गुरुवार, मई 31, 2007

"हास्य-दर्शन"- कवि अभिनव का जयकारा

"हास्य-दर्शन" - कवि अभिनव की प्रभावशाली प्रस्तुति - एक समीक्षा

भाई अभिनव शुक्ल का नाम यूँ तो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. आप नियमित उन्हें निनाद गाथा ब्लॉग पर पढ़ते और सराहते आये हैं. यह मेरा सौभग्य ही है कि मेरे पहले कवि सम्मेलन में मंच प्रस्तुतिकरण के समय वो मेरे बाजू में बैठे मेरा हौसला बढ़ाते रहे. हमको अपना बड़ा भाई मानने वाले स्नेही अभिनव ने उसी कवि सम्मेलन के दौरान अपनी नई सी.डी. "हास्य-दर्शन" भेंट की. हमने बड़ी खुशी खुशी अपना अधिकार जताते हुये ले भी ली और धन्यवाद भी शायद नहीं दिया. फिर कभी दे लेंगे सोचते हुए. तब से अब तक वो सी.डी. कई बार सुन चुका हूँ, मगर मन ही नहीं भरता तो सोचा कि धन्यवाद स्वरुप उसकी समीक्षा ही पेश कर दी जाये.



'हास्य-दर्शन' में अभिनव की १९ कविताओं को उनकी अपनी आवाज़ में सुना जा सकता है। इसमें हास्य, व्यंग्य, राष्ट्रीय चेतना तथा जीवन दर्शन से जुड़ी हुई कविताओं को बहुत सुंदर रूप में प्रस्तुत किया गया है। अपनी इसी विविधता के कारण यह एलबम हास्य से दर्शन तक की यात्रा तय करता प्रतीत होता है। 'हास्य-दर्शन' का विमोचन 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति' के रजत जयंती समारोह में अमेरिका की राजधानी वाशींगटन डी सी में हुआ। 'हास्य-दर्शन' को कवि अभिनव की प्रथम काव्य प्रस्तुति होने का गौरव भी प्राप्त है। अभिनव की कविताओं में जो लोक तत्व है वह अनुकरणीय है। उन्होंने बड़ी सहज भाषा में जटिल से जटिल भावों को कुशलतापूर्वक प्रस्तुत किया है।

जिन्होने अभिनव को मंच पर बोलते सुना है, वे सभी जानते हैं कि उनमें भाषा की गहनता तथा प्रस्तुति का सौंदर्य एकमएक हो गया है। मैं अभिनव के साथ 'नियाग्रा फाल्स कवि सम्मेलन' के मंच पर काव्य पाठ कर चुका हूँ। मैंने वहाँ देखा कि किस प्रकार श्रोताओं को सम्मोहित करते हुए अभिनव अपने पिटारे में से एक के बाद एक उत्कृष्ट रचना निकाल रहे थे। एक ओर जहाँ उनमें मंचीय कवियों की अदाएँ हैं तो वहीं दूसरी ओर भीषण साहित्यिक रचनाकारों की गम्भीरता भी उनके व्यक्तित्व का अंग है। सामान्य से सामान्य विषय पर बात करते करते वे न जाने कब गहनता के महासागर में प्रवेश कर जाते हैं। यह विषयांतर तथा विविधता अभिनव के काव्य पाठ को तथा उनकी रचनाओं को समृद्ध करती है।

हास्य दर्शन हमें हास्य से दर्शन तक की एक यात्रा पर ले जाता है। एलबम का प्रारंभ भाषा की भावपूर्ण वंदना, "राष्ट्रभाषा हिंदी" नामक रचना से होता है तथा फिर अभिनव हमें हास्य-व्यंग्य लोक में ले जाते हैं। एलबम के अंत में चार गम्भीर कविताओं को स्थान दिया गया है, मेरे विचार से ये कविताएँ बहुत ज़रूरी थीं क्योंकि इन्हीं से श्रोता को दर्शन की अनुभूति होती है। एलबम के दो पड़ाव हैं, एक जब हास्य रचनाएँ व्यंगय में विलीन हो जाती हैं तथा दूसरा जब व्यंग्य रचनाएँ दार्शनिकता को स्थान देती प्रतीत होती हैं। सुस्पष्ट और कानों को अच्छी लगने वाली सुमधुर प्रवाहपूर्ण भाषा तथा सरल प्रस्तुति के कारण कवि सामने बैठ कर आपसे संवाद करता सा प्रतीत होता है।

अभिनव की बहुआयामी काव्य प्रतिभा तथा उत्कृष्ट प्रस्तुति के कारण 'हास्य दर्शन' काव्य प्रेमियों में खासा लोकप्रिय हुआ है। मेरी कार में भी 'हास्य दर्शन' जब तब बज कर मुझे काव्य लोक की यात्रा करवाता रहता है। अगली बार जब आप अभिनव से मिलें तो उनके आटोग्राफ सहित 'हास्य दर्शन' की सीडी को भी अपने साथ संजो लीजिएगा।

एलबमः 'हास्य-दर्शन' - A journey from laughter to philosophy.
कविः अभिनव शुक्ल
परिकल्पनाः अखिल अग्रवाल
परिचयः डा आदित्य शुक्ल
चित्रः कल्पा रमैया
फोटोः शबरेज़ इरफान खान
सर्वाधिकारः दीप्ति शुक्ल

अनुक्रमः

१ राष्ट्रभाषा हिंदी - (हिंदी भाषा से कवि के संबंध की अंतर्गाथा।)
२ वैलेंटाइन डे - (घनाक्षरी छन्दों में प्रस्तुत विनोदपूर्ण प्रेम संदर्भ।)
३ रेल-यात्रा - (बरेली से लखनऊ तक की रेल यात्रा का व्यंग्यपूर्ण वर्णन करती हास्य कविता।)
४ रसगुल्ला - (हलवाईगिरी करने की आनंददायक संस्मरणात्मक कविता।)
५ हमें तो बहुत पैसा कमाना है - (प्लास्टिक समाज पर प्रहार करती सटीक व्यंगय रचना।)
६ मुट्टम् मंत्र - (चेतावनीः स्वास्थय के प्रति जागरुकता मोटापे के लिए हानिकारक है।)
७ इंटरव्यू - (इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के साक्षात्कार पर मज़ेदार हास्य कविता।)
८ वर्लड वार - (आखिर क्यों होती है।)
९ जेब में कुछ नहीं है - (प्रेम के पीछे के सच का खुलासा।)
१० हम तो आई आई एम जाएँगे - (संसद और आई आई एम के मध्य झूलती व्यंग्य रचना।)
११ कोई तो जीवित है - (संवेदनहीनता पर चुटीला व्यंग्य।)
१२ मोटा काग़ज - (शिक्षा व्यवस्था पर क़रारा व्यंग्य।)
१३ साहस - (जोश और हिम्मत का संचार करती उत्साहपूर्ण कविता।)
१४ मशाल दीपक और चिंगारियाँ - (चिंगारी से मशाल बनने की प्रेरणा देती छोटी सी रचना।)
१५ एक स्वप्न - (राष्ट्र भक्ति से परिपूर्ण ओज कविता।)
१६ अंदर से बाहर तक - (तुलनात्मक अध्यनात्मक कविता।)
१७ हम भी वापस जाएँगे - (प्रवासी मनोभावों की सशक्त प्रस्तुति।)
१८ नदी के दो किनारे - (जीवन को प्रकृति से जोड़ती हुई अद्भुत कविता।)
१९ पिता का जन्मदिवस - (बुज़ुर्ग पिता की अवस्था का मार्मिक चित्रण।)




भाई अभिनव और उनके सशक्त प्रस्तुतिकरण की एक झांकी आप यहाँ भी देख सकते हैं. इसी प्रस्तुतिकरण से आप समझ जायेंगे कि हमें अभिनव से इतना लगाव क्यूँ है, आखिर मोटापे का घोर समर्थक जो है. अभिनव के उज्जवल भविष्य के लिये अनेकों शुभकामनायें. उसका नाम होगा तो हमारा भी तो करवायेगा, यह हम तय मान कर चल रहे हैं. :)


पुनश्चः : इस समीक्षा के छप जाने पर अभिनव भाई ने घोषणा की है कि जिसे भी यह सी.डी. चाहिये, उनके हस्ताक्षर के साथ, वो यहाँ टिप्पणी के माध्यम से प्राप्त कर सकता है. हर संभव प्रयास होगा कि आप को सी.डी. जल्द मिले, जब भी आपसे अभिनव भाई की मुलाकात होगी.

23 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामी5/30/2007 10:30:00 pm

    हे भगवान अभिनव, हम तो तुम्हें भला आदमी समझते थे, तुम तो हास्यकवि निकले!

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  2. समीर जी आपके इस लेख ने हमे भी अभिनव जी से परिचित करवा दिया ..इनका वो लिंक जो आपने दिया था हमने अभी इतनी ..सुबह इतनी ख़ुशनुमा बनाने के लिए शुक्रिया:)

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  3. चलिये इसी बहाने अभिनव की प्रतिभा को भी देखने का सौभाग्य हुआ. धन्यवाद !

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  4. भाई अभिनव को बहुत साधुवाद.

    मुझे उम्मिद नही बल्कि यकिन है कि आप इस सीडी की एक कॉपी (पाइरेट) करके मुझे भेंट स्वरूप सप्रेम जरूर देंगे. :)

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  5. आज आपने पुण्य का काम किया, कवि से परिचीत करवा दिया.
    वरना तो नाहक कविता सुना सुना कर पाप मोल लेते रहते है. :)

    सुन्दर समीक्षा. अब समीक्षक भी हो गएं है. धन्य है गुरूजी आप.

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  6. अभिनव जी से इस तरह परिचय कराने का शुक्रिया

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  7. अभिनव जी के बारे में जानकारी देने के लिये शुक्रिया। भविष्य में कहीं न कहीं उनको सुनने का अवसर जरूर मिलेगा।

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  8. "उसका नाम होगा तो हमारा भी तो करवायेगा, यह हम तय मान कर चल रहे हैं."

    इसीलिये तो हम आपके पीछे पीछे लगे रहते हैं।
    महाजनो येन गतो सा पन्थाः !

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  9. aap jis tarah apne blog ko saheja hai, ye kaam aap hi kar sakte. aapka kaam prerna dayak hai

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  10. हमने जिसको जाना शायद वो अभिनव तो कोई और था
    जो घनाक्षरी और कवित्त को नई दिशा देने में सक्षम
    हास्य-व्यंग्य छोटा सा पहलू,उसकी वाणी बसे शारदा
    कविता स्वर-लहरी पर उसके चढ़ कर बहती बन कर सरगम

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  11. आप ने एक नयी जानकारी दी। धन्यवाद।

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  12. समीर भाईसाहब, आप स्नेहवश कुछ अधिक प्रशंसा कर गए, अभी तो हम कलम पकड़ना (टाईप करना) सीख रहे हैं। फिर भी यह पोस्ट देखकर बड़ा अच्छा लगा, हास्य दर्शन की हज़ार से अधिक प्रतियाँ जा चुकी हैं पर इतनी अच्छी समीक्षा किसी नें नहीं की। यह अवश्य सुनने को मिला था कि भाई या तो हास्य ही लिखो या दर्शन पर ही आ जाओ ये क्या दोनों के बीच डोल रहे हो। पर मुझे लगता है कि समयानुसार मानव के मन में सभी प्रकार के विचार प्रवाहित होते रहते हैं तथा रचनाएँ बनती रहती हैं। एक और बात, सीडी का विमोचन गीत सम्राट राकेश खण्डेलवाल जी, अपने अनूप भार्गव जी, महाकवि सोम ठाकुर जी तथा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उदय प्रताप सिंह जी के हाथों हुआ था, अतः थोड़ा बहुत इस वजह से शायद ठीक ठाक काम हो गया।
    नोटः जिन जिन लोगों नें इस पोस्ट पर टिप्पणी की है उन सबको मिलने पर हास्य दर्शन की एक प्रति मुफ्त दी जाएगी (आटोग्राफ सहित :))।

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  13. बफेलो वाले कविसम्मेलन में मैं भी था और अभिनव से हिन्दी-फोरम के जरिये कुछ परिचय भी था किन्तु आपने काफी सारी नई बातें बताईं। धन्यवाद। उम्र में बड़े होने के नाते, आप दोनों को काव्य जगत और ब्लाग जगत में सफलता का आशीर्वाद।

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  14. तारीफ़ चूंकि कवि खुद कर चुका है इसलिये हम भी कर देते हैं लेकिन समीक्षक महोदय से गुजारिश है कि हर कविता की एक-एक, दो-दो लाइन भी लिख देते तो बहुत अच्छा रहता!

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  15. समीर जी अभिनव जी से परिचय कराने और समीक्षा के लिये धन्यवाद।
    हम सी. डी. की भी इच्छा करते हैं :)।

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  16. बेनामी5/31/2007 09:48:00 pm

    समीर भाई

    सी डी तो हमें भी चाहिये.यू टयूब तो सुन चुके.दिलवा दो न!!

    खालिद

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  17. अरे समीर भाइ देखो हमे हमेशा जो मिल रहा हो
    उस्से ज्यादा चहिये
    हम आपके ब्लोग पर अभिनव जी की घोषणा के बाद कि यहा टिपियाना पर सीडी हस्ताक्षर के साथ भेट मिलेगी छै सात बार टिपिया चुके है और आप है के वो का कहते है मोडरेट, फ़ोडरेट करने मे दबा जाते हो जे गलत बात है कि आपको एकै मिलि है तो आप दूसरे को भी एकै ही लेने दोगे हम आपके खिलाफ़ रास्ता रोको आंदोलन करदेगे आजकल हमारे यहा उसी का फ़ैशन है धत्त तेरी की अब आया समझ मे कनाडा बैठ कर जे काम कर रहे हो,जरा भारत आओ तुम्हारा रास्ता तभी रोकेगे

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  18. बेहतरीन समीक्षा की है आपने । अभिनव जी की कविताएँ पहले भी उनके ब्लॉग पर पढ़ता रहा हूँ । काफी अच्छा लिखते हैं वे । अगर पूरी सीडी का mp3 वर्जन उपलब्ध हो तो लिंक दें । उनकी रचनाओं को सुनना एक अलग अनुभव रहेगा।

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  19. लालाजी,

    काफ़ी मेहनत से बहुत ही बढ़िया समीक्षा की है आपने ...

    अभिनव भाई की कवितायें तो हम कवि सम्मेलनों में सुनते और उनके ब्लाग पर पढ़ते रहते हैं....
    सुंदर व्यक्तित्व वाले युवा कवि हैं आप....

    आशा है भविष्य में भी आप कविताओं से राष्ट्र को गोरवान्वित और लाभान्वित करते रहेंगे

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  20. समीर जी आपके मध्यम से अभिनव जी के बारे मैं पता चला।
    मेरे उत्सुकता उनकी लिखी हुई कविताओ के प्रति और बढ गयी है।
    उनकी कविताओ वाली सी-डी मिल जाती तो वह मेरे अमेरिका आने का सबसे बड़ा तोहफा होता।
    कुछ हफ्तो बाद मैं भारत जा रह हूँ। ब्लोगिन्ग के मध्यम से आप से संबंध बना रहेगा।

    -अशोक

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  21. बेनामी6/04/2007 02:42:00 am

    समीर जी,

    वैसे तो मैं अभिनव से कई वर्ष पहले मिल चुकी हूं ,सुन चुकी हूं...मैं जानती हूं वह बहुत अच्छा लिखता है....लेकिन हास्य और दर्शन एक साथ? यह आपने नई बात बताई...अपने छोटे भाई के बारे यह जानकर बहुत हर्ष हुआ..........अभिनव से कहियेगा कि रमा दीदी ने सी.डी.
    मांगी है....प्रिय भाई अभिनव को हमारा ढ़ेर सारा आशीष और स्नेह भी दें....


    आपने इतनी सुन्दर जनकारी दी है इसके लिए नि:सन्देह आप बधाई के पात्र हैं।

    डा. रमा द्विवेदी

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  22. बेनामी6/04/2007 02:53:00 am

    डा. रमा द्विवेदी said...

    समीर जी,

    वैसे तो मैं अभिनव से कई वर्ष पहले मिल चुकी हूं ,सुन चुकी हूं...मैं जानती हूं वह बहुत अच्छा लिखता है....लेकिन हास्य और दर्शन एक साथ? यह आपने नई बात बताई...अपने छोटे भाई के बारे यह जानकर बहुत हर्ष हुआ..........अभिनव से कहियेगा कि रमा दीदी ने सी.डी.
    मांगी है....प्रिय भाई अभिनव को हमारा ढ़ेर सारा आशीष और स्नेह भी दें....


    आपने इतनी सुन्दर जनकारी दी है इसके लिए नि:सन्देह आप बधाई के पात्र हैं।

    जवाब देंहटाएं
  23. झलक देखने को मिली.
    पूरा मजा तो सी डी देख कर ही आयेगा ना.
    तो फिर झट्पट भेज दी जाये.

    अरविन्द चतुर्वेदी
    भारतीयम्

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