मारो मारो.....
पहचान का है...मारो मारो..बम मारो...
वो पचास की भीड़ मिल गई..एक ही पहचान का है..कोई बात नहीं..सबको मारो..धम...धम!!!
वो सवा सौ लोग..किसी को नहीं जानते..अरे, लेकिन उसमें से एक ने बम फेंका है...तुम भी सबको मारो..मारो मारो..धम धम....धमा धम...
यहाँ से मारो...वहाँ से मारो...
ये हालात हैं दिवाली पर...
लेख से मारो, टिप्पणी से मारो..ईमेल से मारो, ट्विटर पर मारो..आर्कुट पर मारो..फेस बुक पर मारो...एस एम एस से मारो.....
शुभकामना, बधाई..मंगलकामना....
लेख वाला बम मारो, कविता वाला, व्यंग्य वाला..मगर मारो..बम..धम धम!!
हम भी जुटे रहे जमाने का चलन देख...धांय धांय...फेशनेबल तो हैं ही..इसलिए फैशन के मुताबिक चले...
कवि हैं और इस बात का गुमान भी है तो चार ठो पंक्तियाँ भी सजा लिए:
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
भेजना शुरु..याने बम मारना शुरु...दो चार घंटे बमबारी की होगी उपर की तर्ज पर कि एकाएक सामने से किसी ने बम फेंका...
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-फलाना फलाना.....
लो अब हम क्या जबाब दें इन फलाना फलाना को...हम तो खुद ही यही बम फेंक रहे थे..???
लिखे, कि भईया यही चार ठो पंक्तियाँ हैं हमारे पास...तो वही वापस भेज रहे हैं बतौर शुभकामना. धर लो...धम धम...बम बम!!
फिर चार छः एस एम एस आ लिए भारत से...यही वाले..वो भी उनसे, जिन्हें हमने भेजा भी नहीं...देखते देखते कम से ४० मैसेज..इसी रचना के साथ...सबके प्रेषक वो..जिन्हें कम से कम हमने तो यह नहीं भेजा..
और सबसे मजेदार तो जब यह कार्ड पर चिपक कर आया (प्रेषक का नाम नामी होने के कारण पोंछ दिया है) तो हम तो झुक गये....हाय, काश हम ही कार्ड पर रच देते...इस कालजयी शुभकामनाओं को:
अरे भाई, कोई तो क्रेडिट देता..तो चरण में गिर पड़ते....धन्य हुए यह चार पंक्तियाँ रच कर. अगली बार किसी को किसी त्यौहार पर लिखवाना हो तो सस्ते में लिख दूँगा. आप तो अपने ही हो. फिर आप भी बमबारी करना. :) हम भी कुछ कमा लेंगे..नाम की कमाई की उम्मीद तो अब जाती रही.
इस पोस्ट को अर्थ देती राजेश स्वार्थी जी की यह पोस्ट भी पढ़ें:
मारो..मारो...समीर जी, क्या मतलब है इसका?
बमबारी मे किसका बम है यह कब किसने देखा. जिसका बम उसी को मारो तो बमबारी मे और मज़ा आता है.
जवाब देंहटाएंनामी का नाम तो पोछ दिया पर नामी तो और नामी हो गया होगा.
ग़म गलत करने से तो अच्छा है
ग़म को ही गलत कर् दिया जाये
दीपावली की शुभकामनाओं के सब रेडीमेड बम फोड़ने में रहते है | इंतजार करते है कोई बढ़िया सा शुभकामना एस ऍम एस मिले तो अपना नाम चिपकाकर आगे फॉरवर्ड करदे | यही बात आपके शुभकामना सन्देश रूपी बम के साथ हुई |अब इतना बढ़िया शुभकामना बम आपने फ्री में उपलब्ध उपलब्ध करा दिया तो लोग ठेलने में पीछे क्यों रहे आखिर भारत में तो ये इम्पोर्टेड बम जो था |
जवाब देंहटाएंदीपावली के बाद की भी शुभकामनाएँ |
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
जवाब देंहटाएंदीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
लो मै आप पर ही मार दिया गुरु :)
अगली बार किसी को किसी त्यौहार पर लिखवाना हो तो सस्ते में लिख दूँगा.
जवाब देंहटाएंछठ के लिए एक शुभकामना संदेश लिखवाना है .. कितने में लिखेंगे ?
छ्ठ तो छः सौ (भारतीय रुपया) मे हो जायेगा संगीता जी...चलेगा क्या?? :)
जवाब देंहटाएंगुरुदेव,
जवाब देंहटाएंये क्लोनिंग और पाइरेसी का ज़माना है...आपको नहीं पता कि आपकी हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा (मेरी तो इतने मे ही बस हो गई)भी
कितनी हिट रही थी...कम से कम 10 जगह तो मैंने वही हा,हा,हा...देखी थी...
जय हिंद...
क्या वाकया है, दीवाली में हो गया, परुआ..., वैसे ६०० में एक सन्देश...समीर जी को अंदाजा है मार्केटिंग का...वाह, अभी संगीता जी का जवाब आएगा तब पता चलेगा की समीरलाल जी को काम मिला या नहीं...:)
जवाब देंहटाएं"बुरा ना मानो दीवाली है....."
दीवाली तो त्यौहार ही बम पटाखों का है. आपकी कम्पनी के बम बहुत अच्छे हैं, इस दीवाली पर खूब धांय धांय चले:)
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
मुश्किल ही लगता है श्रीष...आजकल बाय वन गेट वन फ्री का जमाना है..छठ के साथ न्यू ईयर फ्री मांगेंगी अभी संगीता जी...... :)
जवाब देंहटाएंहमारा बम!!
जवाब देंहटाएंबम पे बम = दमादम
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दीपावली पर्व पर आपको मेरी मंगलकामनाएं!!!
---------------------------------------------
स्नेह अपना दो ना दो,
दीप बन जलता रहूँगा|
हर अंधेरी रात में,
जब अकेले ही चलोगे
तुम्हारी राह का तम
दूर मैं करता रहूँगा|
स्नेह अपना दो ना दो,
दीप बन जलता रहूँगा|
---------------------------------------------------------------------------
"प्राइमरी का मास्टर" की ओर से आपको दीपावली की हार्दिक मंगल कामनाएं !!
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दीपावली पर्व पर आपको मेरी मंगलकामनाएं!!!
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स्नेह अपना दो ना दो,
दीप बन जलता रहूँगा|
हर अंधेरी रात में,
जब अकेले ही चलोगे
तुम्हारी राह का तम
दूर मैं करता रहूँगा|
स्नेह अपना दो ना दो,
दीप बन जलता रहूँगा|
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"प्राइमरी का मास्टर" की ओर से आपको दीपावली की हार्दिक मंगल कामनाएं !!
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दीपावली पर्व पर आपको मेरी मंगलकामनाएं!!!
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स्नेह अपना दो ना दो,
दीप बन जलता रहूँगा|
हर अंधेरी रात में,
जब अकेले ही चलोगे
तुम्हारी राह का तम
दूर मैं करता रहूँगा|
स्नेह अपना दो ना दो,
दीप बन जलता रहूँगा|
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"प्राइमरी का मास्टर" की ओर से आपको दीपावली की हार्दिक मंगल कामनाएं !!
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"समीर" जी।
जवाब देंहटाएंहमतो डर ही गये थे "मारो...मारो!!!!" सुन कर।
मगर ये मार तो बड़ी मुश्किल से मिलती है।
"मारो...मारो!!!!" भई खूब मारो।
हर दिन मारो!
पल क्षिण मारो!!
भइया-दूज की शुभकामनाएँ!
बेचारी भेड़ों की चाल नाहक बदनाम.
जवाब देंहटाएंआपके कुंडली के खानों में जरूर कोई ग्रह है जो इस तरह आपको नामी-बेनामी बनता रहता है...नामी तो अच्छा है पर इस बेनामी के लिए कुछ करिए...
जवाब देंहटाएंहा हा हा!
जवाब देंहटाएंमैं तो आपकी मुख-मुद्रा की कल्पना किए मौज़ ले रहा हूँ। :-)
बुरा ना मानो दीवाली है!!
बी एस पाबला
मारो मारो’ शीर्षक पढकर भागते हुए आ रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंसोचा आपने किसी को मारने के लिये पकडा हुआ है ।
बम को तो फ़ूटने से मतलब होता है , उसे पता थोडी होता है कि किसने बनाया है ।
इसी तरह कविता और फ़ूल भी है । जहां भी पडेंगे वहीं खुशबू बिखेरेंगे ।
नाम हो या न हो ।
साहित्यकार तो लिखता ही इसलिए है कि वह दूसरों के काम आ सके। न जाने कितनी पंक्तियां कौन लोग काम ले रहे होंगे। ये तो पटाखे समान है, बनाता कोई है, छोडता कोई है। दीवाली और भैया दूज की बधाई।
जवाब देंहटाएंलो अब हम क्या जबाब दें इन फलाना फलाना को...हम तो खुद ही यही बम फेंक रहे थे..???
जवाब देंहटाएंलिखे, कि भईया यही चार ठो पंक्तियाँ हैं हमारे पास...तो वही वापस भेज रहे हैं बतौर शुभकामना. धर लो...धम धम...बम बम
हा हा हा पूरा पटक बम भरा लेख है . इस बार शुभकामनाओ की बमबार्डिंग खासी रही ... एक दूसरे पर दे दनादन फेंकी जा रही थी .हमने भी खूब... हा हा अ ... शुभकामनाओ के साथ..
गलत बात है समीर जी,
जवाब देंहटाएंहम तो पश्चिमी देशो से आउट्सोर्सिंग भारत लाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे है ताकि यहाँ के गरीबो का भी कुछ भला हो, और आप है की उल्टे कनाडा ले जाने की फिराक में है ! खैर भैया दूज की आपको बधाई !
-agli baar se apna naam bhi kahin panktiyon mein likha kareeye...
जवाब देंहटाएंkhud ki taslalee ke liye..:D
--aap ki wakayee diwali ho gayee...kitna saraaha gayaa aap ki in chaar panktiyon ko..
yah aspect bhi dekheeye!
-[haan....'credit' nahin milne se dukh to bahut hota hai ]
-ab ye chaar panktiyan agle saal bhi [har saal]..dikhen to atishyokti na hogi!
अब हर बार बम फूटता तो नहीं है, डब्बे भर बमों में कोई फुस्स भी हो जाता है। लोग उस फुस्स बम को फेंक देते हैं पर ऐसे भी लोग होते हैं जो उसे उठाकर उसमें फिर से बत्ती लगा कर चला लेते हैं।
जवाब देंहटाएंkyaa kahen bas bhaai dooj kee shubhakamanayen
जवाब देंहटाएंनक्कलों से सावधान,हमारी और कोई ब्रांच नही है।लगता है समीर जी आपने इन सब मंत्रों पर ध्यान नही दिया था।यंहा रायपुर मे इंजीनियरिंग कालेज मे प्र्वेश मे लिये हुई काऊंस्लिंग मे दो कालेज वाले आपस मे भीड गये थे और एक ने तो बाकायदा बैनर-पोस्टर लगवा दिये हमारी और कोई ब्रांच नही है।
जवाब देंहटाएंअरे भाई, कोई तो क्रेडिट देता..तो चरण में गिर पड़ते....
जवाब देंहटाएं------------
क्रेडिटकार्ड तो है नहीं अपने पास। पर आपको जमाकर लिखने का क्रेडिट जरूर दे सकते हैं। स्वीकार करें। चरणस्पर्श की कोई जरूरत नहीं! :)
शुभकामनाओं और कविताओं के ही बम चलते रहें, यही कामना है.
जवाब देंहटाएंवरना हम दिल्लीवाले तो असली बमों को भी झेल चुके हैं.
वैसे आपकी चार लाइना हिट रही.
धंधा बुरा नहीं है.
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा!
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
फटके न अंधेरा कभी आपके आस पास
खुशी आपके द्वार पर आकर खुशियाँ मनाएँ..
दीपावली पर्व पर आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
नए साल के लिए अभी से दिल पक्का कर लीजिये नहीं तो फ़िर आपकी लिखी आप को ही मिलेगी शुभकामना के रूप में !
जवाब देंहटाएं"लो अब हम क्या जबाब दें इन फलाना फलाना को...हम तो खुद ही यही बम फेंक रहे थे..??"
जवाब देंहटाएंजब आप ही इतने अच्छे बम बनाओगे और फ़ेंकोगे तो भला दूसरा चुराने से काहे कतराए। लो...अब झेलो अपने ही बनाए हुए बम:)
chaliye kuch naye varsh ke liye abhi se hi........bahut sahi rahega
जवाब देंहटाएंदीवाली की आपको हार्दिक शुभकामनायें ,आपके जीवन में दीपो का प्रकाश भर जाए ,यह हमारी मंगल कामनाएं हैं .आपकी मंगल कामनायों का बम धमधमा था .बधाई ।
जवाब देंहटाएंचलिए छठ के शुभकामना सन्देश हेतु छ सौ के भाव पर हमारा एक आर्डर नोट कर लीजिए....
जवाब देंहटाएंडिलीवरी थोडा जल्दी चाहिए.......ओर हाँ छ: सौ रूपये की पेमेन्ट आप मनीआर्डर वगैरह से करेंगें कि अपना बैंक एकाऊंट नम्बर भेजें :)
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
जवाब देंहटाएंदीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
apki is pankti ke dwara jo aashirwaad aapne diya....... uska apka aabhaari hoon.....
समीर जी,
जवाब देंहटाएंवो क्या कहते हैं "बाँटनवारे को लगे ज्यों मेहंदी के रंग" ! तो वही हाल है. आपकी कमाई भी मेहंदी को लगाने वाले की तरह ही है. चाहे न चाहे तो भी खुद ब खुद लगता रहता है और दिखता रहता है. और, बम-वम तो ऐसे ही है पर झेलने वाला कोई आपके जैसा मजबूत होना चाहिए.
चोरी और सीनाजोरी इसे ही कहते हैं
जवाब देंहटाएंहा हा ! क्या पलट के मारा है जी :)
जवाब देंहटाएंवैसे हमें भी २-४ ठो लिखवाना है, थोक के भाव में ६०० से कुछ कम पे होगा क्या. चलिए न हमारा ना आपका २०० में फाइनल करते हैं :)
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
जवाब देंहटाएंदीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
बहुत ही सुन्दर दिल को छूते शब्द, आभार सहित शुभकामनायें ।
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
जवाब देंहटाएंदीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
अजी अब कर देते है तारीफ़....
सच मै आप ने इन चार लाईनो मे बहुत पटक पटक के मारी हम सब को शुभकामानये, ओर इतनी पटक के मारी की मेरा लेपटाप की सक्रीन भी खराब हो गई, चलिये इस सप्ताह नया लेपटाप खरीद लूं, फ़िर उस का बिल आप को भेज दुंगा, बिना भरे.... अगले साल देखा जायेगा
धन्यवाद.
लेख से मारो, टिप्पणी से मारो..ईमेल से मारो, ट्विटर पर मारो..आर्कुट पर मारो..फेस बुक पर मारो...एस एम एस से मारो..... शुभकामना, बधाई..मंगलकामना....
जवाब देंहटाएंमहाताऊजी! अच्छा लगा आपके मजेदार पर लच्छेदार बातो को पढ।
deepawali ki subh kamnaye ...aap wakai her bat mein se koi nayi baat nikal hi lete hai...apki deepawli achi rehi hogi aapko aur aapke parivar ko subhkamnaye
जवाब देंहटाएंprabhu ab tak kitne?
जवाब देंहटाएंसमीर जी , नमस्कार, आपके लेखन का तो ज़वाब ही नहीं है, इसी तरह बम के धमाके करते रहे और हम इन धमाकों में हमेशा झुलसते रहें , दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
जवाब देंहटाएंहा हा...ये तो दिलचस्प रहा।
जवाब देंहटाएंमारो..मारो!!! कविता लिखने के बाद हिंसा फ़ैला रहे हो!
जवाब देंहटाएंप्रिय श्री समीर जी,
जवाब देंहटाएंआपको रचना पसन्द आयी इस हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
मैरी और से भी आपको दिपावली की हार्दिक शुभकामनाऎ।
प्रिय श्री समीर जी,
जवाब देंहटाएंआपको रचना पसन्द आयी इस हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
मैरी और से भी आपको दिपावली की हार्दिक शुभकामनाऎ।
शुक्रिया अंकल...
जवाब देंहटाएंसमीर भाई सब ही बम्ब मार रहे हैं ......... खा भी रहे हैं ............ दिवाली में तो सब मिठाई के साथ साथ सब कुछ खाते हैं ....... आपकी पोस्ट मजेदार है ...........
जवाब देंहटाएंसमीर भाई सब ही बम्ब मार रहे हैं ......... खा भी रहे हैं ............ दिवाली में तो सब मिठाई के साथ साथ सब कुछ खाते हैं ....... आपकी पोस्ट मजेदार है ...........
जवाब देंहटाएंआदरणीय लाल साहब,
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
--- आपका बवाल
हा हा हा
(बुरा न मानो दीवाली है)
और हाँ आपकी इस पोस्ट की हैडिंग देखकर हमें लावारिस फ़िल्म के ओमप्रकाश याद आ गए। हा हा।
जवाब देंहटाएंये तो जोरदार रहा, चारो तरफ़ मारो मारो मची हुई है, नाहक ही डर गये थे. मामला समझ आने पर शांति मिली.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
धमाके के साथ मारा...वाह! खूब मारा!
जवाब देंहटाएंभावनाओं का भी कहीं कापी राईट हुआ है समीर जी !
जवाब देंहटाएंha ha ha bahut khoob , yahi diwali par gift ya mithai ke saath bhi hota ek gift kisi ko diya usne aage....aage.....aage.... ghoom phir kar phir hamare pas.
जवाब देंहटाएंमारो मारो
जवाब देंहटाएंपढ़कर पोस्ट पढे ही नहीं अब टिप्पणियों से पता चला कि मामला शुभकामनाएँ मारने का है!!!
शुभकामनाएँ!
बहुत बम मारे समीर भाइ आपने
जवाब देंहटाएंमारो-मारो रात भर गुन्जता रहा
वो बमा-बम सारे आपके ही थे
जिनका धमाका रात भर सुनता रहा
सुबह फ़िर वही धमा-धम
बहुत एनर्जी है। बधाई हो
खुशदीप सहगल ने कहा…
जवाब देंहटाएंगुरुदेव,
ये क्लोनिंग और पाइरेसी का ज़माना है...आपको नहीं पता कि आपकी हा,हा,हा,हा,हा,हा,हा (मेरी तो इतने मे ही बस हो गई)भी
कितनी हिट रही थी...कम से कम 10 जगह तो मैंने वही हा,हा,हा...देखी थी...
ha ha ha ha...
maaro maaro sunkar ham aaye ki koi khatarnak type vyangya rachna hogi, par ye to....
ha ha ha ha...
मारो-मारो से लगा कि मियां की जूती मियां के सर.
जवाब देंहटाएंचलो गनीमत हैं कि यहाँ रचनाकार के पास ही उसी कि रचना के सन्देश धड़ाधड़ पहुँच रहे हैं.........
कापीराइट नहीं करवाई थी न, तो कुछ कर भी तो नहीं सकते...............
फिर भी रचनाकार को तो खुश ही होना चाहिए कि उसका रचित बधाई सन्देश इत्ता पापुलर हो गया............
हार्दिक बधाई स्वीकार करें जी..........
अब तो दीपावली बीत गई, वर्ना हम भी वही ठोक दिए होते.........
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
चलिए, मेरे बहाने आपको कई आर्डर मिल गए .. पर अनूप शुक्ला जी चिट्ठा चर्चा में आपकी शुभकामनाओं की कमियां निकालकर आपके बिजनेस को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं !!
जवाब देंहटाएंमारॊ मारो! समीर जी पहले तो पढ़ कर घबराहट हो गई थी कि यह कैसा आवाहन कर रहे हैं आप.....लेकिन आलेख पढ़ कर मन शांत हुआ:))
जवाब देंहटाएंआपका बम तो एटम बम है गुरु!!
जवाब देंहटाएंये भी खूब रही... :-)
जवाब देंहटाएंइन चार लाइनों को चालीस बार तो मैं भी पढ़ चुका हूँ।
जवाब देंहटाएंकोई अफ़सोस मत करिए। आपकी भावनाओं का जबरदस्त प्रचार-प्रसार हो चुका है। अब इसे ही अपनी उपलब्धि मानिए। धन्यवाद।
आपका जवाब नहीं समीर भाई !! दीपावली गेली ..अगले बरस YOU जल्दी आ
जवाब देंहटाएंआपका ईमेल पाकर मैं धन्य हो गया, सर. उसे छापने की सहमति मैने मांगी थी, जबाब में आपने स्माईली भेज दिया. उसे मैं हाँ मान ले रहा हूँ. अगर आप न कहेंगे तो पोस्ट हटा लूंगा.
जवाब देंहटाएंछठ का सन्देश बन गया हो तो हमें भी भेज दीजियेगा ...मुफ्त में ...कुछ बम हम भी फोड़ लेंगे ..!!
जवाब देंहटाएंअब समझ में आया कि तुलसीदास सदा हरि चेरा और मीरा के प्रभु गिरधर नागर क्यों लिखा गया। लोग भजन तो याद रख लेते हैं लेकिन लिखने वाले को दरकिनार कर देते हैं। इस बार आप भी कुछ ऐसा ही आजमाना जैसे
जवाब देंहटाएंसमीर कहे खेलो होली जमके.... जैसा कुछ।
हा हा हा हा हा हा
मारो-मारो पढ के पहले तो हम घबराये,
जवाब देंहटाएंलेकिन फिर खूब-खूब मुस्कुराये.
बहुत बढिया। मार रहे हैं लोग, अब तक 67 लोग मार चुके हैं। 68वां मेरी ओर से।
जवाब देंहटाएंक्या लगा नहीं, फिर से देखों भई, शुभकामना का बम मैंने अभी अभी फेंका है।
( Treasurer-S. T. )
काश एक बम मेरे ब्लॉग पर बी फेंक देते....!बहुत इच्छा है की आप आयें...दीपावली की शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंमारो...मारो अपना नहीं तो समीरजी का ही चुरा कर मारो
जवाब देंहटाएंइतना खतरनाक बम्बार्टमेंट चल रहा है यहाँ ...और
जवाब देंहटाएंहम इतनी देर से पहुंचे ...
Janam din kee badhayee ke liye tahe dilse shikriya!
जवाब देंहटाएंhttp://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
htpp://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
आपने सही नबज पकड़ी है। मैंने भी ऐसे ही शुभकामनाएं भेजी थी, मारी नहीं।
जवाब देंहटाएं:-)aapke bomb kaargar hai
जवाब देंहटाएंआपसे सहमत है ।
जवाब देंहटाएंye to hona hi tha.
जवाब देंहटाएंab agle saal ke liye likh dijyga, abhi se buking samjhiye......shubh dipawali.
जवाब देंहटाएंAap khoob likhte hain,vishay koee
जवाब देंहटाएंbhee ho.ye lekh bhee kam nahin.
Badhaee.
ना ना ना ना समीर भाई ना .. ये छठ-वठ वालों के बहकावे में बिलकुल नहीं आना वरना आपके पास मुंडन और नामकरण संस्कार वालों के भी ऑर्डर आने लगेंगे । इतनी सस्ती कलम थोड़े ही है आपकी । बाकि आपकी यह बम बम वाली अदा अच्छी लगी । ऐसे ही बम दीवाली में फूटें तो जनता प्रसन्न हो जाये और प्रदूषण भी न हो .. ।
जवाब देंहटाएंहमें भी मिला था आपका ये वाला बम.
जवाब देंहटाएंदो चार कम ज्यादा की बात नहीं पर करीब करीब सबने ये गोली बारी झेली है.. संवेदना हीन भावना रहित संदेशों की बौछार
जवाब देंहटाएंअरे समीरजी आपको तो खुश होना चाहिये कि इतनी सारी दिवाली शुभ कामनाओं में से चोरी आपकी कविता की हुई । कविता कितनी चौर्य है ! जैसे माइक्रोसॉफ्ट के विन्डोज सॉफ्टवेयर की जब धडल्ले से नकली कॉपियां बिक रहीं थीं तो बिल गेटस् ने कहा था पाइरेशन बुरा है पर अगर हो ही रहा है तो हमारे सॉफ्ट वेयर का ही हो ।
जवाब देंहटाएंदिवाली शुभ ही रही होगी .........
अपनी तो तोप रूपी इन्टरनेट दिवाली की छुट्टी पर थी इसलिए मारा मारी नहीं कर पाए .
जवाब देंहटाएंshubh diwali aapko aur is dhamekedaar rachna ke liye badhai .bahut hi shaandar likha hai
जवाब देंहटाएंहम तो खुद ही यही बम फेंक रहे थे
जवाब देंहटाएंतभी तो कहते हैं कि किसी की दी भेंट को आगे न सरकाओ! अगला पहले को ही दे दे तो! :)