सोमवार, अक्तूबर 02, 2006

धरम के नाम पर

धरम के नाम पर हम ही, विवादों को उठाते हैं,
भरम इस बात का हमको कहीं कुछ नाम पाते हैं.

बदल जायेगी दुनिया ही, पता तो था जमाने को
मगर फिर भी ये हरकत है, कहाँ हम बाज आते हैं.

दिया सब छोड़ अपनों ने, घिरे तूफ़ान में जब भी
दिखे बस हाथ गैरों के, जो संग अपना निभाते हैं.

पकड़ कर उंगलियां मेरी, जो चलना सीखते मुझसे
सहर की लाल किरणों मे, मुझी को पथ दिखाते हैं.

चमन में हर तरफ अब तक, अंधेरा ही अंधेरा था
वजह थी बेखुदी जिनकी, शमा वे ही जलाते हैं.

लगी है आग बस्ती में, झुलसती आज मानवता
दिये जो आँख में आंसू, उन्हीं से हम बुझाते हैं.

जगो तुम आज जगने को, ‘समीर’ आवाज़ देता है,
मिटाने आज वहशत को, चलो कुछ कर दिखाते हैं.

--समीर लाल ‘समीर’

9 टिप्‍पणियां:

  1. पढ़ा है धर्म ग्रन्थों में सभी के पाप धुलते हैं
    तभी तो हर बरस गंगा में हम डुबकी लगाते हैं
    हमारे श्वेत वस्त्रों पर नहीं कुछ दाग दिख पाये
    इसी कारण "जयंती " पर परिन्दों कौ उड़ाते हैं

    सुन्दर लगी आपकी रचना समीर भाई

    जवाब देंहटाएं
  2. कविता तो लिख नहीं पाए, तो आपके साथ साथ हम भी बापु को श्रद्धासुमन अर्पित कर देते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  3. समीर जी,बहुत अच्छी कविता है.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर शब्द हैं।
    -प्रेमलता

    जवाब देंहटाएं
  5. बेनामी10/04/2006 05:25:00 am

    जगो तुम आज जगने को, ‘समीर’ आवाज़ देता है,
    मिटाने आज वहशत को, चलो कुछ कर दिखाते हैं.

    अन्तिम पंक्ति प्रेरणा दायक है

    जवाब देंहटाएं
  6. ati sundar samiir bhaaii.

    dharm karm ke naam par hai aisii andher.

    shubah kah rahe shaam ko, shaamahi.n kahe.n saber.

    जवाब देंहटाएं
  7. लगी है आग बस्ती में, झुलसती आज मानवता
    दिये जो आँख में आंसू, उन्हीं से हम बुझाते हैं.

    जगो तुम आज जगने को, ‘समीर’ आवाज़ देता है,
    मिटाने आज वहशत को, चलो कुछ कर दिखाते हैं

    बढ़िया है!

    जवाब देंहटाएं
  8. बेनामी10/06/2006 12:01:00 pm

    पकड़ कर उंगलियां मेरी, जो चलना सीखते मुझसे
    सहर की लाल किरणों मे, मुझी को पथ दिखाते हैं.

    वाह.. वो क्या दिखाएंगे राह मुझको.. जिन्हें खुद अपना पता नहीं है.. मैं खुद अपनी तलाश में हूं.. मेरा कोई रहनुमा नहीं है..

    बेहतरीन ग़ज़ल है. धन्यवाद समीर जी.

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.