगी। सुंदर व्यंग्य के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंअनशन के रोलमाडल अन्ना का अनुसरण तो देशभर में समान रुप से लोकप्रिय हो रहा है फिर ये जबलपुर के अन्ना भाई नंबरों के क्रम में कुछ विशेष दिख रहे हैं इसके प्रणेता कहीं लाला रामस्वरुप रामनारायण जबलपुर वाले तो नहीं बन गये ? अन्ना कंसल्टेंसी सर्विस की सफलताओं के लिये शुभकामनाओं सहित...
जवाब देंहटाएंहास्य व्यंग के रंगों में सरोबार है ये पोस्ट । बढ़िया है जी ।
जवाब देंहटाएंजय हो प्रभु ... आप महान है ... मैं तो कहता हूँ आप पुरुष ही नहीं .................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................. महापुरुष है !!! ;-)
जवाब देंहटाएंबधाई .मखमली शब्दों में बहुत कुछ कह गए.
जवाब देंहटाएंसमीर जी ,आनन्द आ गया पढ़ कर ..... सादर !
जवाब देंहटाएंबहुत ज़बरदस्त व्यंग ... आपके सुझाये तरीकों में दूसरा , तीसरा और छठा लाजवाब हैं
जवाब देंहटाएंगुरुदेव ये पोस्ट पहले लिख देते तो बाबा रामदेव की फजीहत नहीं होती आपका बताया कोई नया तरीका आजमा लेते :)
जवाब देंहटाएंशसक्त ,सार्थक व्यंग, विचार व विकास की बुनियाद को गहराई से विवेचित करता हुआ मुखर है ..../.जोर का झटका धीरे से ..... साधुवाद जी /
जवाब देंहटाएंबहुत ही समयानुकूल , सटीक और सार्थक व्यंग्य लेख...........
जवाब देंहटाएंबड़े मजेदार लहजे में लिखा गया ..........मनमोहक
अनशन का बाजारीकरण ............बहुत सारी संभावनाएं
badhai ke paatr han aap...meri anekon shubhkamnayen...
जवाब देंहटाएंहास्य हर तर्फ़ है मौजूद यहाँ
जवाब देंहटाएंढूँढने की जरा कोशिश करिए
हास्य के साथ साथ व्यंग्य भी जोरदार है इस पोस्ट में
बढ़िया व्यंग... आपका मसौदा ज्यादा धांसू है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही एवं सटीक बातें कहीं आपने इस आलेख में ...बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच
बढ़िया आलेख ....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंदेर से कमेन्ट रिलीज़ करने के लिया पहले ही क्षमा कर देती हूँ...हम भी बड़ा दिल रखते हैं...:)
बढ़िया व्यंग्य किया है आपने****शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंइस रोचक रचना के लिए बधाई। व्यंग्य यात्रा का नियमित पाठक हूँ। इतनी सुंदर,सशक्त और लोकप्रिय पत्रिका में प्रकाशित होने के लिए पुनः बधाई।
जवाब देंहटाएंक्षेपक चस्पां करें -"अन्ना सिर्फ एक नाम नहीं ,जन गण मन है ".व्यंग्य की धार कुछ और काटेगी ,तानाशाहों को तानेगी .
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य किया है आपने|
जवाब देंहटाएंबहुत ही तीखा व्यंग किया है आपने,
जवाब देंहटाएंआप तो स्वयं सिद्ध है,
तीक्ष्ण लेखन के लिए प्रसिद्ध है,
आप खिलाते रहिये मष्तिस्क आहार,
हम खाते रहेंगे हम तो गिद्ध है...
ये जो आपने अनशन पर अंटशंट लिख मारा है,जबरदस्त है। सच कहूं तो आनंद आ गया।
जवाब देंहटाएंbahut achcha likhe.
जवाब देंहटाएंकमाल है , बहुत ही innovative.
जवाब देंहटाएंbahut mazedaar laga lekh.... vaah... andolan bhi aik vyvasaay hoga.. Para Vyvasaay staaf hoga
जवाब देंहटाएंsamir bhaii
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य किया है आपने!
"न्यू अन्ना कन्सलटेन्सी सर्विसेस" में छपने पर बधाई!मात्र ६ माह में बनें: सर्टिफाईड अनशनकारी- अन्ना सर की क्लासेस-...........बहुत सही व्यंग है यह ..
excellent
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जवाब देंहटाएंहा हा हा । अनशन बाबे जिन्दाबाद , अनशनी जनता जिन्दाबाद, अन्नावाद \
जवाब देंहटाएंहा हा, मस्त लिखा है दद्दा, सक्सेसफ़ुल होगा....
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
जवाब देंहटाएंकाश! यह लेख बाबा रामदेव के अनशन से पहले आ जाता :)
जवाब देंहटाएंबहुत खुब. अन्नामय होने के लिए अन्ना चालीसा का पाठ करना भी तो करुरी है जी......
जवाब देंहटाएंलाजबाब नुस्खे पेश किये है समीर जी. ऐसे तो अनशन इंडस्ट्री शुरू की जा सकती है.
जवाब देंहटाएंये आप अकेले का नहीं पूरे ब्लॉग जगत का सम्मान है
जवाब देंहटाएंनीरज
सटीक तथा सार्थक व्यंग - हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंअबर्दस्त व्यंग. बहुत हँसना भी हो गया. बधाईयाँ. आप यों ही गौरवान्वित होते रहें.
जवाब देंहटाएं"heartly congrates"
जवाब देंहटाएंregards
Pooja Goswami to me
जवाब देंहटाएंअन्ना अब मात्र अन्ना न होकर बिगुल हो गये हैं...
आपका ये व्यंग्य लाज़बाब है.... शुभकामनाएं॥