रविवार, फ़रवरी 13, 2011

तीरथराम.......

तीरथराम साईकिल रिक्शा चलाता और पत्नी किशोरी घर सम्भालती. दोनो दिन-रात काम करते.

घोर ईश्वर भक्त. ईश्वर भी उसकी निरन्तर भक्ति से प्रसन्न हो एक के बाद एक लगातार आठ बच्चे प्रसाद स्वरूप देता गया.

किशोरी को पूजा पाठ में कोई दिलचस्पी नहीं रही. वह इसे पाखंड मानती थी. पति की थोड़ी सी कमाई में किसी तरह घर सम्भाले कि पूजा पाठ पर खर्च करे.

और तीरथराम..?- कहता था कि ईश्वर तो इस बरस भी फिर प्रसन्न हुआ. सातवां चल रहा था, किशोरी को खून की उल्टी हुई और फिर न तो बच्चा बच सका और न किशोरी.

सारा दोष मूरख किशोरी का है-नास्तिक कहीं की!!!

किशोरी की भूल की माफी मांगने पहाड़ी वाले मंदिर जाना पड़ा था भरी बरसात में.

पैर फिसला. खाई में गिर कर चल बसा!!

अब... आठ अनाथ बच्चे!!

ईश्वर ही पालेगा उन्हें!!.....घोर ईश्वर भक्त जो था तीरथराम.......

(लगता तो है कि पल ही जायेंगे, जब पूरा देश बिना किसी नाथ के उसी के भरोसे पला जा रहा है!!)

worship

कल रात अँधेरे

टकरा कर

फट गया था

माथा उसकी बीबी का

और

उतर आया था

माँग के सिंदूर का निशान

जिस पत्थर पर....

आज गाँव में उसे

बड़ी श्रृद्धा से

पूजा जाते देखा!!!

-समीर लाल ’समीर’

72 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे देश की गरीबी और बदहाली का एक प्रमुख कारण है ,सब कुछ ईश्वर पर ठेल देना

    जवाब देंहटाएं
  2. बड़ी सहजता से बयां कर दी देश में बदहाली की जड़ों की कहानी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सारगर्भित पोस्ट सोचने को मजबूर करती हम क्या करते है कहाँ है?

    जवाब देंहटाएं
  4. अंध श्रद्धा पर करारा व्‍यंग्‍य।

    जवाब देंहटाएं
  5. करे कराए आप है
    पलटू पलटू शो ।

    जवाब देंहटाएं
  6. अंधविश्वासी हो कर पूजा करने वालों को आपने बखूबी संदेश दिया ।
    शायद कुछ लोगों की आँखे खोल जाये , इसको पढ कर ।

    जवाब देंहटाएं
  7. अंधविश्वास और ईश्वर में विश्वास दोनों अलग-अलग चीजें हैं.. बेहद अलग...

    जवाब देंहटाएं
  8. सही कारण खोजा है आपने

    जवाब देंहटाएं
  9. जिस देश में लालू जैसे नेता हो, तीरथराम जैसे फॉलोअर तो होंगे ही...

    जीते जी न सही बीबी इसी बहाने पूजी तो जाने लगी...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  10. त्रासद सच... तेरा रामजी करेँगे बेडा पार.

    जवाब देंहटाएं
  11. ईश्वर विश्वास या अंधविश्वास ?
    अच्छा लगा
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  12. अंध विश्वास पर करारा प्रहार करती पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  13. :(
    अंधविश्वास का खेल...

    जवाब देंहटाएं
  14. ईश्वर की दी हुई बुद्धि का प्रयोग न कर केवल अंध भक्ति का आश्रय लेने की यही परिणति होती है.

    जवाब देंहटाएं
  15. सच मे सब कुछ ईश्वर भरोसे ही चल रहा है अपने देश का हाल देख कर तो यही लगता ह

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सही और सटीक मारा सरजी, अपना देश आज भी इन सब चीजों में उलझा हुआ है, आभार।

    जवाब देंहटाएं
  17. कम शब्दों में बड़ी बात कही है आपने। मेरे विचार भी आप से मिलते हैं इस संबंध में।

    जवाब देंहटाएं
  18. खून की उलटी हुई.... ये भी ईश्वर की कृपा ही तो थी वर्ना तीरथराम तो किरकिट की टीम तैयार कर ही लेता :)

    जवाब देंहटाएं
  19. लगता तो है कि पल ही जायेंगे, जब पूरा देश बिना किसी नाथ के उसी के भरोसे पला जा रहा है..... बेबाक बात कही...साधुवाद !!

    जवाब देंहटाएं
  20. सब कुछ समझा दिया इस प्रसंग और कविता में.

    जवाब देंहटाएं
  21. देश की बदहाली ...क्या खूब निकाली .......सुंदर असरदार

    जवाब देंहटाएं
  22. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  23. हाँ अच्छा तरीका है न भगवान पर डाल कर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री.

    जवाब देंहटाएं
  24. "पैर फिसला. खाई में गिर कर चल बसा!!

    अब... आठ अनाथ बच्चे!! "

    गरीबी और अशिक्षा पर बेहतरीन कटाक्ष !

    जवाब देंहटाएं
  25. सटीक चित्रण !

    आज कल हर तरफ जिधर देखो कुछ ऐसा ही देखने को मिल जाता है !




    आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  26. सार्थक सटीक प्रहार किया है आपने...par काश कि यह सन्देश वहां tak पहुँच पाटा जहाँ इसे पहुंचना aur बसना चाहिए...

    जवाब देंहटाएं
  27. बहुत ही सशक्त व्यंग लिखा है, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत अच्छा संस्मरण,उतनी ही अच्छी कविता.

    जवाब देंहटाएं
  29. जी हाँ , पल ही जायेंगे ।
    और कुछ नहीं तो वे भी एक मंदिर खोल लेंगे किसी सड़क किनारे ।

    जवाब देंहटाएं
  30. यही विडंबना है हमारे देश की ... सब ईश्वर का आशीर्वाद समझ ग्रहण करते हैं ..मार्मिक प्रस्तुति ....

    जवाब देंहटाएं
  31. यहाँ अंधश्रद्धा मिल जाएगी पर मनुष्यों में विश्वास नहीं हैं ...... अफसोसजनक बदहाली की हकीकत पर करारा कटाक्ष .....

    जवाब देंहटाएं
  32. बेनामी2/14/2011 11:20:00 am

    desh main isi tarah se andhvishwas faila hua hain
    aur ye desh ko andar se khokhala kar raha hain

    जवाब देंहटाएं
  33. वाह ,गजब का भाव-चित्रण है रचना में.

    जवाब देंहटाएं
  34. sochne par vivash karti rachna .... keep smiling :)

    जवाब देंहटाएं
  35. इस देश में तीरथरामों की कमी नहीं....शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  36. वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
    लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...

    जवाब देंहटाएं
  37. आठ के ठाठ भगवान भरोसे छोड़कर चला गया तीरथराम!! जैसे देश जी रहा है ठाठ से!! दिल को लग गई बात,समीर बाबू!!

    जवाब देंहटाएं
  38. पुरा भारत भरा हे इन तीर्थरामो से.....

    जवाब देंहटाएं
  39. अच्‍छी लघुकथा। ईश्‍वर तो है लेकिन कर्म भी कुछ है। चिंतन करने योग्‍य पोस्‍ट।

    जवाब देंहटाएं
  40. क्या कहा जाय, सच ही है.

    जवाब देंहटाएं
  41. डा.मनोज रस्तोगी2/14/2011 04:38:00 pm

    बहुत पैना प्रहार किया है आपने । बधाई हो ।
    rastogi.jagranjunction.com

    जवाब देंहटाएं
  42. कम शब्दों में बड़ी बात कही है आपने।

    जवाब देंहटाएं
  43. आदरणीय समीर लाल जी..
    प्रेमदिवस की शुभकामनाये !
    कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    माफ़ी चाहता हूँ

    जवाब देंहटाएं
  44. .

    दास मलूका कह गए , सब के दाता राम ...

    अंधविश्वास पर एक उम्दा व्यंग ।

    .

    जवाब देंहटाएं
  45. तीरथराम पर कुछ भी लिख लो कुछ भी कह लो ये समस्या क़ा रूट्काज़ नहीं जैसा कि प्रवीन जी ने कहा यहाँ उल्टी गंगा बहती है जो लालू के घर होगा वही तीरथराम की नजीर होगी. और दूसरी बात अंधविश्वास क़ा परीक्षण अति कठिन है हम बड़ी सरलता से किसी के विश्वास को अंधविश्वास कह देते है जबकि मुसीबत में बड़े से बड़ा तार्किक इकिसी अवाक्त क़ा आसरा देखता है.
    प्रपंच करना बेहद सरल समस्या क़ा समाधान ढूँढना फिर क्रियान्वित करना उतना ही कठिन.

    जवाब देंहटाएं
  46. प्रियवर समीर जी
    सस्नेहाभिवादन !

    लघुकथा और कविता दोनों में ही नासमझी और अंधविश्वास की प्रवृत्तियों पर कटाक्ष करते हुए चेतना जाग्रत करने का सफल प्रयास आपकी लेखनी के माध्यम से हुआ है । आभार और बधाई !


    प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !
    ♥ प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं! :)

    बसंत ॠतु की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  47. prabhavshali evam yatharthparak laghu katha....
    laghu kavita ..kam shabdon me badi baat.

    जवाब देंहटाएं
  48. जैसे देश चल रहा है वैसे पल ही जाएँगे! टचिंग!!

    जवाब देंहटाएं
  49. दिल को छू गयी यह लघु-कथा. आभार .

    जवाब देंहटाएं
  50. आस्था और अंधविश्वास दो अलग चीज हैं बस आवश्यकता समझने की है। शेष तो..समीर जी किसी शायर ने कहा है-
    ''शब को खूब-सी पी सुबह को तोबा कर ली
    रिन्द के रिन्द रहे हाथ से जन्नत न गई ।''

    जवाब देंहटाएं
  51. अच्छी लगी बात जो आपने कही।

    जवाब देंहटाएं
  52. पूरा देश बिना किसी नाथ के उसी के भरोसे पला जा रहा है...पोस्ट के माध्यम से बहुत सार्थक चिंतन .... आभार

    जवाब देंहटाएं
  53. बहुत सार्थक चिंतन .... आभार

    जवाब देंहटाएं
  54. Satya chitran kiya hai sir ji...
    Hamre blogg par aap ka agam idhar nahi ho raha hai.
    kripya padhare.

    जवाब देंहटाएं
  55. andhvishvas hamen yahi deta hai. apane vivek ka prayog bhi kab karen? din rat roti ke liye kamana aur phir thak ke so jana. bas ishvar ke sahare hi chalte rahe.
    desh par jo vyangya mara hai vo vaakai sochane ko majaboor kar raha hai.

    जवाब देंहटाएं
  56. विश्वास अच्छी बात है
    पर अन्धविश्वास नहीं

    विश्वास से व्यक्ति आगे बढ़ता है
    अन्धविश्वास उसे पीछे ढकेलता है


    सम्यक् प्रकाश डाला है आपने गरीबी की समस्या पर............



    श्रीमती कुसुम जी ने पुत्री के जन्म के उपलक्ष्य में आम का पौधा लगाया

    श्रीमती कुसुम जी ने पुत्री के जन्म के उपलक्ष्य में आम का पौधा लगाया है।
    ‘वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर’ एवं सम्पूर्ण ब्लॉग परिवार की ओर से हम उन्हें पुत्री रूपी दिव्य ज्योत्स्ना की प्राप्ति पर बधाई देते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  57. हमारे समाज में अंधविश्वास की जड़े काफी गहरी हैं। आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की, जिस से वो; झाड़-फूँक, जादू टोना ,तंत्र-मंत्र, और भूतप्रेत जैसे अन्धविश्वास से भी बाहर आ सके.
    अंध विश्वास पर करारा प्रहार करती पोस्ट।
    सिलसिला जारी रखें । हमारी शुभकामनाये आपके साथ है,

    जवाब देंहटाएं
  58. दिलचस्प...अच्छा कटाक्ष...

    जवाब देंहटाएं
  59. आम आदमी की जब सोच यही है की सब राम भरोसे हो जायेगा तो फिर वो सरकार से कैसे उम्मीद कर सकती है की वो कुछ करे देश भी राम भरोसे चल जायेगा जैसे अभी तक चलता आ रहा है |

    जवाब देंहटाएं
  60. ishwar par shraddha ho par andhvishwas nahi,gehre samasya par marmikta se prashana uthaya hai?samadhan shayad har insaan ko apne aap hi dhundhana hoga,apne karm se.

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.