कल रात वापस लौट आये दो दिवसीय मॉन्ट्रियल यात्रा से. कोई विशेष उल्लेखनीय कुछ भी नहीं. चाहें तो कहानी बनायें मगर अभी उद्देश्य कुछ और ही है.
शुक्रवार को मॉन्ट्रियल जाना पड़ा. वही ५.३० घंटे में ६०० किमी पूरा करने की आदत जिसमें आधे घंटे की कॉफी ब्रेक भी ली गई. एक बार आदत हो जाये तो कोई विशेष प्रयास नहीं करने होते. गाड़ी चालन में टोरंटो से मॉन्ट्रियल और वापसी भी आदत का हिस्सा सा ही बन गई है. बिना प्रयास ५.३० घंटे में जाना और उतने ही घंटे में वापसी.
कुछ ऐसा ही मेरे साथ टिप्पणी करने में भी है. कुछ खास प्रयास नहीं करने होते. बस, कुछ पढ़ा उर टिप्पणी हो ही जाती है. शायद आदत हो गई है इसलिए.
जब से ब्लॉग जगत में आया तकरीबन तब से ही चिट्ठाचर्चा पढ़ना भी आदत में शुमार हो गया. अच्छा लगता था सभी उल्लेखनीय पोस्टों की चर्चा एक ही जगह पढ़कर. जब भी कुछ लिखता था, इच्छा होती थी कि उसका उल्लेख भी चिट्ठाचर्चा में हो. शायद मेरे जैसे ही बहुतों को होती हो. फिर जब अपना उल्लेख चिट्ठाचर्चा में आया देखता तो मन पुलकित हो उठता.
सोचा करता था कि यह चर्चाकार किस आधार पर पोस्टों का चुनाव करते होंगे. कितना पढ़ना पड़ता होगा उन्हें, तब जाकर चर्चा कर पाते होंगे.
हमेशा कुछ ऐसे ही भाव मन में उमड़ते घुमड़ते रहते थे कि एकाएक एक दिन अनूप फुरसतिया जी ने मुझसे चिट्ठाचर्चा करने के लिए कहा. यकीन जानिये, पहली चर्चा करने के लिए मात्र लगभग १५ पोस्टों को मैने सारा दिन पढ़कर तब शाम को चर्चा की घबराते हुए.
अनूप जी और अन्य साथियों का खूब सहयोग और प्रोत्साहन मिला. फिर तो नियमित चर्चा करने की आदत सी बन गई.
मुझे याद आता है, उस वक्त संजय बैंगाणी जी मध्यान चर्चा किया करते थे. तब इतनी कम पोस्टें आती थी कि अक्सर मध्यान चर्चा में ही सारी पोस्टों का जिक्र हो जाता था तो रात में हमारे पास चर्चा करने को कुछ बाकी ही नहीं रह जाता था.
फिर जब पोस्टों की संख्या बढ़ने लगी तो बहुत प्रयासों के बाद भी बहुत सी पोस्टों का जिक्र छूट जाता. हमारे साथ रचना बजाज जी जुड़ीं और हम और रचना जी मिलकर अपने निर्धारित दिन चर्चा करने लगे..आधी हम लिखकर भेज देते और आगे आधी वो.
बहुत यादगार पल गुजरे चिट्ठाचर्चाकार मण्डली के सदस्य की हैसियत से. कभी मतभेद भी हुए, हिन्द युग्म में कॉपी पेस्ट का ताला लगा तो अच्छा खासा तूफान भी खड़ा किया इसी मंच से. फिर सब मामला रफा दफा हो गया. उस वक्त के विवादों में अच्छाई यह होती थी कि न तो कभी वो बहुत व्यक्तिगत हुए न ही कभी दीर्घकालिक. अनेक मुण्डलियाँ रची गई, लोगों द्वारा पसंद की गईं.
मुझसे एक दिन पहले शायद मंगलवार को गीतकार राकेश खण्डॆलवाल जी गीतों में चिट्ठाचर्चा किया करते थे जो कि चिट्ठाकारों के बीच खासा लोकप्रिय था.
समय बीतता रहा. अक्सर कोई चर्चाकार व्यक्तिगत वजहों से अपने निर्धारित दिन चर्चा न कर पाता तो अनूप जी डंडा लिए खड़े नजर आते कि चलिये, आज आप चर्चा किजिये. कभी अनूप जी लखनऊ निकल लिए तो टिका गये.
जब हम जरा सीनियर हुए चर्चामंडल में, तो हम भी यह गुर सीख गये और अपना निर्धारित दिन लोगों को टिकाने लगे.
टिकाते टिकाते मौका देखकर कब हम इस जिम्मेदारी से निकल भागे, खुद को भी समझ नहीं आ पाया.
फिर आदत तो आदत होती है, चर्चा न करने की आदत नई लग गई. आराम तो मिलने ही लगा जिम्मेदारी से भाग कर. बस, भाग निकले. निट्ठल्लों को भी निट्ठलाई में कितना आनन्द आता है, यह तब जाना और आज तक उसका आनन्द उठा रहे हैं जैसे हमारे नेता, फिर देश जाये भाड़ में, की तर्ज पर हमने भी चिट्ठाचर्चा तज दी.
जब आपको मेहनत न करनी हो, तो नुस्ख निकालना सरल होता है और अपने मेहनत न कर पाने की हीन भावना को मलहम भी लग जाता है, गल्तियाँ निकाल कर. सो, अन्य अनेकों की तरह आजकल वह भी कर लेते हैं कभी कभी. बड़ा स्वभाविक सा प्रोगरेशन है.
इन सबके बावजूद, आज भी जब कभी पोस्ट लिखते हैं तो उसके बाद आई चिट्ठाचर्चा में नजर अपनी पोस्ट तलाशती जरुर है. भले ही वो मिले या न मिले.
आज पता चला कि चिट्ठाचर्चा मंच से १००० वीं पोस्ट आ रही है. इस ऐतिहासिक दिवस पर इस मंच का हिस्सा होने का गर्व है, प्रसन्नता है और मेरी समस्त शुभकामनाएँ इस मन्च को और इससे जुड़े तमाम लोगों को.
आशा करता हूँ कि समय के साथ मंच और सुदृढ़ होता जायेगा और नये कीर्तिमान स्थापित करेगा.
हार्दिक बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएँ.
chittha chrcha ki 1000 vi post par agrim badhai . 5.30 ghnte me 600 kilometer ham to 6.30 ghnte me 250 k.m. pahuch jaaye to mahsus karte hae aaj jldi aa gaye
जवाब देंहटाएंलेख अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लागिंग के बढ़ते कदमों के साथ साथ चर्चा के अनेकों मंचों का अभ्युदय हुआ है। ये सारे चर्चा मंच भी निषपक्षता से बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं।
तय है की यह पोस्ट चिट्ठा चर्चा में तो आयेगी ही किसी न किसी ? वैसे जल्दी ही यह पता नहीं चलेगा की कोई किस चिट्ठा चर्चा की बात कर रहा है -समय बहुत बलवान है !
जवाब देंहटाएंगजब उप्लब्धि है जी ...१००० पोस्ट ..चिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को बधाई ..ऐसी किसी भी उपलब्धि के साथ जुडे होन गर्व का विषय तो है ही । आपके चुपके से निकल लेने की बात भी आज पता चल गयी ॥ अनूप जी के लिए तो क्या कहा है ..मौलिक सोच और अंदाज के मालिक हैं वे तो ..। बधाई एक बार फ़िर से ..
जवाब देंहटाएं"जल्दी ही यह पता नहीं चलेगा की कोई किस चिट्ठा चर्चा की बात कर रहा है -समय बहुत बलवान है "
जवाब देंहटाएंसही है.....
सचमुच ऐतिहासिक .. १००० वीं पोस्ट के लिए चिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को बधाई !!
जवाब देंहटाएंआशा करता हूँ कि समय के साथ मंच और सुदृढ़ होता जायेगा और नये कीर्तिमान स्थापित करेगा?
जवाब देंहटाएंइस आलेख के द्वारा बहुत कुछ जानने-समझने को मिला। बीते दिनों से आज तक की बातें। कुछ बहुत ही मन की बातें -- जब भी कुछ लिखता था, इच्छा होती थी कि उसका उल्लेख भी चिट्ठाचर्चा में हो. शायद मेरे जैसे ही बहुतों को होती हो.
जवाब देंहटाएं६०० किलोमीटर वो भी ५.३० घंटे में हम भारतियों के लिये तो यह सपना ही है, मतलब कि अगर भारतीय रोड हमें सपोर्ट देने लगें तो यहाँ से इंदौर ताऊ से मिलने जाने के लिये लगभग ७ घंटे लगेंगे जो कि मात्र ७५० किमी है पर आपको बता दें कि ट्रेन १५ घंटे लेती है और बस १४ घंटे लेती है। बस हमें तो इंतजार है उस दिन का जिस दिन ७ घंटॆ में हम इंदौर पहुँच जायेंगे।
जवाब देंहटाएंचर्चा नियमित करने के बाद आप कैसे वहाँ से खिसक लिये यह भी पता चला, क्योंकि आपको खिसकने का मार्ग पता चल गया और वह सार्वजनिक कर दिया गया। शुभकामनाएँ चिठ्ठाचर्चा से जुड़े हरेक व्यक्ति को जिसने इस मुकाम पर पहुँचाया है।
चिट्ठा चर्चा ने हिन्दी ब्लागरी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 1000वीं पोस्ट के लिए सभी चर्चाकारों को बधाई!
जवाब देंहटाएंनिट्ठलाई में कितना आनन्द आता है, यह तब जाना....बहुत सही... ये आनंद तो ब्रह्मानंद का सहोदर है...आंखें खोलने के लिये धन्यवाद प्रभु!! चिट्ठाचर्चा की हजारवीं पोस्ट आनेवाली है जानकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसभी चिट्ठाकारों को १००० वी पोस्ट के लिए हार्दिक बधाइयाँ!
जवाब देंहटाएंआजकल चिट्ठा चर्चाओं के चर्चे है हर ज़ुबान पर
जवाब देंहटाएंसबको मालूम है और सबको ख़बर हो गई...
जय हिंद...
चिटठा चर्चा के इतिहास की जानकारी मिली
जवाब देंहटाएंचिटठा चर्चा को बहुत बधाई और शुभकामनायें ..!!
बात आपकी सही है, हम भी चाहते है कि हमारी भी चर्चा चिट्ठाचर्चा में होती रहे।
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा के आपके संस्मरण से पुरानी यादें ताजा हो गई। मुझे याद है जब मैंने लिखना शुरू किया था और पहली बार मेरी पोस्ट चिट्ठाचर्चा में आई थी तो कितनी खुशी हुई थी।अक्सर पोस्ट ठेलने के अगले दिन देखते थे कि हमारी भी चर्चा हुई या नहीं। संजय भाई की 'महाराज-संजय' स्टाइल की चर्चा भी मजेदार होती थी। मुझे भी चर्चा दल में शामिल होने का निमंत्रण मिला था परन्तु तभी अज्ञातवास पर जाना पड़ गया।
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा खासकर नए चिट्ठाकारों के लिए कॅटेलिस्ट का काम करती है, आज यह जिस मुकाम पर है उसके लिए सभी चर्चाकारों और चिट्ठाकारों को बधाई!
चिट्ठाचर्चा संबंधी आपके संस्मरण पढ़कर पुरानी यादें ताजा हो गई। मुझे याद है कि जब मैंने लिखना शुरू किया था और पहली बार मेरी पोस्ट चिट्ठाचर्चा में आई थी तो कितनी खुशी हुई थी अक्सर पोस्ट ठेलने के अगले दिन देखते थे कि हमारी चर्चा हुई या नहीं। संजय भाई की कॉफी के साथ 'महाराज-संजय' स्टाइल की चर्चा भी मजेदार होती थी। मुझे भी चर्चा दल में शामिल होने का निमंत्रण मिला था पर तभी अज्ञातवास में जाना पड़ गया था।
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा चिट्ठाकारों खासकर नए लोगों के लिए कॅटेलिस्ट का काम करता है। आज चिट्ठाचर्चा जिस मुकाम पर है उसके लिए सभी चर्चाकारों और चिट्ठाकारों को बधाई!
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख , एक शानदार उपलब्धि के लिए चिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को बधाई
जवाब देंहटाएंregards
सबसे पहले चिट्ठा-चर्चा को
जवाब देंहटाएं1000वीं पोस्ट के लिए बधाई!
चर्चा के माध्यम से आपकी आपकी चर्या भी अच्छी लगी!
बधाई!!!.....
बहुत बधाईयां ही बधाईयां. इस सफ़लता के पीछे फ़ुरसतिया जी की लीडर शिप और त्याग की भावना है, उनकी मेहनत आज भी स्पष्ट दिखाई देती है. कोई करे या ना करे उनको तो करना ही है. बहुत २ शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ek hazaarvin post ke liye bahut bahut badhai...... aapka yeh lekh bahut achcha laga.......
जवाब देंहटाएंचलिए अब बहुत हो गया। 1000वीं चिट्ठा चर्चा दिवस पर फिर से इसमें शामिल होने का संकल्प लीजिए। आलस्य त्यागिए :)
जवाब देंहटाएंवैसे भारत में तो, 600 किलोमीटर 5.30 घंटे में किसी भी साधन से तय करने वाला बहुत फुर्तीला माना जाएगा
चलिए बर्फ़ का पिघलना अच्छा लगा। आप हिन्दी चिट्ठाकारी की दुनिया के देदिप्यमान नक्षत्र है। इस मंच पर स्नेह बनाये रखिए। आमीन।
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा में हास्य का पूट होता था जो गुदगुदा जाता था. उस दिन टिप्पणियाँ भी ज्यादा आती थी.
जवाब देंहटाएंचिटठा चर्चा कीबहुत बधाई और शुभकामनायें ..!!
जवाब देंहटाएंअसली चर्चा यही है। आपने सही पोल खोली है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
१००० वीं पोस्ट के लिए चिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को अग्रिम बधाई ........... आप भी उस के सदस्य हैं ........ आपको भी बधाई ........
जवाब देंहटाएं"जब भी कुछ लिखता था, इच्छा होती थी कि उसका उल्लेख भी चिट्ठाचर्चा में हो. शायद मेरे जैसे ही बहुतों को होती हो."
जवाब देंहटाएंहां जी, हम भी उस कतार में खडे रहे ...पर
कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे
चर्चा देखते रहे टिप्पणी करते रहे॥:)
चिट्ठा चर्चा की उपलब्धि पर तो वहीं बधाइ देने जा रहे हैं॥
बहुत बहुत बधाई चिटठा चर्चा में अपनी पोस्ट देखने का अलग ही एहसास होता है लगता है आज बच्चे ने कुछ अच्छा काम किया है जिसका जिक्र हो रहा है ..:)
जवाब देंहटाएंचर्चा पे सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएं1000वीं पोस्ट चर्चा में
जवाब देंहटाएंहो जाए 1000 चिट्ठों
की पोस्टों की चर्चा
तो मन उपवन महक
महक आए।
Badhaiya
जवाब देंहटाएंचिट्ठा चर्चा और मै के साथ इस समीक्षा मंच (चिट्रठ चर्चा)सहित आप को भी 1000 वी पोस्ट के लिए बधाई..
जवाब देंहटाएंaaj chiththa charcha mein padhne ko mili aapki pahli rachna .......
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen, itte lambe safar ke liye
समीर जी, मोंट्रियल गए और कुबेक नहीं गए.
जवाब देंहटाएंफ्रेंच कल्चर की ये सिटी हमें तो बड़ी पसंद आई थी.
चिठिचर्चा के तो खैर आप भीष्म पितामह हैं. बधाई.
समीर जी, बहुत सुंदर लगी आज की पोस चिट्ठा चर्चा कि १००० वी पोस्ट पर सारी टीम को बधाई, क्या कनाडा मै भी स्पीड लिम्ट है? जरुर बताये,पुरे युरोप मे सिर्फ़ जर्मनी मै स्पीड लिम्ट नही,(हाई वे पर) कुछ जगह को छोड कर... ओर आप की मर्जी कितनी भी तेज चलाओ.... ओर यहां कारे ३०० तक भी मेने देखी है भागती... मेरी हिम्मत २०० से आगे नही जाती, क्योकि सारा ध्यान उस समय सिर्फ़ सडक पर होता है,
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा और अनूप जी दोनों ज़िंदाबाद। और आपको ताक़ीद, के कभी कभी चिट्ठाचर्चा भी किया करें और लाल-और-बवाल पर भी लिखा करें, हाँ नहीं तो।
जवाब देंहटाएंआपका यह लेख बहुत अच्छा लगा समीर भाई !
जवाब देंहटाएंसच है बहुत ज़िम्मेदारी का काम है चर्चा करना. बधाई.
जवाब देंहटाएंआपको भी हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंवीनस केशरी
अच्छी चिठ्ठा चर्चा कही आपने समीर भाई - हमारी भी ढेरों बधाईयाँ --
जवाब देंहटाएंसभी मेम्बरों को जो इतना श्रम करते हैं !!
सादर,
- लावण्या
आपको aur चिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को बधाई !!
जवाब देंहटाएंवाह, वाह, चिठ्ठाचर्चा की चर्चा हो रही है अभी तो!
जवाब देंहटाएंऔर आजकल तो और और भी चिठ्ठाचर्चक आ गये हैं!
चिठ्ठा चर्चा में जिक्र आना इस बात का प्रतीक है की आपकी पोस्ट चर्चा लायक है...ये क्या कम बात है...इसी लोभ में इसे रोज पढ़ते हैं...और कभी ख़ुशी कभी गम पाते हैं...हमारी ना सही हमारे इष्ट मित्रों की चर्चा भी उतना ही सूकून देती है दिल को...अच्छा लगता है जिसे आप जानते हों उसके चिठ्ठे की चर्चा हो और कभी कभी तो इस बहाने नए अछूते चिठ्ठे भी पढने को मिल जाते हैं...सार्थक प्रयास है ये...
जवाब देंहटाएंनीरज
@...इस जिम्मेदारी से निकल भागे"
जवाब देंहटाएंकिस तरह कलटी मारी जाऎ यह आज आपने बडी ही काम की बात बता दी.... आपका इस लिए आभार कभी हमे भी ऎसा करना होगा तो फ़ोर्मुला यही अपना सकते है.....
फ़ुरसतियाजी इस फ़ोर्मुले का उपयोग ना कर सकेगे हा.... हा............
@......उस वक्त के विवादों में अच्छाई यह होती थी कि न तो कभी वो बहुत व्यक्तिगत हुए न ही कभी दीर्घकालिक.
जवाब देंहटाएंसर! अब जमाना बदला गया है.
अब व्यक्ति टू व्यक्ती ही गति देनी पडती है.. और तो और सर! आप भी कैसी बाते कर रहे है..आपके जमाने.्मे बहार गाव बतियाने के लिए ट्रन्क काल बुक करवा कर दीर्घकालिक इन्ताजर करना पडता ...अब हमारे युग मे लघुकालिक यानी चट मगनी पट शादी वाली बाते चरितार्थ वाला जमाना है...
@...अनूप जी डंडा लिए खड़े नजर आते थे.
जवाब देंहटाएंआजकल क्या बन्दुक लिऎ होते है हा....हा.......
सुन्दर आलेख
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को बधाई
शुभकामनायें
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प्रत्येक बुधवार रात्रि 7.00 बजे बनिए
चैम्पियन C.M. Quiz में |
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क्रियेटिव मंच
समीर जी
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लागिंग ने जो नए प्रतिमान गढे हैं उनमे एपी[ सबकी भूमिका जबरदस्त है..........बधाई
हम तो आपकी हजारवीं पोस्ट के बारे मे जानना चाहते हैं ? बाकी चिठा चर्चा मे पढ आये थे शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबधाई बधाई बधाई
जवाब देंहटाएंगजब उप्लब्धि है जी ...१००० पोस्ट
चिटठा चर्चा को बहुत बधाई और शुभकामनायें ..!!
विशेष कर इसके स्तम्भ बने आप लोगो का जिसने हिन्दी चिठ्ठेजगत मे क्रान्ती का बिगुल बजाया चिठाचर्चा के माध्यम से....
मेरे जैसे छोटे-छोटे चर्चाओ से गरीब चिठ्ठाकार, हमेशा ही चिटठा-चर्चा मे के पन्नो मे अपने अक्श को ढूढ्ते है... नही मिला तो हम निराश नही होते कल फ़िर..कल फ़िर.. कभी ना कभी तो देखने को मिलेगी हमारी चर्चा..इसी उम्मीद मे बचे-खुच्चे दिन निकाल रहे है.
हा समीर भाई! एक बात जो मैने दुनिया मे देखी है वो यह है की ये दबे कुचले गरीब प्राणी समय आने पर क्रान्तिकारी बन जाते है... क्यो ? यह मेरी समझ मे ही नही आता...
चिटठा चर्चा अब रोज़ की जरुरत बन गयी है.
जवाब देंहटाएंआपका अनुभव नए चिट्ठाकारों को गति देता रहेगा .
बधाई जी चिट्टा चर्चा को हमारी भी ।
जवाब देंहटाएंदिलचस्प और हृदयस्पर्शी {यकीन मानिये हृदयस्पर्शी} संस्मरण...
जवाब देंहटाएंअपना हमसब का ये चिट्ठा-चर्चा नित नयी ऊँचाईयों को छुये!
मैंने आपके द्वारा की गयी चर्चायें देखीं। कई चर्चायें वाकई बेहतरीन हैं। कई के स्तर आपकी कई पोस्टों से कहीं बेहतर हैं। बवाल भाई की सलाह मानिये गाहे-बगाहे चर्चा का काम करते रहिये। मजा आयेगा। पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंमैंने आपके द्वारा की गयी चर्चायें देखीं। कई चर्चायें वाकई बेहतरीन हैं। कई के स्तर आपकी कई पोस्टों से कहीं बेहतर हैं। बवाल भाई की सलाह मानिये गाहे-बगाहे चर्चा का काम करते रहिये। मजा आयेगा। पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंएक हज़ारवीं पोस्ट के लिए चिट्ठाचर्चा को बधाई...
जवाब देंहटाएं१००० पोस्ट ..चिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को बधाई और आगे आने वाली १०००००० पोस्टो के लिए शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं१००० पोस्ट ..चिट्ठाचर्चा की पूरी टीम को बधाई और आगे आने वाली १०००००० पोस्टो के लिए शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंपोस्ट पढ़कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंनिट्ठल्लों को भी निट्ठलाई में कितना आनन्द आता है
जवाब देंहटाएंबिलकुल जी बिलकुल, बस इसी कथन में पूरा सार आ गया है! सोलह आने सच कहा आपने। :D
चिठ्ठाचर्चा के इतिहास की इस प्रस्तुति के लिये "पुरातत्ववेत्ता " की ओर से धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएं