अभी बहुत पुरानी बात नहीं हुई है जब पूरे मोहल्ले में एकाध किसी के घर फोन होता था और सब उसका ही नम्बर देते थे. वो बेचारे कभी इसे बुला, कभी उसे, इसी में खुशी खुशी उलझे रहते थे.
तब एस टी डी नहीं होता था. कॉल बुक करना पड़ता था-ऑडनरी, अर्जेंट या लाईटनिंग. तब भारत से कनाडा या अमेरीका बात करनी हो तो जो आज कॉल बुक करो वो तीन दिन बाद लगता था. जबलपुर से इन्दौर. इन्दौर से बम्बई. बम्बई से कनाडा. उस पर भी आधी बात ऑपरेटर सुन कर बताता था. चिल्ला चिल्ला कर बात करनी पड़ती थी. पूरे मोहल्ले को मालूम चल जाता था कि कल रात कनाडा बात हुई है. कॉल बुक करने के बाद फोन के बाजू में ही सो, खाओ और कहीं मत जाओ, जब तक वो कॉल दो तीन दिन में लग न जाये.
अब देखिये कितनी तेजी से इस क्षेत्र में विकास हुआ है कि आपको मेरी बात अजूबा लग रही है या फिर आप मुझ जैसे जवान को कोई बूढ़ पूरान मनही बूझ रहे होंगे. मगर यकीन मानिये बहुत नजदीकी सालों की बात है.
अब तो गांव गांव गली गली फोन है. एस टी डी बूथ हैं. मोबाईल है और यहाँ तक कि इस बार तो महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसों तक में फोन लगा देखा है टाटा इन्डिकॉम का. कितनी तेजी से तकनीक फैलती है कि भरोसा ही नहीं होता.
सोचता हूँ एक-दो और तकनीक जिसका बहुत तेजी से बेवजह उपयोग हो रहा है फोन की तरह अगर उसका भी ऐसा ही विस्तार हो जाये तो क्या सीन बनेगा.
पति घर पर देर से लौटा. पत्नी ने पूछा, कहाँ थे? वो बोला कि दफ्तर में मिटिंग थी, उसी में फंसा था. पत्नी बोली कि लैब चलो. लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाती हूँ तुम्हारा. झूठ पकड़ा गया. रात भूखे सोना पड़ा.
भिखारी दरवाजे पर भीख मांग रहा है-मेमसाब, तीन दिन से भूखा हूँ. पता चला, उसे रामू के साथ यह सोचकर कि लाई डिटेक्टर ब्रेक करने की तो रोज रोज प्रेक्टिस से आदत हो गई होगी उसकी, नुक्कड़ वाले ब्रेन मैपिंग बूथ पर भिजवा दिया. बूथ से पाँच रुपये में रामू, भिखारी को लेकर ब्रेन मैप बनवा लाया. भिखारी का झूठ पकड़ा गया. वो सिर्फ दो दिन से भूखा था. मेमसाहब ने उसे झूठा कह कर भगा दिया. भले टेस्ट करवाने में पाँच रुपये खर्च हो गये मगर भिखारी को एक रुपये न दिये गये.
स्कूल में टीचर जी बबलू को डांट रही है कि तुमने चुन्नू को चांटा मारा, उपर से झूठ बोलते हो. बबलू कह रहा है कि नहीं मैडम, मैने नहीं मारा. चाहे तो उसके गाल पर से मेरा फिंगर प्रिंट मिलवा लो.
प्रेमी प्रेमिका से कह रहा है-मेरा विश्वास करो. मैं तुमसे शादी करके तुम्हें बहुत खुश रखूँगा और तुम्हीं मेरा पहला और अंतिम प्यार हो.
प्रेमिका उसे सिद्ध करवाने के लिये नार्को टेस्ट की मांग करती है.
क्या प्रश्न पूछने है जो वो डॉक्टर को देगी, इसके लिये बाजार से नार्को टेस्ट के अनसॉल्वड प्रश्नों की लव विषय की किताब लाती है ४०० सेम्पल क्योचनस वाली. उधर प्रेमी भी नार्को टेस्ट की लव विषय पर अमर ज्योति सीरीज की गाईड से पिछले दस टेस्टों में पूछे गये प्रश्न एवं उनके उपयुक्त जबाब घोंट रहा है. गारंटीड सक्सेस इन नार्को टेस्ट की कोचिंग क्लास भी ज्वाईन कर ली. अगर पास नहीं हुये तो अगले बैच में फ्री एडमिशन का ऑफर. प्रेक्टिल की अलग से व्यवस्था.
फिर भी कहीं फेल न हो जायें, इस हिसाब से दलाल से भी व्यवस्था कर ली है. दलाल की कम्पाऊन्डर से सीधे सेटिंग है. ऐन टाईम पर ट्रूथ सीरम के बदले ग्लोकोज लगा देगा. बस, फिर क्या करना है. सोने का नाटक और डॉक्टर साहब को खों खों घों घों करके (जैसे शराब पिये हों-प्रेक्टिकल क्लास में जैसा सिखाया है वैसे ही) मन मर्जी के जबाब. गारंटीड सक्सेस.
नेता मंच की बजाये लाई डिटेक्टर पर खड़े होकर चुनावी वादे करेंगे. मशीन की सेटिंग पहले से सेट कर दी जायेगी पलट कर. याने जब सच बोलें तो लाल लाईट और झूठ बोलें तो हरी बत्ती. बस फिर क्या, पूरे भाषण में हरी बत्ती जलती रहेगी और जनता समझेगी कि नेता का सच बोलना तो साईटिफिकली भी साबित हो रहा है. पक्का सच वादे कर रहा है और वो जीत जायेगा.
आप कहेंगे कि जनता इतनी आसानी से बेवकूफ बन जायेगी क्या? लल्लू समझ रखा है?
तो अभी तक तो बिना मशीन के भी और क्या बनती आई है, तब तो कम से कम लाई डिटेक्टर मशीन के कारण होगा.
बस, यही सब सोच सोच के मन में खलबली मची है. सोचा, आप लोगों को भी खलबलाऊँ.
वाह क्या सीन है.
जवाब देंहटाएंअभी इतनी मुश्किल है, और आपने जो भयंकर सीन बताया है उससे तो सन्न खींच जायेंगे हम।
जवाब देंहटाएंआप तो टेस्ट कर झूठ पकड़ने की बात कहते हैं - कल कोई चश्मा बन गया जो सामने वाले का झूठ बताता हो, या उसके कपड़े के नीचे एक्सरे कर देता हो। बवाल अनेक हैं वैज्ञानिक प्रगति के!
वाह क्या दुकान खोली है? पर चलने की नहीं इसे तो गली में होना चाहिए था। जहाँ आते जाते ग्राहक को कोई न देखे।
जवाब देंहटाएंक्या बात है जी, कहाँ जाकर दिमाग दौड़ाया है मान गये, फिलहाल तो ऐसा लग रहा है कि एक ऐसी तकनीक की जरूरत है जो पता लगा सके गैस के दाम इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं और कम्पनियों का फायदा बढ़ता क्यों जा रहा है।
जवाब देंहटाएंनमस्कार। सुंदरतम प्रस्तुति। आपकी भाषा में आनन्दम्-आनन्दम।
जवाब देंहटाएंSameerji
जवाब देंहटाएंYour imagination is sitting on a great hoarse who has big wings.
Kamaal ka blog.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
अगर ऐसा हो जाये तो हमतो पहले आपकी ब्रेन मैपिंग करायेगे जी , ताकी जो आप छापने की सोच रहे हो हम उसे पहले ही पोस्ट कर वाह वाही लूट सके :)
जवाब देंहटाएंपत्नी द्वारा इस लेख को पढने से कैसे बचाया जाये ? बड़े खतरनाक ’आयडियास’ दे रहें हैं आप तो !!!!
जवाब देंहटाएंगजब की कल्पना कर डाली आपने। अभी तो पढ़कर चिन्ता हो रही है। जब सचमुच ऐसा होने लगेगा तब तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी। सोचता हूँ- अभी से किसी जंगल में सपरिवार प्रवास के लिए बुकिंग करा लूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत दुरुस्त खलबलाया है आपने.. आज का लेख तो आपका बहुत बढ़िया रहा.. अरे ये क्या! यहा तो लाल बत्ती जल गयी..
जवाब देंहटाएं:) कोई शक नही की आपने जो लिखा है वह होना अभी दूर है जल्द ही यह सब भी दिखेगा गली गली में :)..पर यह सब होने से जो हाल होगा दुनिया का वह विचार करने योग्य है ..पर फ़िर उसका भी कोई इलाज निकाल लिया जायेगा ..आपकी सोच को नमन है :)
जवाब देंहटाएंकाश ये तकनीक त्रेता युग में होते! कम से कम सीता को अग्नि परीक्षा तो न देनी पड़ती।
जवाब देंहटाएंचिल्ला चिल्ला कर बात करनी पड़ती थी. पूरे मोहल्ले को मालूम चल जाता था कि कल रात कनाडा बात हुई है. कॉल बुक करने के बाद फोन के बाजू में ही सो, खाओ और कहीं मत जाओ, जब तक वो कॉल दो तीन दिन में लग न जाये.----
जवाब देंहटाएंpurane din yaad aa gaye--ha !ha !ha!!!
-takniki vikas ka ye bhi ek ruup dikha diya--LEKIN--jab tak lie detector aur finger printings jaisee sunvidha gahr ghar pahunchegi--us ke saath saath--us ka TOD bhi pahunch jayega----
HUM hindustani dimagh ke bahut tez hain....sab se qualified software experts aur hackers bhi yahin se hain...
subah subah itna mazedaar lekh padha..baqi din bhi hasnte hanste gujrega..dhnywaaad
भई वाह वाह है जी।
जवाब देंहटाएंक्या बात बनायी है शिरिमानजी ने।
हम तो पूरी तरह से खलबला गये जी.
जवाब देंहटाएंमगर बार बार बूथ पर जाना ऑल्डफैशनेबल हो गया है. हर घर में मशीन लगी होगी. बातचीत के दौरान लाल हरी बत्ती चलती बुझती रहेगी. जीवन नर्क हो जायेगा. झूठ बोल नहीं सकेंगे और सच कोई सुन न सकेगा. :)
बहुत आगे निकल गए आप, इस से पहले कि गूगल अर्थ वाले गूगल Live जारी करदेंगे।
जवाब देंहटाएंऔर ये क्या समीरजी साईडबार मे आप सो रहे हैं या आराम फरमा रहे हैं या फिर आपका भी कोई टेस्ट लेना पडेगा :)
ये दूकान चलने वाली नही है साहब जी......छोटे छोटे झूठो से ही ये दुनिया चलती है....सोचिये पिछले ४ दिनों में अगर आपने सब सच बोला होता .....मसलन कोई मशीन टिप्पणियों का सच जांचे ....अपनी पोस्ट पर कोई आपकी चिपकाई टिपण्णी का टेस्ट करे ......आपने लिखा होगा ....."अति सुंदर ..बधाई "....वो क्या दिखायेगा ?हा हा.हा.............हिन्दुस्तान में लोग रातो रात ही इसे तुड़वा देंगे .....उम्मीद है आप इसे मुशर्रफ़ ओर बुश के यहाँ भिजवा देंगे ......
जवाब देंहटाएंवैसे आपका लेख.......अति सुंदर.......बधाई.......
सही कल्पनाएँ हैं. सच भी हो सकती हैं कल को.
जवाब देंहटाएंमजेदार रहा.
समीर जी फ़ोन से शुरू होकर नार्को पर ख़त्म ।
जवाब देंहटाएंआपने तो डरा ही दिया था... लेकिन चलिए समाधान भी अच्छे-अच्छे हैं... आप तो कोचिंग में पहले से ही माहिर लगते हैं ... हमें भी अपनी कोचिंग में ही रख लीजियेगा.. धीरे-धीरे हम भी कुछ सीख ही जायेंगे!
जवाब देंहटाएंSamir Bhai
जवाब देंहटाएंGood one..............
बहुत सही..........मजा आया।
जवाब देंहटाएंवाह मजा आ गया और ये सच भी है कि आज तो मोबाइल ऐसी चीज हो गई है जिसके बिना हर कोई अधूरा है । चाहे कोई कुछ भी काम करता है मोबाइल धारक होगा और सिम तो उसके पास 2-3 तो कम से कम होने ही हैं। वाकई बहुत खूब बधाई हो आपको
जवाब देंहटाएंSir ji , aapki ye kalpna ki udaan aapke naam udan tashtari naam ke anuroop hi hai . bahut hi sunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंपति को लाई डिटेक्टर से गुजरना पडे, भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए।
जवाब देंहटाएंवैसे आपकी सोच बहुत जबरदस्त है। आव विज्ञान कथाओं के बारे में क्यों नहीं सोचते?
बहुत बढिया सरजी.. :)
जवाब देंहटाएंha ha..main to soch rahi hoon,kisi expert se bat karke lie detector ko fail kaise kiya jaaye...ye bhi seekh hi loon. waise hamara desh tod dhoondhne mein bada maahir hai....
जवाब देंहटाएंआप मस्त लिखते और टिप्पणि करते हैं. ई मसिन से ये भी पता चल जयेगा कि हम टिप्पणि कहीं टिप्पणि लिखवाने के लिये तो नहिं ना दे रहें. खैरियत है कोइ ब्लोग अभी है नहिं मेरे पास.
जवाब देंहटाएंपहले के ज़माने के खटारा टेलीफोन की याद दिला दी ट्रंक काल के लिए दो तीन दिन बड़े अखरते थे . अब तो घंटो का काम सेकंडो में हो जाता है . उम्दा तकनीकी आ गई है पर ब्रेन मैपिंग का विचार बड़ा खतरनाक है . बाकी सब ठीकठाक .
जवाब देंहटाएंmai to abhi bhi jaise hi no. dekhate hai Canada ka to zor zor se chillane lagti hu.n...ek din to aap ka phone aaya to maine utsaah me pata nahi kab ph receiver rakh diya lekin aawaz itani tez thi ki aap ko pata bhi nahi chala aur bate ho gai..awajiya apane aapai pahunch gai canada tak
जवाब देंहटाएंक्योंकि डिटेक्टर लगा हुआ है
जवाब देंहटाएंकैसे करूँ प्रशंसा बोलो
झूठ मूठ की वाह वाह के
कैसे बक्से खोलूँ बोलो
गलत लिखा तो पकड़े जायें
सही टिप्पणी नहीं लिखेंगे
अब तो बेहतर बात यही है
लिखो नहीं कुछ, बस चुप होलो
Priya Sameerji
जवाब देंहटाएंApne utkristha vichar prastut kiya hai. Humlog ishe parh kar anand vibhor hogaye. Mujhe vishwas hai ki takiniki vikas hame 'satya Bruyat' ki aur jane ko badhaya karega
pandebblal
atisundar...
जवाब देंहटाएंप्रेमी प्रेमिका, पति पत्नी, नेता जनता के साथ यहाँ ब्लॉग्गिंग में घमासान हो जाएगा. वैसे दूर की सोच है.
जवाब देंहटाएंज़बरदस्त लिखा है समीर भाई.. बधाई .. आभार!
जवाब देंहटाएंतब लाई डिटेक्टर की एक कड़ी ब्लॉग में भी फिट हो सकती है, यह जानने के लिए कि टिप्पणी पोस्ट पढ़ कर दी गयी है, या हवाबाजी है।
जवाब देंहटाएंसही है। जैसा कि डा.अनुराग आर्या ने कहा-तब समीरलाल की टिप्पणियां लाई डिटेक्टर से गुजारी जायेंगी। वर्ड वेरीफ़िकेशन की जगह लाई वेरीफ़िकेशन
जवाब देंहटाएंहोगा।
समीर भाई , देखिये अब आपको अनुपातानुसार टिप्पणी के Satya वचन महाराज की तर्ज Verified करना होगा -
जवाब देंहटाएंजैसा अनुराग भाई का आग्रह है :-))
LOL
- लावन्या
soch rahe hain, ke upar kitni baar laal aur kitni baar hari batti jali hogi... haha
जवाब देंहटाएंBahut khoob, maza aa gaya padh kar.
sochne wali baat ye hai, ke aisa kuch bhi sachmuch hone par technologoy ke (mis)use kolekar bhi kitne sangthan banenge aur kitne morche nikale jayenge!! :)
kya baat hai aapne to purane din ka khaka kheench diya hai
जवाब देंहटाएंसमीर भाई, सुबह सात बजकर पैंतीस मिनट पर पढ़ा था. करीब तीन घंटा पचपन मिनट हंसने के बाद टिपण्णी कर रहा हूँ. कसम से. मेरी बात पर विश्वास न हो तो नार्को टेस्ट करवा लें.......:-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा..........लाजवाब !
जवाब देंहटाएंआनंद रस में हम तो सराबोर हो गए,आकंठ डूब गए. जितना आनंद पिछला दिन याद कर आया जब कि किसी दूसरे देश में ट्रांकाल कर बात कर पाना अपने आप में एक आयोजन एक उपलब्धि और गर्व की बात हुआ करती थी,उतना ही मजेदार आधुनिक युगीन चमत्कारी संयंत्रों का आविष्कार और इनका उपयोग(सदुपयोग या दुरूपयोग ?) का उल्लेख भी.
आपकी कल्पना को नमन है.
हा हा हा..........लाजवाब !
जवाब देंहटाएंआनंद रस में हम तो सराबोर हो गए,आकंठ डूब गए. जितना आनंद पिछला दिन याद कर आया जब कि किसी दूसरे देश में ट्रांकाल कर बात कर पाना अपने आप में एक आयोजन एक उपलब्धि और गर्व की बात हुआ करती थी,उतना ही मजेदार आधुनिक युगीन चमत्कारी संयंत्रों का आविष्कार और इनका उपयोग(सदुपयोग या दुरूपयोग ?) का उल्लेख भी.
आपकी कल्पना को नमन है.
gurujee aap wakai udantashtaree hain, kaa bhar din yahee karte rahte hain, sir hamko bhee kanaadaa aanaa hee padegaa tab dekhenge aapke ghar mein ghus kar ki maajraa kya hai.aur ye to likhne kee jaroorat hee nahin hai ki majaa aa gaya.
जवाब देंहटाएंseये हुई ना बात समीर जी ! जल्दी ही इस ओर विचार किया जायेगा...
जवाब देंहटाएंआपका तो जवाब नहीं हर बार ही कुछ ना कुछ नया लेकर आते हैं... लिखते रहिये...
खूबसूरत लेख के लिये बधाई...
जबरदस्त। पढ़कर बहुत मजा आया, थोड़ा डर भी लगा। मेरी बात पर यकीन न हो तो मैं लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट के लिए तैयार हूं जी।
जवाब देंहटाएंवाकई जवाब नहीं आपकी सोच का! इसे कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। अपने विक्रय केन्द्र से दो-चार सेट भारत भी भिजवा दें, कानून-व्यवस्था को जरूरत ज्यादा है।
जवाब देंहटाएंवाह भाई साहब, तकनीकी विकास का भी बढ़िया धंधा है। व्यंग्य कहीं हकीकत में बदलने की कोशिश मत करियेगा। कहीं घर में लाई डिटेक्टर टेस्ट मशीन टाइप की कोई चीज लग गई तो अच्छी खासी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। तकनीकों के विकास और उसके उपयोग के नुस्खे बेहतर लगे।
जवाब देंहटाएंसत्येन्द्र
ha ha ha ha ha ha aapko to cartoonist hona chahiye tha sirji! mere blog par landing k liye shukriya
जवाब देंहटाएंHa ha,
जवाब देंहटाएंEk bahut puraane zamane kee baat yaad aa gayee, yaad hai ?
Jhooth bolne main tum, poore ho pakke.. swami poore ho pakke...
Lie detector ke bhee tumne chhudaye chhakke....
Jay Harshad Mehta !!!
आपके दिमाग की दौड़ बेहतरीन है..बढ़िया विषय चुस्त व्यंग्य
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट दो दिनोंके प्रयास के बाद ही खोल सका,
जवाब देंहटाएंकौन सा सेलेक्टिव साफ़्टवेयर लगाया है, जानबे की इच्छा है !
मेरी टिप्पणी अब तक दिख ना रही,
जवाब देंहटाएंक्या खुचड़पेंच कर रखा है, समीर भाई आपने ?
hahaha...haan...aisa bhi kabhi hota hai !!??
जवाब देंहटाएंपिछले कई दिनों से मैं अपने कम्प्यूटर में आये एक घातक जीव से परेशान हूँ । ससुरा अभी तक मेरे शरीर मे था फ़िर कूद कर उसमें चला गया ।
जवाब देंहटाएंतब से आज तक फ़ारमेटिंग कर रहा हूँ । अपनी भी और बेचारे इस अबोध की भी ।
बिल्कुल सही कह रहा हूँ ॥
आप चाहें तो नार्को टेस्ट , लाइ डिटेक्टर …और भी जो आपने उपाय सुझायें हैं , कर सकते हैं ।
गर्लफ़्रेंड विहीन प्राणी हूँ …झूठ बोलने की आदत नहीं है ।
आधुनिक प्रयोगों के ऐसे नमूनों को पढ़ कर मजा आया ।
"बाजार से नार्को टेस्ट के अनसॉल्वड प्रश्नों की लव विषय की किताब लाती है ४०० सेम्पल क्योचनस वाली. उधर प्रेमी भी नार्को टेस्ट की लव विषय पर अमर ज्योति सीरीज की गाईड से पिछले दस टेस्टों में पूछे गये प्रश्न एवं उनके उपयुक्त जबाब घोंट रहा है. गारंटीड सक्सेस इन नार्को टेस्ट की कोचिंग क्लास भी ज्वाईन कर ली. अगर पास नहीं हुये तो अगले बैच में फ्री एडमिशन का ऑफर. प्रेक्टिल की अलग से व्यवस्था."
खास रूप से ये उपर वाली पक्ति ……
हा हा हा !
बड़ी गुदगुदाने वाली कल्पना है ..लिख रहा हूँ डर भी रहा हूँ कहीं आप कुछ टेस्ट न लगा दें ब्लॉग पर..
जवाब देंहटाएंमस्त लगा आपका ये लेख
हाय राम! ये कैसा टैस्ट पढ़ा रहे हैं। नहीं........ मर जाऊंगा, लुट जाऊंगा। आप मुझे मरवा दोगे। अगर मेरी प्रेमिकाओं ने मेरे ये टैस्ट करवाने शुरु कर दिए, तो मुझे दिन में 8-10 बार मार खानी पड़ेगी। जिसके जिम्मेवार आप होंगे। क्योंकि नार्को टैस्ट की कोचिंग लेकर तो बच सकता हूं। अगर उन्होंने लाई डिटैक्टर टैस्ट करवा दिया तो कहां जाऊंगा। आप अपना लेख दोबारा दुरुस्त करें, और उसमें लिखें की ये सुविधा केवल पुरुषों के लिए है। नहीं तो मैं भी आप भी और जितने पुरुष हैं, सब रोज़ पिटा करेंगे। जल्दी लिखिए वरना मैं आपके ख़िलाफ मुहिम छेड़ दूंगा और जगह-जगह धरने करवाऊंगा..... हा हा हा। आपको ढेर सारी बधाई। सच में बहुत ख़ूब लिखते हैं आप। मैं पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूं और अब मैं ये नहीं कहूंगा कि मैं आता रहूंगा। अरे भाई मैं यहीं रहूंगा आपके ब्लाग में क्योंकि जो कविताएं मैंने आपकी पढ़ीं। सच में आपने मंत्रमुग्ध कर दिया इतनी गहरी बातें कितनी सहजता से और कितने कम शब्दों में कहीं है आपने मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद और शुभकामनाएं
हा हा हा हा ...आपका लेखन तो लेखन, टिप्पणियां भी ऐसी रहती हैं कि बस....
जवाब देंहटाएंभई वाह, समीर जी, मजा आ गया.. अब लगातार मिलूंगा. पिछले कुछ दिन यात्राऒं में कटे लेकिन मजेदार बात ये थी कि पहले कविसम्मेलनीय यात्राऒं में कविता, गप्पें या ताश याद आते थे. अब ब्लागिये याद आते हैं और आप सबसे पहले. बधाई...............
जवाब देंहटाएंye kya bhaisaab...agar patni ke haath lie-detector aa gaya to badi musibat ho jaayegi. bechare pati to bemaut maare jayenge.
जवाब देंहटाएंVaise ye bataiye, jab shrimati ji ye kahengi ki "hamare paas ek bhi achchi saari nahi hai" to kaunsi batti jalegi..laal ya hari?
अशोक चक्रधर की एक कविता शायद अर्थ सहित विस्तार पा चुकी है इस पोस्ट के बाद
जवाब देंहटाएंअगर टेक्नोलाजिकल devalopment इसी तेज़ी से होता रहा तो होगा ही जैसा की आपने लिखा है
"पति घर पर देर से लौटा. पत्नी ने पूछा, कहाँ थे? वो बोला कि दफ्तर में मिटिंग थी, उसी में फंसा था. पत्नी बोली कि लैब चलो. लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाती हूँ तुम्हारा. झूठ पकड़ा गया. रात भूखे सोना पड़ा".
सत्य है की सतयुग को लोटना पडेगा ही
बधाइयां
समझा... आजकल आरुशी-हेमराज कांड के बारे में ज्यादा खबरें देख सुन के आप पर काफी बुरा असर पड़ गया है. चलो पहले आप के ब्रेन का टेस्ट करवा दूं! उसके लिए कोई वेट भी नहीं करना पड़ेगा :)
जवाब देंहटाएंआपका लेख पढ़ा बहुत अच्छा लगा आप लोगो ने मेरे इस ब्लॉग को पढ़कर प्रतिक्रिया दी इसके लिए मई आभारी हु तथा नेवेदन है की कृपया खेत खलिहान क्रषि से जुड़े मुद्दों को उठाने का कष्ट करेंगे तथा ब्लॉग के संंध मे सुझाव भी
जवाब देंहटाएंपुलाव जायकेदार है
जवाब देंहटाएंपर झूठ की दुकानदारी
कभी बंद होने वाली नहीं.
- अविनाश वाचस्पति
अच्छा साइंस फिक्शनल व्यंग है !कभी बेधडक बनारसी भी ऐसेही सोचा करते थे -
जवाब देंहटाएंऐसी कब दुनिया होगी बेधडक ,रुक जायगा आदमी चलने लगेगी सड़क
और वह समय आ गया जब सदके चलने लगीं .
मगर इश्वर करें आपकी ख्याम् खयाली बस चिट्ठाजगत तक ही रह जाय .
हमारी दुनिया को बख्श दे ,नहीं हम तो कहीं के न रहेंगे .
अच्छा साइंस फिक्शनल व्यंग है !कभी बेधडक बनारसी भी ऐसेही सोचा करते थे -
जवाब देंहटाएंऐसी कब दुनिया होगी बेधडक ,रुक जायगा आदमी चलने लगेगी सड़क
और वह समय आ गया जब सदके चलने लगीं .
मगर इश्वर करें आपकी ख्याम् खयाली बस चिट्ठाजगत तक ही रह जाय .
हमारी दुनिया को बख्श दे ,नहीं हम तो कहीं के न रहेंगे .
गजब की कल्पना कर लेते हैं, आप को तो शायद ईस लोक से तडीपार कर देने मे ही भलाई है वैसे नाम भी तो है आपके साथ- उडन तश्तरी :D
जवाब देंहटाएंवाह... क्या कल्पना हैं!!!
जवाब देंहटाएंजबरदस्त.
अरे भई, यह क्या लिख डाला? आप खुद भी पति हैं और यह नहीं सोचा कि पतियों के लिए यह लाई डिटेक्टर कितना हानिकारक हो सकता है! कहते हैं कि शेर की मौसी बिल्ली ने शेर को सारे गुर सिखाए पर अपने बचाव के लिए पेड़ पर चढ़ने का गुर नहीं बताया। आप ने तो यह लाई डिटेक्टर पर खुले आम लिखकर पत्नियों के हाथ में ए.क. 45 दे दी है। हमारी तरह अनूप भार्गव भाई भी इसी सशोपंज में बैठे हैं। चलो कोई बात नहीं, हम तो संदेह की उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं।
जवाब देंहटाएंभई, आपकी कल्पनाओं का भी जवाब नहीं! पढ़ कर मज़ा आगया हर बार की तरह!
बस ऐसे ही लिखते रहो।
आज सुबह गुरु जी सुनाई थी. मुस्करा रहे थे. कहते हैं, वहाँ जाकर भी नजर भारत की घटनाओं पर रखता है.
जवाब देंहटाएंbahut sundar likhte hain aap.chavanni pahli baar comment kar raha hai aap ke blog par.
जवाब देंहटाएंhttp://chavannichap.blogspot.com/