अजीब दो गले लोग हैं. एक तरफ तो कहते हैं, प्रगति होना चाहिये- चहुंमुखी प्रगति एवं सर्वांगीण विकास. इंडिया उदय और न जाने क्या क्या नारे. अब जब विकास की राह पर हम इसका अक्षरशः पालन करने लगे तो कहते हैं कि मोटापा हानिकारक है. यार, हम क्या करें. हम तो मानो फँस कर रह गये. सुनो तो बुरे बनो, न सुनो तो बुरे. इससे अच्छा तो हम नेता होते तो ही ठीक था. सुन कर भी हर बात अनसुनी कर देते. देख कर अनदेखा कर देते.
अब तो हमारे अड़ोसी पड़ोसी भी हमको मोटा कहने में नहीं सकुचाते. ये वो ही लोग हैं, जो कभी हमें बचपन में अपनी गोद में लेकर हमारे गाल नोचते थे. मोटे हम तब भी थे. मगर तब सब हमें हैल्दी बेबी, क्यूट, गबदू बाबा और न जाने क्या क्या कह कह कर प्यार करते थे, आज वो ही बदल गये हैं. मोटा कहते हैं. जमाने की हवा के साथ बह गये हैं सब. हमको तो मोटापे का पैमाना बना कर रख दिया है. जब भी किसी मोटे की बात चलती है, कहते हैं, इनसे ज्यादा मोटा है कि कम. मानो कि हम हम नहीं, मोटापे के मानक हो गये..
वैसे इन्हीं लोगों को जब जरुरत पड़ती है, तो इन्हें ही हम महान नजर आने लगते हैं. उस दिन भाई जी और भाभी जी का ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं था, तो हमें ही ट्रेन में सीट घेरने भेजे थे. हम अकेले ही दो सीट घेर लिये थे. फिर यह लोग बड़े आराम से यात्रा करते निकल गये और चलते चलते हमें हिदायत दे गये कि वजन कुछ कम करो. अरे, अगर उनके जैसा वजन होता तो दो लोग लगते उन दोनों के लिये सीट घेरने के लिये और फिर भी शायद कोई वजनदार धमका कर खाली करा लेता. एक तो इनका काम अकेले दम करो और फिर नसीहत बोनस में सुनों. अजब बात है.
इन्हें मोटा होने के फायदों का अंदाज नहीं है. अज्ञानी!! मूर्खता की जिंदा नुमाईश! अरे, मोटा आदमी हंसमुख होता है. वो गुस्सा नहीं होता. आप ही बतायें, कौन बुढ़ा होना चाहता है इस जग में? मोटा आदमी बुढ्ढा नहीं होता (अगर शुरु से परफेक्ट मोटा हो तो बुढापे के पहले ही नमस्ते हो जाती है न!! राम नाम सत्य!!). वो बदमाश नहीं होता. बदमाशों को पिटने का अहसास होते ही भागना पड़ता है और मोटा आदमी तो भाग नहीं सकता, इसलिये कभी बदमाशी में पड़ता ही नहीं.
नादान हैं सब, मुझे उनसे क्या!! मैं तो देश की समृद्धि और उन्नति का चलता फिरता विज्ञापन हूँ और मुझे इस पर नाज है.
दुबला पतला सिकुड़ा सा आदमी, न सिर्फ अपनी बदनामी करता है बल्कि देश की भी. मैने ऐसे लोगों की पीठ पीछे लोगों को बात करते सुना है. कहते हैं, न जाने कहाँ से भूखे नंगे चले आते हैं. मुझसे से मेरी पीठ पीछे भी कोई ऐसा कहे, यह बरदाश्त नहीं. हम तो मोटे ही ठीक हैं. अरे, अपना नहीं तो कम से कम अपने देश की इज्जत का तो ख्याल करो.
जिस तरह से महानगरों के कुछ क्षेत्रों में विकास, मॉल, कॉल सेंटर आदि की जगमगाहट को राष्ट्र का विकास का नाम देकर भ्रमित किया जाता है. ठीक उसी तरह मोटापे से ताकतवर होने का भ्रम होता है, भले अंदुरीनी स्थितियाँ, राष्ट्र की तरह ही, कितनी भी जर्जर क्यूँ न हो. भ्रम में ही सही, एक बार को सामने वाला डरता तो है. दुबलों से तो भूलवश भी आदमी नहीं डरता और बिना डराये कौन सा काम हो पाता है.
जिस तरह से महानगरों के कुछ क्षेत्रों में विकास, मॉल, कॉल सेंटर आदि की जगमगाहट को राष्ट्र का विकास का नाम देकर भ्रमित किया जाता है. ठीक उसी तरह मोटापे से ताकतवर होने का भ्रम होता है, भले अंदुरीनी स्थितियाँ, राष्ट्र की तरह ही, कितनी भी जर्जर क्यूँ न हो. भ्रम में ही सही, एक बार को सामने वाला डरता तो है. दुबलों से तो भूलवश भी आदमी नहीं डरता और बिना डराये कौन सा काम हो पाता है.
मुझे मोटापे से कोई शिकायत नहीं है, मगर मोटापे को साजिशन बदनाम होता देखता हूँ तो दिल में एक टीस सी उठ जाती है और उसी वेदना को व्यक्त करती यह रचना पेश है:
मोटापा बदनाम हो गया
आज हमारे गिर पड़ने से
एक अजब सा काम हो गया.
सारी गल्ती उस गढ्डे की
मोटापा बदनाम हो गया.
बच्चे बुढ़े जो भी आते
जोर जोर से हँसते जाते
हड्डी लगता खिसक गई है
कमर हमारी सिसक रही है
मरहम पट्टी मालिश सबसे
थोड़ा सा आराम हो गया
सारी गल्ती उस गढ्डे की
मोटापा बदनाम हो गया.
बिस्तर पर हम पड़े हुये हैं
लकड़ी लेकर खड़े हुये हैं,
घर वाले सब तरस दिखाते
दुबलाने के गुर सिखलाते.
सुनते सुनते रोज नसीहत
पका हुआ सा कान हो गया.
सारी गल्ती उस गढ्डे की
मोटापा बदनाम हो गया.
खाने को मिलती हैं दालें
बिन तड़के और बंद मसाले
लौकी वाली सब्जी मिलती
मेरे मन की एक न चलती
मुझको बस दुबला करना ही
मानो सबका काम हो गया
सारी गल्ती उस गढ्डे की
मोटापा बदनाम हो गया.
--समीर लाल 'समीर'
नोट: यह मोटापा व्यथा मेरे द्वारा पूर्व रचीत "बाल महिमा" और "रक्तचाप पुराण" श्रृंखला की ही कड़ी है.
अपने तो हँसते हँसते पेट में बल पड़ गये शुरू में बात भी गजब कह गये आप कि नेता हो जाते तो अच्छा होता
जवाब देंहटाएंह हा हा हाअ हा
जवाब देंहटाएंमस्त है.
मोटापा तो मोटापा है,
काहे बदनाम हो
इस मोटापे से ही तो नाम है
वरना तो बदनाम हो
गड्ढे मे गिरना नियती है
और नसीब की बलिहारी देखो
फिर भी बचे हुए हो और
अपनी समझदारी देखो
दोष गड्ढे को देकर
बचा रहे नजरो का धोखा
क्या बात है लालाजी वाह,
जूगाड लगाया यह अनोखा.
:) पता है पता है, बासी है. कल की पुरानी है. तो? :)
बहुत मजेदार, अच्छा हास्य व्यंग्य.
जवाब देंहटाएंखुब गुदगुदाया.
मगर कविता इस बार बाजी मार गई.
ददा कमाल कर दिया. मोटा होना हास्य कवियों दे लिये वरदान है. कई मध्यम काठी वाले इसीलिये हास्य के मंच पर नहीं चल पाते. मोटों को तो कविसम्मेलन वाले इसी लिय बुला लेते हैं कि यदि कविता अच्छी न भी कर सका तो भी एक बार तो माईक तक आने भर का क्र्त्य ही स्रोताओं को हंसा देगा. जब भारी भरकम से शरीर को दोनों हाथ मंच पर टिकाकर पहले अपनी पिछोंडा उठाएगा, फिर संभल कर अगला कद उठाएगा. और भगवान न करे कि इस अवसर पर उनका पैर लडखडा जाए तो बस कवि हिट लोगों की हंसी बंद होए न होगी. एसा मोटा कवि मोटापे पर कुछ भी कहदे बस कविता पूरी हो जाती है. एक कवि है नीरज पुरी जी वह हर मच पर यह सुनाते हैं कि बस स्टाप पर बस से सवारी उतरते देख कर पहले तो रिकशेवाले इस बात पर लडे कि मैं ले जाऊंगा मै ले जाऊंगा. और कवि को देख कर झगडे कि तू ही ले जा, तेरी बारी.
जवाब देंहटाएंतो ददा
पहले जो टिफिन दिखता था
अब वह कटोरादान हो गया.
किसी किसी के लिये देखिये
मोटापा वरदान हो गया.
आपकी रचना वास्तव में बहुत अच्छी है. इतने उदगारों को जन्म दे दिया. हंस दिया गुरू......
कई दिनों बाद एक अच्छी पोस्ट पढ़ने को मिली। कविता भी बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंमैं भी इसी श्रेणी में आता हूँ व कोशिश है कि इस श्रेणी से विदा ले सकूँ। जब अदानन सामी १०८ किलो वजन कम कर सकता है तो हम ३० किलो क्यों नहीं...........
जवाब देंहटाएंआपको आपकी गौरवमयी सेहत मुबारक हो!
जवाब देंहटाएंमैं तो देश की समृद्धि और उन्नति का चलता फिरता विज्ञापन हूँ
जवाब देंहटाएंक्या खूब विज्ञापन है। आपके लिए और 10 किलो समृद्धि की कामना सहित।
वाह, मस्त रचना । किसी अति स्वस्थ( मोटे) इंसान की व्यथा आपने बहुत अच्छे तरीके से सामने रख दी।
जवाब देंहटाएंहे हे ।
जानें क्यों मुझे ऐसा लगता है कि आप आजकल कम लिख रहे हैं, स्वास्थ्य तो ठीक चल रहा है ना प्रभु?
"...दुबला पतला सिकुड़ा सा आदमी, न सिर्फ अपनी बदनामी करता है बल्कि देश की भी...."
जवाब देंहटाएंये बात भी सही है. पर क्या करूं मेरा मेटाबॉलिज्म ऐसा है कि मैं अपनी बीवी से ज्यादा खाता हूँ तो भी पतला-दुबला हूँ और बीवी जी हैं कि तमाम तरह के जतन करती हैं, डाइटिंग करती हैं, मगर भोजन की सुगंध से ही उनका भार बढ़ जाता है.
मुझे लगता है कि इसमें तकदीर या कुण्डली(याँ) का भी कुछ योगदान होता है :)
समीर जी,
जवाब देंहटाएंअगर आप इसी तरह हंसाते रहे तो हम आप की भी रिकार्ड तोड देंगे... मोटापे के मामले में
ब्लाग की दुनिया से पहले हमने अपने एक मित्र को पत्र मे एक लम्बी प्रस्तावना के साथ एक कविता भेजी .. उनके बिचार जानने के लिये.. बाद में काफ़ी दिन तक जब प्रतिक्रिया नही मिली तो टैलिफ़ोन पर पूछा कविता कैसी लगी.. वो बोले कौन सी कविता मुझे तो कोई मिली नही..हमने जब पत्र का जिक्र किया तो बोले अच्छा उसमे कविता भी थी.. दरअसल वो लम्बी प्रस्तावना से ही घवरा गये थे और बाद वाली कविता उन्होने पढी ही नही...
आपके साथ कभी ऐसा तो नही हुआ ना... हा हा
मोटापा आपकी व्यथा हो तो भले हो? हमें क्या कम से कम हमें इसी बहाने एक बेहतर लेख और कविता पढ़ने को मिली, सोचिये अगर आप पतले होते तो क्या लिखते?
जवाब देंहटाएंभगवान आपको हमेशा ..... ऐसी मजेदार रचनायें लिखने की प्रेरणा देता रहे।
:) :)
बहुत ख़ूब ...हँसते हँसते हमारा वज़न कुछ तो बढ़ ही गया होगा
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन रचना है जिस पर कविता सोने पर सुहागा
मुझको बस दुबला करना ही
मानो सबका काम हो गया
सारी गल्ती उस गढ्डे की
मोटापा बदनाम हो गया.
:):)
वाह साहब मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंएकदम शैल चतुर्वेदी स्टाईल में हँसा गये सबको. बहुत बढिया रचना के लिये बधाईयाँ और ऐसी ही लगातार पढने को मिलें तो शायद हमारा भी कुछ वजन बढे..
समीरजी,
जवाब देंहटाएंइतना अच्छा लेख लिखा पर
कविता का ही नाम हो गया।
आपकी कविता आपकी ही तरह वजनदार है :-)
तो ठीक रहा फिर... हम आप को टेक्नोराटी फेवरिट में टांक आए हैं, आप भी चाहें तो बदला उतार सकते हैं!
जवाब देंहटाएंअरे दुबले हुए कि नही.. मै टेंशन से मरा जा रहा हुँ... बीपी ठीक है?
जवाब देंहटाएंसारी गल्ती उस गढ्डे की
जवाब देंहटाएंमोटापा बदनाम हो गया.
हल्का-फुल्का ब्लॉग आपका!
हँसी-खुशी का धाम हो गया!!
मोटापे की इमेज को लेकर इस कदर परेशान होना और उस परेशानी की इतने मस्त अंदाज में पेश करना आपकी सदाबहार और सहज हास्य कला का बेहतरीन उदाहरण है।
जवाब देंहटाएंएक बात बताइए कि क्या कभी आपको स्वामी रामदेव के प्राणायाम आजमाने की सूझी या नहीं अभी तक। वैसे, आपको उसकी जरूरत नहीं। आप इसी तरह हंसते-हंसाते रहिए, प्राणायाम से अधिक फायदेमंद है यह। मेरे जैसे गंभीर और उग्र तेवर वालों के लिए तो यह सबसे कारगर नुस्खा है।
अरे वाह लालाजी....ये भी खूब कही ....मान गये
जवाब देंहटाएंमैं हँसते-हँसते लोटपोट हो गया ...
समीर जी क्या लिखा है आपने ! पढ़कर आनन्द आ गया । लेख और कविता दोनों एक से बढ़कर एक । ऐसे ही लिखते रहिए । आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहती है ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
koi to area dusaron ke liye rahne dijiye...har topic par aap hi likhenge to baaki kya karenge. Gajab ikhte hain.
जवाब देंहटाएंभगवान आपका मोटापा बनाए रखे !
जवाब देंहटाएंतरुण भाई
जवाब देंहटाएंआप हँस पड़े, लिखना सफल रहा. बहुत धन्यवाद.
पंकज
फिर कहता हूँ, अब कविता ही लिखा करो!! धन्यवाद.
संजय भाई
कविता बाजी मार गई- सही रहा. मेरे मन की पूरी हो गई. धन्यवाद.
योगेश भाई
हंसे, बहुत बढ़िया. सही किस्सा सुनाये हैं, हम भी हंसे. बस हंसते हंसाते रहें, यही तो जीवन है. धन्यवाद रचना पसंद करने के लिये.
मृणाल भाई
हां, इस बार काफी दिन बाद लिखी है न, इसलिये. आगे से जल्दी जल्दी लिखूँगा...हा हा !!!
कविता पसंद करने के लिये बहुत धन्यवाद!!
विवेक भाई
३० किलो तो कभी भी कम हो जायेगा, उसके लिये चिंता न करें. मेरी शुभकामनायें. :)
अनूप भाई
जवाब देंहटाएंमुबारकबाद के लिये बहुत आभार और बहुत धन्यवाद.
मसिजीवी जी
शुभकामना का बहुत धन्यवाद.
संजीत भाई
रचना पसंद आई, बहुत आभार और धन्यवाद.
रवि भाई
यहीं तो आदमी तकदीर के आगे विवश हो जाता है..हा हा!!! पधारने के लिये बहुत धन्यवाद!
मोहिन्दर भाई
रिकार्ड तो टूट्ते जुड़ते रहेंगे, बस आप हंसते रहें, यही उद्देश्य है...!!!
कविता पसंद करने के लिये बहुत धन्यवाद!!
अभी तक इस तरह की परिस्थिती नहीं आई, आते ही सूचित करुँगा...:)
सागर भाई
आप आते रहें और ऐसी ही मजेदार बातें करते रहें..हमें प्रेरणा मिलती रहेगी. :) बहुत धन्यवाद रचना पसंद करने का!
रंजू जी
जवाब देंहटाएंमुबारकबाद वजन बढ़ने के लिये :) और बहुत धन्यवाद रचना पसंद करने के लिये.
सुरेश जी
शुभकामना और रचना पसंद करने का बहुत धन्यवाद. प्रयास जारी रहेगा और आप सेहद का ध्यान दें :)
अतुल भाई
रचना पसंद आई, बहुत आभार और धन्यवाद.
मसीजीवि जी
बदला उतार दिया-बहुत धन्यवाद!
पंकज
बीपी ठीक है-टेंशन अलग कर दो!
दुबले होते ही सूचित करुँगा...:)
रचना जी
बहुत धन्यवाद रचना पसंद करने का! और इस स्थली को हँसी खुशी का धाम घोषित करने के लिये.
सृजन शिल्पी जी
बहुत आभार और धन्यवाद. रामदेव जी के प्राणायाम से मित्रों को लाभ होता देख रहा हूँ और विचारों से तो उस ओर अग्रसर हो चुका हूँ. क्रियांव्यन भी जल्द किया जायेगा. हर तेवर सजग व्यवस्था के सुचारुपन के लिये आवश्यक है और अपनी अहमियत रखता है. :)
रीतेश भाई
चलो, आपने मान लिया, हमारा लिखना सफल रहा. बहुत धन्यवाद.
घुघूती जी
आपके आने से रौनक बढ़ जाती है. बहुत धन्यवाद आपने रचना को पसंद किया. जरुर लिखते रहेंगे, आप ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहें.
बेनाम जी
अरे, तारीफ ही तो की है, फिर काहे बेनाम रह गये जी!! बहुत आभार...अभी तो सारे ही टॉपिक छूटे हुये हैं.
मनीष भाई
शुभकामना के लिये आभार और धन्यवाद... :)
'ठीक उसी तरह मोटापे से ताकतवर होने का भ्रम होता है, भले अंदरूनी स्थितियाँ, राष्ट्र की तरह ही, कितनी भी जर्जर क्यूँ न हो।'
जवाब देंहटाएंसमीर जी बहुत सटीक बात कही है आपने। बहुत अच्छा लेख है। व्यंग्य भी बहुत अच्छा किया है और गुदगुदाया भी खूब है। कविता भी पूरी तरह निखर कार आई है। इन सबके लिये ढेर सारी बधाई।
भावना जी
जवाब देंहटाएंआपकी ढेर सारी बधाई के लिये आपका ढेर सारा शुक्रिया. बस यूँ ही हौसला बढ़ाते रहें.
Simply Supurb,Samir bhai.
जवाब देंहटाएंLoved it,Keep on regailing us.
kamal.
मोटापा घटाए
जवाब देंहटाएंया
वजन बढाये
Without exercise
Without dieting
Without Medicine
Vijay Agarwal
9571878722
Call / whatsapp
बहुत ही गजब रचना हुकुम बहुत-बहुत सभी को बधाई हो
जवाब देंहटाएंपतले भी एक तरह से बदनाम है.....
जवाब देंहटाएंफुक मारो तो उर जायेंगे ऐसा कहते...
ना मोटे लोग खुश है और न पतले लोग