--ख्यालों की बेलगाम उड़ान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से...... हाथ में लेकर कलम मैं हालेदिल कहता गयाकाव्य का निर्झर उमड़ता आप ही बहता गया.
हाथ में लेकर कलम मैं हालेदिल कहता गयाकाव्य का निर्झर उमड़ता आप ही बहता गया.
ठीक है साब
यूं तो आपकी पोस्ट का इंतज़ार है, अलबत्ता इस बात पर बालीवुड़ का एक गाना ज़रूर याद आ गया....."तो आन दे, आन दे, आन दे......"पूरा तो हमें भी याद नही.-रेणु
हाँ तो आई पोस्ट वापस या नहीं।
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है. बहुत आभार.
ठीक है साब
जवाब देंहटाएंयूं तो आपकी पोस्ट का इंतज़ार है, अलबत्ता इस बात पर बालीवुड़ का एक गाना ज़रूर याद आ गया.....
जवाब देंहटाएं"तो आन दे, आन दे, आन दे......"
पूरा तो हमें भी याद नही.
-रेणु
हाँ तो आई पोस्ट वापस या नहीं।
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