मंगलवार, मार्च 04, 2008

हाय!! काश! यह धरती फट जाये!!

याद आता है तब अपनी चार्टड एकाउन्टेन्सी की प्रथम पार्ट की परीक्षा दी थी. दो पन्नों में ही पूरे भारत का रेजेल्ट आ गया. मात्र १ या १.५% बच्चे पास हुए. हम भी गये अपना रेजेल्ट देखने. बार बार खोजा, रोल नम्बर/नाम मिल ही नहीं रहा था. मित्र ने पूछा: क्या हुआ भाई!! हमने बड़े भोलेपन से कहा कि यार, नाम ही नहीं मिल रहा, पता नहीं क्या बात है. मित्र जरा अव्यवहारिक से थे, तुरंत बोल उठे: इसमें पता नहीं की क्या बात है. एकदम साफ है कि आप फेल हो गये हैं. बड़ी शर्म आई. हॉस्टल में रुम पर लौट आये. खूब रोये और अगले दिन से सब नार्मल. बाद में भी कहीं कहीं एकाध बार फेल हुए, मगर तब उतना दुख नहीं हुआ. बुरी आदत जल्दी लग जाती है.

आज उकसाया उसने जिन्हें मैं अपने परम मित्रों और अपने शुभचिंतकों में ऊँचें रखता हूँ..मेरे भाई अनिल रघुराज ने.

उनके कहे पर आज देखा पूरे ब्लॉगवीर से ब्लॉगपीर तक सब अपनी अपनी एलेक्सा रेंकिंग को लेकर उत्साहित घूम रहे हैं. कोई पहले नम्बर पर तो कोई २९वें नम्बर पर.

हम भी पहुँच लिये एलेक्सा की साईट पर और लगे खोजने प्रथम २० वीरों में अपना नाम. आखिर एक लम्बा समय गुजारा है इस दुनिया में..जहाँ कभी साधुवाद के परचम गाड़े थे और जिस दुनिया ने अब शैतानवाद के युग तक का सफर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, उसमें हमारा नाम तो यहीं कहीं होना चाहिये. नहीं मिला!!!! आँखें सजल सी हो आईं. फिर सोचा कि शायद गल्ती से थोड़ा नीचे लिख दिया होगा. एक पन्ना, दो पन्ना, तीन पन्ना...पढ़ते चले गये. कई पहचाने चेहरे मिले..कोई कोई तो ऐसे जो दो साल से मिले ही नहीं. यहाँ तक की दो साल पहले भी बस इतना कहने आये थे कि आज से हम लिखेंगे फिर गुम..वो भी मिल लिये. एक नहीं मिले तो हम खुद.....उत्साह की चरम देखिये कि ८० पन्ने तक चले गये. और जैसा कि होनी को बदा था..नहीं मिलना था और नहीं मिले...शुष्क उद्यान, चिरकुट कलम, चिलमन कहानियाँ, न छेड़ो मुझे और न जाने कौन कौन.. सब मिले..या खुदा, बस हम न मिले.
alexa
आँसूओं की अविरल धारा प्रवाहित हो चली. फेल होने की भी प्रेक्टिस होती है. अब इतने दिन से छुटी हुई थी कि एकाएक यह सदमा फिर से झेलना तो बरदाश्त के बाहर हो गया. ८० पन्ने तक तो नहीं ही है..अब आगे होये भी तो क्या.किसी को आगे दिख जाये तो बता देना. एप्लिकेशन लिख कर हटवा दूँगा. उतने पीछे रेकिंग में(अगर हो तो) एडसेन्स से डॉलर की बरसात तो क्या, ट्प्पर चू का एक बूँद पानी भी न गिरे. एक सच्चा भारतीय हूँ तो सबकी कमाई का जुगाड़ देखकर जलन भी हो रही है कि हम रह गये.

मन में तो आ रहा है कि ब्लॉग ही डिलिट कर दूँ. कम से कम कहने को तो रहेगा कि डिलिट हो गया भूले से, इसलिये एलेक्सा में नहीं है.

काश! हमें भी रेंकिंग मिल जाती. आप सबके बीच उठने बैठने लायक हो जाते. सोचता हूँ, जरुर कोई पाप हो गया है मुझसे, जिसकी यह सजा मिली है. कैसे प्रयाश्चित करुँ उस अनजान पाप का?? जिन्हें अपने पाप मालूम हैं या जिनके पाप जगजाहिर हैं वो तक रेंकिंग पा गये और एक मैं बदनसीब इन टर्मस ऑफ एलेक्सा. ये कैसा न्याय है भगवन!!!

उस पर से पत्नी भी नाराज है. कहती है कि और फोड़ लो आँखें कम्प्यूटर में. कहते थे कि लगी रहने दो, सन २०१० से रवि भईया बताये हैं कि कमाई शुरु हो जायेगी. रेंकिंग तक तो मिली नहीं, क्या खाक कमाई होगी. बड़े टिप्पणीपीर बने घूमते हो..अभी भी वक्त है कि कुछ कायदे का काम करो. दिन भर उड़न तश्तरी-उड़न तश्तरी लगाये रहते हो..देखा, कैसी उड़ी....न जाने कहाँ उड़ गई कि नजर ही नहीं आ रही.

अब क्या जबाब दें उसको. खराब समय में चुप ही रहना बेहतर है.

हाय!! काश! यह धरती फट जाये और मैं उसमें समा जाऊँ!!!

मगर कितनी..पूरा का पूरा समाने के लिये तो तालाब ही खुदना होगा!!!

57 टिप्‍पणियां:

  1. क्‍या उड़न परात महाराज,

    चालीस-चालीस टिप्‍पनी का अश्‍वमेध जीत के अभी भी रैंकिंग-टैंकिंग का झोला और बैलेंसिंग खोज रहे हैं? और फेल होना कब से लाज का बात होने लगा? हम तीन हाली फेल हुए हैं और गर्प से कहता हूं फेलियर हूं. तलाब-सागर कोड़ने का फेर में मत पड़ि‍ये, ऊ आप को ले नहीं पायेगा..

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  2. बेनामी3/04/2008 09:03:00 pm

    उड़नतश्तरी के धरती में समाने की बात पर तो कबीरदास जी 'बरसे कम्बल' टाइप कुछ न कुछ ज़रूर ही रच देते!

    एलेक्सा जी ने आपके ब्लॉग के ऊपर पूरा एक पन्ना बना रखा है. तरह-तरह के आँकड़े और ग्राफ़ दे रखे हैं. ख़ुद क्लिक करके देखिए-
    ये रहा लिंक

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  3. गजब! दुःख समझा जा सकता है समीर भाई. वैसे ये अलेक्सा का है? पास-फेल बतानेवाला 'अखबार' है क्या? होगा मेरी बला से..वैसे भी हम इतनी बार फेल हो चुके हैं कि अब अपना नाम खोजने की कोशिश नहीं करते....

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  4. बेनामी3/04/2008 09:40:00 pm

    वाह, एक और जबर्दस्त लेख :)
    चाहे एलेक्सा में हो न हो, हमारे लिये तो आप न. 1 ही हैं :)

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  5. हम सब लोग आपका ब्लॉग पढ़ रहे है क्या आपको यह अच्छा नही लगता की आप अलेक्सा के चक्कर मे पड़ गए. यह हर चीज़ के रैन्किन्ग का चक्कर बहुत बुरा है, और वैसे भी आप हमसब से बड़े और समझदार है, बेहतर होगा आप ख़ुद को इन बिना मतलब की चीजों से परेशान ना करे.

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  6. समीर जी,
    हम क्या करें? १००,००० में भी अपना नाम नहीं है | हमारे पास तो तालाब वाला बहाना भी नहीं है, ज़रा सी दरार में समा जायेंगे हम तो, हे भगवान् कहीं किसी कोने भी कोई दरार दिखा दे हमे भी |

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  7. समीरजी, आप भी कहाँ इन चक्करों में पड़ गये। ये एलेक्सा की रेटिंग वैसी ही है जैसे LA Lakers विश्व चैंपियन या फिर Yankees विश्व चैंपियन। आशा है आप समझ गये होंगे, ये रेकिंग सिर्फ उन वेबसाईट पर बेस्ड है जो dmoz.org पर उपलब्ध है। आपका ब्लोग वहाँ नही तो यहाँ एलेक्सा के इन हिन्दी के पन्नों में भी नही, और ऊपर से ये हमेशा आगे पीछे होते रहेंगे।

    चिंता नक्को करने का और मस्त रहने का Lakers और Yankees को विश्व चैंपियन बनने पे खुश होने देने का। ;)

    आप अपने ब्लोग की DMOZ पर अनुपलब्धा यहाँ देख सकते हैं

    पिछले तीन महीने में उडनतश्तरी के शेयर में उठक पठक के लिये यहाँ नजर दौड़ायें

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  8. आप से अपने ही दर्द का मजाक उड़ाना सीखा……
    उम्मीद है आगे भी आपसे उम्दा पोस्ट पढने को मिलता रहेगा।

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  9. चलिए, इस बहाने धरती पर कुछ हलचल तो हुई. और तमाम लोगों को एलेक्सा और डीमॉज के बारे में पता तो चला :)

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  10. हम तो अभी-अभी कालेज से बाहर आये हैं और फ़ेल होने की आदत अभी ज्यादा छूटी नहीं है.. सो हमें ज्यादा फर्क नहीं परा.. सोचा अगली बार ये परीक्षा जरूर पास कर लूंगा.. :D

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  11. हाय!! काश! यह धरती फट जाये और मैं उसमें समा जाऊँ!!!
    ऐसा गजब मत करना, एक तो गिरने से गड्ढा हो जाएगा और दूसरे पाताललोक वाले आपके ब्लॉग पढ-पढकर टेंशन मे आ जाएंगे।

    एलेक्सा रैंकिग
    इसकी चिंता मत करो, ये एलेक्सा रैंकिग अपने आप मे एक दु:खी प्रोडक्ट है। अच्छी अच्छी साइट्स की रैंकिग नही दिखती उधर। इसकी रैंकिग मे गोलमाल किया जा सकता है। इसलिए टेंशन मत लो। देखनी है गूगल की रैंक देखो, जो एकदम सही तरीके से घटाता बढाता है।

    एडसेंस से कमाई
    होगी भई, टेंशन मत लो, थोड़ा सब्र करो, भारत मे हो तो रवि भाई से मिल आओ, थोड़े गुर वो समझा देंगे।

    मौज मे रहो, चकाचक लिखते रहो। अपना भारत वाला मोबाइल/सम्पर्क सूत्र इमेल करो, हम भी आ रहे है, बीस को। कॉकटेल तैयार रखना।

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  12. lo ab alexa kee maar se udantashatari bhee ghayal ho gayee. dheeraj dharein waise bhee alexa to naam hee antrikhs se judaa huaa lagtaa hain. aje maaariye golee alexa ko aap hamaaree dhartee par hee bahut sundar lagte hain.

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  13. नाम तो हमारा भी नहीं मिला जी.हम भी कोई गड़्ढा खोज रहे हैं. लेकिन पता लगा है कि सारे गड़्ढे भरे हैं क्योंकि उनमें पहले ही बहुत गिरे हुए लोग पड़े हैं.

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  14. कट पेस्ट-

    सुंदर!!
    साधुवाद!!

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  15. टेंशन काय कू लेने का गुरु, पढ़ने वाले को लेने दो न टेंशन। लिखने वाले को सिर्फ़ टेंशन देना चाहिए लेना नई ;)

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  16. समीर जी आपने भी खूब व्यथा बयान की ।
    अरे आप भी इस चक्कर मे पड़ गए।
    आपको क्या किसी रैंकिंग की दरकार है।

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  17. जमाये रहिये महाराज।

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  18. तालाब-पोखर का बात मत करिएगा . आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा और पूरा पानी बाहर आ जाएगा .जरा सोचिए तो शहर का क्या हाल होगा . आप तो गमछा से बदन पोछते बाहर आ जाएंगे,जनता फोकट में परेशान होगी .

    सो आप तो बाकी चिंता छोड़कर अपना कार्यक्रम जारी रखिए . एक बात और याद रखिए कि साधुवाद की महत्ता सार्वकालिक और सार्वदेशिक है इसलिए उसका युग कभी समाप्त नहीं होगा .

    चिंता छोड़िए भीतर से खबर मिली हैं कि जिन लोगन का नाम लाइफ़टाइम अचीवमेंट वाली लिस्ट में है उसमें रवि रतलामी के बाद आपै का नाम है .

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  19. समीर जी एक अच्छे इंसान को ऐसी पोस्ट नही लिखनी चाहिये.... हम जैसे नवसिखिये तो रोने ही लगेंगे..:)

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  20. अब बाकी बचे ब्लॉगर भी अपने को अलेक्सा में ढून्ढते फिरेंगे. लाजवाब पोस्ट

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  21. व्यथा के नाम पर अच्छा रगेदा है सब को । बहुत खूब। कई दिनों बाद फिर नज़र आए ठाठ....

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  22. धरती फटे तो हमें भी बुला लीजियेगा रैंकिंग के मामले में अपना भी येही हाल है.

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  23. समीर भाई, आप भी गजबै मज़ा लेते हैं। आप भी जानते हैं कि इस एलेक्सा का कोई मतलब नहीं है, फिर भी कह रहे हैं कि मैंने उकसा दिया।
    हां, मैं जीतू भाई की राय से सरासर सहमत हूं कि "ऐसा गजब मत करना, एक तो गिरने से गड्ढा हो जाएगा और दूसरे पाताललोक वाले आपके ब्लॉग पढ-पढकर टेंशन मे आ जाएंगे।"

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  24. NAMASTE,

    shukriya bahut bahut aap itminaan rakhiye aapse koi naarazgi nahi nahi hai.:)

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  25. sutiआपके दुख से हम भी दुखी हैं । रूमाल, टिशू सब भेज सकते थे, यदि पता पता होता । वैसे हमने तो परीक्षा ही नहीं दी सो परिणाम के लिए क्या रोना ? वैसे अब आपको समझ आ गया होगा महीनों उड़ान ना भरने व टिप्पणी ना करने का क्या परिणाम होता है ।
    घुघूती बासूती

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  26. बेनामी3/05/2008 02:14:00 am

    aapko jitne comments milte hain......woh zyada important hain. Itne saare log chahte hain ki aap bura na maane, alexa rank to bilkul bekar hai aur kisi kaam ki nahi hai, aap aise hi likhte rahein

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  27. ज़ीतू जी की बात से सहमत हूँ। आप एलेक्सा का ट्रेफिक सम्बन्धी आँकडा देखेंगे तो खुश हो जायेंगे कि लाखो लोग आपकी साइट पर आते है पर जब काउंटर लगायेंगे तो पता चलेगा कि बहुत कम लोग आते है। अगर मै गलत नही हूँ तो इस रंकिग को भी मानव ही संचालित करते है खुद सम्पादक बन। इसलिये परेशान न हो।

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  28. समीर जी,:)रैंकिग का चक्कर छोड़िएं,वहाँ किस की कौन -सी रैकिंग है पता नही,लेकिन आप हमारे दिल पर पहले नम्बर पर हैं।वैसे बहुत बढिया लेख लिखा है,हम सभी की पीड़ा को ब्यान कर दिया है आपने:)

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  29. ये रेकिंग रेगिंग क्या है समझ से परे है दुनियादारी से जुड़ी पोस्ट लिखना तो कोई आपसे सीखे . बहुत बढ़िया लगा धन्यवाद आभार

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  30. आपके यहाँ टिप्पणियों का ढेर देखता हूँ तो सोचता हूँ, धरती फट जाये और....

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  31. भाई पंचांग बाचना आता तो पंडित ना भए होते...
    जरा बताएँ अपनी पत्रिका का क्या भविष्य है वहाँ पर

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  32. साइज के हिसाब से तो धरती भी कस के फटे, तब काम चलेगा! उससे पहले तो अलेक्सा अपना भूल सुधार कर लेगा!

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  33. ये अलेक्सा फ़्लेक्सा तो हम बाद मे देखेगे हमने तो यहा पर टिपियारो की लाईन देख देख जल भून कर खाक होने की कोशिश की थी ,पर कमबख्त आग ने भी धोखा दे दिया ,इसी गम मे हम यहा भी कोई टिप्पणि नही कर रहे है.अगर धरती फ़टजाये तो सूचित करना ,हम भी कूदने के ख्वाहिश मन्द है,इस गम मे की एक टिपियारा था हमारा परमानेंट वो भी गड्ढे मे कूद गया..:)

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  34. अरुण की तरह जलन तो मुझे भी हो रही है... अगर धरती फट जाए तो एक पोस्ट ही कर दीजियेगा.... बहुत लोग तैयार बैठे हैं कूदने को :-)

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  35. आपने चाहे जैसे भी लिखी हो, मुझे तो बहुत ही अच्‍छी लगी, हसते हसते पेट फूल गया।

    आप किसी रैंक से परे है, रोना तो मुझे चाहिऐ, कि एक समय मेरा ब्‍लाग गीता प्रेस से उपर था आज नीचे चला गया है :)

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  36. ये अलेक्सा क्या है? अपनी तो समझ नहीं आया। सनसनी फैलाने का जरिया है ताकि ब्लॉगर कुछ दिन इस में उलझे रहें।

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  37. समीर जी
    अपनी हालत तो और भी पतली है... साढे तीन लाख में नम्बर आ रहा है...हम कहां जायें :)

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  38. उड़न तश्‍तरी जी, मेरा एक सुझाव है, एलेक्‍सा को मारिए गोली। आपका इतना अनुभव है, शायद ही कोई ऐसा ब्‍लॉग होगा जिसमें उड़न तश्‍तरी लैंड न होती हो। तो आप अपनी अलग इंडैक्सिंग बना लीजिए और सबसे ऊपर अपना नाम लिखिए। जो आपके ब्‍लॉग में रेगुलर कमेंट छोड़ता है, उसका नाम पहले रखिए। इसी आस में आपके पास कमेंट छोड़ रहे हैं...देखिए हमें न भूल जाइएगा...

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  39. बेनामी3/05/2008 01:49:00 pm

    अरे काहे टेन्शनियाते हैं जी, जैसा जीतू भाई कह दिए हैं ऊ अलेक्सा वलेक्सा बेकार चीज़ है, आपका साथ देने हमहू हैं ना जो ऊ लिस्टवा में नाही हैं। :)

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  40. बेनामी3/05/2008 02:33:00 pm

    अजी साहब और क्या बच्चे की जान लेंगे आप. खाम्म खा धरती पर लोटने की बात करते हो. अपने ब्लॉग की कीमत देखी है आप ने ? आज की डेट मे $63228.48 का ब्लाग है आप का. यकीन नही आता तो यहा पेर देख सकते हो.
    Your blog, udantashtari.blogspot.com, is worth $63,228.48

    http://www.business-opportunities.biz/projects/how-much-is-your-blog-worth/

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  41. मगर कितनी..पूरा का पूरा समाने के लिये तो तालाब ही खुदना होगा!!!

    बहुत खूब लिखा है लालाजी...हमेशा की तरह मजेदार....बधाई

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  42. बेनामी3/05/2008 11:42:00 pm

    ha ha bahut hi badhiya,sab mile hum nahi mile

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  43. सबको परेशान कर के चैन आ गया? खुश हो गए कि सब यहाँ तारीफों के पुल बाँध दिए! यही न चाहते थे, अलेक्सा को गाली दिलवा दिए, अब चुप्पे चाप बैठिये और गड्ढा पोखर की बात न कीजियेगा नहीं तो भाभी जी को वो रीता वाली बात बता देंगे, फ़िर सच्ची में धरती फटने की कामना करियेगा :)

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  44. हम आपके साथ हैं। हमारा नाम भी लिस्ट से गायब है।

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  45. आपकी उड़ती चिडिया को बड़े बड़े न पकड़ पाएं - ये एलेक्सा / ऑटो रिक्सा टाईप क्या खा के पकडेगी - कहाँ "दुखी मन मेरे" लगा रहे हैं [ :-)]- rgds manish

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  46. धरती फटने लगे तो थोड़ा चौड़ाई बढ़वा लीजिएगा, काफी उम्‍मीदवार है। :)

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  47. आपकी व्यथा जायज है , मगर छोटे भाई की बात माने तो रैंकिंग बहुत बड़ी चीज नही होती ! पुराणों में कहा गया है कि वाणी , बुद्धि , वस्त्र , विवेक और व्यवहार ही मनुष्य का सबसे बड़ा अलंकार है , इसके सिवा सबकुछ निरर्थक है मनुष्य के लिए ....आप बेहतर हैं और बेहतर रहेंगे ...बेहतर होगा आप ख़ुद को इन बिना मतलब की चीजों से परेशान ना करे.

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  48. छोडिये जनाब आप तो सरताज हैं...

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  49. ओह ओह ओह मै यही सोच रही थी की मेरे ब्लोग पर आजकल टिप्पणी इतनी कम क्यों है गुरूदेव आप तो सेन्चुरी बना रहे हो...:)पच्चास तो बन गई एक हम दे दिये है इक्यावन का शगुन बहुत ही अच्छा है...एस सौ एक हो जाये तो भी बड़ी बात नही...:)

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  50. एलेक्सा अपराध बोध में धंस गया होगा जमीन में। इसीलिये उसके माथे पर लिखा नाम आपको न दिखा होगा।

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  51. mujhe nahi lagta ki kisi pakaar ki official rating sahi maayne mein driving force ho sakti hai...main aapse bahut chhota hoon sir aur aapko salaah dene ki sthiti mein o katayi nahi hoon...par fir bhi itna kehne ki gustaakhi karoonga ki jis tarah samaaj mein darjaa unchaa rehne se behtar hota hai ki aapke paas chand dost hi ho magar sachhe aur paak saaf ho....usi tarah aise kisi rating system mein sthaan paane se behtar hai ki kuchh honest fans aur critics ka saath hamesha aapko milta rahe....sabse badi taakat yehi hoti hai

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  52. कोई आप से सीखे अपने हर सुख दुःख में सबको अपने साथ शामिल करना :) देखिये न कितने लोग आपके साथ हैं :) और हमारा हाल मत पूछिये हंस हंस के पेट दर्द हो रहा है :)आप तो सदैव नम्बर एक पर है जी :) किसी को कोई शक ????????:)

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  53. आप कहाँ ढूढ़ते फिरे, हमसे पूछ लेते. अरे भाई उसमें सुपर क्लास के ब्लोग नहीं आ सकते. कुछ ब्लोग अपर-लोअर क्लास के बाहर के हैं वह किसी के सॉफ्ट वेयर में नहीं समाते. इतनी मेहनत क्यों करते हैं, और फिर हमें भ्रम होता है क्योंकि आपको देखकर हम यह संतोष कर लेते हैं कि आपकी तरह हम तो सुपर हो नहीं सकते सो फ्लॉप में ही बैठकर तमाशा देखते रहो और जब इस तरह के बयान देते हैं तो फिर.........अरे आपको हतोत्साहित किया जा रहा है ताकि हम जैसे दर्शक भाग जाएं, पर आप डटे रहिये वरना हमारा धीरज जवाब दे जायेगा.

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  54. Aap chinta mat kariye bhai saheb jis Alexa mai aapke blog ki ranking top 20 mai nahi us Alexa ki hamare hamari list mai dhele bhar ki ranking nahi :)

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  55. डा. रमा द्विवेदीsaid...

    बहुत बहुत बढि़या लिखा है आपने....हंसते-हंसते पेट में दर्द होने लगा...
    सच तो यह है कि आपके पास बेशकीमती कला है...किसी भी विषय पर आप बाखूबी कलम चलाते हैं...आप तो सर्वोपरि है ही कोई रैकिंग में स्थान दे न दे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला...हम सबको आपके लेखन पर गर्व है...बस आप लिखते रहिए....शुभकामनाओं सहित...

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आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.