रविवार, मई 11, 2008

टेन्ट हाऊस वाले को नमन

आज तक आपने मंचों से कवियों को आयोजकों, श्रोताओं, विज्ञापनदाताओं यदि कोई मैग्जीन भी छपी हो तो और मंचासीन साथी कवियों का आभार करते ही सुना होगा. आज हमारा उनके लिए आभार सुनिये जो सही में बधाई के पात्र हैं वरना तो सब फेल हैं. मैं तो उनके प्रति नत मस्तक हूँ. वरना तो मूँह के बल जमीन पर गिरे पड़े मिलते. :) उनके योगदान पर अपना आभार पेश कर रहा हूँ:


टेन्ट हाऊस वाले को नमन


हमको जिसने मंच दिया है
उसके हम आभारी हैं....
देखो अब तक टिका हुआ है
जबकि कितने भारी हैं...


टेन्ट हाऊस को काम दिया है
आयोजक बतलाते हैं...
मोटे इतने कील लगाते कि
मंत्री भी चढ़ जाते हैं...
मंच सजाने में उनसे कोई
अब तक जीत नहीं पाया
जान गये थे फोटो से ही
कैसी अपनी है काया....

धन्यवाद मैं उन्हें सौंपता
असल वही अधिकारी हैं...
हमको जिसने मंच दिया है
उसके हम आभारी हैं....


हम गिर जायें उससे हमको
क्या कुछ होने वाला है
नीचे जो भी दब जायेगा
जीवन खोने वाला है...
ऊँचे दर्जे की कविता फिर
दफन यहीं हो जायेगी....
मिट्टी की बातें ये सारी
मिट्टी में खो जायेंगी...

बचा हुआ है मंच तभी तक
इनकी बातें जारी हैं..
हमको जिसने मंच दिया है
उसके हम आभारी हैं....

एक राज की बात बांटता
देश के रचनाकारों से..
कभी उऋण न हो पाओगे
टे्न्टीय इन उपकारों से...
मंच से लेकर माईक दरी तक
सब अहसान इन्हीं का है
अंतिम बैठा वो श्रोता भी
खादिम राम इन्हीं का है

माईक खोल कर ही जायेगा
सब उसकी जिम्मेदारी हैं....
हमको जिसने मंच दिया है
उसके हम आभारी हैं....


अब तक ये जो बात किसी की
नजर में न चढ़ पाई है
हम जैसे दृष्टा ने आकर
तुमको आज बताई है...
अब चलते चलते एक निवेदन
मेरा यह स्वीकार करो..
ताली दो इनके कामों को
मेरा भी उद्धार करो...


क्या क्या बात बतायें तुमको
बातें कितनी सारी हैं...
हमको जिसने मंच दिया है
उसके हम आभारी हैं....


-समीर लाल ’समीर’

50 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी5/11/2008 09:34:00 pm

    आपके आभार के लिये आभार. आप तो फिर भी कर भार वाले हैं, हमने तो बड़े बड़े भारी लेखकों और नेताओं को शुरू से लेकर आखिर तक सहा है पर किसी भी भारी से भारी नेता ने हमें आभार नही कहा.

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  2. आ-भार मुझे मार ...
    बढिया लिखा है ..

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  3. जिन (टेण्ट वालों) पर किसी का ध्यान नहीं जाता उन पर ध्यान देने के लिये हम भी आपके आभारी हैं जी! कृपया हमारा आभार स्वीकार करें।

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  4. चलिये टेंट हाउस वालों को उनका प्राप्य मिला।

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  5. वाह वाह जी ..ये हुआ ना असली काम !
    कविता बेजोड है जी ..
    आप इसी तरह हँसी - खुशी बाँटते रहिये समीर भाई ;-)
    - लावण्या-

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  6. आप को फोकट का मंच और तम्बू कहाँ मिला?

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  7. :) क्या सोचा है जो किसी ने नही सोचा ..:) बहुत ही वधिया:) सुबह सुबह हँसाने के लिए भी शुक्रिया :)

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  8. एक राज की बात बांटता
    देश के रचनाकारों से..
    कभी उऋण न हो पाओगे
    टे्न्टीय इन उपकारों से...
    मंच से लेकर माईक दरी तक
    सब अहसान इन्हीं का है
    अंतिम बैठा वो श्रोता भी
    खादिम राम इन्हीं का है

    माईक खोल कर ही जायेगा
    सब उसकी जिम्मेदारी हैं....
    हमको जिसने मंच दिया है
    उसके हम आभारी हैं....

    बहुत खूब समीर जी,एक ऐसे विषय पर आपकी रचना बधाई की हकदार है जिस पर आसानी से किसी का ध्यान नही जाता लेकिन सोचें तो इनके बिना गुज़ारा भी नही है.

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  9. is aur dhyan dilane ke liye hum bhi aapke aabharai hai.. badhai

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  10. हमको जिसने मंच दिया है
    उसके हम आभारी हैं....
    देखो अब तक टिका हुआ है
    जबकि कितने भारी हैं...
    मोटे पटिये लगा दिए जिसने
    भारी भरकम भी मोटे तगडे पटिये
    पर टिके थमे रहे उन पटियो पर
    हम पटियो के भी बहुत आभारी है ......
    बहुत बढ़िया कविता .लगी और बहुत आनंद आया बहुत बहुत बधाई .मेरी समझ से यह विश्व की पहली रचना है जिसमे टेंट हाउस वालो के प्रति आभार प्रदर्शन किया गया है

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  11. मंच बनाया था ये जिसने
    उसको तो आभार दिया
    जिसने कविता झेली आपकी
    उसके भार का क्या किया ?
    जिसने पैसे दिये टैंट के
    उसका क्यू उधार किया ?
    गलत फ़ैसला है ये भाई
    ये कैसा आभार दिया ?
    आभार भेद तुम्हारा ये तो
    वर्षो तक हम को सालेगा
    अगली बार जब तुम आओगे
    मंच तुम्हे कमजोर मिलेगा:)

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  12. अपना किस्सा अलग है भाई
    बात नहीं ये सुनी सुनाई
    जहाँ कहीं हम ग़ज़ल सुनाई
    टेंट वाले की हुई धुनाई
    (ना नो मन तेल होता ना राधा नाचती... ना टेंट होता ना हम ग़ज़ल सुनाते )
    नीरज

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  13. बेनामी5/12/2008 01:25:00 am

    समस्त टेन्ट हाउस वालों की तरफ़ से आपको धन्यवाद.बहुत बढिया विषय और कविता तो बढिया है ही.

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  14. बेनामी5/12/2008 01:59:00 am

    बेहतरीन!!!
    तालियाँ..तालियाँ...तालियाँ ।

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  15. ये ठीक किया आपने। अब कवि सम्मेलन के आरम्भ होते ही सरस्वती वन्दना के बाद आपकी इस कविता को पढ देंगे। टेंटवाले खुश हो जायेंगे। उन्हे अच्छा लगेगा। वे जानते है पूरा किराया तो मिलने से रहा। :)

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  16. तंबू ही तो कवि सम्मेलनों की बुनियाद है :)

    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  17. सच मे हम इन लोगो को अकसर भुल जाते हे, धन्यवाद

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  18. टेंटवालों के बहाने हंसाने का आभार। इस आ-भार का भार आप सह सकें, यही शुभकामना है:-)

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  19. बेनामी5/12/2008 04:48:00 am

    ब्लाग पर आने के लिये धन्यवाद.

    आप का काव्य मजेदर है।

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  20. बेनामी5/12/2008 04:50:00 am

    वृद्धग्राम पर आने के लिये धन्यवाद.

    apni kimti rai de.
    धन्यवाद

    आप का काव्य मजेदर है।

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  21. हम तो आप के आभारी हैं , हस हस कर हाल बेहाल है और ऊपर से टेटुआमल ....

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  22. A.nkh hamri jisne kholi us ke ham abhari hai.n

    tent vale bhaiya logo ko naman

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  23. टेन्ट वाले के साथ उस लकडी को भी प्रणाम जिसने आपको झेला :)

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  24. वाह वाह... टेंट की महिमा अपरंपार है..

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  25. टेंट लगा कर उसने है उपकार
    किया ये मान लिया
    वो ही कारण, कविता पढ़ी
    आपने , हमने मान लिया
    लेकिन एक प्रश्न बाकी है
    जब कविता को हूट करें
    दोष टेंट वाले को दें या
    फ़ूहड़ कवि को शूट करें
    जूते चप्पल जो बरसेंगे
    किसका कितना हिस्सा है
    आयोजक ने कवियों के संग
    जोड़ा कैसा किस्सा है

    माइक भी सीटियां बजाये
    किसकी जिम्मेदारी है
    आप लिखें बस, नहीं सुनाये
    तो हम भी आभारी हैं

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  26. शादी,ब्याह,मुडंन,तेरहवीं,चुनावी सभा,आंदोलन,धरना,प्रदर्शन,नृत्य,नाटक...........पता नही क्या क्या....सब की सफलता इन्ही पर आश्रित है। इनके सम्मान मे कही कविता...और भी लाजवाब.........बधाई!

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  27. बेनामी5/12/2008 09:50:00 am

    देश में आजतक किसी कवि ने टेन्ट वालों का एहसान नहीं माना. इन एहसान फरामोश कवियों के बीच कोई तो है जो टेन्ट और दरी वालों को याद रखता है.

    हिन्दी साहित्य में टेन्ट वालों को उनका पावना देने के लिए धन्यवाद.....:-)

    रघु टेन्ट वाला
    अध्यक्ष, जबलपुर टेन्ट व्यवसाई समिति
    सिविल लाईन्स
    जबलपुर

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  28. आप कितने सहज इंसान हैं यह इस कविता से पता चलता है. बहुत ही बढ़िया

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  29. जिसने आपको मंच दिया, हम वाकई उसके आभारी हैं... :)

    चलिए किसी की नज़र तो गई मंच सजाने वालों पर....

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  30. जय समीर जी, उड़न तश्तरी
    आज बड़ी मन भायी है।
    कवि-सम्मेलन आयोजन की
    बातें गज़ब बतायी है॥

    कुछ आभार बचा कर रखलें
    नेतागण को देने को,
    जिनके भारी भारवहन ने
    इनको राह दिखायी है।

    वाह! मजा आ गया…

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  31. हमारी तरफ़ से भी तालियां! सुनाई न दे, वह बात अलग है।

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  32. पढ़कर अच्‍छा लगा, शीर्षक पढ़कर पता चल गया था कि यह क्लिक उडनतश्‍तरी पर ही जायेगी

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  33. अंतिम बैठा वो श्रोता भी
    खादिम राम इन्हीं का है

    बहुत खूब लालाजी...टेन्ट वालो को भूलना बड़ा रिस्की है..आपके आ-भार का जबाब नहीं...बधाई

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  34. इन दिनों आप बहुत भावुक हुए जा रहे है .....दे कविता पे कविता....कभी मौका लगे तो उस बिजली वाले पर भी कुछ लिखियेगा ....जो टेंट मे रौशनी करवाता है.....पर सचमुच .....आपका नमन मैं कम से कम एक टेंट वाले तक जरुर भेजूँगा......

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  35. इतनी नियामते हैं - किस किस को नमन करें।
    नमन मय सब जग जानी!

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  36. कहीं किसी कवि सम्मेलन में किसी मंच पर गड़बड़ तो नहीं हो गई थी ? :-) और तब से आभार देने लग गए. या फिर भय ही लग रहा हो की कहीं टूट न जाए...

    टेंट वालों की अहमियत अच्छी पकड़ी आपने. !

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  37. देर आयद दुरुस्त आयद

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  38. hey nice blog really enjoyed goin through it really nice post too.I really appreciate it
    with regards
    edgar dantas
    www.gadgetworld.co.in

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  39. एक राज की बात बांटता
    देश के रचनाकारों से..
    कभी उऋण न हो पाओगे
    टे्न्टीय इन उपकारों से...
    मंच से लेकर माईक दरी तक
    सब अहसान इन्हीं का है
    अंतिम बैठा वो श्रोता भी
    खादिम राम इन्हीं का है

    behad mazedaar guru ji !

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  40. kya baat hai.
    agar yah kavita koi tent wala padhe to use waakai bahut khusi hogi.

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  41. मान गये उस्ताद
    टेंट से पहले और टेंट के बाद
    बन्दे को सब कुछ ध्यान है
    इसी लिये तो खुदा मेहरबान है
    ----मज़ा आया बड़े भाई
    badhaiiiiiiii

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  42. भाई जी,
    47 कमेन्ट तो आपने बटोर लीं
    अब आपके दूसरी पोस्ट का समय भी
    होरहा है । तो ज़ल्दी से मेरा हिसाब करो
    और अब...



    श्रीमान छोड़ो मंच का पीछा
    तो ले जाऊँ अपना दरी गलीचा

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  43. आ..हा... हा... प्रभुजी कहाँ.. कहाँ.. की कौड़ियां जुटाईं यहाँ -
    अर्ज़ है इंस्पायर होकर
    "ताली दी ताली पे ताली, ताल ताल पर वारी है
    तम्बू तान रहे कवियों पर, लाल सभी पर भारी हैं"
    कैसी रही ? - सादर मनीष

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  44. सही है बहुत मस्त बहुत भारी लिखा है :)

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आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.