सामने टीवी पर लॉफ्टर चैलेंज आ रहा है. वो सोफे पर बैठा है और नजरें एकटक टी वी को घूर रही हैं, लेकिन वो टीवी का प्रोग्राम देख नहीं रहा है.
उसके कान से दो हाथ दूर रेडियो पर गाना बज रहा है
’जिन्दगी कितनी खूबसूरत हैssssss!'
साथ में पत्नी गुनगुनाते हुए खाना बना रही है. उसके कान में न रेडियो का स्वर और न ही पत्नी की गुनगुनाहट, दोनों ही नहीं जा रही हैं.
एकाएक वो सोफे से उठता है और अपने कमरे में चला जाता है.
रेडियो पर अब समाचार आ रहे हैं: ’न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेन्ज ७०० पाईंट गिरा’
कमरे से गोली चलने की आवाज आती है.
पत्नी कमरे की तरफ भागती है. उसका शरीर खून से लथपथ जमीन पर पड़ा है, उसने खुद को गोली मार ली.
रेडियो पर समाचार जारी हैं कि ७०० पाईंट की गिरावट मानवीय भूलवश हुई है अतः उस बीच हुई सभी ट्रेड रद्द की जाती है.
वो मर चुका है.
-समीर लाल ’समीर’
नोट: कुछ दिनों पूर्व महावीर जी के ब्लॉग मंथन पर प्रकाशित
रचना के बारे में क्या लिखूं समझ में नहीं आ रहा है क्योंकि मैं स्तव्भ हूँ बधाई
जवाब देंहटाएंकिसीकी मानवीय भूल ने एक खूबसूरत ज़िंदगी को बदसूरत कर दिया ! यदि यह भूल टी वी पर प्रसारित होने से पहले ही चेक कर ली जाती तो एक संभावनाओं से भरपूर जीवन का यों अंत तो ना होता और उस परिवार का वर्तमान और भविष्य इस तरह बर्बाद तो न होते ! इसकी भरपाई कौन करेगा ? हृदयविदारक कथा !
जवाब देंहटाएंलघुकथा के नाम पर जो कचरा कर रहे हैं वे इस लघुकथा से सीखें तो बेहतर ! इतने कम में सटीक बात ! आभार !
जवाब देंहटाएंअमीर और बहुत अमीर बनने की चाह में अपना सबकुछ दांव पर लगा देना ,इन सब का कारण है ।
जवाब देंहटाएंjaldee dhanvan banne ke ye raste kitne galat hai ....share me to extra money hai to hee invest karna hota hai vo bhee short term bebefit nahee dekhana hota hai.........aisa palayan paristhitiyo se.................bhaya jitnee chadar utna hee pav pasaaro me vishvas karne wale hai par ye laghu katha bahut
जवाब देंहटाएंkuch sikha gayee.........
jaldbazee kitnee ghatak hotee hai.........
aabhar.......
बढ़िया आँखें खोलने वाली कहानी ... पैसा कितना भी महत्वपूर्ण हो पर जीवन से बढ़कर नहीं है ...
जवाब देंहटाएंइसलिए कहा गया है-
जवाब देंहटाएंबिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए
काम बिगारे आपनो जग में हो हंसाए।
जल्दी का काम शैतान का,
जल्दी के दुष्परिणाम जल्दी सामने आते हैं।
एक संदेश है लघुकथा में।
आभार
मौत ईतनी ही आसान है और जिन्दगी उतनी ही मुश्किल.
जवाब देंहटाएंसमीरजी, पूर्व में पढ़ ली थी यह लघुकथा। मैं भी त्रिपाठी जी से सहमत हूँ कि आजकल लोग लघुकथा के सांचे को जाने बिना ही लघुकथा लिख रहे हैं और एक उत्तम विधा का अन्त करने पर तुले हैं।
जवाब देंहटाएंपहले पढ़ चुका हूँ पर पुनः पढ़ने में उतने ही भाव उमड़े।
जवाब देंहटाएंये लो ब्रेकिंग न्यूज का कबाडा...
जवाब देंहटाएंमैं तो ऐसा सोच रहा था..
"बाद में पता चला पिस्टल में 'भूल वश' नकली गोली डाल दी थी..... और जमींन पर लाल निशान् टोमेटो सोस के थे... वो बच गया.. सोच रहा था अगर गोली असली होती तो? :)"
ये लो ब्रेकिंग न्यूज का कबाडा...
जवाब देंहटाएंमैं तो ऐसा सोच रहा था..
"बाद में पता चला पिस्टल में 'भूल वश' नकली गोली डाल दी थी..... और जमींन पर लाल निशान् टोमेटो सोस के थे... वो बच गया.. सोच रहा था अगर गोली असली होती तो? :)"
ये लो ब्रेकिंग न्यूज का कबाडा...
जवाब देंहटाएंमैं तो ऐसा सोच रहा था..
"बाद में पता चला पिस्टल में 'भूल वश' नकली गोली डाल दी थी..... और जमींन पर लाल निशान् टोमेटो सोस के थे... वो बच गया.. सोच रहा था अगर गोली असली होती तो? :)"
समझ नहीं आता कि ये अपनी मुसीबत से निजात पा गए या अपने परिवार वालो के लिए मुसीबत का भरा पूरा सैलाब पीछे छोड़ गए.
जवाब देंहटाएंशायद इसलिये कहा गया है "उतने पावं पसारिये जितनी चादर होए" ताकि इस तरह की भूल हो भी जाए तो उसे हजम कर सको.
आज के समय में अगर मनुष्य को अपनी जिंदगी ऐसी दूभर नहीं बनानी हो तो महापुरुषों जैसे संत कबीर के दोहों को पढ़े, मनन करे और अपने जीवन में उतारे. शायद इसी में जीवन का सार है.
पैसा कमाने की अंधी दौड़ में हम सब विवेक का इस्तेमाल करना भूल गये हैं। खानी वही दो रोटी ही होती हैं, लेकिन और ज्यादा, और ज्यादा की लालसा हमें कहीं का नहीं छोड़ती।
जवाब देंहटाएंसमीर जी...क्या ये सत्य कथा पर आधारित है...वैसे ये लघु कथा अच्छी है...पर मुझे कहानी में कुछ औऱ लाइनें चाहिए थी...
जवाब देंहटाएंdukhad ...
जवाब देंहटाएंवो भी एक मानवीय भूल ,ये भी एक मानवीय भूल |
जवाब देंहटाएंdono akshmy
बहुत ही सार्थक लघुकथा और पैसा ही आज सब कुछ है ,किस तरह इन्सान बिना मेहनत के अमीर बनने की चाह में मौत को गले लगाता है तथा ठगी का दूसरा नाम शेयर बाजार है ,कुछ ऐसे मुद्दों पर सोचने को प्रेरित करती पोस्ट के लिए आपका धन्यवाद ...वास्तव में जिन्दगी के मायने ही बदल गए हैं जो पूरी इंसानियत के लिए खतरनाक है ...
जवाब देंहटाएंजिंदगी का एक क्रूर सच, और जल्दबाजी इतनी कि सोचने-विचारने तक का समय नहीं किसी के पास।
जवाब देंहटाएंआरजू चाँद सी निखर जाए।
ज़िदगी रौशनी से भर जाए।
बारिशें हो वहाँ पे खुशियों की
जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
--------
पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।
बहुत मार्मिक लघु कथा....ऐसे सच को उजागर करती हुई कि कठिनाइयों का सामना धैर्य से करना चाहिए...जल्दबाजी में नहीं...
जवाब देंहटाएंsolid solid..solid.... ek dum solid....ek film thi "dus kahaniyaan " usme ek kahani hai ....high on highway....thik waisa hi natkiya ant hai ....bahut achhi kahani ..
जवाब देंहटाएंआज के वक़्त की सुन्दर लघु कथा ...सच तो यही है आज के वक़्त का ..उदास कर गयी और ..
जवाब देंहटाएंअभी सोच रही हूँ...क्या लिखूं.
जवाब देंहटाएं_____________________
'पाखी की दुनिया' के एक साल पूरे
कहानी तो बहुत भावनापूर्ण है पर समझ में नहीं आया उसने खुद को गोली क्यों मारी . सेयर बाजार तो गिरते उठते रहते है
जवाब देंहटाएंओह्श....लघु कथा में बड़ी बात..
जवाब देंहटाएंक्या आपकी कहानी से कोई सीख लेगा? लोगो में अभी पैसे के उथलेपन कि जानकारी नहीं है. जिस दिन पैसा मूल्यों पर कमाया जाएगा उस दिन से ऐसी घटनाएं नहीं होगी
जवाब देंहटाएंLaghukatha... awesome hai..!
जवाब देंहटाएंbadhai.
Zindagi ki koi value hi nahi hai logo ko ! ajeeb hai...
:(
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होए
जवाब देंहटाएंमाली सीचे सौ घड़ा, ऋतू आए फल होए !!!!!!
sir shbd chitra bade sajeev lage!
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएं(लघुकथा के लिए लघु टिप्पणी)
कितनी बार ऐसा होता है..लेकिन जो बीत गया सो बीत गया...मुझे अपनी लिखी एक पोस्ट याद आ गई...काश जिंदगी में ctrl+z होता. http://pashyantishukla.blogspot.com/2010/04/ctrlz.html
जवाब देंहटाएंकुछ दिन पहले अपनी दादी की याद में लिखा था. आपने फिर से वही याद दिला दिया और मेरा दिल फिर कह रहा है काश जिंदगी में ctrl+z होता.
असावधानी का अच्छा शब्दांकन ।
जवाब देंहटाएंkya kahe?painse ki maya.......
जवाब देंहटाएंखेल खत्म पेसा हज्म...
जवाब देंहटाएंupar neeche hona tou market ki policy hai,
जवाब देंहटाएंagar aap is market ke utaar chadav se hi mout ko gale lagane lagey tou is market se dur rehna hi behtar hai
vo vyakti is market ke layak hi nahi tha
jab uska dhyan radio par tha hi nahi tou uski aatmhatya ka karan kya raha hoga?
जवाब देंहटाएंनान्वीय भूल की त्रासदी में ही जीवन गुजर रहा है.
जवाब देंहटाएंयह लघु कथा आधुनिक विकास के द्वन्द्व एवं पाखण्ड को उजागर करती है।
जवाब देंहटाएंसट्टाबाज़ारी की जय हो.
जवाब देंहटाएंवाह जी
जवाब देंहटाएंजीवन के फैसले इतनी हडबडी में ? बिना विचारे जो करे ...यहाँ तो पछताने का भी मौका नहीं .....
जवाब देंहटाएंकथा में कुछ गड़बड़ लग रही है ।
जवाब देंहटाएंटी वी पर लाफ्टर चैलेन्ज , रेडियो पर गाना , पत्नी का गुनगुनाना , फिर उसका उठके चले जाना । उसे पता कैसे चला कि स्टॉक मार्केट ७०० प्वाइंट्स गिर गया है ? रेडियो में खबर तो बाद में आई।
वैसे बिजनेस में ऐसा ही होता है । पल में माशा , पल में तोला ।
॒ दराल साहब
जवाब देंहटाएंघाटा तो दोपहर तीन बजे ही लग चुका था..समाचार तो शाम क्या..दो दिन तक आते रहे रेडियो में.
जीवन एक उपहार है, इसे अंगीकार करो।
जवाब देंहटाएंजीवन एक जुनौती है ,इसे स्वीकार करो।
जीवन एक संघर्ष है, इसका मुकाबवा करो।
जीवन एक लक्ष्य है, इसे प्राप्त करो।
जीवन एक ज्योति है, इसे प्रज्जवलित करो।
http://mybestbooks1.blogspot.com ----- से साभार
dil dahalaa dene vali laghukathaa. magar sachchai ko bayaan karati hui.
जवाब देंहटाएंउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
जवाब देंहटाएंलोग इतने आवेश में क्यों आ जाते है...जरा आगा-पीछा सोच लेता वो पल भर को ही तो क्या बिगड जाता ? उफ़
आप की रचना 16 जुलाई के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
ओह ! इसी को होनी कहते हैं ।
जवाब देंहटाएंमेरे एक मित्र ने भी ऐसा ही किया था ।
बस उसकी किस्मत में घाटा ही घाटा था ।
लघुकथा के नाम पर जो कचरा कर रहे हैं वे इससे सीखें........हाय हाय ...हम तो यही सोच सोच
जवाब देंहटाएंके सोच रहे हैं ...कि अब हमें भी सीखना ही है । सच में मैं भी गंभीरतापूर्वक यही महसूस कर रहा हूं ।
बहुत ही कमाल की लघुकथा है ......
गलत खबर ...नुकसान...असंयम...मौत ...त्रासदी ...
जवाब देंहटाएंऔर थोडी देर बाद उसी चैनल के सामाचारों में वह समाचार बन कर प्रसारित हो रहा था।
जवाब देंहटाएंसमीर बाबू! बड़े बड़े शहरोंमें छोटा छोटा मिश्टेक होता ही रहता है..
जवाब देंहटाएंbahut arthwaan laghu katha hai, badhai sweekariye. khoob likhye. jam ke likhye-esa hi.
जवाब देंहटाएंchust..har shabd kimti aur jaruri tha..
जवाब देंहटाएंbahut badhai
मैनपुरी में एक बार ऐसे ही एक लड़के ने अखबार में अपना रोल नंबर ना होने के बाद यह सोच कर कि वह exam में फेल हो गया है अपना जीवन खत्म कर लिया बाद में पता चला उसने स्कूल में टॉप किया था !
जवाब देंहटाएंइतने कम शब्दों में एक सशक्त कथा. बधाई.
जवाब देंहटाएंbahur shandar hila dene wali laghu katha.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लघुकथा...!!
जवाब देंहटाएंअंतिम फ़ैसला!!!
जवाब देंहटाएंसमीरजी,वाह
जवाब देंहटाएंलघु कथा अच्छी है.
आभार
मानवी बुद्धि के अविवेक और उसकी विचारहीनता पर चोट करती आपकी ये लघुकथा बहुत ही बढिया लगी....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्!
क्या कहें। आजकल सब्र नहीं रहा। हर जगह से आती नकारात्मक खबरें इतनी हो गई हैं कि जरा सी बात पर अब इंसान आपा जल्दी खो देता है। मर जाता है या मारने लगता है। दोनो ही स्थिति में हताशा अपने चरम पर होती है।
जवाब देंहटाएंये कैसा न्याय कैसा स्रजन
जवाब देंहटाएंप्राकृति का कैसा खेल
धरती का कैसा धर्म ...
--
एक प्रबावी और रोचक लघुकथा!
ओह !
जवाब देंहटाएंगुरुदेव,
जवाब देंहटाएंअगर मेरी पोस्ट वाली तीसरी बोतल साथ रखता तो बेचारे का ये हश्र नहीं होता...
सही कहा है...दीवानों की ये बातें बस दीवाने जानते हैं...
जय हिंद...
... तत्कालीन उपजी परिस्थितियों का परिणाम, भावपूर्ण लघुकथा, बधाई !!!
जवाब देंहटाएंइसी कारण तो धैर्य शब्द का इतना महत्व दिया गया है!!
जवाब देंहटाएंसमीर जी ,
जवाब देंहटाएंएक दम सन्न कर देने वाली लघुकथा....
....
हादसे के बाद कुछ भी कहना बेमानी है ...
ऐसा होना था ,ऐसा नहीं होना था, ऐसा करना था ,ऐसा नहीं करना था ..उससे हादसे रिवाइंड नहीं होते कि खुशहाली में बदल जाएं...
दुष्यंतकुमार त्यागी जी का एक शेर है....
फाके में जो मर गया है उसके बारे में
सभी कहते हैं कि ऐसा नहीं ऐसा हुआ होगा
आध्यात्मिक दृष्टिकोण....यह तो होना ही था।
जवाब देंहटाएंआत्महत्या का निर्णय बस एक क्षण में होता है...वह टल गया तो बच गए...बहुत ही मार्मिक कहानी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब शब्दांकन,
जवाब देंहटाएंआभार...
नमस्कार,
जवाब देंहटाएंसमीरजी आप मेरे ब्लाग पर आये
और मुझे अपना सहयोग दिया उसके लिये आप
का बहुत-बहुत धन्यवाद आशा है कि मुझे आप के सुझाव ओर सहयोग हमेशा मिलते रहेगे!
बहुत ही मार्मिक कहानी है
किस तरह इन्सान बिना मेहनत के अमीर बनने की चाह में मौत को गले लगाता है!
हादसा होने के बाद ही सुझता है सुझाव
बधाई
kabhi insaan bina soche samjhe koi aisa kadam jald bazi mein utha leta hai,jisse dusron ko baad mein bahut taklif ho.dil ko chir deti katha.badhai.
जवाब देंहटाएंलघुकथा का अंत सोचने को विवश कर रहा है की आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है.... बढ़िया कथा ...आभार.
जवाब देंहटाएंआत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है.... बढ़िया कथा ...आभार.
जवाब देंहटाएंएक संदेश है लघुकथा में।
जवाब देंहटाएंआदरणीय समीरजी... सादर नमस्कार.... मैं अब फ्री हो गया हूँ... थोडा... अब से रेगुलरली आऊंगा... लघुकथा ने स्तब्ध कर दिया....
जवाब देंहटाएंआदरणीय समीरजी... सादर नमस्कार.... मैं अब फ्री हो गया हूँ... थोडा... अब से रेगुलरली आऊंगा... लघुकथा ने स्तब्ध कर दिया....
जवाब देंहटाएंआवेश हावी हो गया और बुद्धि मर गयी :(
जवाब देंहटाएंहिला दिया इस कहानी ने!
जवाब देंहटाएंधक्का सा लगा..... समीर जी ये क्या किया आपने.....
जवाब देंहटाएंमार्मिक कथा प्रस्तुत की आपनें....
जवाब देंहटाएंमार्मिक लघुकथा।
जवाब देंहटाएंमन को हिला कर रख देने वाली।
................
नाग बाबा का कारनामा।
व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?
जी इस तरह की मानवीय भूलें न जाने कितनों की जाने ले लेती होंगी .....
जवाब देंहटाएंपर आप कमाल करने लगे हैं ......
विल्स कार्ड से होते हुए ...कहानी, संस्मरण और अब लघु कथाएँ ......
"साहित्यकार समीरलाल"
कहानी लघु पर सीख बहुत बड़ी....
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावशाली लघुकथा है, भैया देर से आने के लिए माफ़ी, एक महीने से टूर पर था!
जवाब देंहटाएंvakai sunn kar di rachna ne ! dimag aur dil dono stabdh hain !
जवाब देंहटाएंमंजिल के लघु पथ कटान में जीवन के सब सार बह गए...
जवाब देंहटाएं..अलग और बेहतरीन अंदाज..वाह!
कम शब्दों में एक बेहतरीन भाव प्रस्तुत करती सुंदर कथा...आज के समाज की सच्चाई है जल्द से जल्द फ़ैसलें लेने वालों के लिए अब बाद में तो कुछ भी नही हो सकता हैं....धन्यवाद समीर जी लघुकता अच्छी लगी..बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावक तरीके से संदेश दिया गया है...... वधाई ।
जवाब देंहटाएंस्तब्ध कर देने वाली कथा ।
जवाब देंहटाएंजब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान ।
fragile
जवाब देंहटाएंaaj aapki saari kahaniyan ek sath padh rahi hu.aur saari padh rahi hu iska ek hi matlab hai ki phli kahani ne mujhe bandh liya aur ek ke baad dusri padhti ja rahi hu.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar kahaniyan hai sab.