बुधवार, जनवरी 14, 2009

एक जिज्ञासा का निराकरण!!

एक किस्सा याद आता है जब त्रिलोकी से उसके बाप ने कहा कि बेटा जा, पंसारी के यहाँ से मेरे लिए सौदा ला दे. त्रिलोकी घर से निकल ही रहा था कि सामने से चाचा आता दिख गया. त्रिलोकी को बाजार जाता देख कर चाचा बोले कि बेटा, पहली गली से मत जाना, बहुत गोबर पड़ा है. देख मेरे पूरे जूते खराब हो गये. आगे वाली गली से चला जा.

त्रिलोकी हामी भर के चल पड़ा. मगर बड़ों की बात माने तब न.

वो पहली गली से ही गया. जैसे ही गली में घुसा, सामने ही गोबर जैसा कुछ नजर आ गया. वो उससे बच कर आगे निकल गया. जरा दूर पर उसे ख्याल आया कि क्या पता जिसे चाचा ने गोबर समझा वो गोबर था भी कि नहीं. वो लौट कर उसके पास बैठ कर नजदीक से देखने लगा कि हाँ, है तो गोबर ही. फिर उठ कर चल पड़ा. मगर मन नहीं माना, क्या पता देखने में जो गोबर लग रहा है शायद गोबर न हो. वो फिर लौटा और उसे छूकर देखा. उसे लगभग भरोसा हो गया कि गोबर ही है तो वह चल पड़ा.

मगर हाय रे मन, फिर वही संशय अतः लौट कर उसने उसे हाथ में थोड़ा सा उठाया और महक कर देखा. अब तो उसे विश्वास सा हो गया कि गोबर ही है. फिर चला बाजार मगर क्या कहें. एक बार फिर फाइनली वापस, उठाया और चख कर देखा फिर गंदा सा मूँह बनाते हुए खुद से ही कहा कि चाचा ठीक कह रहे थे. अच्छा हुआ मैं बच कर निकला वरना जूते खामखां खराब हो जाते. इसी सोच में खुद को शाबाशी देते हुए वो खुशी खुशी आगे बढ़ा और मारे अपनी होशियारी पर प्रफुल्लित होते हुए अगले गोबर के ढेर पर नजर न डाल पाया और जूते उसमें सन कर खराब हो गये.

कौन मानता है बड़े बुजुर्गों की सलाह. उनके अनुभव का लाभ उठाना तो दूर, सुनना तक सदियों से कोई पसंद नहीं करता. सब अपने आप में होशियार फन्ने खां हैं जब तक अपना जूता सान नहीं लेंगे मानेंगे थोड़े ही न बिना चखे!!

कोई आसान काम नहीं होता जब आप अपने लिए संकट को खुद तलाशें. विपदा का खुद बुलायें. (पत्नी से सुरक्षा कवच: ये हम नहीं कह रहे, बल्कि इतिहास में लिखा है. हमारा अनुभव इससे इतर है) :) अपनी आजादी को दांव पर लगा दें. हँसते मुस्कराते नाचते गाते जिन्दगी का रुप बदल देने वाले क्षण का आत्मियता के साथ स्वागत करें. ठीक वैसी ही बात हुई कि कोई जानकार बता रहा हो कि भागो, सुनामी की लहर उठ रही है और आप हैं कि समुन्दर की दिशा में ही मुस्कराते और नाचते चल पड़े. फिर तो आप वीर ही कहलाये और आपका ईश्वर ही मालिक है.

जिस मौज मस्ती से अपने मन के मालिक हुए फिरते थे, उसे एक पल में तिलांजलि दे दें. फक्कड़ी का मस्त जीवन त्याग दायित्वों की गंभीरता का लबादा ओढ़ लें.

तिस पर से इस बात पर लोगों को निमंत्रित करें, भोज का आयोजन करें और खुशी खुशी अपने मैं को तुम ही तुम हो में बदल दें.

मित्र, इसीलिए हर शादी में बैण्ड पर यह घुन बजायी जाती है कि

’ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का, मस्तानों का...

इस देश के यारों क्या कहनें...

ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....

हो हो....

इस देश का.........

यारों क्या कहना.....’


सारे बुजुर्ग नाचते हैं कि चलो, हमारे समझाये तो नहीं समझे. अब मजा चखो, हमारी बात न मानने का. अब समझ में आयेगी बच्चू कि बुजुर्गों के अनुभव को दो कौड़ी का समझने का अंजाम क्या होता है.

जवान नव शादी शुदा भी नाचते है कि हम फंस ही चुके हैं लो तुम भी अटको.

गैर शादी शुदा इसलिए नाचते हैं कि उन्हें लगता है यह उत्सव का विषय है (गैर अनुभवी होते हैं न!!)

बिना वीर हुए और साथ ही जवान हुए (ऐसी बेवकूफी करने के लिए ) क्या ये संभव है कि ऐसा करे? मगर फिर भी यह हमेशा होता रहा है..एक सतत प्रक्रिया है. जवान शहीद होते जाते हैं और बैण्ड वाले बजाते रहते हैं:

’ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का, मस्तानों का...

इस देश के यारों क्या कहनें...

ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....


आशा है आपकी जिज्ञासा कि ’हर शादी में यह विशेष धुन क्यूँ बजाई जाती है” का निराकरण हो गया होगा. ( यह जिज्ञासा अभिषेक ओझा जी ने फुरसतिया जी की पोस्ट पर व्यक्त की थी और फुरसतिया जी को विवरण लिखता व्यस्त देख हम बीड़ा उठाय लिये सुलझाने का)

चलते चलते:

सूक्ति:

शादी वो लड्डू है जो खाये वो पछताये, जो न खाये वो पछताये.... (पुनः किसी और ने कही है, हम नहीं कह रहे)

अतः अविवाहित वीरों, हमारे समझाने से अपना शहीदाना तेवर न छोड़ना और बैण्ड वालों, तुम जारी रहो...

’ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का, मस्तानों का...

इस देश के यारों क्या कहनें...

ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....

हम नाच रहे हैं.


ये देखो व्यथा: (खूँटे से टाईप)

एक रात ३ बजे पति के रोने की आवाज सुनकर पत्नी की नींद खुली तो देखा, पति ड्राइंगरुम में बैठा रो रहा है. पत्नी ने कारण पूछा तो कहने लगा कि तुम्हें याद है आज से २० साल पहले, जब हमारी शादी नहीं हुई थी, तुम्हारे पिता ने हमें प्यार करते पकड़ लिया था और कहा था कि या तो मेरी लड़की से विवाह करो या मैं अपने आपको गोली मार लूँगा और हत्या का इल्जाम तुम पर आयेगा. तुमको आजीवन कारावास होगा. तो मैने तुमसे शादी कर ली थी. पत्नी ने कहाः हाँ याद है मगर इसमें रोने की क्या बात है? पति बोला: सोच रहा हूँ, आज मैं छूट गया होता जेल से.

101 टिप्‍पणियां:

  1. खूब रही यह आजीवन कारा की कथा ! मगर वर्जित फल खाने का मजा और ही है -भले ही बड़े बूढे कुछ ही कहते रहे !
    मगर पोस्ट का असली हेतु समझ में नही आया !

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  2. मुझे लगता है कि एक दुल्हे रुपी जानवर का दूसरे जानवर पर बैठ कर आफत को मोल लेने जाना अपने आप में वीरता का प्रतीक है, इसी वीरता को दिखाने वाले महावीर के सम्मान में गीत गाया और बजाया जाता है। उस महावीर का उत्साह बनाये रखने के लिये विवाहित शहीद और अविवाहित जवान नाचने का काम करते हैं।

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  3. यह त्रिलोकी कौन है ? और यह बातें पहले क्यूँ नही बताई . किसे डराना चाहते है आप .खूटा टाइप अनुभव आप चार पाँच साल बाद क्यूँ बताया जबाब दे

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  4. मामला तगड़ा है साहेब

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  5. भौत बढ़िया साब. वैसे सादी कोई बुरी चीज ना है. जे मुजे लग्गे.

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  6. सोच रहा हूँ, आज मैं छूट गया होता जेल से.
    ---------

    सरे आम हिंसा वृत्ति को बढ़ावा देती यह पोस्ट! टापमटाप ब्लॉगर को यह लिखना शोभा देता है? :)

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  7. चलिए जूते तो बच गए

    पर आप तो उड़ कर निकल गए

    यह कथा कहां से पकड़ ली

    आपके मार्ग में तो

    ऐसा नहीं होता है।


    आप उड़ते चाहे स्‍पेस में हैं

    पर मन का स्‍पेस
    स्‍पेस नहीं रहता है

    वह भरा रहता है।


    किस से

    किस्‍से कहानियों से

    मैंने कब कहा

    किस किया है

    आपने ही माना

    मिस नहीं किया है।

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  8. आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....

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  9. ये कोई अच्छी बात नहीं है नये-नये ब्याहे बेटे-बहू को डराना।:)

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  10. वाकई हमें बड़ों की बात तो माननी ही चाहिए..क्युनके उनके पास अनुभव है जिसका हमें सही लाभी उठाना ही चाहिए....कारा वाली बात भी बहोत खूब रही ...ढेरो बधाई कुबूल करें...


    अर्श

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  11. बेनामी1/14/2009 11:10:00 pm

    अंतिम बात के लिये - कहीं ब्लोग के कंधे में बंदूक रखकर आप खुद ही तो निशाना नही लगा रहे ना। और जरा जनाब को देखिये कनाडा की सडकों में ये देश है वीर जवानों का पर थिरक नही पाते इसलिये जवान को लेकर जबलपुर पहुँच गये।

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  12. आपके छोटने कि तारीख कब मुकर्रर हुयी होती??
    हमारे घर वाले भी मुझे इस देश का वीर जवान बनाने पर कभी कभी टूल जाते हैं.. मगर हम भी अपनी ब्लौगरी कुतर्क शक्ति के सहारे भाग निकलते हैं, जैसे खूंटा तुडा कर भगा हो.. :D

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  13. मज़ा आ गया. और यह खूंटे का प्रयोग क्या यह साबित करने के लिए है की असली ताऊ आप ही हैं?

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  14. वो जेल से छूटने के बाद भी रोता क्योंकि एक बार जेल की आदत हो जाने के बाद आजादी भी कहाँ अच्छी लगती है।

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  15. पति बोला: सोच रहा हूँ, आज मैं छूट गया होता जेल से.
    " हा हा हा हा मजेदार शायद पति की ये नही पता की ये तो आजीवन कारावास है... यहाँ छुटकारा असम्भव है....बेचारा.."
    Regards

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  16. वीरांगनाओं के बारे में कुछ नहीं ? या फिर जैसा कि सब कहते हैं स्त्री ही स्त्री की शत्रु होती है सो गोबर में पाँव रखने से नहीं रोकती ?
    घुघूती बासूती

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  17. पढ़्कर हंसे खूब हंसे। शादी वो लड्डू है जो खाये वो पछताये, जो न खाये वो पछताये.(तो जी क्यों ना खाके पछताये।)अभी भी सोच कर हंसी आ रही है।

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  18. बेनामी1/15/2009 01:18:00 am

    सब मुंडी हिला रहे हैं तो हम भी हिलाए देते हैं. बस खूंटे की बात समझ में आई. आभार.

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  19. चलो जूते तो बचे...
    बहुत खूब...आज तो बोध कथाएं पढ़ी जा रही हैं...उधर बैरागी जी के यहां आनंद लिया और अब इधर...

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  20. :) बढ़िया ..कोई किसी के तजुर्बे से नही सीखता है जी :) सही कहा आपने

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  21. 1) तन डोले मेरा मन डोले… 2)आज मेरे यार की शादी है… 3) पल्लो लटके… पर भी कुछ लिख डालिये ना गुरुजी… ये गीत भी बहुत "झिलवाये" जाते हैं बारातों में…

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  22. ठीक है , छोटे वाले की शादी में हम बैण्ड वालों में शामिल होकर आ जाएंगे !

    एक तो शादी में बुलाया नहीं ऊपर से सब के सब चिढा रहे हैं :)

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  23. शादी तो मेरी भी नहीं हुई, बतायें कि क्या नाचना इतना बुरा क्यों है?

    ---मेरा पृष्ठ
    चाँद, बादल और शाम

    ---मेरा पृष्ठ
    तकनीक दृष्टा/Tech Prevue

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  24. waah bahut khub rahi bandhan mein bandhane ki vyatha:):),aur aakhari joke ek dam mast.

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  25. कौन मानता है बड़े बुजुर्गों की सलाह. उनके अनुभव का लाभ उठाना तो दूर, सुनना तक सदियों से कोई पसंद नहीं करता. सब अपने आप में होशियार फन्ने खां हैं जब तक अपना जूता सान नहीं लेंगे मानेंगे थोड़े ही न बिना चखे!!
    बहुत सुंदर लेख...
    पढ़कर बहुत अच्छा लगा...
    ---मीत

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  26. बेनामी1/15/2009 03:08:00 am

    खूब। रही बड़े बुजुर्गों के अनुभव से लाभ उठाने की बात तो आखिर स्वयं भी कुछ चीज़े अनुभव करके देखनी पड़ती हैं। अब त्रिलोकी को जिज्ञासा थी तो बेचारे ने निवारण कर लिया नहीं तो मन छटपटाता रहता। अब यह नहीं कह रहा कि उसने सही किया लेकिन बेचारे को चैन तो मिल गया होगा ना कि शंका का समाधान हो गया! ;)

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  27. ऐसा न कहिये ,हमारे धंधे पे भी असर पड़ेगा......भाई त्वचा रोग विशेषग भी जो ठहरे ..की लोग अचानक जाग उठते है....लो डॉ अब तुम संभालो! जैसे साला कोई जादू की क्रीम है रात को लगायी सुबह गोरे हो गये दाग धब्बे गायब ...पड़ोसी कहे ....शुक्रिया तुमने मुझे भी रास्ता दिखाया .....कई लड़कियों की माँ आकर पहले ही चेतावनी दे देती है "की देखिये इसी पंद्रह को ब्याह है छोरी का.....छोरिया भी पूछ लेती है "फेयर एंड लवली लगाते रहे " ..न करो तो भी मानती नही....गोरे पण का भूत भी रोज टी वि वाले मिनटों मिनटों में अपने अंदाज में देते रहते है......
    तो शादी को आप बुरा मत कहिये जी.....ऐ जी....
    इ गाना सुनिए ...हम भी सुन रहे है.....

    ये देश है वीर जवानों का
    अलबेलों का, मस्तानों का...

    इस देश के यारों क्या कहनें...

    ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....

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  28. बड़े बुजुर्गो की सलाह लिए वगैर जो काम किए जाते है उसमे कभी कभी धोके भी खाने पड़ते है . आज अपने देशप्रेम से सम्बंधित गीत शादी के गीतों का समावेश पोस्ट में किया पढ़कर आनंद आ गया . त्रिलोकी और उसके भतीजे का प्रसंग पढ़कर लगा कि दुनिया में कैसे कैसे लोग है जो गोबर को जानते हुए भी चखकर देखते है . बड़ा रोचक लगा..

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  29. ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....

    इस पंक्ति के लिए तो सौ नंबर..

    देखिए जी आपका काम था समझाना और हमारा काम समझना.. अब समझ के अमल करना, ये हमारी ज़िम्मेदारी नही..

    आप तो शादी कर लिए और बारात में ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए.... भी कर लिए.. और हमारी बारी पे आप हमे डरा रहे है... ये सब नही ना चलेगा जी..

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  30. बहुत बढ़िया

    ---
    आप भारतीय हैं तो अपने ब्लॉग पर तिरंगा लगाना अवश्य पसंद करेगे, जाने कैसे?
    तकनीक दृष्टा/Tech Prevue

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  31. ye to bahut acha lekh raha padhkar aanand aa gaya. khub hasaya..:)

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  32. समीर जी देर से ही सही बेटे-बहू को शादी की बधाई ।

    शादी वो लड्डू है जो खाए वो भी पछताए जो न खाए वो भी पछताए ... बिना खाए पछताने से तो खाकर पछताना बेहतर है। क्यों ठीक कह रहे है न ।

    शादी मे बजने वाली इस धुन का इतना गहरा अर्थ है ये मालूम नही था । :)

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  33. 4
    4
    4
    ...

    हर कोर्स के बाद इंस्ट्रक्टर की रेटिंग करनी होती था (०-४ के स्केल पर) एक बार हम एक मैडम के कोर्स में इतने खुश थे की सवाल देखे बिना सब ४ वाले आप्शन रंग दिए. बस पहला सवाल देखा था 'डाउट क्लियर करने में इंस्ट्रक्टर कैसा था', बस उसके बाद ४ देते गए.

    बाद में ध्यान आया की इस थियोरी के कोर्स में हमने उन सवालों में भी ४ रेटिंग दे दी थी जो प्रक्टिकल और लैब से सम्बंधित थे और ऐसे कोर्सों में उन्हें खाली छोड़ना होता है :-)

    एक उन मैडम ने जिज्ञासाओं का निवारण किया था, एक आपने... सब में ४ !

    बाकी अमल करना... सोचना पड़ेगा :-)

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  34. समीर जी आप की बात मै बहुत दम है, लेकिन मेरे जेसा कम अकल तो यही सोचता है की करमॊ की सजा यही भुगत लो , फ़िर शायद यमराज को भी तरस आ जाये कि बन्दा नरक का सुख तो भोग चुका, अब इसे ....

    लेकिन वीर जवानो डरो नही, जीवन मै आफ़त से कभी नही डरना चाहिये डट कर मुकाबला करना चाहिये
    धन्यवाद समीर जी

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  35. कूदा कोई घर में तैरे यूँ धम से ना होगा,
    जो काम किया हमने वो रुस्तम से न होगा.

    जाने ना जाने क्यों याद आया ये शेर आपका लेख पढ़ के, जॉक वाले रुस्तम के रोने से शायद.
    mh

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  36. लोग कहते हैं कि जब पछताना ही है तो खाकर व अनुभूत करके पछताया जाए.पछताओ भी व वंचित भी रहो, यह कोई नेक सलाह नहीं है जी।

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  37. आपका मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है
    जितेन्द्र चौधरी जैसा सर्मपण कहां से लाए

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  38. लालाजी,

    लेख के अंत तक हमने हँसी को थामे रखा ...पर अंत होने पर स्वयं ही फ़ूट पड़ी...हर समय की तरह लाजबाब प्रस्तुति...बधाई

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  39. बहुत देर से आए टिपियाने। सही है शादी कर के नर आजादी खो देता है। मानव नर ने नारी को ही विवाह के जरिए गुलाम बना लिया। नतीजा भुगत रहा है। जब सिपाही किसी को हथकड़ी लगाता है तो दूसरा सिरा सिपाही के हाथ में होता है। दोनों एक दूसरे के बंदी होते हैं।

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  40. बहुत सटीक पोस्ट लिखी आपने. व्यन्ग का व्यन्ग और सब समझाईश भी देदी.

    असल मे आदमी सिर्फ़ अनुभव से ही सीखता है. अगर किसी के कहने से सीख जाये तो प्रेक्टीकल कहां से होगा.

    हर मां कहती है- बेटा ये आग है इसके पास मत जा.. जल जायेगा..पर एक भी इन्सान ऐसा नही है ..जो कभी ना कभी जला ना हो.. तभी तो उसे जलने की पीडा का स्वाद मालुम है.

    अगर हम गुड ना खायें तो मीठा का स्वाद क्या मालुम पडेगा?

    अत: यह सिद्ध होता है कि शादी अवश्य करनी चाहिये.. और मन माने तरीके से यानि जो अच्छा लगे वही करना चाहिये.. किसी की सलाह नही माननी चाहिये...इस तरह जल्दी अक्ल आती है. :)

    आपने भी बडा सामयीक खूंटा गाडा.

    रामराम.

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  41. भईया

    ये क्या बात हुई? अभी तो बिटिया घर आई है और आप ऐसा लिख दे रहे हैं.

    गुरु जी को दिखाऊँ?

    आप आश्रम कब आवेंगे?

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  42. हम तो अभी गधा बनने से बचे हुए हैं| देखते हैं कब तक!!

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  43. बेनामी1/15/2009 11:07:00 am

    बाबा आदम को भी मन किया गया था की बेटा फुलां फल मत खाना वरना जन्नत से बाहर कर दिए जाओगे. उसके बाद भी उन्होंने फल चख ही लिया था. क्या किया जाए आदमी का मिजाज़ हमेशा से ऐसा ही है.

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  44. अरे ...ये क्या हो रहा है यहाँ ? ये बतायेँ कि मकर सँक्रात भारत मेँ किस तरह मनाई गई ?
    पतँगेँ खूब लडाईँ या नहीँ ? खुशी मनाइये ..और बहुरानी को ब्लोग जगत से परिचित भी करवायेँ
    अच्छी पोस्ट रही ..हम तो खूब मुस्कुराये ..

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  45. इस "ऊं ऊं ऊं....टें एं एं एं" की काव्यात्मक शैली यकीन मानीये "वाजश्रवा के बहाने " को मात दे रही है....यकीनन

    इस अनूठी प्रस्तुती के लिये सरकार मैं दंडवत

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  46. ओह्हो, इस पोस्ट का यारों क्या कहना..
    यह पोस्ट है ब्लागर का गहना

    आ आआ आ अ आ आआ आ

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  47. बहुत बेहतर संस्मरण है लाल साहब पर झौंक में भी सब करेक्ट करेक्ट करेक्ट कैसे बता पा रहे है ये पक्के वक़ील हैं जी.

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  48. किसी निराकरण को इतने सुन्दर, हास्यात्मक और सहज ढ़ंग से भी किया जा सकता है ये आज आप से सीखने मिला । मालिक आप ऐसे बड़े भाई जैसे मित्र का साथ और हाथ मुझ पर सदा बनाए रखे।
    ---आपका

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  49. समीर भाई,बहुत अच्छे,बहुत शुक्रिया आपकी हौसला अफ़ज़ाई का,आपको अक्सर पढ़ता हूँ। बहुत सुन्दर लिखते हैं आप,आपकी रचनाओं से मैं काफी प्रभावित हूँ। आशा है भविष्य में हिन्दी साहित्य जगत आपसे लाभान्वित होता रहेगा.

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  50. शानदार लिखा है आपने..खूंटे पर बंधी कारा-कथा का तो कोई जोड़ ही नहीं। लेकिन सब कुछ कहते हुए भी आप कह रहे हैं कि यह आप नहीं कह रहे हैं ...क्‍या भाभी जी आपकी इन बहानेबाजियों पर विश्‍वास कर लेती हैं।

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  51. बेनामी1/15/2009 11:16:00 pm

    हम कुछ न कहेंगे। न जाने कौन बुरा मान जाये!

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  52. LOL sach kaha hai

    कौन मानता है बड़े बुजुर्गों की सलाह. उनके अनुभव का लाभ उठाना तो दूर, सुनना तक सदियों से कोई पसंद नहीं करता. सब अपने आप में होशियार फन्ने खां हैं जब तक अपना जूता सान नहीं लेंगे मानेंगे थोड़े ही न बिना चखे!!

    itna sarthak or saccha vyang yakiN nahii hota ..ni:sandeh aapka lekhan uniqe hai.daad hazir hai kubool kareN.

    aapko padhna khushnasiibi hai..or aap jaisa sahitykaar mere lafzoN ko sarahe ye mere liye fakr ki baat hai.

    aapki khushi ki kaamna karta huN .

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  53. हिंदुस्तान में हर बाप अपने बेटे को ये ही सलाह देता है की बेटा और सब कर लेना मगर शादी मत करना...नतीजा आपके सामने है...बेटे हमेशा से नालायक रहे हैं और रहेंगे...कभी अपने बाप की नहीं सुनेगे...और बाद में पछतायेंगे...पछतावे की ये गौरव शाली परम्परा सदियों से चलती आ रही है और चलती रहेगी..." जब तक सूरज चाँद रहेगा पछतावे का काम रहेगा..."
    नीरज

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  54. जिज्ञासा का निवारण हो ही गया होगा अब तक-

    ''सुनामी की लहर उठ रही है और आप हैं कि समुन्दर की दिशा में ही मुस्कराते और नाचते चल पड़े. फिर तो आप वीर ही कहलाये और आपका ईश्वर ही मालिक है."मजेदार बातें हैं-aur-iseee liye---बैंड वाले -देश है वीर जवानों का 'की धुन शादियों mein बजाते है..??
    और सूक्ति भी--शादी का लड्डू जो खाए..nachne ke logic bhi khuub!.

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  55. bete ki shadi ke baad aisa post ;) lagta hai shadi ke pahle wale chit chat ko likh diya ho aapne :)

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  56. चलो बेचारे के जूते तो बच गए चाहे टेस्‍ट किया वो कुछ नहीं क्‍या

    हा हा हा

    ये देश है वीर जवानों का
    अलबेलों का, मस्तानों का...

    इस देश के यारों क्या कहनें...

    ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....


    लिखते तो आप सदैव ही अच्‍छा हो कोई शक की गुजाइश ही नहीं है

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  57. इसी किस्से पर गुजराती में एक कहावत प्रसिद्ध है "डोढ़ डाह्या बे वार खरड़ाय" यानि जो डेढ़ श्याणा होता है वह दो बार अपने आप को गोबर से सान लेता है, पहली बार जूते फिर उंगली!
    परन्तु आपका नायक तिरलोकी तो शायद दो बार से भी ज्यादा बार अपने आप को गोबर में सान बैठा। तीसरे बार सूंघते समय हाथ हिल जाने से नाक गोबर नाक को भी लगा था।

    हर बार की तरह मजेदार लेख।

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  58. बंधु पंजाबी की कहावत है - मछली पत्थर चाट कर लौटती है! शायद गलत है - मछली लौट जाती होगी पर मछला (शायद यह शब्द है कि नहीं) पत्थर चाटा कर लौटता ही नहीं। उन्हीं पत्थरों से घर बसाने लगता है और मछली समय समय पर गाहे बगाहे उठा उठा कर बरसाती रहती है। तभी तो मेरे सिर से बाल गायब हो चुके हैं - (बहादुरी से लिख रहा हूँ कि पत्नी को कम्प्यूटर से परहेज़ है; पढ़ेगी नहीं)
    बंधु यह पत्थर आप और मैं दोनों ही चाट चुके हैं और अपने बच्चों को चटवाने में व्यस्त हैं। यही दुनियादारी है !!

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  59. 'लेट कमर्स, आल्‍वेज सफर' वाली अंग्रेजी उक्ति मुझ पर लागू हो रही है-आपकी यह पोस्‍ट आज पढ पाने के कारण।
    आनछन आ गया। मगन हो गया मन। लगता रहा, मेरी बात कही जा रही है इस पोस्‍ट में।
    जय हो।

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  60. गोबर के किस्से से आपने बहुत शानदार और गंभीर बात कह दी
    Pradeep Manoria
    http://manoria.blogspot.com
    http://kundkundkahan.blogspot.com

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  61. बेनामी1/17/2009 01:30:00 am

    वाह क्या बात हैं .... कहीं आप ही तो त्रिलोकी नाथ नहीं थे न !!

    कई दिन बाद आया ... लेकिन देखता था हमेशा ही ....

    लेकिन ऐसी खुराफात पिछले कई दिनों से आपके ब्लॉग से गायब थी .... सो आज मजा आया और जख्म के कारण मुरझा गया चेहरा फिर खिल उठा

    ... :) :)

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  62. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  63. समीर भाई
    दिल का हाल कह दिया आपने ................मैं भी आज तक मेरिज सर्तिफिकैत में एक्स्पायेरी डेट ढूंढ रहा हूँ

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  64. bahut khub. gajb guru gajab ka likh dala hai ,. anuj khare

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  65. ये क्या बात हुई, की आपके यहां अभी अभी ब्याह हुआ, और आपने अपने बेटे को बुजुर्ग वाली सलाह नहीं दी?


    इंदौरी हूं, और जबलपुर जैसा यहा भी होता है.सुरेश चिपलूणकर ने लिखे गानों के अलावा ये भी है:

    बहारों फ़ूल बरसाओ मेरा मेहबूब आया है( Fool),
    बार बार देखो हज़ार बार देखो..

    वैसे जब ये जवान बरात दुल्हन के साथ लेकर लौटता है तो ये गाना बजना चाहिये:

    दिल में छुपाके प्यार का तूफ़ान ले चले,
    हम आज अपनी मौत का समान ले चले ...

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  66. प्रभु की जय हो,
    वैसे बहुत दिनों के बाद आज आपका ब्लोग पढा , मजा आ गया भाई, और वह २० साल के उम्र कैद की बात करके आपने गुद-गुदा दिया ।
    वाह वाह...

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  67. बहुत अच्छा लिखा है उड़न तश्तरी जी आपने।
    लेकिन क्या आपकी पत्नी ने यह पोस्ट पढ़ी है ?

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  68. वाह ! क्याऽऽऽऽगबरू जवान पोस्ट है। आऽऽऽह !

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  69. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि इतिहास में लिखा है. हमारा अनुभव इससे इतर है) :) अपनी आजादी को दांव पर लगा दें. हँसते मुस्कराते नाचते गाते जिन्दगी का रुप बदल देने वाले क्षण का आत्मियता के साथ स्वागत करें. ठीक वैसी ही बात हुई कि कोई जानकार बता रहा हो कि भागो, सुनामी की लहर उठ रही है और आप हैं कि समुन्दर की दिशा में ही मुस्कराते और नाचते चल पड़े. फिर तो आप वीर ही कहलाये और आपका ईश्वर ही मालिक है.


    kya baat kah di hai

    gane wali baat kamaal rahi
    aaj tak kabhi socha hi nahi kyu bajaya jata hai ye gana

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  70. Aap log jo is sahitya jagat mein aur blog jagat mein yugon se hein, wakiye ek stambh ho gaye hei.
    Aap logon ki (khaskar aapki) ehsaason ki aanch mein paki hui blooging padh padh ke bada hona chahata hoon .abhi to mein 'infant' hoon...

    Sadar Pranam.

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  71. आपके पास इतने विषय हैं
    कि आश्चर्य होता है...लेकिन बड़ी बात यह है
    कि आप हर विषय के साथ न्याय करते है.
    =================================
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  72. क्या समीर भैया
    अब आप ने बताया नहीं की आज आपकी शादी की सालगिरह है

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  73. गिरीश जी क्या कह रहे है . भाई कल के बारे में मुझे बबाल जी ने कुछ नही बताया . आखिर माजरा क्या है .

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  74. बेनामी1/18/2009 04:38:00 am

    लेख मजेदार रहा.

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  75. ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....

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  76. अरे भई ये क्या बात कही आपने............कहीं की ईंट.....कहीं का रोड़ा.........भानुमती ने कुनबा जोड़ा......??

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  77. सही बात है समीर जी। बड़ों की बात ना सुन कर बहुत पछताना पड़ता है।

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  78. मेरे ब्लॉग पर उपस्थिति और सुंदर कॉमेंट के लिए धन्यवाद। रचना बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद है.... आपने सही फरमाया है.... कुछ लोगों की आदत होती है कि हर चिज का अनुभव स्वयं ले कर देखें... कुछ लोग ऐसे भी होते है कि ....अगर उन्हें कहा जाए कि आग में हाथ डालने से जल जाओगो।.... तो ये लोग कहना न मानते हुए आग में हाथ डाल कर देखेंगे कि जलता है या नही।.... इनका तो भगवान ही मालिक है।

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  79. कुछ लोग खुद ठोकर खाने के बाद ही समझ ते हैं ।
    काश कि हम दूसरों के अनुभव से सीख पाते । पर आखरी चुटकुले ने समा बांध दिया ।

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  80. बेनामी1/19/2009 04:39:00 am

    ek kahaani yaad aayi hai meri post par padhen

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  81. बहुत खूब समीर लाल जी. वैसे आप जिसे गोबर कह रहे हैं, हमने अपनी भोजपुरी लोक कथा में तो उसे कुछ और ही सुना था. बहरहाल, चीज जो भी हो बात आपकी सही है. काश! आप 15 साल पहले मिले होते तो शर्तिया आपकी सलाह मैं मान भी लेता. पर अब क्या करुँ? अब तो चाह कर भी आपकी सलाह मैं मान नहीं सकता हूँ.

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  82. बात तो सच है। आपकी लेख शै्ली देख कर श्रीलाल शुक्ल कि हल्कि झलक दिखाई दे्ती है। आपकी टिप्पणी मेरे ब्लाग पर पढ़ी, बहुत बहुत धन्यवाद्।

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  83. aakhir wala bahut badhiya. magar credit mat lijiye. wife ko keh dena...kahin suna tha.

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  84. दोनों किस्‍से मज़ेदार हैं। गोबर वाला और उम्रकैद वाला भी। दोनों शिक्षाप्रद भी हैं। अफसोस कि यह पोस्‍ट आपने 11 साल पहले क्‍यों नहीं लिखी।

    - आनंद

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  85. एक रात ३ बजे पति के रोने की आवाज सुनकर पत्नी की नींद खुली तो देखा, पति ड्राइंगरुम में बैठा रो रहा है. ........पति बोला: सोच रहा हूँ, आज मैं छूट गया होता जेल से.
    अरे कुछ अच्छी-२ नसीहत दीजीये , बेचारे नये-२ बने दम्पतियों को तो आप डरा ही रहे हैं :)

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  86. ये देश है वीर जवानों का
    अलबेलों का, मस्तानों का...

    इस देश के यारों क्या कहनें...

    ऊं ऊं ऊं ऊं...टैं ए ए टैं ए ए....

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  87. मैं तो डर गई :(
    फरवरी में शादी कर रही हूँ!

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  88. सोनिया गौड़ इतना डर गई हैं आपकी इस पोस्ट को पढ़कर और उसके बाद भी फ़रवरी में शादी कर रही हैं। कौन टाइप से डरी हैं भैया जे।

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  89. सुन्दर रचना है लिखते रहें। वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा लें ताकि टिप्पणी करने में लोगों को आसानी रहे। जितनी भी टिप्पणियाँ आएँ, उन सबकी तस्वीरों पर क्लिक करके उन ब्ला॓गरों के प्रोफ़ाइल में जावें और उनके वेब पेज में जाकर उन्हें पढ़ने के बाद, पोस्ट अ कमेण्ट या टिप्पणी करें पर डबल क्लिक करके टिप्पणी करें। नेट से बारहा फ़ोण्ट डाउनलोड करके उसे हिन्दी में सक्रिय करके टिप्पणियाँ करें। नए ब्लागर्स की सुविधा के लिए :-
    www.lal-n-bavaal.blogspot.com के सौजन्य से। धन्यवाद।

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  90. इतनी टिप्पणियों को प्राप्त करने के बाद मेरी टिप्पणी की जरुरत नहीं रह जाती |
    मगर ये एक सौ एकवीं टिप्पणी होगी शगुन की , इसलिए तारीफ़ कर ही दूँ |
    बस मूड हल्का-फुल्का हो आया , हमेशा से हम सुनते आए और दोहराते आए , लड्डू खाएँगे तो भी पछतायेंगे और नहीं खाएँगे तो हसरत रह ही जायेगी |

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आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.