एक बार कहीं का सुना किस्सा याद आ रहा है:
अमरीकी, जपानी और हिन्दुस्तानी पुलिस के मुखिया मिटिंग में थे. अमरीकी बोला कि हम तो चोरी के बीस मिनट के अन्दर चोर की पहचान कर लेते हैं. जपानी बोला कि हमारे यहाँ तो दस मिनट में पता कर लेते हैं कि किसने चोरी की. भारतीय पुलिस के मुखिया हँसने लगे. दोनों ने पूछा कि हँस क्यूँ रहे हैं. उसने कहा कि हमें तो चोरी के पहले से ही मालूम होता है कि कौन चोरी करेगा.
मगर उस पहले से मालूम वाले को पकड़वाने के लिए आपकी कितनी पहुँच होना चाहिये, ये सोचने का विषय है वरना भारत में कोई चोर भला बाद में कब पकड़ाया है सिवाय रसूकदारों के घर चोरी करने के इल्जाम में.
वैसे तो कनाडा में आम तौर पर घरों में चोरी के किस्से सुनाई नहीं देते. फिर किसी का घर में घुसना, तो दरवाजा ही पूरा काँच का है, जिसका जी चाहे, फोड़े और घूस आये. मगर ऐसा होता नहीं है. इसीलिए तो काँच का है. कितनी बार रात भर दरवाजा खुला रह जाता है, गैरेज खुला पड़ा रहता है, कभी कुछ मिसिंग तो दिखा नहीं मगर फिर भी, इन्तजामात करने में कोई चूक नहीं.
कुछ दिन पहले एक पोस्ट में फोटो छापी थी जिसमें एलार्म फोर्स का बोर्ड भी आ गया था. भारत से मित्र ने जिज्ञासा प्रकट की कि यह एलार्म फोर्स क्या है? सोचा कि इसी विषय पर लिख दूँ, उनकी जिज्ञासा भी दूर हो जाये और मित्रों को पता भी चल जाये.
एलार्म फोर्स हाऊस सिक्यूरीटी कम्पनी है जो हमारे घर की सिक्यूरिटी देखती हैं. उनके एलार्म हमारे दरवाजे और खिड़कियों पर लगे हैं. अगर एलार्म ऑन है और उसे बिना कोड डाले ऑफ किए बिना कोई खिड़की या दरवाजा खोलता है तो घर सिक्यूरिटी कम्पनी से कनेक्ट हो जाता है और एनाउन्समेन्ट होता है कि आप कौन हैं और सिक्यूरिटी कोड बताओ. अगर वो नहीं बता पाया तो सायरन बजने लगता है जिससे पड़ोसी सजग हो जाते हैं और पुलिस स्टेशन को सूचना हो जाती है.
तीन से चार मिनट में पुलिस आ जाती है. इस बीच एनाउन्समेन्ट होता रहता है घर भर में कि पुलिस चल चुकी है, आ रही है. यह सब फोन लाईन से जुड़ा है किन्तु यदि फोन लाईन कोई बाहर से काट दे तो भी वायरलेस से एनाउन्समेन्ट शुरु हो जाता है और पूरी प्रक्रिया की जाती है.
यह भी संभव नहीं कि कोई बंदूक की नोक पर हमसे कोड बुलवा दे और पुलिस न आये. अगर हमने गलत कोड बोल दिया तो फिर वो अनाउन्समेन्ट चुप हो जाता हैं मगर पुलिस आ जाती है. फिर आप लाख कहिये कि कुछ नहीं हुआ, वो आपके घर वालों को बाहर निकाल कर पूरा घर चैक करते हैं कि किसी को गन पाईन्ट पर रखकर तो ऐसा नहीं कहलवा रहे हैं.
अगर हम घर में हैं तो होम अलार्म लगाते हैं याने बिना एलार्म ऑफ किए कोई घर में नहीं घुस सकता या निकल सकता. अगर हम घर में नहीं हैं तो अवे का अलार्म लगाते हैं, तब न कोई घुस सकता है न घर में कोई चीज हिल सकती है याने मोशन डिटेक्टर भी लगा रहता है अर्थात अगर कोई पहले से घुस कर बैठा हो तो बाद में चोरी करके भागे, वो संभव नहीं. घर एयर पैक्ड रहते हैं अतः हवा से कुछ हिलने का सवाल नहीं.
अवे के अलार्म में हम जहाँ भी हों, अलार्म कम्पनी हमें मोबाईल पर घटना की सूचना भी तुरंत देती है एवं नामित पड़ोसी/ मित्र को फोन पर भी सूचना दी जाती है कि वो भी आ कर चैक कर लें पुलिस के साथ.
इसी के साथ एक पैनिक बटन भी या तो बाथरुम या बिस्तर के पास लगा देते हैं ताकि ऐसे किसी अंदेशे पर आप बाथरुम में छिप गये हो या बिस्तर पर हो तो उसे दबा दें, तब भी बिना एनाउन्समेन्ट के पुलिस भिजवा दी जाती है.
इस व्यवस्था के लिए महिना दर महिना एक निश्चित फीस ली जाती है एवं साल में दो बार बिना कोड डाले दरवाजा खोल देने की भूल को माफ करते हुए बाकी बार फाल्स एलार्म के लिए एक पेनाल्टी की रकम ली जाती है.
वैसे तो यहाँ चोरी होती नहीं (इंसान तो हैं ही, कम या न के बराबर होती है) मगर इस एलार्म से बहुत सुकून रहता है. खास कर जब हम ६-६ महिने भारत में पड़े रहते हैं. उसी के साथ स्मोक अलार्म भी है. घर के भीतर धुँआ या आग से फायर ब्रिगेड आ जाती है. अब हम ठहरे हिन्दुस्तानी, कभी अगरबत्ती जलाने या हवन करने लग जायें, तो उस समय का जुगाड़ बना लिया है और स्मोक सेन्सर पर टावेल लगा देते हैं ताकि एलार्म न बजे.
मित्र को यह बात जब ईमेल से बताई और आशा व्यक्त की कि ऐसा भारत में भी होने लग जाए तो कितना बढ़िया. उनकी जिज्ञासा और बढ़ गई और भारत के परिपेक्ष में इतने प्रश्न सामने आये कि क्या कहना:
- जब चोर घूसे और बिजली गुल हुई हो तो क्या? एलार्म कैसे बजेगा और कम्पनी को कैसे पता लगेगा?
- फोन लाईन अगर खराब चल रही हो कई दिन से, तब?
- खिड़की तो खुली ही रहती है, हवा को कैसे रोकेंगे किसी वस्तु को हिलाने से?
- स्मोक सेन्सर पर धूल जमने के बाद भी काम करेगा क्या?
- क्या मोशन डिटेक्टर ऐसा नहीं बन सकता जो सिर्फ इन्सानों के मोशन पहचाने बाकि को जाने दे?
- अगर एक ही लाईन में चार पांच घरों के एलार्म एक साथ बज उठे, तो पड़ोसी को किसके घर पहले जाना चाहिये?
- अगर घर मालिक बाहर गया है तो क्या एलार्म कम्पनी मिस्ड काल दे सकती है? (सस्ता पड़ेगा)
- पुलिस स्टेशन से आपके घर की दूरी साईकिल से तय करने में हवलदार को कितना समय लगेगा?
- अगर छुट्टी के दिन चोर घुसा, तब?
- अगर भारत बंद के दौरान चोर चला आये, जब?
- अगर चोर की सेटिंग हो थाने में, और पुलिस आये ही न?
- जब अलार्म बजे और सिक्यूरिटी कम्पनी वाला चाय पीने या पान खाने गया हुआ हो तो?
- अगर फोन का बिल या बिजली का बिल भुगतान न होने के कारण लाईन काटी जाये, तब?
यक्ष प्रश्न:
- क्या हिन्दी ब्लॉग में रचनाओं की चोरी रोकने के लिए इन कम्पनियों के पास कोई एलार्म सिस्टम है?
अगर...अगर..अगर...और जाने कितने प्रश्न...मगर इन्हें सुन कर मैने अपना स्टेटमेन्ट वापस ले लिया कि ऐसा भारत में भी होने लगए तो कितना बढ़िया.
लेकिन जैसे हम देशी वैसा ही हमारा मित्र भी, ठेठ भारत से भारत में रहने वाला. आखिर बात ऐसे ही खतम कैसे हो जाने दे.
अब आखिरी प्रश्न एक आँख दबा कर उछाला कि गुरु, इतनी सिक्यूरीटी लगाये हो मतलब मोटी रकम धरे होगे घर में. अब उनको क्या बतलायें कि भई, जब हमारे देश में जिनकी जान की कीमत कौड़ी की नहीं है, वो जेड सिक्यूरीटी लिए घूम रहे हैं तब हमारे पास मेहनत का कमाया गुजारे लायक तो है ही, फिर क्यूँ न लगायें सिक्यूरीटी.
लगता तो है कि शायद मेरे जबाब से आशवस्त हो गये होंगे क्यूँकि उनकी एक दबी आँख खुली दिखी बाद में.
बस, अब एक ही बात कहता हूँ कि मेरा भारत जैसा भी है, वैसा ही बढ़िया. कौन जरुरत है इन सब नौटंकियों की. सायरन तो कोई सड़क पर से निकलता हुआ ट्र्क भी बजा देगा मगर पड़ोसी, वो अब कहाँ निकलते हैं सायरन सुन कर. बल्कि वो तो यह सुनिश्चित करने में जुट जायेंगे कि उनका घर ठीक से बंद है कि नहीं...बाकी खिड़की से झांक कर मजा तो पूरा ले लेंगे आपको लुटता देखने का.