यहाँ हालाँकि भारत की तरह ही लेफ्ट में गाड़ी चलाते हैं और हैं भी मेन्यूल गियर मगर फिर भी स्पीड कनाडा से ज्यादा थी. लगभग पूरा सफर १३० किमी की रफ्तार से गाड़ी चलाने में आनन्द आ गया. रास्ता भी बहुत हरियाली से भरा हुआ और मौसम भी उतना ही सुहाना. बीच बीच में वो सरसों के खेत भी मिले जिनमें कभी काजोल दौड़ी थी फिल्म ’दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ के लिए.
इस बीच मेनचेस्टर भी हो आये हैं. बहुत कुछ है बताने को इन शहरों के बारे में, इनकी तस्वीरें और यहाँ आने के लिए बेल्जियम से यहाँ तक यूरोस्टार रेल से यादगार यात्रा. लगता है ३ तारीख को कनाडा पहुँच कर ही तस्सली से लिखना होगा.
हाँ, कनाडा जाने के नाम पर एकाएक आज अरविन्द मिश्रा जी की पोस्ट पर नजर पड़ी. टीवी पर तो खैर देख ही रहे थे कि कनाडा-अमरीका में स्वाइन-फ्लू का प्रकोप हुआ है और इसके महामारी बन जाने का खतरा विश्व स्तर पर मंडरा रहा है.अखबार और टीवी देखता हूँ तो हर अमरीकी और कनैडियन परेशान और हैरान. साबुन से बीस बार हाथ धोये जा रहे हैं. हर बार डिसइन्फेक्टेन्ट लगा रहे हैं जैसे बर्ड फ्लू के समय एतिहात बरते जा रहे थे. लग रहा है मानो इससे बच गये तो अमर हो जायेंगे. फिर कभी नहीं मरेंगे.
एक पतले से धागे का फासला है जिन्दगी और मौत के बीच. धागा टूटा नहीं कि आप उस पार. फिर भी जीजीविषा की मोटी रस्सी आपको उस धागे से पार जाने से रोके रखने का अंतिम क्षणों तक प्रयास करती रहती है. न जाने क्यूँ?
खैर, मिश्र जी को पढ़ा, टीवी देखा, अखबार पढ़ा-जाना और समझा. जाना तो वहीं है. तसल्ली ये लग गई कि यह महामारी सूअर के माध्यम से फैल रही है. बहुत राहत लगी कि हम तो सूअर खाते नहीं. ये तो गोरे जाने, उनकी परेशानी है.
मन ही मन बड़े खुश और लगे सोफे पर लेटकर मूवी देखने ’रब ने बना दी जोड़ी’. प्रिन्ट शायद थो़ड़ा खराब था तो मन भटका. विचार फिर मन में कौंधे कि आखिर मैं कितना सेफ हूँ सिर्फ इसलिए कि सूअर नहीं खाता. अवलोकन करते ही चौंक पड़ा-अरे, काहे का सेफ!!! सूअर भी तो सूअर कहाँ खाते हैं? फिर भी मेन रोल में वो ही हीरो हैं इस एपिसोड के. फिर अपने काहे के सेफ?
चलो, देखी जायेगी. जाना तो है ही है. कनाडा भी और उपर भी. जब जो जो बदा होगा, तब वो वो झेलेंगे.
एक मजेदार बात तो भारत से निकलते वक्त ऐसी हुई कि क्या कहें.
अक्सर ही कनाडा आते समय जबलपुर से दिल्ली फ्लाईट के दो दिन पूर्व आ जाता हूँ ताकि मन भी शांत हो ले और इत्मिनान से निकलें. पीछे छूटे परिवार के सदस्य और साथी भी इस सेटलमेंट टाइम में सेटल हो जाते हैं कि अभी तो भारत में ही है. सब सोच का खेल है. हर बार ग्रेटर नोएडा में चाचा के घर ही रुकना होता है. इस बार चलते वक्त बेटे का फोन आ गया कि हयात होटल के पाइंट पड़े हैं, आप इस्तेमाल कर लिजिये. हमने भी सोचा, चलो हयात में रुक लेते हैं और भीका जी कामा प्लेस वाले हयात में कमरा बुक करा लिया.
बार बार रुकते रुकते बेटा उनके डायमंड कल्ब का मेम्बर हो लिया है तो होटल वाले जरा एकस्ट्रा सजग थे और हमसे पूछा कि सर, आप और मैडम आ रहे हैं तो रुम अपग्रेड कर दें. हमें भी क्या, हमने कह दिया-कर दो.
होटल पहुँचे तो बेहतरीन रुम इन्तजार कर रहा था. पहुँचते ही नहाने चले गये और जब निकल कर आये तो पत्नी हा हा करके हँसते मिली. माजरा कुछ समझ नहीं आया. जब उसकी हँसी रुकी तो जो उसने बताया कि हम तो मानो इस उम्र में आकर शर्म से लाल टाईप हो गये.
दरअसल, अपग्रेड में हयात नें हमें हनीमून वाला कमरा दे दिया जिसके बाथरुम की दीवाल पूरे काँच की थी. कमरे में चूँकि रोशनी एकदम मद्धम थी तो हमें तो बाथरुम से कमरा ज्यादा नहीं दिखा और न ही उस ओर ध्यान गया किन्तु कमरे से पूर्ण रोशन बाथरुम का एक एक नल नजर आ रहा था. बताईये, यह भी कोई बात हुई. भले ही कोई हनीमून पर भी आया हो, नहाते हुए क्या देखना भाई!! हमारी तो खैर समझ के बाहर है.
यूँ तो पारदर्शिता बहुत अच्छी बात है किन्तु हर जगह नहीं. सारी भैंसे एक ही लाठी से नहीं हाँकी जाती.
शाम को कुछ गेस्ट भी आमंत्रित थे कमरे में. हम सोचने लगे कि अगर उन्हें बाथरुम जाना हुआ तो? और वैसे भी पता लगने के बाद तो हम खुद ही न इस्तेमाल कर पाते. तुरंत फ़्रंट डेस्क को फोन किये. अपना कमरा दूसरा करवाये..नार्मल बाथरुम वाला, तब जा कर चैन में चैन आया.
हाँ, अगली रात एक मित्र परिवार के साथ जामा मस्ज़िद के पास वाले करीम पर जाकर खाना खाया-जबदस्त और अद्भुत अनुभव. बहुत पुरानी तमन्ना थी वहाँ जाकर खाना खाने की, सो चलते चलते पूरी हुई. जितनी ख्वाईशें ऐसे ही पूरी होती चलें, बस काफी है वरना तो:
हजारों ख्वाईशें ऐसी की हर ख्वाइश पर दम निकले
अब यूँ ही एक विडियो जो यू ट्युब पर मिला:
ये वाला फ़्लू तो आदमी से भी फ़ैल रहा है जी। मुंह बांध के रखने का।
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं ,एहतियात बरतिए बस.यात्रा संस्मरण ,चित्र के साथ पढने की इच्छा बलवती हो उठी है जल्द पोस्ट करें .
जवाब देंहटाएंअरे समीर भाई , क्या छाँट के वीडीयो लाये हैँ आप भी ..हँसते हँसते बुरा हाल हो गया मेरा! और होटल " हयात " मेँ खूब मजे कीये आपने क्यूँ ? ;-)) सौ. साधना भाभी जी की और आपकी तस्वीरेँ माशाअल्लाह बढिया आयीँ हैँ - बहुत स्नेह के साथ, - लावण्या
जवाब देंहटाएंढ़ंग बहुत रोचक लगा देखा सब वृतांत।
जवाब देंहटाएंपढ़ता हूँ जब आपको हो जाता मन शांत।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
लिल्लाह दिखाते तो हैं ट्रेन के सफ़र का वीडियो और जाते हैं प्लेन से ! मूलतः आप मनोविनोदी स्वभाव के हैं -हर घाव घड़ी में हास्य ढूंढ ही लेते हैं !
जवाब देंहटाएंहाँ हाथ धोते रहना मत भूलियेगा ! सूअर न खाएं मगर सूअरों ( के खाने वालों की ) की सोहबत तो
मजेदार पोस्ट... आपकी यात्रा संस्मरण का इंतज़ार रहेगा.. वैसे अभी अभी पीटीआई ने जानकारी दी है की स्वाइन-फ्लू पोर्क खाने से नहीं होता. लेकिन इस बीमारी की वजह से कई मुल्कों में पोर्क का आयात बंद करा दिया गया है.. इससे हो रहे नुक्सान से निपटने के लिए लोग इसका नाम बदल कर मेक्सिकन फ्लू करने की सोच रहे है.
जवाब देंहटाएंभुवन वेणु
- लूज़ शंटिंग
बहुत कुछ है बताने को इन शहरों के बारे में, इनकी तस्वीरें और यहाँ आने के लिए बेल्जियम से यहाँ तक यूरोस्टार रेल से यादगार यात्रा. लगता है ३ तारीख को कनाडा पहुँच कर ही तस्सली से लिखना होगा.
जवाब देंहटाएंइंतजार रहेगा आपकी पोस्टों का ..
अपग्रेड सोच समझ कर करने की चीज है आपके अनुभव से ज्ञात हुआ .
जवाब देंहटाएंसहमत हूं आपसे। हर जगह पारदर्शिता अच्छी नही। ये नया अनुभव है पारदर्शिता का।
जवाब देंहटाएं"सुअरी जुकाम" अब आदमी को भी होने लगा है - इससे सिर्फ यही पता चलता है कि आदमी और सुअर में अब कितनी समानतायें हो गयी है।
जवाब देंहटाएंकरीम की याद दिलाकर आपने बड़ी बेदर्दी दिखायी। १३,००० किलोमीटर दूर से तो खुशबू भी नहीं ले सकता। वैसे भी वहाँ १-२ ही शाकाहारी भोजन बनते हैं ("अंगूर खट्टे हैं")।
आपका पारदर्शी बाथरूम तो फिर भी अच्छा था, जरा इसे देखिये!
समीर भाई,
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट पढ़ते पढ़ते जैसे ही मज़ा आने पता लगा आपकी पोस्ट समाप्त हो गयी .पोस्ट पढ़ते समय ऐसा लग रहा था जैसे मैं आपके साथ साथ चल रहा हूँ और इंजॉय कर रहा.इस पोस्ट की जितनी तारीफ की जाय कम है.शायद मुझे रोमांटिक बातें अच्छी लगती हैं. पोस्ट के रूप में आपने यात्रा ही करा दी .धन्यबाद .
समीर भाई,
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट पढ़ते पढ़ते जैसे ही मज़ा आने लगा,पता लगा आपकी पोस्ट समाप्त हो गयी.पोस्ट पढ़ते समय ऐसा लग रहा था जैसे मैं आपके साथ साथ चल रहा हूँ और इंजॉय कर रहा इस पोस्ट की जितनी तारीफ की जाय कम है.शायद मुझे रोमांटिक बातें अच्छी लगती हैं.पोस्ट के रूप में आपने यात्रा ही करा दी.धन्यबाद.
BADE BHAAEE SAHIB KO NAMASKAR,
जवाब देंहटाएंWAAHI JI WAAH BAHOT HI BADHIYA SASMARAN LIKHAA HAI AAPNE , UPAR SE WO BATHROOM WAALI BAAT TO BAHOT JAMI ,HA HA HA ... SACH KAHUN RO KAREEM ME KHAANE KA EK APNAA HI ANUBHAV HAI.. LAZIZ AUR LAAZAWAAB....
DHERO BADHAAYEE AUR AABHAAR AAPKA
HAAZAARO KHWAHISHEN AISI KE HAR KHAAHISH PE DAM NIKALE..
BADE BE-AABARU HOKAR TERE KUCHE SE HAM NIKALE..
SAHI KAHAA AAPNE...
ARSH
जाना तो है ही है. कनाडा भी और उपर भी. जब जो जो बदा होगा, तब वो वो झेलेंगे.
जवाब देंहटाएंवाह जी सूअर चिंतन को आपने भारतिय दार्शनिकता से लिया. बडा अच्छा लगा. पर इन सूअरों ने कल के शेयर बाजार लुढका िये.:)
कमरे वाली बात पर बहुत आनन्द आया. क्या आनन्द आया होगा?
वैसे रामप्यारी बोल रही थी कि उसने आपका इंटर्व्यु हयात रिजेंसी मे लिया और उसको आपने हयात के आंगन रेस्टोरेंट मे ही लंच कराया.
हमने सोचा कि हमको जलाने के लिये कह रही है. पर अब लगता है रामप्यारी भी कभी कभी सच बोल ही देती है.
वैसे रामप्यारी ने ये बाथरूम वाली बात हमे बता दी थी जिस पर अब यकीन आया है.:)
रामराम.
हा हा हा ..सही कहा पारदर्शिता जरुरी है पर हर जगह नही...एतिहातन डाक्टरों के द्वारा दिए गए बचाव के सभी नियमो का पालन करें.
जवाब देंहटाएंहम्म....
जवाब देंहटाएंविडियो का उपदेश :- कराची से ईद मनाने अंदरूनी मुल्कों में जाते लोगों को कवर नहीं करना चाहिए.
Sameerji...aapke lekhanke baareme maine kya kehna hai...itnee qabiliyathee nahee...balki bade dinose aapka koyi maargdarshan mujhe mila nahee...narazeekee wajeh jaan saktee hun?
जवाब देंहटाएंFilhaal," aajtak yahantak" is blogpe kuchh sansmaran likh rahee hun...dua karen ki, "duvidhawalee" durgatee na ho....!
एक पतले से धागे का फासला है जिन्दगी और मौत के बीच. धागा टूटा नहीं कि आप उस पार. फिर भी जीजीविषा की मोटी रस्सी आपको उस धागे से पार जाने से रोके रखने का अंतिम क्षणों तक प्रयास करती रहती है. न जाने क्यूँ?
जवाब देंहटाएंइसी दर्शन के लिये तो आपके पास आता हूं।
वीडियो देखकर तो मजा आ गया। मुझे लगा भाटिया जी भी आ गये हैं।
नमस्कार स्वीकार करें
हनीमून मुबारक :)
जवाब देंहटाएं:) हयात एपिसोड बेस्ट लगा :) और जीने की जिजीविषा ..एक सच बात कहती है .....
जवाब देंहटाएंहा हा ! हनीमून मुबारक :-)
जवाब देंहटाएंऔर सूअर भी तो सूअर नहीं खाते. बात में दम है .
समीर जी,आप का यह संस्मरण पढ़ कर ज्ञानवधर्न हुआ। ;))
जवाब देंहटाएंवैसे ऐसी पारदर्शिता अब अपने देश मे भी बढ़ती जा रही है।
मजेदार लेख बहुत मजा आया...
जवाब देंहटाएंवीडियो भी अच्छा है...
हा हा हा...
मीत
किसी भके मानुष ने कहा है कि its never late for another honeymoon...
जवाब देंहटाएंरोचक दास्तान
मधु-यामिनी की मुबारक बाद
आपका लेख पढा मज़ा आगया फिर आखिर मे वीडियो देखा तो मज़ा दोबाला होगया :)
जवाब देंहटाएंआपको ऐसा कमरा देने के पीछे किसी की साजिश लगती है. वैसे तो ............... ठीक ही था.रही बात खतरे की तो ऐसा तो नहीं कि पहले खतरे पैदा किये जाते हों फिर वैक्सीन बनाई जाती हो.
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है....ये आपको पढ़ कर ही मालूम होता है...रोचक किस्से सुनाये आपने....वैसे ऐसे किस्से हमारे पास भी हैं लेकिन कभी मिले तो सुनायेंगे...यूँ सार्वजनिक करने योग्य नहीं हैं....कनाडा पहुँचिये फिर मिलने आते हैं आपसे....अगले माह शायद नियाग्रा जाने का कार्यक्रम बने....
जवाब देंहटाएंनीरज
हयात में सूअर चिंतन....का बोध ......जीवन कैसा दार्शनिक हो चला है.....उसके बाद पारदर्शी बाथरूम में इन्सान.....जीवन कितना पारदर्शी है.....सोचिये गर कोई मेहमान अचानक आ जाता.......वैसे बैगानी जी की बात मै भी दोहराता हूँ....हनीमून मुबारक हो
जवाब देंहटाएंmajedaar post...agli post ka intzaar hai...
जवाब देंहटाएंmajedaar post...agli post ka intzaar hai...
जवाब देंहटाएंrochak sansmaran, dilkhush.
जवाब देंहटाएंkal hi log aapki pukar kar rahe the aur AAJ HI AAP HAAZIR.
जवाब देंहटाएंजब निकल कर आये तो पत्नी हा हा करके हँसते मिली. माजरा कुछ समझ नहीं आया. जब उसकी हँसी रुकी तो जो उसने बताया कि हम तो मानो इस उम्र में आकर शर्म से लाल टाईप हो गये.
जवाब देंहटाएंदरअसल, अपग्रेड में हयात नें हमें हनीमून वाला कमरा दे दिया जिसके बाथरुम की दीवाल पूरे काँच की थी......
हा...हा....हा..........!!!!!!
पहले तो आप की पोस्ट पढकर ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई, ऊपर से वीडियो देख कर तो हंसी रूकने का नाम ही नहीं ले रही.....
जवाब देंहटाएंसूअर से जितने मरेंगे, उससे ज्यादा तनाव या अवसाद से मरते हैं। पर उनके लिये इतना पेनिक नहीं है।
जवाब देंहटाएंयह सनसनी कुछ फर्मों और लोगों को मालामाल बना देगी और कुछ लोगों को शेयर बाजार पटकने का मौका देगी।
बाकी उसके बाद सूअर भी रहेंगे और फ्लू भी और आदमी भी!
संभल कर रहिएगा, वर्ना परेशानी भी हो सकती है।
जवाब देंहटाएं----------
सम्मोहन के यंत्र
5000 सालों में दुनिया का अंत
ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंmaza aa gaya
आजकल तो लोग घर में भी कांच के बाथरूम लगवाने लगे . भला हो किसी जासूस पत्रकार की नजर नहीं पड़ी :)
जवाब देंहटाएंबेचारे समीर अंकल.. :)
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया के लफड़े क्या आपकी किस्मत में ही लिखे हैं? जब देखो तब आपके साथ कुछ करिश्मा हो जाता है. :)
जवाब देंहटाएंसमीर जी,
जवाब देंहटाएंजैसे हर बार हम भगवान का शुक्र अदा करते रहते हैं कि चलो ऐसा ना हुआ वैसा ना हुआ तो आप भी कर ही लें। खुदा ना खास्ता नहाते-नहाते ही मेहमान आ जाते तो..... (-:
मज़ा आ गया पड़कर .....
जवाब देंहटाएंप्रियवर समीर लाल जी!
जवाब देंहटाएंआपकी पूरी यात्रा बड़े मनोयोग से पढ़ी। सूअर के सुन्दर चित्र भी देखे। बाथरूम का काँच भी देखा। बाथरूम के सामने एक सुन्दर छवि के भी दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। शायद वो अपकी जीवन-संगिनी होंगी।
उनको मेरा अभिवादन पहुँचाने की कृपा करें।
आपका यात्रा वृत्तान्त बड़ा अच्छा लगा।
आगे इसी शैली में कुछ और भी लिखें।
प्रियवर समीर लाल जी!
जवाब देंहटाएंआपकी पूरी यात्रा बड़े मनोयोग से पढ़ी। सूअर के सुन्दर चित्र भी देखे। बाथरूम का काँच भी देखा। बाथरूम के सामने एक सुन्दर छवि के भी दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। शायद वो अपकी जीवन-संगिनी होंगी। उनको मेरा अभिवादन पहुँचाने की कृपा करें।
आपका यात्रा वृत्तान्त बड़ा अच्छा लगा। आगे इसी शैली में कुछ और भी लिखें।
आपके युरोस्टार के चित्रों को देखने की ख्वाईश है.जरूर पोस्ट करें.
जवाब देंहटाएंवाह सूअर की फोटी भी क्या लगाई है आपने। और वीडियो तो कहने ही क्या हंसते हंसते लोटपोट हो गए इसे देखकर...
जवाब देंहटाएंSAMEERJI, sujhav k liye dhanyavvd..
जवाब देंहटाएंaapke aadeshanusar word vrfcn hata diya hai..wish you all the best
-albela khatri
www.albelakhatri.com
धयान दे अब यह रोग टिपणियो से भी फैलने वाला है |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सचित्र यात्रा संस्मरण और सुअरों से फ़ैल रही बीमारी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा. आभार
जवाब देंहटाएंसूअर तो सदा ही रहेगा बेचारा
जवाब देंहटाएंनहीं खाता है कभी भी वो चारा
Wah gurudev chhaa gaye
जवाब देंहटाएंवाह-२, कमरा तो बढ़िया चकाचक मिला था आपको, खामखा बदलवा लिए!! ;)
जवाब देंहटाएंऔर दिल्ली आए लेकिन हमसे न मिले, यह अच्छी बात नहीं है समीर जी। कौनो नाराज़गी है का? :(
वाह...समीर भाई...........दिल्ली की बात भी याद गार बन गयी...............पहले तो शुक्रिया भाभी की फोटो लगाने का...........दूसरा आपकी सुन्दर पोस्ट के लिए.............आपका यात्रा वृत्तान्त, लन्दन का स्टे, गाडी की तेज़ रफ़्तार .........वैसे तो आपका पूरा अंदाज ही लाजवाब है..
जवाब देंहटाएंबड़ी मज़ेदार आपबीती रही ये भी।
जवाब देंहटाएंसमीर जी ,
जवाब देंहटाएंआपका जबाव नहीं प्यार को कितने प्यार से लिखते हैं.दूसरों का दिल जीतना आपको आता है.
जीवन आपका प्यारमय हो. बधाई.
बढ़िया है वह तस्वीरें ज़रूर दिखाइए।
जवाब देंहटाएं---
तख़लीक़-ए-नज़र । चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें । तकनीक दृष्टा
आपका यात्रा वृत्तान्त बड़ा अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंलेकिन डरने की कोई बात नहीं है बस एहतियात बरतिये बाकी रब भली करे सबकी
majedaar raha padhna.
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा. यह भी खूब गुजरी आप पर.
जवाब देंहटाएंफ्लू से बचिएगा, कैसा भी हो।
जवाब देंहटाएंअरे! आप हमारी गली से गुजरे और एक दस्तक भी न दी?
जवाब देंहटाएंहयात के सुख हमारी झोपडी में कहाँ :-)
mama ji ise par kar to mai has has k pagal ho jaugi
जवाब देंहटाएंhayat wali bat par kar
waise mami bahut pyari lag rahi hai
mai to haste haste pagal ho jaugi mama ji aapki hayat wali bat par kar.
जवाब देंहटाएंwaise mami bahut pyari lag rahi hai
जानी जिनके बाथरूम शीशे के होते है , वो लाईट बंद करा के नहाते है !
जवाब देंहटाएंha ha ha
जवाब देंहटाएंvideo bahut pasand aaya. H1N1 behataqr nam haiswine flu se so usaka dar to yanha bhee hai. par aise to kaee kaee dar hum pacha ke baithe hain.
जवाब देंहटाएंअजी मजा आ गया आपकी इस पोस्ट को पढकर। सुबह से अब जाकर हँसी आई है। शुक्रिया जी हँसाने के लिए।
जवाब देंहटाएं