गप्पे हुईं. उनके फ्लैट मैट अंकुर से मुलाकात बात हुई. खाना खाया गया और रात १ बजे निद्रा को प्राप्त हुए. सुबह ११ बजे डेलस के लिए रवाना होना था बस़ द्वारा अतः ९ बजे नहा धोकर रास्ते में एक रेस्टॉरेन्ट में नाश्ता कराते हुए नीरज बाबू हमें बस अड्डे उतार कर यूनिवर्सिटी रवाना हो गये और हम सपत्नीक बस मे लाद दिये गये जिसके नीचे हमारे दोनों बैग चैक इन हो गये.
बस में यात्रा करनी थी. हालाँकि बस तो एयर कन्डीशन्ड थी मगर फिर भी बस में चढ़ना, उतरना और टेक्सस का गरम मौसम. यही सब विचार कर अपने खुद के रंग की परवाह किये बगैर लाल रंग की टीशर्ट और काली फुल पैण्ट पहन लिये थे कि पसीने में थोड़ा गन्दी भी हो जाये तो पता न लगे.
फिर डैलस पर मित्र लेने भी आ रहे थे. उनके घर जाकर स्नान आदि कर झकाझक सफेद शर्ट पहन, परफ्यूम लगा शाम घूमने निकलेंगे शहर में, ऐसा सोचा था.
पाँच घंटे की शानदार यात्रा में तीन चार जगह रुकते हुए बस ठीक चार बजे आ लगी डैलस. उतरे, मित्र लेने आये हुए थे. हाथ गले मिलाये गये और सामान उतरा. पत्नी का बैग उठाया और हमारा? यहाँ देखा, वहाँ देखा. ड्राईवर से पूछा. बाहर भागे कि शायद कोई भूले से तो नहीं ले गया. सब बेकार. बैग गायब. इस रुट के बारे में सुना जरुर था मगर सुनी बात आज तक मानी हो, तब न!! सामान चोरी-लगा बांदा मानिकपुर लाईन पर यात्रा की हो.
कई बार पाठक पूछने लगते हैं कि सारे कांड आपके साथ ही क्यूँ होते हैं आखिर. अब ये बात तो खुदा ही जाने मगर मुझे लगने लगा कि मेरे प्रति कांडो का कुछ सहज आकर्षण हैं. सलमान खान को कभी किसी ने लड़कियों को आकर्षित करने वाल ’ए चिक मैगनेट’ कहा था. मुझे अब लगता है कि मेरे लिए भी एक खिताब तय कर दिया जाना चाहिये -’ए काण्ड मैगनेट’
बैग चला गया और हम खड़े खड़े, हाथ सर पर धरे.....लूट में लुटे हुए..गुबार देखते रहे. बैग में ७ फुल पैण्ट, १० शर्ट, ९ मौजे, अनेक रुमाल, चप्पल, अन्डर गार्मेन्टस (ब्रेन्डेड :)), १२ प्रिन्टेड कविताऐं (वहाँ पढ़कर सुनाने के लिए रखे थे कि मौका सुनाने का तो निकाल ही लेंगे) , परफ्यूम अज़ारो की बोतल और एक स्कॉच की बेहतरीन नई बोतल. सब चली गई. स्कॉच वाली बोतल ही बच गई होती तो वहीं बैठ कुछ गम गलत कर लेते मगर वो भी जाती रही तो गम गलत न हो पाया.
चोर चोर होता है. उसे इस बात से कुछ मतलब नहीं कि क्या चुराया. वो इसी में खुश हो रहा होगा कि चुरा लिया. क्या करोगे भला हमारी फुल पेन्टों का? सात जन्म लगेंगे हेल्थ बनाने में तुमको और कविता?? पढ़ भी लोगे तो तुमसे सुनेगा कौन? कविता तो ठीक है, उसे सुनाना एक कला है, वो भी चुरा लोगे क्या?
क्लेम वगैरह लिखवा घर लौट आये मित्र संग. पत्नी, मित्र और सभी नहा कर फ्रेश तैयार और हम वही लाल टीशर्ट और काली फुल पेन्ट. दो दिन की दाढ़ी भी उग आई और दाढ़ी बनाने वाला रेज़र भी बैग के साथ ही निकल लिया. बस वालों ने कहा था कि अगली बस ८ बजे आयेगी, शायद उसमें चढ़ गया होगा. आकर देख लेना. तो ८ बजे फिर गये. ८.३० बजे तक उस नई बस का सामान भी खाली और हम भी. कोई सामान नहीं आया. सारी आशायें खत्म.
अब ९ बजे बाजार भी बन्द कि कुछ नये कपड़े खरीद लें. बाहर ही लाल टीशर्ट और काली फुलपेन्ट में खाना खा कर चले आये. रेस्टारेन्ट वाले को क्या मालूम कि सुबह से ही यही पहने घूम रहे हैं. दाढ़ी भी रफ लुक वाले फैशन में मान ली होगी-धन्यवाद अनिल कपूर एण्ड रित्विक रोशन!!
घर आये. सब नाईट सूट पहन सोने चले और हम लाल टीशर्ट और काली फुलपेन्ट. क्या पहनें? सब तो चला गया. अच्छा हुआ बेडरुम में दरवाजा था तो जो चादर औढने को दी गई, उसे लूँगी समझ लपेट कर सो गये. सुबह सबके उठने के पहले ही जागे और लाल टीशर्ट और काली फुलपेन्ट में आ गये.
मित्र का घर शहर से बाहर और जरा एकांत में है. जब तक हम बाथरुम वगैरह से फुरसत होकर आये, मित्र हमारी पत्नी से यह कह कर कि शाम को तैयार रहें. ५ बजे दफ्तर से आते ही बाजार चलेंगे और फिर वहीं से घूमने चले चलेंगे. मित्र की माता जी ने नाश्ता वगैरह बड़ा शानदार कराया और हम लाल टीशर्ट और काली फुलपेन्ट में बैठे खिड़की से बाहर झांकते समय काट रहे हैं कि कब ५ बजे और मित्र लौटें तो बाजार जायें. लंच भी हो गया. दोपहर की हल्की नींद भी काट ली मगर ५ हैं कि बज ही नहीं रहे.
जब यह आलेख लिख रहा हूँ, ४ बजा है. घर में हलचल मची है. सब तैयार हो रहे हैं कि ५ बजे बाजार जाना है और फिर वहीं से घूमने. हमें भी भूले से कोई कह गया है कि तैयार हो जाईये, ५ बजे निकलना है. अरे महाराज, जो तैयार ही हो सकते तो बाजार काहे जाते. :) तैयार ही समझो. लाल टीशर्ट और काली फुलपेन्ट- कोई खराब लग रही है क्या?
मुश्किल ये है कि हमारे साईज की फुल पेन्ट तो मिलती भी नहीं. भारत से सिलवा कर लाते हैं हर बार. जैसा पहले भी बता चुके हैं कि यहाँ के लोगों के साईज़ अजब है. इनकी कमर हमें अट जाये, तो लेन्थ डबल होती है और अगर लेन्थ फिट तो कमर आधी से भी कम. पत्नी से कहा तो कहती है, सबको तो अट जाती है. आप ही की साइज़ डिफेक्टिव होगी मगर अपनी कमीज का छेद कब किसे नजर आया है. दोष तो दूसरे का ही होता है.
लगता है वो इलास्टिक वाली पेन्ट खरीदना पड़ेगी. वन साइज फिट ऑल वाली जो गर्भवति महिलाओं की दुकान पर मिलती है कि महिने के महिने साईज बदलता भी रहे तो भी पेन्ट एडजस्ट होती जाये. वहीं जाता हूँ और क्या रास्ता है?
मित्र के घर से उनकी पत्नी का डिस्पोजेबल रेज़र लेकर दाढ़ी तो किसी तरह बना ली. लेड़ीज़ रेजर था. क्या सोच रहा होगा हमारे गाल पर घूमते. शरम भी आई, लाल हुए..मगर करते क्या?
कमीज तो मिल जायेगी नाप की. चप्पल की जरुरत नहीं. जूते से काम चल जायेगा. स्कॉच उनकी मेहमान नवाज़ी के लिए छोड़ देते है. अभी तो सात दिन काटने हैं टोरंटो पहुँचने के पहले.
वैसे पहुँच कर भी क्या कर लेंगे. सारी अच्छी वाली ड्रेस तो रुआब झाड़ने के लिए साथ लेते आये थे. वहाँ तो अब वो ही हैं जो नित में पहन काम चलता रहे.
हे प्रभु, इस काण्ड मैगनेट के साथ इतना बड़ा कण्ड-क्या चाहते हो!!! आगे अभी यात्रा बची ही है, जाने क्या क्या देखना बाकी है!!!
(नोट: १३ अगस्त का लिखा आज प्रकाशित हो रहा है)
उस चोर ने आपकी एक दर्जन प्रिन्टेड कविताओं का क्या किया होगा?
जवाब देंहटाएंदुसरे देशों में भी बैग चोरी हो जाते है ...फिर तो कोई खास बात नहीं ..
जवाब देंहटाएं"दूसरों की गलतियों से सीखें। आप इतने दिन नहीं जी सकते कि आप खुद इतनी गलतियां कर सके।" आपके ब्लॉग से ही कॉपी -पेस्ट किया है .
समीर जी आपकी यात्रा की कहानी पढ़ते पढ़ते हंस हंस कर पेट में बल पड़ गए ..........लाल टी शर्ट और काली पैंट के उप खूब तरस आता रहा......लेडीज रेजर की तो किस्मत के क्या कहने . सचमुच कमाल की रही आपकी यात्रा
जवाब देंहटाएंनाप भिजवादो समीर भाई कोरियर करा देंगें... वैसे लालटीशर्ट और काली पैंट भी जंच रही है...
जवाब देंहटाएंआपको बैग के बाहर एक स्लिप चिपका देनी चाहिये थी कि इसमें कवितायें हैं। फ़िर क्या मज़ाल कि कोई चोर आसपास भी फटके!! बेचारे चोर पर तो तरस आ रहा है मुझे, हाय राम!!! क्या गुज़री होगी बेचारे पर जब उसने बैग खोला होगा!!!
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों को - लगा बांदा मानिकपुर लाईन पर यात्रा की हो - पंक्ति पर आपत्ति है :-)
जवाब देंहटाएंविदेशों में ऐसा होता है जानकर अच्छा लगा, यद्यपि हमें आपसे पूरी सहनुभूति है।
जवाब देंहटाएंउन्मुक्त भाई
जवाब देंहटाएंऐसे में बदल कर कानपुर उन्नाव लाईन कर देंगे. :)
समीर
वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! आपकी ये यात्रा तो यादगार रहेगी! बेचारा चोर! चोरी करके पछता रहा है! अब से आप कविताओं को संभल कर रखियेगा ! वैसे रविकांत जी ने सही कहा है मैं उनकी बातों से सहमत हूँ!
जवाब देंहटाएंमेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
आप का तो खैर जो हुआ वह आप बता रहे हैं। बेचारा रेजर? उस के साथ बहुत बुरी गुजरी। वह जब से बना था किसी सुंदर कोमल सतह लिए मुफ्त में गिफ्ट हो कर पहाड़ी पर चढ़ कर शहीद हो गया।
जवाब देंहटाएंSamir ji i have heard that America was inhabited initially by thieves and rogues of Europe so no wonder at all !
जवाब देंहटाएंमिल गई जी मिल गई. आपकी एक दर्जन कविताएं मिल गई. कल ताऊबाबा आश्रम मे कवि सम्मेलन था. वहीं पर कोई गोरा सुना रहा था. हमको लग गया था कि ये तो महाबाबा गुरुदेव की हैं..इसीलिये लठ्ठ भी चलाये..पर चोर मौका देखकर भागने मे कामयाब रहा.:)
जवाब देंहटाएंवाह जबरदस्त संस्मरण.
रामराम.
समीर बाबा से अब कान्ड मेगनेट? कितने खिताब लेंगे? वैसे ये बाद वल खिताब सही रहेगा हमे अच्छ्ही पोस्ट पढने को मिल जाया करेगी बहुत बहुत बधाई?---------- अरे एक तो बैग गुम उपर से बधाई ? एक और कान्ड? शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंha ha ha ha
जवाब देंहटाएंsameerlalji ki jai ho !
kuchh to honaa hi tha...
aapke saath hui is ghatnaa par taklif kam ho rahi hai, mazaa zyaada aa raha hai.........ha ha ha
agli baar kuchh samaan bhabhi shri ki aatachi mae rakh dae
जवाब देंहटाएंvasae koi kabadi chor hi hogaa aap ki kavita lae udaa blag chhan lae kahin publish naa ho gayee ho
puraaalekh ek saaans mae padhaa yae aap ki uplabdhi haen so iski badhaaii
अमेरिका में बस की यात्रा में चोरी? हम तो ख़ामखा परेशान थे बनारस में ट्रेन से बैग लुटवाकर। अब थोड़ी राहत मिली। ये अमेरिका वाले भी कमाल के हैं। थैंक्यू चोर जी...। समीर जी, आयैम सोरी... :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा छा गये सर जी....
जवाब देंहटाएंregards
समीर जी,बहुत अफ्सोस हुआ आप का बैग चोरी हो गया यात्रा में,लेकिन मैं समझता हूँ इस से ज्यादा उस चोर को अफसोस होगा जब वह बैग खोलेगा...लेकिन चलो उस मे एक बोतल तो है जिसे पी वह अपना दुख कुछ कम सकेगा।...रही बात कि यह मात्र आपके साथ ही क्यों हुआ...इस मे कोई संशय वाली बात नही है चोर हमेशा मोटी आसामी देख कर ही हाथ मारता है:))
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक यात्रा संस्मरण रहा।
हम तो समझते थे कि बैग चोरी सिर्फ हमारे यहाँ ही होती है, अब पता चला कि 'काबुल में भी गधे होते हैं'।
जवाब देंहटाएंकौन सी कवितायें गईं ? पोस्ट करें तो हमें भी अंदाजा होगा कि चोर महाशय पे क्या गुज़री होगी !!
जवाब देंहटाएंचोर के परिवार के लिये पूरे दो चार साल के कपडो का जुगाड हो गया जी :)आप की पेंट से जेम्स ,लिली सबके लिये कपडो का जुगाड हो गया . शर्ट मे तो पूरा परिवार आ ही जायेगा .उसे क्या पता लाल साहब इसके अंदर अकेले भी मुश्किल ही आते है :)
जवाब देंहटाएं’ए काण्ड मैगनेट’--sahi visheshan :-)
जवाब देंहटाएं१. नीरज जी दौड़ने में कुछ ज्यादा कैलोरी खर्च रहे हैं या फ़िर सापेक्षिकता का नियम काम कर रहा है चित्र में?
जवाब देंहटाएं२. अगर उल्टा होता, यानि लाल पेंट और काली शर्ट होती तो मामला और भी ज्यादा दिलचस्प होता.
३. चोरी गयी कविताओं की लिस्ट ब्लॉग पर पर्मानेंटली टाँगना चाहिये. अगर कहीं कोई अपनी कहकर सुनाता मिला तो धर-दबोचा जायेगा.
४. लंगोटियाँ नहीं, ब्रान्डेड अन्डरगारमेन्ट्स थे, ये जानकार खुशी हुई. हिन्दुस्तानियों की लाज रख ली आपने विदेशी चोरों के सामने.
हो सकता है वो चोर आपकी कवितायेँ पढ़कर एक शायर बन जाये....
जवाब देंहटाएंवैसे मुझे जलन हो रही है की उसकी जगह मैं क्यों नहीं था....कवितायेँ एक साथ मिल जाती...
मीत
"लाल रंग की टीशर्ट और काली फुल पैण्ट पहन लिये थे कि पसीने में थोड़ा गन्दी भी हो जाये तो पता न लगे"
जवाब देंहटाएंहा हा ... अच्छा दिमाग लगाया | काम भी आया |
तो बाज़ार से कुछ और "लाल रंग" की टीशर्ट खरीद लेते और फिर कहते कि लाल रंग आपका फवरेट है फिर चाहे बदल बदल कर पहनो, या एक में ही हफ्ता निकाल दो :)
वैसे १३ अगस्त को लिखा... बैग अभी तक मिला कि नहीं?
हमें आपसे पूरी सहनुभूति है और उस लेडीज रेजर से भी ||
जवाब देंहटाएंवाइन की बोतल का हमें भी अफ़सोस है ..कविताएं कल किसी मेग्जिन में चाप जाये तो चौकियेंगा मत....हो सकता है कही किसी मुशायरे में पढ़ी जाए ओर मुख्य अतिथि आप हो......आईला !!!!!
जवाब देंहटाएंवैसे ये भी इत्तिफाक है की आप ओर फुरसतिया लाल रंग से लगाव रखते है वे लाल स्वेटर ओर आप लाल शर्ट...अन्दर वियर खोने का भी एक गम होता है....हम भी ये गुजरी है कभी गम गलत करेगे तो ये गम भी साझा करेगे .फ़िलहाल चियर्स....काहे ....इधर हमने वाइन खोल ली है.उधर आप खोले.....नेटिया- गम गलत करते है
ओर हाँ नीरज एक दिलचस्प नौजवान है
तात्पर्य यह है कि लाल टी-शर्ट व काली पैंट अपशकुनी होती है, न पहनें :)
जवाब देंहटाएंये सब आपके साथ ही क्यूँ होता है... और पता नहीं चोर आपकी पेन्ट का क्या करगा.. अगर बैग में पता हो तो मालूम हो की बैग धन्यवाद के साथ वापस आ रहा है...
जवाब देंहटाएंयात्रा और चोर का चक्कर पुराना है
जवाब देंहटाएं---
मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव
यह भी खूब रही. अब चोरों ने सोचा होगा कि १० की २० पैंट बन जायेगी. पर इस बहाने मिस्टर इंडिया का रोल करने को मिला, मजबूरी में ही सही.
जवाब देंहटाएंआपका सामान अभी तक मिला या नहीं....अगर मिल जाए तो ज़रूर बताइए! हम भी जाने कि कहीं भारत देश की पुलिस अकेली ही बेवजह बदनाम तो नहीं हो रही!
जवाब देंहटाएंआदरणीय लालम लाल समीरलाल {जी}
जवाब देंहटाएंडेलस यात्रा वरतान्त का अध्यन “हे प्रभू“ ने बडी ही ध्यान पुर्वक किया.
स्वय‘भू उपाधी "ए काण्ड मैगनेट’" के निम्नालिखित वैचारीक काण्ड “प्रभू“ के मन को बहूत सुहावने लगे
~सपत्नीक बस मे लाद दिये गये
~अपने खुद के रंग की परवाह किये बगैर लाल रंग की टीशर्ट और काली फुल पैण्ट पहन लिये थे
~पत्नी का बैग उठाया और हमारा ?
~बैग में ७ फुल पैण्ट, १० शर्ट, ९ मौजे, अनेक रुमाल, चप्पल, अन्डर गार्मेन्टस (ब्रेन्डेड :)), १२ प्रिन्टेड कविताऐं
~जो चादर औढने को दी गई, उसे लूँगी समझ लपेट कर सो गये.
~अरे महाराज, जो तैयार ही हो सकते तो बाजार काहे जाते. :) तैयार ही समझो.
~आप ही की साइज़ डिफेक्टिव होगी
समीर"लाल"
लालम“लाल“
साथ मे टीशर्ट का रग “‘लाल‘“
रेजर भी शर्मा के हुआ “लाल“
चोर की हुई लाल
सुन समीरजी हुऎ लाल
“हे प्रभू“ प्रसग सुन हस हस के हुऎ “लाल“
(नोट- यह कोई कविता नही है बस ऎसे ही पेल दिया हू झेल लेना.... और सम्भलकर डेलस मे लाल टी शर्ट के उपर कॊई अन्य कलर का कपडा लपेट लेना. सुना है वहा के भैसे लाल रन्ग वालो के पिछे लग जाते है.....और लालम लाल कर देते है-सावधान.
आदेश-हे प्रभू )
हे भगवान् ! इसलिए आगाह किया था की सूटकेस में स्काच न रखा करें -एक बार उसके टूट जाने से आपके सारे कपडे खराब हो गए थे (आप को न जाने याद भी है या नहीं ) और इस बार उसी के चक्कर में सारा सूटकेस !
जवाब देंहटाएंमगर अमेरिका में यह सब ? लानत है !
वैसे लाल शर्ट और ब्लैक फुल पैंट में काफी जँच रहे हैं आप....
जवाब देंहटाएंha ha hadse bhi mashoor logon ke saath hi hte hai:)),chor ko pata hoga,udan tashtari hindi blogs ka sta blog hai:):).
जवाब देंहटाएंलगता है पहली बार एक चोर ने चीटेड फील किया होगा. अब हो सकता है वो भी कवि बन जाये. क्योंकि कवितायें सुनाकर ही शायद कुछ कमाई हो जाये. वैसे गोरा चोर कैसा लगता होगा?
जवाब देंहटाएंwah/ yahi to maza he aapki rachnao me, ki bs kho jaao aur aapke saath aapki tarah hi yatraa karte jaao/ ese kalamkaaro ko padhhne se bhalaa koun muh mod saktaa he/
जवाब देंहटाएंsach me laazavaab he aap, aour aapki rachnaye/
sameer जी ................ आपको देख कर चोर ने samjha होगा कोई dhanna seth hai चलो कुछ motaa maal milega, अगर पता होता blogchiye हो कुछ और kapde chod जाता आपकी atechi के पास .............
जवाब देंहटाएंहो सकता है october में mijhe bhi टेक्सस जाना padhe.......... अब तो सोच समझ कर जाना padhega
आपकी यह दारुण कथा ,हमें तो हंसा कर लोटा गयी.....सबसे मजेदार लगा पैंट के लिए गर्भवती महिलाओं के कपडों के सेक्सन में जाना....
जवाब देंहटाएंवैसे आपसे ज्यादा अफ़सोस चोर महाशय के लिए हो रहा है....बेचारे ने जात भी दी और भात खाकर पचाकर दिखाए तो जानें....
भैया कविता गयी कोई नहीं.. कपडे गए कोई नहीं... रेजर-परफ्यूम-तौलिया-मोजे जाने ही थे कोई बात नहीं... स्कॉच की बोतल तो कलेजे से लगा के रखनी थी न...!! खैर कोई नहीं आगे से ध्यान दे दीजियेगा... रही बात कांड मैगनेट होने की तो इधर गाँव में तो भैये कई सांड मैगनेट भी घुमा किये हैं... उनका दुःख भी समझें..!!!
जवाब देंहटाएंआगे की यात्रा भी इसी काली पैंट में कटेगी..?? पैंट के लिए शुभकामनायें...!!
www.nayikalam.blogspot.com
वाह समीर जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....
जय हो काण्ड बाबा की ...:)
कम से कम इस बहाने अच्छा संस्मरण पढ़ के इक बार फिर हंसी की फुहारे छुट पड़ी ...:) वैसे सहानुभूति पूरी है लेकिन हंसी नहीं रूकती...
कोई नहीं चोर बेचारा कुछ तो कर ही लेगा ...स्लीपिंग बैग बना सकता है पेंट का ....परन्तु वो रेज़र बेचारा ...चलिए कोई बात नहीं ...
शुभकामनाएं आगे की यात्रा के लिए ...:)
इतना बड़ा काण्ड हो गया और आप फिर भी हँस रहे है........कोई और होता तो दहाड़े मार मार कर रोता....हा हा हा हा.
जवाब देंहटाएंkhoobsurat post...apne pe viang kahna boht badi baat hai...lal shirt or kali paint.....yatra warnan interesting hai....
जवाब देंहटाएं(नोट: १३ अगस्त का लिखा आज प्रकाशित हो रहा है) >> तो इस बीच क्या हुआ, वह तो लिखिए.
जवाब देंहटाएंफिरंगी जब यहाँ आते हैं तो एकाध जोड़ी कपड़ॆ ही लाते हैं. हम भारतीय ना जाने क्यों ७ फुल पैण्ट, १० शर्ट, ९ मौजे, अनेक रुमाल, चप्पल, अन्डर गार्मेन्टस (ब्रेन्डेड) लिए घूमते हैं :) :)
जवाब देंहटाएंpata lagaiye.......wo hindustani chor hoga :-)
जवाब देंहटाएंमज़ेदार।
जवाब देंहटाएंसमीर जी!
जवाब देंहटाएंशुक्र है कि लुट कर घर तो सही-सलामत आप आ ही गये। यात्रा-संस्मरण बहुत रोचक रहा। लेकिन मुझे दुख हुआ कि एक साहित्यकार की कविताएँ भी चोरी हो गई।
भई!
हम तो 13 अमस्त से बारिश में घिरे थे। 17-18 को बाढ़ से घिर गये। अब हालात कुछ सामान्य हुए हैं। लेकिन आनन्द यह रहा कि दूसरे फ्लोर पर बैठे हुए कविताएँ खूब लिखी गई।
आप भारत कब आ रहे हैं?
आपसे मिलने की इच्छाएँ बढ़ गईं हैं।
हंसते हंसते आपकी इस दर्दनाक दास्तान को पढ़ गए :) इस चोर ने आपको कहाँ कहाँ घुमा दिया गर्भवती सेक्शन में भी ..:)लाल शर्ट काली पेंट कर सम्भाल के रखिएगा ..
जवाब देंहटाएंइस यात्रा विवरण में हर बात निराली है। हर बार की तरह यह पोस्ट भी मतवाली है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया यात्रा संस्मरण. शर्त का कलर आप पर धाँसू जम रहा है समीर जी धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंउफ्फ्फ्फ्फ्फ अन्दर गारमेंट यह तो सरासर गलत है ... मगर चोर का साइज़...???? वाइन तो ठीक है मगर कवितायें ... लौटते वक्त आपको चेक करनी चाहिए थी के वो लेकर सारी चीजे खैरियत से बैठा होगा और पछतावे के साथ ... मगर कोई नहीं लाल टी शर्ट और लाल साहिब... दोनों तो साथ ही थे... फिर क्या दर... यात्रा वृतांत दुखद रहा मगर ... :) :)... भाभी जी को सादर प्रणाम...
जवाब देंहटाएंअर्श
यात्रा पुराण बेहद ही दिलचस्प है .....परन्तु सर्वाधिक आश्चर्य इस बात का है कि कवितायेँ भी चोरी होने लगीं
जवाब देंहटाएंसमीर भाई ,
जवाब देंहटाएंदेर से पहुँची होऊँ
परंतु मेरी सहानुभूति आपके साथ है ..
अब सामान गया तो गया ..!!
आप यात्रा के मजे लीजियेगा ..
हां कवितायेँ खोने का दुःख है ..
याद हो तो पुनर्लेखन करें ..
& glad to know, Azzaro
is your Fav. perfume :)
स्नेह सहित,
- लावण्या
हमारे यहाँ तो ६० इंच तक की जींस उपलब्ध करा देते है सरदार संस नैनीताल के अंकल जी
जवाब देंहटाएंdukhad hi kaha jayega ji, sahanubhuti hai saab.
जवाब देंहटाएं'लाल शर्ट और ब्लैक फुल पैण्ट : टेक्सस यात्रा' देखकर सोंचा कि आपने ऐसा शीर्षक क्यूं दिया है कि लग रहा है कि पूरी टेक्सस यात्रा में आप यही शर्ट पैण्ट पहने रहें .. फिर जैसे जैसे अंदर पढती गयी .. मेरा सोंचा सही निकला आपको चाहे जितनी परेशानी हुई हो .. पाठकों को तो खूब हंसाया .. अब से मुझसे यात्रा निकलवाकर यात्रा पर निकला करें .. अच्छा रहेगा !!
जवाब देंहटाएंहमारी मानिये तो आप किसी अच्छे से ज्योतिषी को अपनी जन्मपत्री दिखा लीजिए। पता तो चले कि आखिर ऎसी घटनाएं आपके साथ ही क्यों घटित होती हैं:)
जवाब देंहटाएंaap ke yatra ka kya kahan , jo nayee kahani bana deti hai
जवाब देंहटाएंaap ke yatra ka kya kahan , jo nayee kahani bana deti hai
जवाब देंहटाएंसमझ गए...कथा ..नहीं नहीं..यात्रा का सार संग्रह ये की जब भी कभी ये सुना पढ़ा जाए की ..की चेकिंग में अमरीका वालों ने एक ब्लॉगर का..पता नहीं क्या क्या उतरवा के चेक किया....तो ...अरे अब नाम बताना जरूरी है का...वैसे लाल टी शर्ट..करिया पेंट के साथ जाँच रहा है ..पीला होता तो का बात थी.....चलिए खुशी हुआ..ई चोरी चकारी वाला धंधा उहाँ भी चल रहा है ...अब कौनो यात्रा पर संभाल कर जाइयेगा...छोडिये ..काहे सँभालने संभालने का बात करें....एगो पोस्ट मारा जाएगा हम लोगों का ..
जवाब देंहटाएंabhi ke dobara aaye hai padhne aur hasne ke liye,bahut hi mazedar,jitni baar padho,ghar mein bhi sab ko padhwaya,sab haasn rahe hai:);),jitni post jaandar,tipani padhke bhi haansi aa rahi hai,:):).chor ke saath jyada sahanubhuti lagti hai sab ki:);).sir ji bahut badhiya post.kabhi kabhi anjaane hi muskaan denewaleka shukriya bhi ada karna achha lagta hai ,thanks for all the smiles ever ur posts have given so many times.
जवाब देंहटाएंहोता है, होता है !
जवाब देंहटाएंअब तक तो वापस आ गए होंगे
जवाब देंहटाएंरही बात पैंट की तो, ऊ तो अब झोला बन चुके होंगे (भारत में तो यही होता है)
पहले पैंट फिर झोला फिर पोछना
वीनस केसरी
समीर भाई सच सच बताइयेगा कि ये सब आपके साथ होता भी है या फिर ये आपके कवि मन की कल्पना की जबरदस्त उड़ान है? आखिर आप बैठते भी तो उड़नतश्तरी पर हैं।
जवाब देंहटाएंबताइयेगा जरूर, सत्यता।
समीर भाई आपके लिये एक नई कविता का शीर्षक दे रहा हूँ बारह कवितायें,सात पैंट और एक स्कॉचवैसे यह कानपुर उन्नाव बान्दा मानिकपुर इधर अनूपपुर शहडोल तरफ भी है । अमेरिका कुछ भी कर ले हमसे बड़ा किसी चीज़ में नही हो सकता । आप सलामत रहें ऐसे हज़ारों पैंट कमीज़ें,चड्डियाँ,कवितायें और स्कॉच की बोतलें आप पर निछावर .बाकि विपदा में भी हँसना कोई आपसे सीखे -शरद कोकास
जवाब देंहटाएंThursday, August 20, 2009
जवाब देंहटाएंPosted by shama at 11:56 PM
'एक सवाल तुम करो ' इस प्रश्न मंचपे आप तशरीफ़ लाये ...हमारा सौभाग्य है ...एक अदना -सी कोशिश है , सामाजिक सरोकार मद्दे नज़र रखते हुए ,जन जागृती की । इसीसे जुदा, लेकिन एक अलग मंच बनेगा,' आईये हाथ उठायें, हमभी'....यहाँ पे सकारात्मक सुझाव बड़े सन्मान के साथ अपेक्षित होंगे...
आपका आलेख एक अलगही दुनिया में ले गया..ये हुनर आप ही जानते हैं,जिसकी कायल हूँ॥
धन्यवाद सहित
शमा
http://shamasansmaran.blogspot,com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
sameerbhai...aapne to kamal kardi .....huuuuuuu ....waah !
जवाब देंहटाएं-----eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
नीरज भाई से मुलाकात अच्छी रही, "लाल शर्ट और ब्लैक फुल पैण्ट" में जंच खूब रहे थे।
जवाब देंहटाएंवाक्या और घटनाएं खुखद व चटपटी एहसास देने वाली रही।
sameer bhai,
जवाब देंहटाएंapki post bahut hi rochak ban gayi hai.apki lekhan shaili sachmuch sarahneey hai.apke manthan aur chintan ko pranam. dil se badhai!!
काश आप अपने बैग में अपना पता भी छोड़ देते...चोर आपकी कवितायेँ पढ़ कर बैग आपके घर अपने आप छोड़ने चला आता और कसम भी खाता की आगे से कभी भूल कर भी आपके सामान /बैग को हाथ नहीं लगाएगा बल्कि अपने सभी साथियों को भी आगाह कर देगा की भाइयों और बहनों इस इंसान के सामान से दूर रहना....(हाहा हाहा हाहा हाहा)
जवाब देंहटाएंऔर कहीं गलती से उसने आपकी कवितायेँ पढ़ लीं और समझ लीं तो उसे ढूंढ़ना और भी आसान हो जायेगा...पूछिए कैसे? आसान जवाब है...आप उसे स्थानीय पागल खाने में अपनी कविताओं का पाठ करते हुए पकड़ सकते हैं...(हा हा हा हा हा हा )
उम्मीद है मेरी बात का बुरा नहीं मानेगे...वैसे मुझे इस कांड के बाद आपसे पूरी हमदर्दी है...हो सकता है आप का बैग मिल जाये...आखिर चमत्कार भी तो होते ही हैं दुनिया में...हमारे भारत में तो होते हैं...अमेरिका में भी होते होंगे...नहीं?
नीरज
लाल शर्ट और काली पेंट :) ये तो होना ही था
जवाब देंहटाएंबात परेशानी की थी फिर भी आपने बेहतरीन लफ़्ज़ों मे दर्शाया है,चलिए शुक्र है 7 दिन कट गये यात्रा के..
जवाब देंहटाएंसंस्मरण बढ़िया रहा,
आगे के लिए "Happy Journey"..
घबराएँ नहीं. यह कांड न कहिये, यह तो प्रभू आपकी परीक्षा ले रहे हैं. प्रभू अपने भक्तों की परीक्षा तो लेते ही हैं. प्रसाद-स्वरूप इन्हें स्वीकार करें और फल-स्वरूप टिप्पणियों में ग्रहण कीजिए.
जवाब देंहटाएंआपकी कलम दीर्घ आयु तक इसी तरह से चलती रहे, लोगों को आनंद मिलता रहे - यही दुआ है. अब आप अपनी महानता का अंदाजा लगाईये कि नुक्सान जैसे दुःख से भी लोगों को आनंद बाँट रहे हैं.
महावीर शर्मा
मौजी और मस्त हैं आप:)
जवाब देंहटाएंहारा कभी जो मन वो तुमसे हारा है
जवाब देंहटाएंदर्पण मेरे आगे है और प्रतिबिम्ब तुम्हारा है
आपके ब्लॉग पर अनायास ही खींचा चला आता हूँ
और ये उम्मीद करता हूँ कि कुछ रोचक पढने को मिलेगा
नयी पोस्ट के इन्तिज़ार में
भाई जी कोई ख़राब स्काच भी होती है क्या :)
जवाब देंहटाएंवाकई यात्रा के दौरान सामान खो जाए तो बड़ी दिक्कत होती है!!
जवाब देंहटाएंयहाँ के लोगों के साईज़ अजब है. इनकी कमर हमें अट जाये, तो लेन्थ डबल होती है और अगर लेन्थ फिट तो कमर आधी से भी कम.
ऑल्टरेशन की सुविधा नहीं होती क्या? इधर तो हर बड़े स्टोर में ऑल्टरेशन का काऊंटर होता है, यदि कोई पैंट जीन्स आदि खरीदी है वहाँ से और उसकी लंबाई अधिक है या कमर ढीली वगैरह है तो स्टोर का ही दर्जी उसको आपके माफ़िक बना देता है फ्री फोकट में। अर्जेन्ट हो तो यह काम 1-2 घंटे में भी करवाया जा सकता है (पॉवर ऑफ़ परसुएशन)। :)
वैसे मैथिली जी ने बात तो सही पूछी है, चोर ने आपकी कविताओं का क्या किया होगा? क्या-२ संभावनाएँ हैं? :)
हा हा ! जो भी हो हमें तो बड़ा मजा आया :)
जवाब देंहटाएंवैलकम बैक है जी।
जवाब देंहटाएंकाली पैंट और लाल शर्ट में जम रहे है आप और आप के साथ हुई दुखद (वैसे पढ़ कर हमें सुखद अनुभब हो रहा है )के लिए ह्रदय से सहानुभूति
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
Kabhi ghar par bhi raha kariye.
जवाब देंहटाएंHa Ha Haa.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
namaskar ji,
जवाब देंहटाएंbehad prwahpoorn rachna hai ,
maja aa gaya .
red shirt ki to baat hi kuchh or hai .
renu...
बेचारा चोर, क्या करेगा पैंण्ट कमीज का!
जवाब देंहटाएंनीरज के साथ की फोटो जम रही है! मेरा भी मन लाल कमीज लेने का कर रहा है!
" सामान चोरी-लगा बांदा मानिकपुर लाईन पर यात्रा की हो."
जवाब देंहटाएंजो ‘आग’ इधर है, उधर भी है....जान कर आत्मसंतुष्टि हुई कि हम ही इक्के नहीं हैं इस हुनर में:)
क्या करोगे भला हमारी फुल पेन्टों का? सात जन्म लगेंगे हेल्थ बनाने में तुमको...
जवाब देंहटाएंवाह...वाह...समीर जी अपनी तारीफ़ आप ही.....???
और कविता?? पढ़ भी लोगे तो तुमसे सुनेगा कौन?
हा....हा....हा.....!!
लगता है वो इलास्टिक वाली पेन्ट खरीदना पड़ेगी. वन साइज फिट ऑल वाली जो गर्भवति महिलाओं की दुकान पर मिलती है कि महिने के महिने साईज बदलता भी रहे तो भी पेन्ट एडजस्ट होती जाये.
समीर जी सच कहूँ.... ये बात तो मुझे भी नहीं मालूम थी कि गर्भवति महिलाओं के लिए ऐसी पेंट भी मिलती है ...आपको तो खूब जानकारी है गर्भवति महिलाओं की ......!!
प्रभावी लेखन.
जवाब देंहटाएंकल-कल निश्छल...पहली बार ढंग से पढ़ा अच्छा लगा....
जवाब देंहटाएंकहना चाहता था बड़ा मज़ा आया, लेकिन फिर सोचा आप बोलोगे कि आप मालगाडी बने घूम रहे थे और हमको मज़ा आ रहा है!
जवाब देंहटाएंलेकिन सच में बड़ा मज़ा आया :))
गुरुदेव,अपने गुदगुदाई पुराण में आज से इस शागिर्द का भी खाता खोल लीजिए। रही बात पगड़ी पहनाने की तो बंदा ये फर्ज भी किसी न किसी दिन पूरा कर देगा। फिलहाल इस चेले की कोशिश रहेगी कि हफ्ते में कम से कम एक बार अपने स्लॉग ओवर से गुरु के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान की लकीर ज़रूर ला दे। जानता हूं किस फट्टे में हाथ डाल रहा हूं। वजनी हस्ती को हंसाने के लिेए वजह भी तो वजनी चाहिेए। गुरुदेव आपने राजेश खन्ना की फिल्म आनंद तो ज़रूर देखी होगी। बस उसमें जॉनी वॉकर के पात्र की तरह थोड़े गुर मुझे भी दे दीजिएगा कि चाहे अंदर कितना भी बड़ा दर्द क्यों ना छुपा हो, लेकिन ज़माने पर ज़रूर हंसी की नेमत बरसाते रहना चाहिए। बस अब गुदगुदाने की लगी शर्त...(आनंद स्टाइल)
जवाब देंहटाएंहँसें कि आपके नुकसान और परेशानी पर रोयें, समझ नहीं पा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंSameer Bhaiya!
जवाब देंहटाएंBADHAAYEE.
Aapka sansmarn rochak to hai hi.
Sath hi yah sandesh bhi deta hai ki Kavi ya sahityakar ko laparvah nahi hona chahiye. Sayad isi ka khamiyaja Aapne bhi bhoga hai.
हे प्रभु, इस काण्ड मैगनेट के साथ इतना बड़ा कण्ड-क्या चाहते हो!!! आगे अभी यात्रा बची ही है, जाने क्या क्या देखना बाकी है!!! क्या बात है ?
जवाब देंहटाएंश्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएं''पढ़ भी लोगे तो तुमसे सुनेगा कौन? कविता तो ठीक है, उसे सुनाना एक कला है, वो भी चुरा लोगे क्या?''
जवाब देंहटाएंसमीर जी,
ठीक है सुना तो नहीं पायेगा लेकिन ब्लॉग तो बना ही सकता है...
वाह क्या अंदाज़ है अपनी बात सुनाने का ---मानगए ॥
जवाब देंहटाएंsameer ji
जवाब देंहटाएंaapki 7 pents, 10 shirts se bechara chor ek achha-khasa tent-house chala sakta hai....
aapki kitne nekdil insaan hain...
bechara aapko dua de raha hoga...
आपके साथ भी हर वक्त नई नई घटनायें पीछे लगी रहती हैं.
जवाब देंहटाएंcharo or jab milavti saman ki khbre hai tab aapka bina milavati khalis
जवाब देंहटाएंyatra vivarn bhut sukun de gya .
मुझे बहुत दुख है कि आपका सामान चोरी हो गया । और चोर के साथ सहानुभूति भी कि उसकी मेहनत बेकार गयी ।
जवाब देंहटाएंsamaan mila ki nahi ant mein ???
जवाब देंहटाएंke wapsi bhi laal T-shirt aur kaali pant mein hui ???
Bahut Mazedaar..
इस घटना का पता ही नहीं था. आज आपकी नई पोस्ट पढ़ते समय इसके बारे में पता चला. पैंट-शर्ट गए सो गए लेकिन कवितायें भी? आप चिंता न करें. अब चिट्ठाजगत से रोज आने वाले मेल में नए ब्लॉग की सूची पूरी देखूँगा. हो सकता है कि चोर ने आपकी कविताओं के बल पर अपना हिंदी ब्लॉग खोल लिया हो. इस आशा में कि बारह पोस्ट तो पक्की. कवितायें ख़तम हो जायेंगी तो किसी और कवि का बैग मार लेगा....:-)
जवाब देंहटाएं