लगभग साल भर पहले एक पोस्ट आई: समीर लाल & अनूप शुक्ल. शीर्षक अजीब था लेकिन उस वक्त के ब्लॉगजगत के माहौल में ऐसी ही पोस्टें आ रही थीं और निश्चित ही, ऐसी कोई भी पोस्ट मेरा और अनूप शुक्ला का ध्यान आकर्षित करने के लिए तो काफी थी ही. मेरा नाम शीर्षक में हो और मैं न देखूँ? न भी देखूँ तो मित्र दिखवा ही देते.
तब वो पोस्ट पढ़ी और जिस खिलंदड़े अंदाज में उस समय के व्याप्त तनाव के बीच यह पोस्ट लिखी गई थी, वो काबिले तारीफ थी. बस, मुरीद हो गये इस लेखन शैली के. फिर पढ़ डाला पूरा ब्लॉग: भानुमति का पिटारा. पहले हल्का फुल्का बिना खास तव्वजो के पढ़ा भी था मगर अब रडार पर था.
उसी के आस पास या इधर उधर फिर राजू बिन्दास (राजीव ओझा जी) के अखबार के कॉलम में ’विदेश में बसे देसी’ में मेरा और इनका जिक्र साथ साथ आया, तो और जाना.
पता चला और फिर धीरे धीरे जाना कि एक पटना अमेरीका में आ बसा है. वही अंदाज, वही सलीका (?) :), वही बोलने का ढंग, वही अपनापन और फिर अमरीकियों के बीच किसी अमरीकी से कम नहीं, न ज्ञान में, न शान में.
कई बार फोन पर बात हुई. कब सह ब्लॉगर से खुद ही प्यारी सी बिटिया बन बैठी, न मैं जान पाया और न मेरी पत्नी साधना.
फिर पता चला कि टोरंटो आ रही है किसी परिवारिक प्रयोजन से. बात हुई तो बताया कि अपनी मौसी के पास आ रही है. उसकी मौसी लता पांडे हमारी पूर्व परिचिता निकली. साथ साथ टी वी पर और कई कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ का सिलसिला रहा है.
बस, पिछले शुक्रवार को शाम मेरे घर से ८० किमी दूर अपनी मौसी के घर रुकी स्तुति पांडे से मिलने हम जा पहुँचे सपत्निक मिसिसागा. मेरे बेटे के घर से पाँच मिनट की दूरी पर.
लगा ही नहीं कि पहली बार मिल रहे हैं. बहुत आनन्द आया. किताब ’देख लूँ तो चलूँ’ भी भेंट कर दी (पता नहीं पढ़ी भी कि नहीं), आशीर्वाद भी दे दिया, फिर आने का वादा भी ले लिया और स्तुति के हाथ की बनी चाय और उन्हीं हाथों से परोसे समोसे का आनन्द भी लिया गया. मैने जब सिर्फ आधा समोसा लिया तो स्तुति के चहेरे पर खुशी देखने लायक थी. कारण मेरा संयम नहीं, उसके लिए अतिरिक्त उपलब्धता ही होगा क्यूँकि टोरंटो जैसे समोसे उसके शहर में तो मिलने से रहे. ढेरों बात हुई. अच्छाई बुराई ऑफ ब्लागर्स की गई. हूंह, बतायेंगे थोड़े न किसी का नाम!!! हम तो अजय झा, प्रशान्त, पंकज, अभिषेक आदि किसी का नाम भी क्यूँ बतायें- जस्ट गैस!!!
करीब एक घंटा पाँच मिनट में बीत गया और फिर भारी मन से विदा ली गई. जब तक कार पहले मोड़ से मुड़ नहीं गई, स्तुति हाथ हिलाते नजर आई या हो सकता है, नजर रख रही हो कि कहीं लौट न आयें. समोसे तो बचे हुए थे ही. बाद में अकेले दबाकर खाई होगी पक्का!!!
वही हाथ हिला कर अलविदा कहती स्तुति की तस्वीर जेहन में बसाये लौट आये फिर कभी मिलने की ख्वाहिश को थामे. अगली सुबह उसे अमरीका लौट जाना था.
यही तो है जिन्दगी!!!
अब देखो कब मिलना होता है मगर यह मिलन यादगार रहा.
कुछ तस्वीरें उस मौके की:
यूँ
इसके पहले
मिले तो न थे कभी
पर
जब मिले
तो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!
mulaakat bhi dilchasp......
जवाब देंहटाएंप्रिय अंकल और आंटी, आप दोनों से मिल कर मुझे भी नहीं लगा की मैन पहली बार मिल रही हूँ. आप दोनों मिलने आये मेरे लिए यही सबसे बड़े सौभाग्य की बात थी. और हाँ, आपकी किताब मैंने प्लेन में आते समय पढ़ डाली, आजकल को किताब मेरे पडोसी के यहाँ है. :) और हाँ, आपके जाने के बाद मैं और शिवम टूट पड़े थे समोसे पर. मौसी ने जब पूछा तो मैंने कहा की अंकल के सामने दूसरा समोसा लेती तो वो लोग क्या कहते की एकदम चट्टन है. :D :D
जवाब देंहटाएंबढिया मिलन रहा। समोसा वैसे भी आपको कम ही खाना चाहिए, स्तुति पाण्डे ने सही किया। :)
जवाब देंहटाएंवाह मजा आ गया, ई मुलाकात के बारे में जानकर, वही हम सोचे कि भारतीय और केवल आधा समोसा और फ़िर भी प्लेट में समोसे रखे रह गये, वो तो स्तुती ने ऊपर टिप्पणी में बता दिया :)
जवाब देंहटाएंवो जो दाढ़ी वाले थे, वो कहां हैं, उनको खोजा जाये पहले...
जवाब देंहटाएंतभी हम कुछ कमेन्ट करेंगे...
Achha laga
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरदेव
जवाब देंहटाएंनमस्कार जी
मजा आ गया, ई मुलाकात के बारे में जानकर,
बढ़िया मुलाकात समीर जी
जवाब देंहटाएंस्तुति से मिलना/के बरे में जानना.. सुखद रहा..
जवाब देंहटाएंआभार..
बहुत सुंदर संसमरण! स्तुति पांडे को पढ़ना अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंएक शे’र अर्ज़ है ...
कोई मिला तो हाथ मिलाया, कहीं गए तो बातें की,
घर से बाहर जब भी निकले बस आधा समोसा खाया है !
अच्छा लगा ये इस दिलचस्प मुलाकात के विषय के बारे में जानकर
जवाब देंहटाएं॒ मनोज भाई,
जवाब देंहटाएंवाह जी जनाब, क्या खूब शेर चमकाया है
लगा कि गुलेल से हवाई जहाज गिराया है.....
घर से बाहर जब भी निकले बस आधा समोसा खाया है
बाकी बचे समोसों को मेजबान ने सटकाया है...
:)
स्तुति जी
जवाब देंहटाएंलम्बी ऊड़ान थी,
पढ़ ही लिया होगा ट्रेवलाग
एक गोपनीय किंतु ओपनीय तथ्य ये है कि अपने भाई साब हैं ही गज़ब उनसे अधिक उत्साही भाभी सा’ब हैं.
शीर्षक पसन्द आया।
जवाब देंहटाएंहा हा ...आप सब की शेर - ओ - शायरी समोसे से भी ज्यादा गज़ब ढा रही है.
जवाब देंहटाएंयही तो ब्लागरी की विशेषता है, ऐसी मुलाकातें ब्लागरों की जिन्दगी का हिस्सा बन चुकी हैं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही स्तुति से यह मुलाकात, इस बहाने उनके ब्लॉग को पढने का मौका भी मिल गया...
जवाब देंहटाएंवाह वाह, मजा आया चित्र देख कर...
जवाब देंहटाएंबहुत सही....
समोसा के साथ चटनी कौन सा था जी...
:-)
हम इस लड़की को अच्छे से जानते हैं.. झूट्ठे का बोल रही है कि किताब पढ़ लिए..
जवाब देंहटाएंवैसे मुझसे फोन पर आपसे अधिक आंटी जी की तारीफ़ हुई है.. :)
@PD:
जवाब देंहटाएंवही सेफ जोन है भाई...दुनियादारी स्तुति भी समझती है कि किसकी तारीफ झूठमूठ कर देना है. :)
@ देव
जवाब देंहटाएंअभी चटनी बता देंगे तो लार टपकाओगे..खुदे बनाई थी स्तुति..एकदमे यम्मी!!!
@PD:
जवाब देंहटाएंकल फोन करके उससे किताब से क्यूश्चेन पूछे जायेंगे. :) नहिं पढ़ी होगी तो धरा जायेगी तुरंते!!
हा हा हा.. ये सही रहेगा.. :D
जवाब देंहटाएंहमको तो यही डर लग रहा है कि कहीं नुका के सुन रही होगी ई चट्टन.. बाद में मेरा क्या हाल करेगी.. :-|
"एकदम चट्टन है. " -- ke baare me padh kar achchha laga...:)
जवाब देंहटाएंलीजिए हम अभिये बता देते हैं, वो ट्रक से बाहर मूह निकाल के हवा खाता सूअर..वो सिगरेट पीती पीछे वाली गाडी में महिला..वो गृह प्रवेश...वो अंग्रेज....वो हाँथ में कॉफी ...और कोई कोस्चन है?
जवाब देंहटाएंaajkal blogging se itne door ho gaye hain ki kai achche blogs ke baare mein pata hi nahi chal pata... aapne stuti se parichjay karaya. dhanyvaad...
जवाब देंहटाएंsir , ham to aapse hamesha hi milna chahte hia ... kuch kariye iska ilaaj , aap jabalpur aa jaayiye , ham bhi wahi ek ghar bana lete hai ...
जवाब देंहटाएंसुमधुर मुलाकात के मीठे संस्मरण, चटपटे समोसों के साथ. आनन्दम्...
जवाब देंहटाएंसमीर जी
जवाब देंहटाएंसुखद संयोग बना होगा निश्चित ही इस मुलाकात में...... स्तुति का कमेन्ट भी पढ़ा. ऐसी मुलाकातें जीवन में नया मोड़ ला देती हैं.
बढ़िया मुलाकात लेकिन एक सवाल अनुत्तरित है दाढीवाले कहा हैं?
जवाब देंहटाएंस्तुति सौभाग्यशाली है कि आप जैसे स्नेही युगल को खींचने में कामयाब हुई !
जवाब देंहटाएंआप जैसे स्नेही पति पत्नी बहुत कम मिलते हैं और निस्संदेह आप दिल पर अपनी छाप छोड़ने में समर्थ हैं !
शुभकामनायें आप दोनों को !
बहुत ही यादगार रहा ये मिलन तो...
जवाब देंहटाएंस्तुति की रीसेंट तस्वीर भी देखने को मिली...बड़ी स्मार्ट लग रही है...अपनी पटना की बालिका...नज़र ना लगे...चश्मेबद्दूर :)
यूँ इसके पहले
जवाब देंहटाएंमिले तो न थे कभी
पर जब मिले
तो लगा कि
फिर मुलाकात हुई!!
जब मिले
जवाब देंहटाएंतो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!
bahut achcha sansmaran...uspar ye pangtiyan......wah.
बहुत दिलचस्प...
जवाब देंहटाएंएक अच्छी मुलाकात...एक दिलचस्प संस्मरण...
जवाब देंहटाएंस्तुति पांडे के समोसे बड़े लजीज निकले --समीर जी ! सब के समोसे खाते हे आप कभी मेरे घर भी आऐ--समोसे आप के इन्तजार में हे --?
जवाब देंहटाएंबहुत बढिय़ा सर जी।
जवाब देंहटाएंइस तरह की पोस्ट पढ़कर ज्यादा खुशी होती है।
Kuch log aise hi hote hain .... dil mein jagah kab bana lete hain pata hi nahi chalta ....
जवाब देंहटाएंप्यारी मुलाकात और स्वादिष्ट समोसे ..आधा छोड़ कर अच्छा नहीं किया आपने अरे रख लाते जेब में फिर यहाँ भिजवा देते :)
जवाब देंहटाएंयह भी खूब रही. मिले तो लगा मिले हैं, मिलेंगे.
जवाब देंहटाएंapnee dhartee aur apno se milna koi bhul naheen pata aapne shabd chitr kheench diya.
जवाब देंहटाएंविदेश में किसी परिचित से मिलना निसंदेह बड़ा सुखद रहता होगा ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रहा यह मिलन भी और संस्मरण भी ।
शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंजब मिले
जवाब देंहटाएंतो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!
बहुत सुन्दर वर्णन मुलाक़ात का ...
उसकी मौसी लता पांडे हमारी पूर्व परिचिता निकली
जवाब देंहटाएंThe world is soooo small :)
अरे इस बच्ची की प्रतिभा और चपल सरल स्वभाव की मुरीद तो मैं भी हूँ...
जवाब देंहटाएंबड़ा सुखद लगा उसके बारे में जानना और फोटू देखना...
aakhir mein kya gajab keh diya sir :)
जवाब देंहटाएंsaransh yahi to hai :)
यूँ
जवाब देंहटाएंइसके पहले
मिले तो न थे कभी
पर
जब मिले
तो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!
puri mulakat ke bad ye panktiya man ko chu gain
aapne itna achchha likha hai ki mujhe to laga ki me bhi vahan upasthit hoon
saader
rachana
शीर्षक देखते ही समझ में आ गया था कि पटना किसके अन्दर 'समा' सकता है :)
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग चीज़ ही ऐसी है कि नए चेहरे भी बरसों पुराने मित्र सरीखे लगते हैं
जवाब देंहटाएंअच्छी मुलाकात रही...कनाडा में समोसों के जिक्र से ही लगा वहां के समोसे शायद कभी मिलें...
जवाब देंहटाएंअविस्मरणीय मुलाक़ात,
जवाब देंहटाएंपरिचय की मोहताज नही रही..
मिलते रहिये के मिलना जरूरी है,
जरूरत हो न हो मुलाक़ात जरूरी है..
हा हा हा हा ...हमको पहिले ही बता दी थी कि जा रहे हैं कनेडा में उडनतशतरी का सैर करेंगे ..बकिया समोसा पक्का इसीलिए छोडी होगी तब कि बाद में चिबा के खा जाएंगे । एक बात और ...अब कम से कम पांच सौ फ़ोटो खींच के आई होगी ..ई पूरा साल फ़ेसबुक पे साट साट के इतराती रहेगी । पूरा अमरीका को पट्नैया हाट बनाए रहती है .....भडकुस्सा उडाए रहती है ...इसका नाम है चुलबुलिया पांडे ..असली नाम । समझ सकते हैं कि मुलाकात के दौरान क्या क्या बोली होगी .....दिल्ली मेट्रो एक बार कनेडा तक शुरू हो जाए फ़िर लगाते हैं हम भी चक्कर
जवाब देंहटाएंमृदुल मुलाकात!!
जवाब देंहटाएं-_________
निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार से
सुज्ञ: ईश्वर हमारे काम नहीं करता…
सब कुछ जादे ही इस लड़की की तारीफ़ कर दिए हैं.. अब तो सर पे चढ़कर नाचेगी.. :)
जवाब देंहटाएंअपनों से मुलाकात...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत..!!
अजी आप की सेहत का राज कही यह समोशे तो नही:) बहुत सुंदर जानकारी ओर सुंदर चित्र, ओर बहुत प्यारी मुलाकात
जवाब देंहटाएंब्लॉग परिवार भी काफी बड़ा परिवार बन रहा है.. अच्छा लगा पढ़ के.. अब भारत आ कर मिलें तो हमारे भाग्य का सितारा चमके ज़रा :)
जवाब देंहटाएंऔचक एवं रोचक मुलाक़ात अंकल.. मज़ा आया हास्य के पुट में पढ़कर..
जवाब देंहटाएंइक और बात... आप कोई भी लुक रखें सौरभ शुक्ला के भाई जरूर लगते हैं.. :P
जवाब देंहटाएंबढ़िया मुलाकात !
जवाब देंहटाएंएकाएक बीते दिनों की सुन्दर खोज !
उपन्यासिका देख रहा हूँ, आज-कल !
आभार !!
आपकी मुलाकातों का कोई जवाब नहीं ये ब्लॉग जगत की मुक्का लातों से कितनी अलग होती हैं :)
जवाब देंहटाएं'स्तुति' जब 'समीर' करे तो किसे न भाय,
जवाब देंहटाएंदावत नहीं है महंगी,बस आधा समोसा खाय,
याँ दिल हुआ 'कबाब' है अपने है अपने ही देस में,
'पटने' के 'पांडे' कर रहे 'परदेस' में एन्जॉय.
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
यह मुलाकात तो जानी पहचानी लगती है, याद आ रहा है कि हम भी आपसे मिल चुके हैं। वाह, यही माहौल बना रहे।
जवाब देंहटाएंयूँ इसके पहले
जवाब देंहटाएंमिले तो न थे कभी
पर जब मिले
तो लगा कि
फिर मुलाकात हुई!!
दिल को छू गईं.....
-आकर्षण
परदेस में कोई अपने देस का मिले तो कैसी ममता उमड़ आती है. रोचक संस्मरण .
जवाब देंहटाएंWaise bhi chalna firna sehat ke liye faydemand hota hai. :)
जवाब देंहटाएं............
ब्लॉdग समीक्षा की 12वीं कड़ी।
अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं का अपमान!
Aap se koie pahali baar milta hai to lagata hee nahi ki pahali baar mil rahe hai....
जवाब देंहटाएंyeh aap ka quality hai.....
deeli agaman kab hoga ..intizaar hai..
jai baba banaras.....
समीर जी मेरे पास एक नोकिया ३११० में रिकार्डर में
जवाब देंहटाएंरिकार्ड की गयी amr file है । मैं इसको amr प्लेयर
से mp3 और wav में कन्वर्ट भी कर चुका हूँ । अब
कृपया इसे ब्लाग में पोस्ट करने का तरीका बतायें ।
मेरा ई मेल - धन्यवाद ।
golu224@yahoo.com
स्तुति से मिलना/के बरे में जानना.. सुखद रहा..
जवाब देंहटाएंआभार..
स्तुति पाण्डे के बारे में जान कर अच्छा लगा .
जवाब देंहटाएंदिलचस्प मुलाकात .......
मुझे भी "पा" कहकर बुलाती "थी".. जब बीमार थी तो मैं हाल पूछ लिया करता था.. इधर का पता नहीं.. शायद कनाडा और नोयडा में सिर्फ "डा" समान है.. और असमानताएं बड़ी लम्बीईई!!
जवाब देंहटाएंजीती रहो इस्तुती बेटा!!
है किसको पता , कौन गीतों में उतरेगा
जवाब देंहटाएंनज्मों में ढलेगा रूहे आसमानी की तरह
भेट विवरण तो अपनी जगह रोचक और बॉंधे रख्ननेवाला है ही किन्तु सबसे आखिरवाली तस्वीर ने बडी राहत दी। आपने मुझे दुबला होने का सुख दे दिया।
जवाब देंहटाएंदोस्तों, क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना.........
जवाब देंहटाएंभारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से (http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html )
बहुत अच्छा लगा समीर जी |
जवाब देंहटाएंहम लोगों का ब्लाग पर ही बिना मिले-जुले एक अनोखा आत्मीय सम्बन्ध सा बन जाता है फिर यदि मुलाक़ात भी हो गयी तो क्या कहना !
ईश्वर इस प्रेम भावना को कायम रखे , यही प्रार्थना है |
'आधा समोसा लिया' जैसे वाक्यांश इस स्नेह को परिभाषित करने के लिए पर्याप्त हैं|
जवाब देंहटाएंaadarniy sir
जवाब देंहटाएंpata nahi aapki lekhan me kya baat hai ki jab bhi ki post padhti hun ek nayi cheej naye andaj ko paati hun.
kabhi kabhi paraye bhi kitne apne ho jaate hain jinko ham jante tak nahi par milne par aisa hi lagta hai ki ham pahle se hi ek -dusre ko jate hain .sach yah rishta bhi bada hi anutha hota hai .
ishwar karen punah unse aapki jald hi mulakaat ho
bahut hi bhavnatmak post
sadar naman
poonam
बढिया ई मुलाकात!
जवाब देंहटाएंयूँ
जवाब देंहटाएंइसके पहले
मिले तो न थे कभी
पर
जब मिले
तो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!..यही मुकम्मल टिपण्णी है अगर हो सकी .कल से ५ बार कई तरीके से आपका आभार प्रकट करने की कोशिश की है पर हर बार ब्लोगेर एरर करता हैइस बार देखें ..खुदा हाफिज
अपने देश के लोग हो और उस पर भी साहित्य प्रेमी तो भला मिलने से कौन रोक सकता है..बढ़िया प्रस्तुति...बधाई
जवाब देंहटाएंpar jab mile to lgaa ki mulaakat hui
जवाब देंहटाएंsundar vritaant .
veerubhai .
आपका हर आर्टिकल रोचक होता है |मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआशा
बढि़या संस्मरण। पढ़कर ऐसा महसूस हुआ मानों हम भी उस मुलाकात में शरीक रहे हों।
जवाब देंहटाएंbahut achchhi prastuti ....aap ,sadhaana ji v stuti ..
जवाब देंहटाएंयूँ
जवाब देंहटाएंइसके पहले
मिले तो न थे कभी
पर
जब मिले
तो लगा
कि
फिर मुलाकात हुई!!
badi lambi yaatra rahi aapki magar dilchsp bhi .
अच्छी तस्वीरें, बोलती सी. भई वाह, समीर जी , एक छोटी सी शिकायत और हर कृति पर टिपण्णी . बहुत बड़ा दिल है आपका, जो इस नाचीज़ के ब्लॉग पर टिप्पणियां भेजीं. स्नेह बनाये रक्खें. ब्लॉग्गिंग की दुनिया में बड़ा नाम है आपका और आपकी हौसला -अफजाई हमे प्रेरित करती रहेंगी ! साधुवाद .
जवाब देंहटाएंbahut saral rochakl likhate hai....
जवाब देंहटाएंacha laga padhkar, blog anusaran kar rahi hun..
वाकई दिलचस्प मुलाकात...सुन्दर फोटो भी.
जवाब देंहटाएंA sweet post with lovely pics. Nice meeting the two beautiful ladies in the pic. I'm also missing "Samosa" Its been a year almost I have not tasted it.
जवाब देंहटाएंदुनिया बहुत छोटी है और गोल भी. क्या पता कहाँ कब कौन कैसे मिल जाये?
जवाब देंहटाएंआपका लिखने का दिलचस्प अंदाज़ आपको औरों से अलग करता है..
मेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है.
चलने की ख्वाहिश...
bada hi yaadgaar milan tha...badi hi khoobi se use blog par utara..shubhkaamnayein..
जवाब देंहटाएंजब भी किसी पुराने से मिलते हैं लगता है कहीं कुछ छूटा नहीं था,एकदम से घुलमिल जाना ही आत्मीय मिलन की निशानी है !
जवाब देंहटाएंबढ़िया संस्मरण !
der aana hua par durust hua itni achi post samose or chatni ke saat tarste han videsh men to...achi lagi photo bhi ...agali baar thoda eak samosa idhar bhi post kar dijiyega...
जवाब देंहटाएंजी हाँ!
जवाब देंहटाएंयही तो है जिन्दगी!
सुन्दर चित्रों और पोस्ट के अन्त में कविता पढ़कर आनन्द आ गया!
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मगर अफसोस कि बहुत देर से इस पोस्ट पर आया हूँ क्योंकि 3 दिन तो मेरी ब्लॉगिंग के दिल्ली ही खा गई!
तो इस्तुती जी आपको चाय और समोसा बना के खिला भी दी...इसका मतलब इस्तुती को काम धाम करने अच्छे से आता है :P
जवाब देंहटाएंचलिए, आपके ब्लॉग पे लोगों ने आकार स्तुति की तारीफ़ भी कर दिए, फ्री में...हा हा
बेहतरीन व्यंग के जरिये सिस्टम पर करारी चोट की है आपने गोरया का साथ लेकर पर्यावरण का सरोकार काबिले तारीफ़ है .दिली आभार
जवाब देंहटाएंसास के मरने के बाद बहु ने तिनके नोंच फेंके
कभी घर में हुआ करता था चिड़िया का घोसला
नए कमरों की तामीर से हुई थी आँगन की मोत
दरख्त के साथ मिट गया था चिड़िया का घोसला
सुंदर संसमरण...
जवाब देंहटाएंमुलाकात का बहुत रोचक विवरण.
जवाब देंहटाएंबढ़िया लगा.. स्तुति जी से मिलने का विव्राब पढ्कर.. पहली बार उनके ब्लॉग पर गया.. शुद्ध बिहारी टेस्ट मिला.. धन्यवाद उनसे परिचय करवाने के लिए...
जवाब देंहटाएं