गुरुवार, अप्रैल 26, 2007

ये तो छूट चिटिंग है!!!

आज मन खिन्न है, इसलिये नहीं कि हम बेवकूफ हैं. बल्कि इसलिये कि हमें बेवकूफ बनाया गया है. अरे, यह भी कोई बात हुई, सब मिल कर गुट बनायें है और हम अल्प संख्यकों को, ( १९३५ की पुरानी गणना के आधार पर, हालांकि आजकल हम ज्यादा हैं) उल्लू बना रहे हैं. कहते हैं कि तुम हमें टिप्पणी दो, हम तुम्हें देंगे. कोई कहता है कि इसे ऐसा मानो कि तू मेरी पीठ खूजा, और मैं तेरी. अरे मियाँ, सब माने लेते हैं. मगर यह क्या झटके बाजी है. हम लिखें चार छः लाईन की कविता या दस लाईन की रिपोर्ताज और आप लोग, जिसमें गौर तलब आलेख में समीर लाल, लम्ब लेख में फुरसतिया और अभी अभी नये रिकार्ड बनाते हुऎ अति लम्ब लेख में रवि रतलामी...और इसी गुट में अपनी सफल घुसपेठ कायम करते हुये लम्ब लेख लेखक मालवा नरेश माननीय अतुल शर्मा...माननीय इसलिये कि जो भी हमें सफलतापूर्वक लपेटता है उसे हम माननीय मान लेते हैं और फिर बंदा हमारे मध्य प्रदेश का है, जब तक मालवा प्रदेश अलग नहीं बन जाता.. इस माननीय श्रेणी में आजतक फुरसतिया जी को छोड़ कर, अरुण( हमरे पंगेबाज), हमरे मित्र काकेश (कौवों के राजा) और आज ही से पंकज बैगांणी भी पहले से मौजूद हैं. अन्य भी कई हैं.

अब आप हमारे जैसे चार लाईना वालों बीस को पढ़ कर टिप्पणी करके २० ग्राहक बना लो, अपने यहाँ टिप्पणी करने के लिये और हमें उतनी देर अकेले आपकी कभी न खत्म होने वली रचना को पढ़वाने में उलझा कर रखो. यह ठीक बात नहीं है. एक न एक दिन खमिजयाना भुगतना होगा. लिखो लिखो, खूब लिखो!! हमें क्या, कलई खुलते समय थोड़े लगता है...नहीं खुलेगी तो मसीजिवि से खुलवायेंगे ही ...वो तो इसमें स्पेशलाईज करते हैं. :)

यह सब तो सिर्फ़ सूचनार्थ था मगर दरअसल हम तीन दिन को एक शादी में यहाँ से ६०० किमी दूर मांट्रियाल जा रहे हैं कल. दोपहर तक निकलेंगे- ५ घंटे मे पहूँच जायेंगे मगर शायद शादी की अफरातरफी और उत्साह में अन्तरजाल पर ना आ पाये तो आपसे आकर रविवार को नई लम्ब पोस्ट के साथ मिलेंगे, जब भारत में सोमवार होगा. तब तक के लिये, सबको समीर लाल का लाल सलाम और उड़न तश्तरी का हरि ओम!! इतने जिक्रों के बाद भी हमें मालूम है कि राकेश खंडेलवाल भाई साः इस बीच हमारा महौल संभालें रहेंगे, क्यूँ भाई जी, सही है न!!!

जब राकेश भाई का नाम ले लिया है तो बिन मुक्तक के यूँ तो मैं जाने वाला नहीं. तो लो, सुनो एकदम ताजा मुक्तक:




अब तो लगता है, सूरज भी खफा होता है
जब भी होता है, अपनों से दगा होता है.
सोचता हूँ कि घिरती हैं क्यूँ घटायें काली
क्या उस पार भी, रिवाजे-परदा होता है.




तो अब आप दो-तीन दिन इत्मिनान से रहें, हम आकर मिलते हैं. मगर कोई भरोसा नहीं कि वहाँ से कनेक्ट हो जायें.

12 टिप्‍पणियां:

  1. चलो राहत मिली! नहीं तो रोज उडनतस्तरी सिर के उपर घर्र घर्र करती मंडराती रहती है. जाओ जी ऐश करो.. दिन हैं मस्ती के... लूट लो.

    :), मिलते हैं ब्रेक के बाद. :)

    हमशे जुदा होकर
    आपको मोंट्रीयल जाना है.

    चार दिन की चाँदनी

    फिर लौट आना है


    इतनी दोयम दर्जे की घटिया तुकबन्दी पढने के बाद अगर भागने का मन कर रहा हो तो मोंट्रीयल तक भागीये. पेट्रोल बचेगा और मोटापा भी.... :) यु नो यु अंडरस्टेंड वेल.. !! :)

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  2. समीर भाई आज सबसे पहले आपको ही टिप्पणी देने बैठे है,...आज तो आपने कमाल ही कर दिया चार लाईन मे सभी कुछ लिख दिया देखिये हमे तो अवश्य आपका आशीर्वाद चाहिए,..
    सुनीता(शानू)

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  3. मगर कोई भरोसा नहीं वहीं से कांटेक्ट हो जाए -ऎसा कहकर दिलासा दिया जा रहा है या डराया जा रहा है :)

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  4. समीर भाई तुम्हे भी सबको जलाने मे मजा आता है
    हम सब यहा पत्रकारो के साथ अभि अभी हुई शादी मे शामिल न हो पाने के गम मे थे अब आप और दिल जला कर जा रहे हो और वो भी तीन दिन के लिये खुब दबा कर खाना हमारे हिस्से का भी का खा लेना पर खयाल रखना हजम नही होगा और कसम है जॊ आने के बाद वहा का जिक्र करा तो वैसे तुम मानोगे हो तो नही मजे ले ले कर बताये बिना वर्ना तुम्हारे भी पेट मे दर्द बना रहेगा

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  5. समीर भाई तुम्हे भी सबको जलाने मे मजा आता है
    हम सब यहा पत्रकारो के साथ अभि अभी हुई शादी मे शामिल न हो पाने के गम मे थे अब आप और दिल जला कर जा रहे हो और वो भी तीन दिन के लिये खुब दबा कर खाना हमारे हिस्से का भी का खा लेना पर खयाल रखना हजम नही होगा और कसम है जॊ आने के बाद वहा का जिक्र करा तो वैसे तुम मानोगे हो तो नही मजे ले ले कर बताये बिना वर्ना तुम्हारे भी पेट मे दर्द बना रहेगा

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  6. बेनामी4/26/2007 02:41:00 am

    Dear Mr.Sameer,Hi!
    I have been a regular reader of you're blog and update myself with you're wit and humour.Personally "Budapa Dekh..." is my favorite.Though I have just entered in 40s.
    Well! This wasn't the reason For my this post.Dear Sameer please do not take it personally.For past few days some thing strange has been happening in HINDI BLOG WORLD,I won't take any name or point finger-but feel sad that many bloggers are just complaining and alleging followed by more allegations and counter allegations.What is all this happening?
    I have been on 'blog sphere' for two years now and have had my 'fair' share of fame and abuses as well,yet none of us ever complain.Many of us carry links to each others blogs (I am honored to carry link to your blog too) and also cross post on each others blogs.
    We,as a group have taken on some very high and mighty public figures and media too.If you remember,I did post some angry rebuttals to "Mohalla Brigade".
    I am a very 'modest' man and no way,I REPEAT NO WAY... trying to give any sort of impression but only urging you to use your wit and humor and bring some sanity back.
    Should you feel to respond please mail me at micommunal@gmail.com
    Regards.
    PI.

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  7. बात आपको सही लगी, कहना सार्थक हुआ। आपका ब्‍लाग पढ़ा, बहुत चटपटी हिन्‍दी है आपकी, बस पढ़ते जाओ।

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  8. समीर जी जल्दी लौटियेगा... मेरी पीठ खुजलाने के लिये... हा हा

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  9. समीर भाई गलत बात है हम तो पिछले दिनो से पत्रकारो के साथ वैसे ही लार टपका टपका कर रहगये
    पर खाने को सिवाय पत्रकारो की पिटाई के कुछ नही मिला और अब आज आप जलते पे शादी का कार्ड दिखा तीन दिन तक दावत बता कर घी डाल रहे हो बुरी बात है कसम से तुमहे पेट मे दर्द होगा अगर वापस आकर कोई भी शादी का जिकर किया तो! वैसे मुझे पूरा भरोसा है बिना हमे चिढा चिढा कर बताये तुम्हे हजम भी कहा होगा चलो दावत की फ़ोटो मेल कर देना वजन का ख्याल रखना खाने की चिन्ता मे कम ना हो जाये

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  10. बेनामी4/26/2007 08:47:00 am

    शादी में खूब दावतें उड़ाइये!

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  11. समीर भाई,
    चले उड़ाए विमान को नये इशारे दावत पर
    पूछा भी न पुलाव के लिए अकेले रथ पर बैठ गये
    चलिए वापस लौटे उड़ाते हुए हमेशा की तरह अनोखे
    अंदाज में…।

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  12. बेनामी4/26/2007 07:10:00 pm

    हमने अगर कभी आपको खींचा होता तो शायद हमारा नाम भी इस पोस्ट में होता लेकिन क्या करें आपके फोटु में इधर-उधर से झांकती सफेदी का लिहाज करके हर बार रूक जाते हैं ;)।

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आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.